दीदी के साथ सेक्स भरी रात

सेक्सी दीदी हॉट कहानी मेरी बड़ी बहन की जवानी की वासना की है. दीदी ने मुझे अपनी अन्तर्वासना के लिए इस्तेमाल किया. उन्होंने जैसे जो किया मेरे साथ, मैं उनका साथ देता चला गया.

बात आज से 18 साल पुरानी है. मैंने यह घटना सिर्फ मेरी गर्लफ्रेंड को और मेरी एक खास दोस्त को बता रखी है.
तब मैं किशोरवय का था और मेरी दीदी, आयशा जवान हो गई थीं. यानि उनकी और मेरी उम्र में कम फासला था.

तब मेरा अक्सर वक़्त स्कूल के बाद दीदी के साथ गुज़रता था. वे मुझसे अक्सर अकेले में मुझसे लिपट कर सोती थीं.
उनको ये बहुत पसंद था कि मैं उनके सीने मैं अपना मुँह लगाकर सोऊं, ठीक वैसे … जैसे एक बच्चा अपनी माँ के साथ सोता है.

कई बार तो अम्मी भी ये देखतीं और हमें अलग अलग सोने को कहतीं.
शायद उनको आयशा दीदी के अरमानों का आभास हो गया था.

लेकिन रात में मैं अब्बा के साथ ही सोता था.

यह सेक्सी दीदी हॉट कहानी यहाँ से शुरू होती है.

एक दिन की बात है.
अब्बा काम से बाहर गए थे और उस दिन अम्मी नानी के घर गईं और वहीं रुक गईं.

आयशा दी और मैं अकेले घर पर रह गए थे.
ज़ाहिर सी बात है कि उस रात हम दोनों साथ में सोने वाले थे.

अगले दिन रविवार था यानि स्कूल बंद था.

उस दिन खाना खाकर मैं और आयशा दी एक ही बिस्तर पर सोने लगे थे.
आयशा दी मुझे अपने दिन के बारे में बता रही थीं.
उन्होंने बातों बातों में अपने कुर्ते के बटन क्लीवेज तक खोल दिए थे.

उनके बड़े बड़े गोरी चमड़ी वाले बूब्स बिल्कुल मेरी आंखों के सामने चमकने लगे.
वे बातें करती गईं और न जाने मुझे कुछ अन्दर ही अन्दर होने लगा.
एक किशोर वय का लड़का, तब अपनी जवानी की दहलीज पर था.

मैं ये सब क्या ही इतना समझता था!
फिर भी न जाने क्यों मुझे आयशा दी के खुले क्लीवेज को इतने पास से देखकर ऐसा लग रहा था कि इस घाटी को और ज्यादा देख लूँ.

दीदी ने ये भांप लिया था कि मुझे अन्दर ही अन्दर कुछ हो रहा है.

अब आयशा दीदी ने विषय बदल कर कहा- सलमान, क्या तुझे पता है तू कैसे इस दुनिया में आया … और कैसे मैं आयी?
मैंने जानबूझ कर बड़े भोलेपन से कहा- हां, अस्पताल से.

मेरे ऐसा कहते ही वे जोर से हंसने लगीं और उन्होंने मुझे अपनी जांघों के बीच में फंसा लिया.
मैं कुछ कर पाता कि तभी दी ने मुझे अपनी बांहों में ले लिया.

फिर उन्होंने कहा- यह बात तुम किसी को ना बताना. अगर बताई तो हम दोनों को अब्बू अम्मी बहुत मारेंगे और घर से निकाल देंगे. आज मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि हम कैसे पैदा हुए. सीखना है ना … और यदि हां, तो ये बात हमारे बीच ही रखना!

मैंने कहा- हां … मुझे सीखना है.

आयशा दी ये सुनकर खुद को अब और ना रोक पाईं.
उन्होंने हमारे बीच वे भाई बहन के रिश्ते की लाइन को तोड़ दिया.
उस रात मैं उनका गुलाम बन गया और वे मेरी मालकिन.

यह घटना बड़ी ही कामुक है.

