विलेज़ Xxx राजवैप स्टोरी में मैं मामा के घर गया तो उनकी दोनों जवान बेटियों को देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा. एक रात मैंने दीदी को बाथरूम में चूत में वाइब्रेटर डालते देखा.
मेरा नाम नील राजवैप है, मेरी उम्र 19 साल है।
यह मेरी पहली कहानी है, जो मेरी दीदी रचना के बारे में है।
रचना दीदी की उम्र 24 साल है, वो इतनी सेक्सी हैं कि क्या बताऊँ!
उनका रंग दूध सा सफेद है, उनके स्तन 32 के हैं, एकदम नारंगी जैसे लगते हैं।
मन करता है कि उन्हें पकड़कर चूस लूँ!
उनकी लचीली कमर 28 की है, और उनकी तरबूज जितनी बड़ी गांड 36 की है।
जब वो चलती हैं, तो पूरा मोहल्ला उन्हें देखता रहता है।
जब वो कॉलेज में थीं, तब उनके बूब्स इतने बड़े नहीं थे।
लेकिन जब से उन्होंने नर्स की नौकरी जॉइन की है, तब से वो और भी सेक्सी हो गई हैं।
तो चलो दोस्तो, बदन के दर्शन तो हो गए, अब कहानी की तरफ आते हैं।
गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो गई थीं।
हर बार की तरह, इस बार भी मैं अपने बड़े मामा के गाँव में रहने आ गया।
उस दिन शाम के करीब 5 बजे थे।
मैं मामा-मामी से मिला और मुस्कान दीदी से भी, जो रचना दीदी की छोटी बहन हैं।
उनकी उम्र 22 साल है, और वो बीएड की डिग्री कर रही हैं।
मैंने रचना दीदी के बारे में पूछा।
“वो तो ड्यूटी पर गई हैं, रात को आएंगी!” मामा ने बताया।
“वो नर्स हैं, तो उनकी ड्यूटी बदलती रहती है। आज उनकी इवनिंग ड्यूटी है।”
रचना दीदी शाम को 8 बजे बस से घर आती हैं, उन्हें बस स्टेशन लेने जाना पड़ता है।
स्टेशन घर से करीब 8 किलोमीटर दूर है।
आमतौर पर मामा उन्हें लेने जाते हैं लेकिन आज मैं आ गया था तो मैंने कहा, “मैं लेने चला जाऊँगा!”
मैं बस स्टेशन पर रचना दीदी का इंतज़ार करने लगा।
कुछ देर में उनकी बस आई।
अंधेरा हो चुका था और बस में बहुत भीड़ थी।
रचना दीदी बस से उतरीं।
उन्होंने सफेद शर्ट और जींस पहनी थी।
गर्मी की वजह से वो पसीने से भीग गई थीं।
उनकी सफेद शर्ट में से उनकी पिंक ब्रा साफ दिख रही थी, जो उनके गोरे, चिकने बूब्स को संभाले हुए थी।
उनके मुँह से पसीने की बूँदें उनके गले से होते हुए उनके बड़े-बड़े चूचों की तरफ जा रही थीं।
वो इतनी सेक्सी लग रही थीं कि मैं कुछ देर तक उन्हें देखता ही रह गया।
मेरा तो उन्हें देखकर ही निकल जाएगा, ऐसा लग रहा था!
हम काफी समय बाद मिल रहे थे, लगभग एक साल हो गया था।
पिछली बार जब मैं मामा के घर आया था, तब उनके फाइनल ईयर की वजह से उन्हें वेकेशन नहीं मिला था, और उन्हें हॉस्टल में ही रुकना पड़ा था।
अचानक दीदी ने मुझे देख लिया और मेरी तरफ आने लगीं।
“नील!” वो चिल्लाईं और पास आकर मुझे जोर से गले लगा लिया।
मैंने सोचा भी नहीं था कि वो ऐसा करेंगी!
