सौतेली मां की प्यास बुझाई

स्टेप सन मॅाम सेक्स कहानी में मेरी सौतेली मम्मी के जिस्म की प्यास मेरे पापा नहीं बुझा पाते थे तो वे विचलित सी रहती थी. मुझे यह बात समझ आ गयी तो मैंने उनकी मदद की.

दोस्तो, मेरा नाम सुशांत है. मेरी उम्र 19 साल है.
अभी मैं कॉलेज के पहले साल में हूँ.

मेरे परिवार में मैं, पापा, मां और मेरी बहन शालिनी है.
वह 21 साल की है और मुझसे 2 साल बड़ी है.
वह अभी अपने कॉलेज की पढ़ाई के तीसरे साल में है.

हम लोग बिहार के गया के रहने वाले हैं और हमारा गांव शहर से बहुत दूर है.

पापा किसान हैं क्योंकि हमारे दादा की बहुत ज्यादा जमीन थी, जिससे हमारा घर चलता है.

हम दोनों भाई बहनों की मां बीमारी के चलते बचपन में ही मर गई थीं.
उस वक्त हम दोनों भाई बहन छोटे थे और शायद मैं छठी कक्षा में पढ़ रहा था.

दादा जी के कहने पर पिता जी ने दूसरी शादी कर ली थी और अब हम दोनों भाई बहनों को सौतेली मां का प्यार मिलने लगा था.

ये स्टेप सन मॅाम सेक्स कहानी मेरी और सौतेली मां के बीच बने नए रिश्ते की है, जो हमारे बीच बना.

पापा सुबह-सुबह खेत चले जाते थे और सिर्फ दोपहर में ही घर आते थे खाना खाने के लिए.
फिर वे जाते थे तो रात में दारू पीकर आते थे और मां से झगड़ा करके घर के बाहर सो जाते थे.
ये सिलसिला रोज का था.

खैर … मैं बात करूँ मां की, तो वह 40 साल की हैं.
हाइट में मैं उनसे 2 इंच बड़ा ही हूँ.

लेकिन उनके फिगर की बात करूँ तो उनकी मोटी चौड़ी गांड है जिसको देख किसी का भी लंड खड़ा हो जाए और भारी-भारी चूचियां हैं.

ये उस रात की बात है जब पापा खेत से आकर झगड़ा करके सोने चले गए.
मां किचन में बैठकर रो रही थीं.

मैं ये देखकर उनके पास गया और बोला- मां, मत रोओ!
मैं उनके पास बैठ गया.

मां मुझे देखकर और जोर-जोर से रोने लगीं.
तब मैं उन्हें पकड़ कर अपने सीने से लगा कर चुप कराने लगा.

तब मुझे उनकी चूचियों का पहली बार मुलायम सा अहसास हुआ.

मैंने मां को रोने से मना किया और बोला- मां, आप सब मुझ पर छोड़ दो, मैं सब ठीक कर दूँगा!
ये बोलकर मैं खाने चला गया.

सबने खाना खाया, बहन सोने चली गई.

मैं हॉल में टीवी देख रहा था, तभी मां आईं और मेरे पास आकर बैठ गईं.

गर्मी का महीना चल रहा था तो उस दिन गर्मी बहुत ज्यादा थी.

तब मैंने मां से कहा- आज हम लोग छत पर सोने चलें … गर्मी बहुत ज्यादा है न!
मां ने कुछ सोचा, फिर बोलीं- ठीक है चल!

मैंने शालिनी को भी बोलने का सोचा कि वह भी छत पर सोने चले.

मां बोलीं- हां उससे कह दे.
मैंने कहा- ठीक है मां!

फिर शालिनी के रूम में गया, जहां मैंने देखा कि वह सो गई थी.

मैंने आकर मां से बोला- मां मां … दीदी तो सो गई है!
मां ने कहा- ठीक है चल, हम दोनों ही चलते हैं. उसे नीचे ही सोने देते हैं!

मैंने थोड़ा जल्दी जाकर छत पर बिस्तर लगा दिया.

मां 10 मिनट बाद आईं.

मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था.
मां आईं और बोलने लगीं- आज काम करके पूरा शरीर दर्द कर रहा है बेटा!

मैं बोला- हाँ मां … और ऊपर से पापा का नाटक अलग! हम लोग क्या कर सकते हैं मां!
मां कुछ नहीं बोलीं.