हुआ यूं कि मुझे चोदना सिखाने के लिए दी ने अपना कुर्ता उतारा और कहा- सलमान, आ मेरे पास और मेरे सीने से लग कर मेरे दोनों दूध मुँह लगा कर पी ले.
मुझे इतना सब कुछ सुनकर अजीब सा लगा.

रोज़ जिस दीदी के सीने में मुँह रखकर सोता था, आज वही दीदी का ये रूप मुझे बहुत अजीब लग रहा था.

लेकिन न जाने क्यों, उनको बिना टॉप के देखकर मुझे कुछ ऐसा होने लगा था, जैसे मैं बचपन से प्यासा हूँ और आज मुझे पानी का कुआं मिल गया हो.

उन्होंने जैसा कहा, मैंने वैसे किया.
मैं उनके बूब्स को ब्रा से निकालने लगा.

दी की ब्रा इतनी ज्यादा टाइट थी कि मेरा हाथ कमज़ोर और छोटा पड़ने लगा.
उन्होंने मेरी कोशिश देखकर अपनी ब्रा पीछे से खोल दी और मेरे सर को अपने बूब्स के और पास ले आईं.

मैंने उनके नंगे बूब्स को देखा, तो समझ आया मानो बड़े बड़े गोरे खरबूजे हों.

उनके मम्मों का इतना गोरा रंग, जैसे दूध में नहलाए हुए फल हों. उनके निप्पल इतने कड़क और गुलाबी मानो गुलाब के फूल की कलि हों.

उनके निप्पलों के इर्द गिर्द बड़े बड़े भूरे रंग जैसी चमड़ी को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया.

दीदी ने एक हाथ से अपने बूब को दबाया और निप्पल के इर्द गिर्द अपनी दो उंगलियां लगा कर अपने मम्मे को मेरे होंठों से लगा दिया.

मैंने अपने होंठों से उनके निप्पल को खींचा तो दी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं.
अब मैं उनके मम्मे को तोतापरी आम के जैसे चूसने लगा.

‘आअह … आह … सलमान … कैसा लग रहा तुझे … ऐसे ही तूने बचपन में दूध पिया होगा … म्म्ह्म्म आराम से पी … आह आज पूरी रात मैं तुझे सब सिखा दूँगी कि कैसे मेरे साथ तुझे खेलना है … आह जोर से … दांतों से काट ले … निशान … आह निशान बना दे … डर मत … कुछ नहीं होगा मुझे!’

मैं ये सुनकर जोर से उनके दाहिने उरोज को चूसने लगा. मेरे एक हाथ की हथेली उनके दूसरे स्तन को मसल रही थी.

मेरे हाथ के ऊपर उनका हाथ था जो मुझे उनके दूध को जोर से दबाने को मजबूर कर रहा था.
दी के बूब इतने बड़े थे कि मेरा मुँह उसमें समाए जा रहा था.

दीदी बिल्कुल मदहोश थीं और एक हाथ से उन्होंने मेरा सर अपने बूब में घुसा सा रखा था.

उसी मदहोशी में उन्होंने मेरी कमीज उतार दी और मेरी पैंट भी.
साथ ही उन्होंने अपना पजामा भी उतार फेंका.

जैसे ही उन्होंने अपना पजामा उतारा, उनकी जांघों के बीच से एक पागल कर देने वाली खुशबू मेरी नाक में आयी.

मैंने ऐसी खुशबू कभी नहीं सूंघी थी. उनकी पैंटी के ऊपर एक ऐसी सी गीली परत थी, जैसे अन्दर से पानी सा कुछ निकला हो.

उस वक्त मैं पूरा नंगा था और दीदी के ऊपर लेटा हुआ था.
उन्होंने सिर्फ पिंक कलर की पैंटी पहन रखी थी.

कैरोसीन वाली लैंप से जितनी रोशनी रूम में थी, उतने में मैं दीदी की लम्बी सांसें और बड़े बड़े मदहोश कर देने वाले निप्पलों को साफ देख पा रहा था.

उस समय लाइट नहीं आ रही थी, तो हमने लालटेन जलाई हुई थी.
उनका दाहिना दूध लाल हो गया था. क्योंकि मैंने उन्हें वहां काफी तेज काटा था.

शायद निप्पल के ऊपर थोड़ा खून सा भी आने लगा था.
ये देख कर मैं डर सा गया.