उनके बूब्स मेरे सीने से चिपक गए।
मन तो कर रहा था कि वहीँ उनके चूचों को दबा दूँ और चूस लूँ, लेकिन मैंने अपने मन को रोक लिया।
फिर हम अलग हुए और बातें करते-करते घर पहुँच गए।
दीदी फ्रेश हुईं, हमने खाना खाया, और फिर सोने चले गए।
हम जब भी मिलते हैं, हम तीनों — मैं, रचना दीदी, और मुस्कान दीदी गैलरी में सो जाते हैं।
आज भी वैसे ही सो गए।
मैं लेटा था, मेरे बगल में रचना दीदी, और उनके बगल में मुस्कान दीदी।
रचना दीदी ने पीले रंग की टी-शर्ट और सफेद शॉर्ट्स पहने थे। उन्हें कंफर्टेबल रहना पसंद है। हाय, वो क्या कयामत ढा रही थीं!
रात के करीब 1 बजे मेरी नींद खुली।
मैंने देखा कि रचना दीदी एक तरफ सोई थीं।
उनकी टी-शर्ट ढीली होने की वजह से उनके बूब्स थोड़े-थोड़े दिख रहे थे।
मैंने उनकी टी-शर्ट को और खिसकाने की कोशिश की लेकिन असफल रहा।
जितने बूब्स दिख रहे थे, उन्हें देखकर मैं हिलाने (हस्तमैथुन) लगा।
चाँद की रोशनी में उनके गोरे, दूध जैसे बूब्स चमक रहे थे।
कुछ देर में मैं झड़ गया।
कभी-कभी उन्हें देखकर लगता था कि वो पक्का किसी से चुदती होंगी, वरना अचानक उनके बूब्स और गांड इतने बड़े कैसे हो सकते हैं?
लेकिन अगले ही पल लगता था कि वो तो कितनी मासूम और भोली हैं।
अगले दिन सुबह मैं आराम से उठा।
मुझे बहुत जोर से पेशाब लगी थी, तो मैं सीधा बाथरूम की तरफ भागा।
दरवाजा बंद था, लेकिन कुंडी नहीं लगी थी।
मैं बिना सोचे अंदर घुस गया।
अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं!
मुस्कान दीदी नहा रही थीं।
उन्होंने सिर्फ़ नीले रंग की पैंटी पहनी थी, जिसमें उनकी गांड फिट भी नहीं हो रही थी।
उनका बदन थोड़ा सांवला था लेकिन उनके चूचे काफी बड़े थे।
वो उन पर साबुन लगा रही थीं।
जैसे ही उन्होंने मुझे देखा, उन्होंने तुरंत तौलिये से खुद को ढक लिया।
“निकलो यहाँ से!” वो जोर से चिल्लाईं और मुझ पर साबुन फेंक दिया।
मेरी तो गांड फट गई!
मैंने सोचा कि अब मेरे साथ क्या होगा?
मुस्कान दीदी को नंगी देखना मेरे लिए सपने जैसा था।
मैंने तो उन्हें सिर्फ़ कल्पनाओं में नंगी देखा था।
अब मेरा मन उन्हें पूरी तरह नंगी देखने का हो रहा था।
उनकी तो पक्का ब्राउन चूत होगी!
लेकिन मैंने वो सब भूलकर हिम्मत जुटाई और जब वो बाहर आईं, तो मैंने उनसे माफी माँगी।
“सॉरी दीदी, मुझे नहीं पता था आप अंदर हैं!” मैंने कहा।
“ठीक है, मैं भी कुंडी लगाना भूल गई थी,” उन्होंने जवाब दिया और मुझसे माफी माँगी।
वैसे, मुस्कान दीदी भी कम नहीं हैं। हाँ, वो थोड़ी पतली हैं, लेकिन उनके बूब्स और गांड बहुत ही निखरे हुए हैं।
उनका तो बॉयफ्रेंड भी है, तो मुझे लगता है वो पक्का चुदती होंगी।
मैं भी उनकी चीख निकालना चाहता था अपने नाम से।
सोचता था कि कितना मज़ा आएगा अगर मैं उनकी गांड मार रहा हूँ और वो उसी वक़्त फोन पर अपने बॉयफ्रेंड से बात कर रही हों!