हम दोनों चुप होकर लेट गए.
मैं आसमान में तारे देख रहा था और सोच रहा था कि कैसे क्या किया जाए.

तभी मैंने देखा कि मां उठीं और छत के एक कोने में जाकर अपनी साड़ी को उठाकर सुसु करने बैठ गईं.

नीचे बैठे हुए मैंने उनकी गोरी गांड देखी जो एकदम मक्खन जैसी लग रही थी.

फिर मां खड़ी हुईं और पहले अपनी लाल पैंटी जो नीचे खिसका दी थी, उसे ऊपर चढ़ा कर सही से पहनी, फिर हाथ से साड़ी छोड़कर चलने लगीं.

मैंने यह सब देख लिया था.
शायद मां भी समझ गई थीं कि मैंने उन्हें नंगी देख लिया है.

फिर मेरे पास आकर मां बोली- लगता है मेरा बेटा बड़ा हो गया है!
मैं- क्या मां … आप भी! चलो, सो जाओ रात हो गई है!

एक तो गर्मी, ऊपर से हवा भी नहीं चल रही थी!

मां- आज गर्मी बहुत है!
ये बोलकर मां ने अपनी साड़ी खोल कर सिर के पास रख दी और फिर से लेट गईं.

रात बहुत हो गई थी.
मैं सोने लगा, मां भी सोने लगीं.

कब मेरी आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
फिर रात में जब मेरी नींद खुली, तब फोन में देखा तो रात के 2:30 बज रहे थे.

मैंने उठकर मां की तरफ देखा तो देखा कि उनकी पेटीकोट कमर तक आ गया था.

मां की लाल पैंटी अच्छे से दिख रही थी और उसमें मां की मालपुआ (बिहार की एक मिठाई) जैसी चूत साफ-साफ झलक रही थी.

मैं उठा और सुसु करने एक कोने में चला गया.

सुसु करके आते वक्त मैंने देखा कि मां की आंखें खुली हुई थीं.
मैं दूर था, तो मुझे दिख गया था.

जब मैं मां के पास आने को हुआ, तो मां ने अपनी आंखें बंद कर लीं, लेकिन पेटीकोट ठीक नहीं किया.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि ये क्या है.

मैं मां के पास आया और उनके बगल में लेट गया.

मैं सोच रहा था कि मां ने जानबूझ कर पेटीकोट ठीक नहीं किया क्या?
ये सोचते-सोचते मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना हाथ मां के दूध जैसे सफेद पेट पर रख दिया.

फिर भी मां ने कोई हरकत नहीं की.

पांच मिनट बाद मैं अपना हाथ पेट पर चलाने लगा.
मेरा हाथ पेटीकोट के ऊपर भी जा रहा था.

मां की कोई हरकत न देख मैंने अपना हाथ मां की चूत की तरफ बढ़ाने लगा.
मेरा हाथ लाल पैंटी के ऊपर पहुंच गया.

मैं मां का चेहरा देख रहा था, जो अब रंग बदल रहा था लेकिन मां आंखें नहीं खोल रही थीं.
ये देख मैं समझ गया कि मां क्या चाहती हैं!

स्टेप सन मॅाम सेक्स शुरू करते हुए मैं बिना देर किए हाथ चूत पर सहलाने लगा.
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मां की चूत से खेलना जारी था.
अब मेरे हाथ के लिए उनकी पैंटी ही एक दीवार बनकर खड़ी थी.

मेरी हिम्मत पैंटी खोलने की नहीं हो पा रही थी.
मैं पैंटी के साइड से अपनी बड़ी उंगली अन्दर डाल रहा था.

उंगली पैंटी के अन्दर चली गई.

पैंटी के अन्दर मुझे महसूस हुआ कि मां के झांट के बाल बहुत बड़े-बड़े हैं.
मैं कोशिश में लगा था कि चूत में जाने का रास्ता मिल जाए.

तभी मेरी उंगली में कुछ पानी लगने का अहसास हुआ.
मैं उंगली अन्दर डाल ही रहा था कि मां मेरी तरफ उल्टी हो गईं और मुँह मुड़कर सो गईं.

मेरी उंगली बाहर निकल गई.
मैं डर गया.

लेकिन अब मेरा 4.5 इंच का लंड, जो 6.5 का रूप ले लिया था, वह मान नहीं रहा था.

मैंने दोबारा मां के पेट पर हाथ रखकर अपना लंड उनकी गांड में पैंटी के ऊपर से लगाया और उन्हें पकड़कर सोने लगा.