तो दीदी ने कहा- मेरी जान, आज तुझे यही जख्म मुझे देना है … और जहां मैं कहूँ, वहां वहां देना है.

ये सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी तो यही चाहता हूँ.
मैंने जोश में आकर दीदी के बांई तरफ वाले बूब को चूसना शुरू कर दिया.

‘मममम … आह ओह … आराम से भाई आह … म्ह्म्म् पूरी रात पड़ी है पागल … तू तो बचपन से प्यासा लगता है. आह अगर मुझे पता होता तू इतना मस्त चूसता है, तो मैं तुझे बहुत पहले ही स्तनपान करा देती रे … आह धीरे बाबू धीरे … आईइ!’
वे जोर से चीखीं.

दी इतनी जोर से चीखीं थीं कि उनकी चीख से घर गूंज उठा था.
पर सुनने वाला कोई ना था … ना ही हमें रोकने वाला.

मेरे दांत उनके निप्पल के ऊपर उनकी चीखें निकाल रहे थे.
तभी उन्होंने मेरा दूसरा हाथ उन्होंने अपने मुँह में लिया और दांतों से दबाने लगीं.
जैसे दर्द और मज़ा दोनों उन्हें पागल कर रहा हो.

मुझे उस वक़्त न जाने ऐसा क्यों लगने लगा कि आयशा दीदी के मम्मे में जैसे कोई अमृत भरा हो.
मैं इसका मर्दन और चूसन आज पहली बार कर रहा हूँ.

मैंने अपनी साथ की लड़कियों में ऐसी लड़की कभी नहीं देखी थी, जिसके इतने गोल और भरे भरे से स्तन हों.

आखिर ये तो आयशा दीदी के जवान बूब्स थे.

अब रात के करीब 3 बज रहे थे.
दो घंटे तक मैंने दीदी के सिर्फ बूब्स चूसे और उन्होंने आंखें मूँद कर सिसकियां लीं, चीखें मारीं.

अब मैं भी चूस चूस कर थक चुका था.
उनकी चूचियों से अब सच में हल्का सा खून आने लगा था और उनकी चूचियां पहले से कई गुना अधिक फूल सी गई थीं.
उनकी दोनों चूचियां लाल सी पड़ गई थीं.

उन्होंने बगल से मेरी कमीज उठाई और अपने बूब्स के ऊपर ऐसे डाल ली जैसे वे अब उन्हें मुझसे छुपाना चाहती हों.

उन्होंने कराहते हुए कहा- सलमान, तूने तो इनका हाल ऐसा बना दिया कि अब मैं एक हफ्ता तक ब्रा नहीं पहन सकती हूँ. तूने तो चीर ही डाला अपने दी के दूध … आह मगर मज़ा भी खूब आ गया!

मैं दूसरे कोने में लेटा हुआ उनके चेहरे को देखने लगा.
उनकी प्यारी सी नशीली गोल गोल आंखें, उनके फूले हुए लाल होंठ, गोरे गोरे गाल.

मैंने गांव के लोगों से मेरी दीदी के लिए सुन रखा था कि ये तो माधुरी नेने सी लगती है.

दीदी अभी जवान हुई ही थीं, पर लगती वे मस्त भरी हुई माल जैसी थीं.
उनके बड़े बड़े चूतड़ और जांघें इतनी कदली सी थीं कि जैसे वे ब्लू-फिल्म की कोई MILF हों.

उस दिन मैंने अपनी माधुरी के जैसी लगने वाली बहन के गोरे और नंगे बदन का मस्ती से रसपान भी कर लिया था.

शायद दीदी ने अपने स्कूल की सहेलियों के संग पोर्न मूवी देख रखी थीं जिससे उनके दिल में उसी तरह का सेक्स करने का मन था.

आज वे अपनी उस प्यास को अपने छोटे भाई से पूरा कर रही थीं.

ये सब होने के बाद दी को जोर से पेशाब आयी.
वे मुझे लेकर बाहर बाथरूम में चलने की कहने लगीं.

बाथरूम कमरे से थोड़ा दूर था पर घर के अन्दर ही था.
चूंकि अंधेरा था तो मैं बाथरूम के दरवाजे पर लालटेन लेकर खड़ा रहा.