ये सब सोचकर जब मैं नहाने गया, तो उनके नाम की मुठ मार ली।
इतना ज़्यादा चिक निकला कि फर्श पर हर तरफ चिक ही चिक हो गया।
दोपहर हो चुकी थी।
मामी ने कहा, “नील, तेरे मामा खेत में गए हैं। उनके लिए खाना लेकर जा।”
मैं बोर हो रहा था, तो खाना लेकर खेत की तरफ चल पड़ा।
खेत में मामा कहीं दिख नहीं रहे थे।
उनके खेत के बगल में एक पक्का मकान है, ताकि रात को खेत में आएँ तो आराम कर सकें।
मकान के पास पहुँचा तो कुछ आवाज़ें सुनाई दीं।
कोई मादक सिसकारियाँ ले रहा था।
मैं समझ गया कि यहाँ चुदाई हो रही है!
मैं चुपके से मकान के पीछे गया, जहाँ एक खिड़की खुली थी।
मैंने देखा कि मामा एक औरत को चोद रहे थे।
ध्यान से देखा, तो पता चला कि ये तो रूपा आंटी थीं, मामा की पड़ोसन!
मैं शॉक्ड हो गया।
मैंने सोचा भी नहीं था कि रूपा आंटी इस तरह किसी से चुदवाएँगी!
मैंने चुपके से फोन में उनकी वीडियो रिकॉर्ड कर ली, ताकि ज़रूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल कर सकूँ।
वो क्या चुद रही थीं, एकदम रंडी की तरह!
उनकी मादक आवाज़ें सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया।
उनके बूब्स हवा में झूल रहे थे।
उनकी चूत पर बाल साफ दिख रहे थे, लगता था उन्हें शेव करना पसंद नहीं।
मैं मन ही मन सोचने लगा कि यार, क्या मस्त माल है! एक बार चोदने को मिल जाए, तो मज़ा आ जाए!
कुछ देर बाद उनकी चुदाई खत्म हुई।
रूपा आंटी ने अपने आपको साफ किया और लाल रंग की पैंटी पहनी।
उन्होंने ब्रा पहनने की कोशिश की, तो मामा ने रोक लिया।
“इसे मुझे रिवॉर्ड के तौर पर दे दे!” मामा ने हँसते हुए कहा।
रूपा आंटी ने बिना ब्रा के ही ब्लाउज़ पहना और नीली साड़ी लपेटकर वहाँ से चली गईं।
मैं थोड़ी देर बाद मामा को खाना देने गया ताकि उन्हें शक न हो कि मैंने उन्हें और रूपा आंटी को चुदाई करते देख लिया था।
रूपा आंटी मामा के घर से थोड़ी दूरी पर रहती हैं।
उनके पति नौकरी नहीं करते.
उनकी दो बेटियाँ हैं — बड़ी बेटी खुशी, 22 साल की, और छोटी बेटी नीलम, 19 साल की।
पूरे घर को वो अकेले ही काम करके चलाती हैं।
वो थोड़े सांवले रंग की हैं, लेकिन उनके बूब्स 34 के और गांड 36 की होगी।
उनकी चाल इतनी लुभावनी है कि किसी बूढ़े का लंड भी उसे देखकर खड़ा हो जाए!