मां ने कुछ नहीं कहा.
ये देख मैं खुश हो गया.

मैं दूसरी कोशिश करने को तैयार था.
मैंने अपना हाथ मां की चूचियों पर रखकर दबाने लगा ब्लाउज के ऊपर से ही.

लगातार 5 मिनट ऐसा करने के बाद मेरा लंड जो मां की पैंटी के बीच में जाकर फंस गया था … उन्हें मजा देने लगा था.

फिर मां थोड़ा पीछे हुईं और फिर सीधी हो गईं लेकिन अभी भी मां ने पेटीकोट ठीक नहीं किया.

मैं मां के और पास आकर उनकी चूचियों से खेल रहा था.
मैंने हल्का सा देखा कि मां मुझे देख रही थीं.

फिर मां ने आंखें बंद कर लीं.
अब मैं और हिम्मत से दबाने लगा और मां के ब्लाउज के हुक खोलने लगा.

पूरे हुक खोलने के बाद मुझे मां की काली ब्रा में बंद दो बड़े-बड़े रस से भरे संतरों के जैसे मस्त चूचे दिखे.

मैं और जोर-जोर से ब्रा के ऊपर से दबाने लगा.
मां एकदम सीधी लेटी हुई थीं.

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैं उठकर खड़ा हुआ और अपना पैंट खोलकर 6.5 इंच का लंड लेकर मां के दोनों पैरों के बीच बैठ गया.

मैंने दोनों हाथों से पैरों को खोलकर मां की चूत के पास गया.

मां भी इसमें पूरा साथ दे रही थीं क्योंकि उनके दोनों पैर एकदम ढीले थे जो आराम से उठ रहे थे.

मैं बीच में जाकर अपना लंड मां की लाल पैंटी के ऊपर से रगड़ने लगा और हाथ से चूत को सहलाने लगा.

मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
मैं अब अपने हाथों से मां की चूचियों को मुँह से पीने लगा और हाथ को पैंटी के अन्दर डालकर चूत में उंगली करने लगा.

तभी मां ने आंखें खोल लीं.
उस समय मैं मां का दूध पी रहा था.

तभी मां बोलीं- बेटा … जल्दी से डाल न अपना लंड मेरी चूत में … अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है!

तब मैं दूध पीना छोड़कर पैंटी के पास गया और अपने मुँह से पैंटी खोलने लगा.
इसमें मां भी साथ दे रही थीं.

अब चूत साफ-साफ दिख रही थी.
मैंने अपना लंड चूत के छेद के ऊपर रगड़ना शुरू किया और अचानक लंड चूत में जोर से डाल दिया.

मां एकदम से चिल्लाईं- आह … जान से मार देगा क्या … धीरे कर न … साले तेरा लंड तेरे बाप से बहुत बड़ा है … तेरे बाप से तो मेरी प्यास कभी बुझाई ही नहीं गई … आह और तूने मेरी प्यासी चुत ही फाड़ दी.

मैं- क्या सच में मां आपकी चुत प्यासी है अब तक!
वे कराहती हुई बोलीं- हां बेटा, मुझे कबसे तेरे जवान होने का इंतजार था आह!

अब मैं अपने लंड को और जोर जोर से चुत में अन्दर बाहर करने लगा.

करीबन 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं कुछ थक सा गया था.
इस बीच मां एक बार झड़ चुकी थीं.

मैं लगातार जोर जोर से धक्का देने में लगा रहा.
मां अब धीरे धीरे चिल्लाने लगी थीं- आह छोड़ दे बेटा … अपना लंड निकाल ले अब … बहुत दर्द कर रहा है आह बेटा!

तभी मेरा भी पानी निकलने वाला था.
मैंने अपने लंड का सारा पानी मां की चूत में और कुछ उनकी चूत के ऊपर निकाल दिया.

थककर मैं मां के ऊपर ही गिर गया और मां का दूध अपने मुँह में डालकर सोने लगा.

वे मुझे सहलाने लगीं और अहने लगीं कि आज कितने दिन बाद मुझे लंड का स्वाद मिला है.
कुछ देर बाद मैंने मां को वापस चोदना शुरू किया और इस बार मैंने उन्हें दम से खुल कर चोदा.

अब मैं अपनी मां को लगभग रोज ही चोद लेता हूँ और अब वे भी पिता जी से लड़ती नहीं हैं.

ये थी मेरी और मेरी मां की कहानी.
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