दीदी सिर्फ पैंटी में बाथरूम गई थीं और कमर से पैंटी नीचे खिसका कर उन्होंने बाथ कर पेशाब करना शुरू की.

पेशाब की तेज़ धार छुर्र छुर्र की आवाज के साथ दूर को फिंकती हुई, मुझे साफ दिख रही थी.
उनकी चूत से निकलती ये धार और उससे आनी वाली महक मुझे पागल सी कर रही थी.

यह कामुक नजारा देख कर मेरा मन ये करने लगा कि मैं आयशा दीदी की चूत में मुँह लगाकर सारा मूत पी जाऊं.

कुछ ही पल तक वे झरना देखने के बाद मुझे ऐसा लगने लगा जैसे वे ये धार मेरी प्यास बुझाने के लिए ही निकाल रही हों.

मैं बस उस धार को देखता ही रह गया.
अब तक वैसे मुझे उनकी चूत के सही से दीदार नहीं हुए थे.

दीदी ने सुसू करने के बाद खड़ी होकर अपनी पैंटी चढ़ाई और वापस मुझे लेकर कमरे में आकर बेड पर लेट गईं.

दीदी को ये आभास हो गया था कि मैं उनको मूतते हुए देखकर काफी उत्तेजित हो गया था.

अब मुझे लग रहा था शायद आज रात यहीं तक का सफर था.
शायद मुझे दी की पैंटी के अन्दर का नजारा देखने को नहीं मिलेगा.

उनकी पैंटी के अन्दर से आ रही महक अब मुझे और तेज़ आती सी प्रतीत हो रही थी और बेचैन कर रही थी.

दीदी ऊपर देखती हुई एक हाथ से अपने मम्मों को सहला रही थीं और दूसरे हाथ से मेरा सर सहला रही थीं.

मैंने थोड़ी चालाकी से उनसे पूछा- दी, आपने बच्चे की तरह दूध पीना तो सिखा दिया, लेकिन बच्चा पैदा करना तो सिखाया ही नहीं?

दीदी समझ गईं कि अब ये मेरी चूत देखना चाहता है.
तो दीदी ने कहा- हां लेकिन, तेरे पास वो तो नहीं है ना … जिससे पैदा होता है.
ये कहकर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा और दबाने लगीं.

एक पल बाद उन्होंने कहा- अरे ये … ये तो अभी और लम्बा होगा. जब तू निकाह करने जाएगा, तब समझेगा.

जैसे ही उन्होंने अपने कोमल हाथों से मेरे लंड को दबाया, मेरे होश उड़ गए. अब तक मैं चुदाई के मज़े से भी अनजान था.
दीदी के हाथ मेरे लंड में लगते ही मेरे अन्दर जैसे करेंट सा दौड़ गया था.
मेरा लंड खुद ब खुद हिलने लगा था और फनफनाने लगा था. वह कड़क होकर लोहे की रॉड बन गया था.

आयशा दी को महसूस हुआ कि उनके दबाने से मेरा लंड थोड़ा सा मोटा और टाइट हो गया है.

वे ये महसूस करते ही चौंक गईं और उठ कर बैठ गईं.
उन्होंने मुझे पूरा लिटा दिया और वे गौर से मेरे लंड को देखकर धीरे धीरे उसे दबाने लगीं.

वे मेरे लौड़े को ऐसे देख रही थीं, जैसे पहली बार किसी का लंड देख रही हों जो उनको इतनी अधिक रोमांचक वस्तु लग रही थी.

हालांकि पहले भी स्कूल से आने के बाद वे मुझे बिना पैंट के देख चुकी थीं लेकिन आज उनका ये रिएक्शन अलग ही था.

मैंने देखा कि वे मेरे लंड के करीब आ गईं.
बिस्तर की चादर से उन्होंने मेरे लंड को पहले पौंछा और अपनी जीभ को लंड की टोपी पर रख कर मेरी तरफ देखा.

मुझे ऐसा लगा, जैसे मैं उस रात जन्नत की सैर कर रहा हूँ.