घर लौटने के बाद मैं मोबाइल पर टाइम पास कर रहा था।
तभी एक स्पाई कैमरे की ऐड दिखी।
वो काफी सस्ता था और लिखा था कि एक दिन में डिलीवरी हो जाएगी।
रचना दीदी को कल रात देखने के बाद मेरा मन उनकी पूरी सेक्सी बॉडी देखने का हो रहा था।
मैंने फटाफट वो स्पाई कैमरा ऑर्डर कर लिया।
रात को खाना खाने के बाद हम सोने चले गए।
आज रचना दीदी ने टाइट शॉर्ट्स पहने थे, जिनमें साफ दिख रहा था कि उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी।
उनकी गोल-मटोल गांड मेरे सामने थी।
मैं उसे देखकर अशांत हो गया।
अब मेरा मन और ज़्यादा हो रहा था कि उन्हें नंगी देखूँ।
बस मुझे कल तक का इंतज़ार करना था।
अगली सुबह जब मैं उठा तो सब अपने-अपने काम में निकल चुके थे।
रचना दीदी की आज सुबह की ड्यूटी थी, तो वो भी निकल गई थीं।
वो अब शाम को ही आएँगी।
मैंने थोड़ा गेम खेला और फिर गाँव के पास वाली नदी पर चला गया।
पहले हम अक्सर नदी पर नहाने आते थे—मैं, रचना दीदी, नीलम, खुशी, और मुस्कान दीदी।
आज भी वहाँ कई लड़के-लड़कियाँ नहाने आए थे।
एक लड़की ने तो टी-शर्ट के नीचे ब्रा भी नहीं पहनी थी।
उसकी गीली टी-शर्ट उसके गोल-मटोल बूब्स को साफ दिखा रही थी।
वहाँ और भी लड़कियाँ थीं—किसी के चूचे बड़े थे, किसी के छोटे, किसी की गांड बड़ी थी।
इस तरह व्यू का मज़ा लेकर मैं घर लौट आया।
दोपहर करीब 3 बजे पार्सल वाले का फोन आया।
मैं पार्सल लेने गया।
मैं बहुत ज़्यादा एक्साइटेड था।
मैंने स्पाई कैमरा बाथरूम में इस तरह लगाया कि पूरा बाथरूम दिखे, लेकिन किसी को कैमरा नज़र न आए।
मैंने उसे अपने फोन से कनेक्ट कर लिया।
अब बस शाम तक रचना दीदी का इंतज़ार था और उनके मखमली बदन का दर्शन हो जाएगा।
साथ में मुस्कान दीदी के भी दर्शन हो जाएँगे!
रात 8 बजे रचना दीदी आईं और फ्रेश होने बाथरूम चली गईं।
मैंने मोबाइल में देखना शुरू किया।
उन्होंने पीले रंग का कुर्ता उतारा, फिर धीरे से जींस निकाली।
उन्होंने नीले रंग की ब्रा और पैंटी पहनी थी। वाह, क्या नजारा था!
उनके नारंगी जैसे बूब्स उछल रहे थे, जैसे आज़ाद होना चाहते हों।
फिर दीदी ने ब्रा और पैंटी भी उतार दी।
उनके बूब्स उछलकर बाहर आ गए।
उन्हें देखकर मेरा मन उन्हें चूसने का करने लगा।
उनकी चूत कुछ ज़्यादा ही गुलाबी दिख रही थी।
ध्यान से देखा, तो पता चला कि उन्होंने गुलाबी रंग का वाइब्रेटर अपनी चूत में घुसाया हुआ था!
मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी दीदी में इतनी हवस भरी होगी कि वो पूरे वक़्त वाइब्रेटर अपनी चूत में लेकर घूमती होंगी!
दीदी ने वाइब्रेटर धीरे से निकाला और एक उंगली अपनी चूत में डाली।
फिर उन्होंने उस उंगली को निकाला और अपने मुँह से चूसने लगीं।
अपने दूसरे हाथ से वो अपने मुलायम चूचों पर फेरने लगीं।
ये नजारा बहुत ही शानदार था।
एक हाथ से वो अपने चूचों को मसल रही थीं तो दूसरे हाथ से अपनी गुलाब की पंखुड़ियों जैसी चूत में उंगली कर रही थीं।
कुछ देर उंगली करने के बाद, जब उनकी चूत पूरी तरह गीली हो गई, वो उठीं और एक लंबे, गोल नल के पास गईं।
वो झुकीं और उस नल को अपनी चूत में लेकर चोदने लगीं।
उनके बूब्स उछल रहे थे।
कुछ देर बाद वो झड़ गईं।
उनकी चूत का सारा पानी फर्श पर बह रहा था।
फिर वो नहाने लगीं और अपने संतरों को दबाने लगीं।
दीदी को इस तरह देखने के बाद मेरा मन कर रहा था कि भले ही कुछ भी करना पड़े, मैं अब तो रचना दीदी को चोदकर ही रहूँगा!