मैंने न जाने कैसे, दी के सर के ऊपर हाथ रख कर दबा दिया.
ऐसा करते ही उनका सर अब पूरी तरह नीचे जा चुका था और मेरा लंड उनके मुँह के अन्दर की गर्मी का लुत्फ उठा रहा था.

पहले तो उन्होंने अपने गले से खखारने की आवाज निकाली, शायद मेरे लंड से आ रही पसीने के स्मेल से ऐसा किया था.
पर तब रुकने का होश किसे था.

कुछ ही पलों बाद वे मेरे लंड को पूरी तरह अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

उनके जीभ की गर्म लार ने मेरे लंड को और बेबस कर दिया. पहली बार मेरे लंड को अहसास हो रहा था कि लड़की के मुँह के अन्दर का स्वाद कैसा होता है.
दीदी ऐसा कर ही रही थीं कि मुझे लगा मेरे लंड के अन्दर से कुछ निकल जाएगा.

उसी वक्त मेरे बदन में एकदम से बिजली सी कौंध गई.
मैंने दीदी के सर को पीछे धकेलना चाहा पर दीदी तब तक मेरे लंड को बिल्कुल अपने मुँह के काबू में कर चुकी थीं.

वे अपनी पूरी लज्जत से लंड चूस रही थीं कि तभी मैं खुद को रोक ही नहीं पाया और मेरे जीवन का पहला गर्म वीर्य उनके मुँह में निकल गया.

वे वीर्य कम से कम इतना था कि आधे वीर्य से दीदी का मुँह भर गया और बाकी आधा बाहर गिर गया.

मैं जैसे सातवें आसामान में उड़ रहा था.
मैंने दीदी को देखा.
वे जैसे अपने मुँह में भरे वीर्य को बाहर थूकना चाहती थीं.
मगर ऐसा करने से पहले ही वे खाँसने लगीं और कुछ ऐसा हुआ कि वे मेरे लंड से निकला सारा वीर्य निगल गईं.

दीदी ने मदहोशी में अपनी आंखें मूँद लीं और अपने छोटे भाई के पहले वीर्य के स्वाद को आत्मसात करने लगीं.

हम दोनों मदहोशी में इतने ज्यादा डूबे थे कि दीदी को वे वीर्य अमृत जैसा लग रहा था. मुझे तो जैसे जन्नत के दीदार हो गए थे.
मेरे वीर्य को निगल कर दीदी थक सी गईं और उन्होंने अपना सर मेरे लंड के ऊपर ही रख दिया.

इससे ये हुआ कि मेरे लवड़े पर सफ़ेद गाढ़ा वीर्य गिरा था, वह उनके चेहरे पर लग गया.

न जाने दीदी को वीर्य का टेस्ट इतना अच्छा लगा था या मदहोशी थी कि वे मेरे लंड और पेट पर पड़े वीर्य को चाटने लगीं और जीभ से सारा वीर्य कर साफ कर दिया.
इस तरह से मैंने उस दिन आयशा दी को एक अलग ही मूड में देखा.

वे कहने लगीं- क्या रे सलमान, तेरा पानी तो मैं पी गई. अब तुझे भी मेरा पानी पीना होगा, तभी हिसाब बराबर होगा!

यह कहकर उन्होंने अपनी पैंटी उतार दी और अपनी गोरी टांगों को फैला कर मेरे सामने लेट गईं.
दीदी ने अपनी उंगली से इशारा किया- आ मेरे बच्चे, आ … अब इसको चाटने का मज़ा भी ले ले.

उस वक्त बाहर काफी अंधेरा था लेकिन अन्दर लालटेन की रोशनी इतनी थी कि गोरी टांगों के बीच में मैं दीदी का काला सा वह अद्भुत खजाना देख रहा था.

आयशा दी ने अपना ये खजाना अब तक कभी किसी को नहीं दिखाया था.
जहां से उनका पेशाब निकला था, मैं उसके पास गया.

आयशा दी ने अपनी उंगलियों से अपनी चूत के सांवली रंग की कलियों को अलग किया, जिसके अन्दर मैंने पिंक सा गीला गीला सा वे अद्भुत नजारा देखा.