अगले दिन मैंने सोच लिया कि अब मुझे रचना दीदी से अपने मन की बात कहनी होगी।
मैं उनके साथ अकेले में वक़्त बिताने की कोशिश करने लगा।
उस दिन उनकी ड्यूटी दोपहर में थी, तो सुबह वो घर पर थीं।
मैंने मौका देखकर बात शुरू की।
“दीदी, आप इतनी खूबसूरत हैं। आपकी स्माइल तो किसी का भी दिल जीत ले!” मैंने हिम्मत करके कहा।
“अरे, तू भी ना, अब ये चापलूसी क्यों कर रहा है?” दीदी ने हँसते हुए जवाब दिया।
मैंने थोड़ा और हिम्मत जुटाई। “दीदी, सच कहूँ, मैं आपको बहुत पसंद करता हूँ। आप जैसी कोई नहीं है।”
वो थोड़ा शरमा गईं लेकिन कुछ बोलीं नहीं।
मैं समझ गया कि अभी मुझे धीरे-धीरे आगे बढ़ना होगा।
मैंने सोचा कि स्पाई कैमरे की वीडियो का इस्तेमाल करना सही नहीं होगा लेकिन मेरे मन में उनकी नंगी तस्वीरें बार-बार घूम रही थीं।
उस रात हम फिर गैलरी में सोए।
इस बार रचना दीदी ने हल्के गुलाबी रंग की नाइटी पहनी थी, जिसमें से उनकी ब्रा की लाइन साफ दिख रही थी।
मैं रात भर उनके बारे में सोचता रहा।
अगले दिन सुबह मैं फिर बाथरूम में गया, लेकिन इस बार मैंने पहले दरवाजा चेक किया।
कोई अंदर नहीं था।
मैंने स्पाई कैमरे की फुटेज चेक की, तो पता चला कि मुस्कान दीदी भी रात को नहाने गई थीं।
उनकी फुटेज में वो अपनी ब्रा और पैंटी में थीं।
उनकी गांड इतनी टाइट थी कि मैं देखता ही रह गया।
वो अपने बूब्स को साबुन से मल रही थीं.
उनकी हरकतें देखकर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।
मैंने सोचा कि मुस्कान दीदी भी तो कमाल की हैं! अगर रचना दीदी नहीं, तो इनसे भी काम चल सकता है!
लेकिन मेरा दिल रचना दीदी पर ही अटका था।
मैंने फैसला किया कि मुझे अब कुछ करना होगा।
एक दिन मामा-मामी को किसी रिश्तेदार के यहाँ जाना था, और मुस्कान दीदी भी अपनी सहेली के घर चली गई थीं।
घर पर सिर्फ़ मैं और रचना दीदी थे।
दीदी अपनी ड्यूटी से थककर लौटी थीं और सोफे पर लेटी थीं।
“नील, मेरे पैर दबा दे ना, बहुत दर्द हो रहा है!” दीदी ने कहा।
मैंने मौका देखकर उनके पैर दबाने शुरू किए।
धीरे-धीरे मैं उनके पैरों से ऊपर की तरफ गया।
मेरे हाथ उनकी जांघों तक पहुँचे।
दीदी ने कुछ नहीं कहा, बस आँखें बंद करके लेटी रहीं।
मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, आप बहुत हॉट हैं। मैं दिन-रात आपके बारे में सोचता हूँ!”
वो हल्के से मुस्कुराईं, “तू भी ना, बहुत शैतान हो गया है!”