दीदी ने कहा- सलमान, यहां चाट … अपनी जीभ लगा … आ जा जल्दी से!
वे जैसे तड़फ रही थीं- देख सलमान, मेरी जान … यहां काटना मत … हां, वरना तेरी दीदी मर ही जाएगी, बस तू इसे चाट ले!

यह कहते हुए उन्होंने मेरा सर अपनी चूत पर दबा दिया.

मैंने जब उनकी चूत का पहला स्वाद अपने मुँह में लिया तो ऐसा लगा जैसे कोई नशा चखा हो!
हाय … ये स्वाद मुझे पहले क्यों नहीं मिला!
उनकी पेशाब का स्वाद अब भी उनकी चूत में बाकी था.

दीदी की चूत में इतना गीलापन था कि मेरे होंठ तक गीले हो चुके थे.

मैं पागलों की तरह चाटता गया.
दीदी सिसकारियां लेने लगीं- आआअह आअ … मज़ा आ रहा है … आह मजा आ रहा रे … म्ह्म्म् रुकना मत … रुकना मत … तू पी ले ना मेरे राजा आह … ओह … इस्स्स्स्स … चाट और चाट … आह ऐसे चाट जैसे तुझे प्यास लगी हो … उम्ह्म्म् मेरे राजा … आह्ह!

मैं कैसे रुकता.
दीदी मेरा सर दबा रही थीं और मैं बिना हिले, लेटे लेटे हुए उनकी चूत की प्यास बुझा रहा था.

‘आअह काट ले साले तुझे काटना पसंद है ना कुत्ते … आह काट … तेरा ही माल है … जो मन करे, वे कर इसके साथ … आह हाय.’

दीदी अब चरम पर आ गई थीं; उन्होंने मेरा सर कसकर दबाया और अपनी जांघों से मुझे ऐसे दबोच लिया, जैसे कोई तकिया को दबाया हुआ है.

फिर वे ऐसे मचलने लगीं जैसे उनकी जान ही निकल रही हो.
मैंने महसूस किया कि उनकी चूत अब पहले से ज्यादा गर्म और गीली हो गई थी.
फिर उन्होंने एक जोर सी सिसकारी ली और मेरा मुँह पूरा उनके रस से भर गया.

मैं इतना मदहोश हो गया था कि सारा रस गटकने के बाद भी उनकी चूत को चाटता रहा.
तब मैं पागल हो रहा था.

आयशा दी अब थक चुकी थीं.
आखिर में उन्होंने वहीं मेरे मुँह में पेशाब हल्का सा निकाल दिया, उसे भी मैं पी गया.

अब मैं भी ऊपर से हट कर उनकी बगल में लेट गया.

मैंने कहा- दीदी, आपने तो सिर्फ मेरा सफ़ेद जूस पिया था. मैंने आपका पानी भी पिया और सारा मूत भी गटक गया.
हॉट दीदी बोलीं- हम्म … कैसा लगा तुझे?

‘मज़ा आ गया दी!’
सेक्सी दीदी बोलीं- आज के बाद ये बात किसी को नहीं बताना, समझे?
‘हां दीदी बिल्कुल.’

‘और सुन, हम ये खेल अब से हमेशा ही खेलेंगे. तुझे जब मन करे, तू मेरा मूत और पानी पी लेना और मेरे साथ ही सोना.’
मैंने हां में हां मिलाई, आखिर मैंने उस चरम सुख को पा जो लिया था!

उसके बाद दीदी ने कहा- अब बस कर … सो जा. कल तुझे इसके आगे का पाठ सिखाऊंगी, जिसमें बच्चा पैदा करने का तरीका बताऊंगी.
मैंने कहा- ओके दीदी लेकिन अभी काफी समय बाकी है सुबह होने में … यदि आप चाहें तो एक घंटा आराम करने के बाद हम दोनों अभी ही बच्चा पैदा करने का तरीका सीख सकते हैं.

दीदी ने हंस कर मुझे अपनी चूचियों में समेट लिया और हम दोनों सो गए.

उसके बाद क्या हुआ, वो मैं बाद में लिखूँगा.
आप मुझे सेक्स कहानी के लिए मेल करें.

आशा करता हूँ आपको मेरी सेक्सी दीदी हॉट कहानी पसंद आयी होगी.