उनके इस जवाब ने मुझे हिम्मत दी।
मैंने धीरे से उनके कंधों को दबाना शुरू किया।
मेरे हाथ उनकी गर्दन से होते हुए उनके बूब्स के पास पहुँचे।
वो कुछ नहीं बोलीं, बस साँसें तेज़ होने लगीं।
अचानक वो उठीं और बाथरूम की तरफ चली गईं।
मैं समझ गया कि वो शायद मेरे इरादे भाँप गई थीं।
लेकिन मैंने हार नहीं मानी।
उस रात मैंने फिर स्पाई कैमरे की फुटेज देखी।
दीदी फिर से वाइब्रेटर का इस्तेमाल कर रही थीं।
इस बार वो और ज़्यादा जोश में थीं।
वो अपने चूचों को ज़ोर-ज़ोर से मसल रही थीं और वाइब्रेटर को अपनी चूत में डाल रही थीं।
उनकी सिसकारियाँ सुनकर मैं पागल हो गया।
अगले दिन मैंने फिर मौका देखा।
दीदी गैलरी में बैठी थीं, मैं उनके पास गया।
“दीदी, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ। मैं आपको बहुत चाहता हूँ। प्लीज़, मुझे एक मौका दो!” मैंने हिम्मत करके कहा।
वो थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोलीं, “नील, तू मेरा छोटा भाई है। ये सब गलत है।”
“दीदी, मैं जानता हूँ, लेकिन मेरे दिल को समझाओ ना!” मैंने कहा।
वो हँसीं और बोलीं, “तू बहुत ज़िद्दी है। देख, कुछ नहीं होगा, लेकिन तुझे मेरी इतनी फिक्र है, तो मैं तुझे एक किस दे सकती हूँ!”
उन्होंने मुझे गाल पर एक हल्का सा किस किया।
लेकिन मेरा मन तो कुछ और ही चाहता था।
मैंने धीरे से उनकी कमर पकड़ी और उन्हें अपनी तरफ खींच लिया।
वो चौंक गईं, लेकिन विरोध नहीं किया।
मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो पहले तो हिचकिचाईं, लेकिन फिर वो भी मेरा साथ देने लगीं।
मेरे हाथ उनकी टी-शर्ट के अंदर चले गए, और मैं उनके मुलायम बूब्स को दबाने लगा।
“नील, ये गलत है!” वो बोलीं, लेकिन उनकी आवाज़ में वो जोश नहीं था।
“दीदी, बस एक बार!” मैंने कहा और उनकी टी-शर्ट उतार दी।
उनके गोल-मटोल बूब्स मेरे सामने थे।
मैंने उन्हें चूसना शुरू किया।
वो सिसकारियाँ लेने लगीं।
फिर मैंने उनकी शॉर्ट्स उतारी।
उनकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी।
मैंने धीरे से उसमें उंगली डाली, और वो और ज़्यादा उत्तेजित हो गईं।
“नील, प्लीज़, रुक जा!” वो बोलीं, लेकिन मैं नहीं रुका।
मैंने अपना लंड उनकी चूत में डाला।
वो ज़ोर से चिल्लाईं, लेकिन फिर वो भी मज़े लेने लगीं।
मैं उनकी चूत को चोदता रहा, और उनके बूब्स उछल रहे थे।
कुछ देर बाद मैं उनकी गांड की तरफ बढ़ा।
“नहीं, नील, वहाँ नहीं!” वो बोलीं, लेकिन मैंने धीरे से अपना लंड उनकी गांड में डाला।
वो दर्द से कराह उठीं, लेकिन फिर मज़े लेने लगीं।
हम दोनों उस रात एक-दूसरे में खो गए।
अगले दिन सुबह दीदी ने मुझसे बात नहीं की।
वो शरमा रही थीं।
मैंने उनसे कहा, “दीदी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।”
वो मुस्कुराईं और बोलीं, “नील, ये सब एक बार की बात थी। अब हम ऐसा नहीं करेंगे।”
लेकिन मैं जानता था कि अब हमारे बीच कुछ बदल गया था। मैंने सोचा कि धीरे-धीरे मैं उन्हें फिर से मनाऊँगा।
इस तरह मेरी गर्मी की छुट्टियाँ और भी मज़ेदार हो गई थीं।
रचना दीदी, मुस्कान दीदी, और रूपा आंटी—सबने मेरे मन में एक अलग ही आग लगा दी थी।
अब देखना ये है कि आगे क्या होता है!
आपको कहानी पसंद आई होगी.
प्लीज़ बतायें कि विलेज़ Xxx राजवैप स्टोरी कैसी लगी।
ताकि मेरा मनोबल बढ़े।
धन्यवाद।
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