ठरकी ससुर ने बहू को फिर चोदा

ससुर ने अपनी बहू चोदी इस कहानी में! थारी ससुर पहले भी बहू को चोद चुका था. एक बार वह बहू के साथ घर में अकेला था तो उसने फिर से दारू पीकर बेटे की बीवी को चोद दिया.

हाय दोस्तो, एक बार फिर आप के लोगों ने मेरी कहानी
ठरकी सुसर ने अपनी बहू चोदा
को पंसद किया.

मेरे पास बहुत से मेल आए और कहा गया कि इसका तीसरा पार्ट कब आएगा.

दोस्तो, आप लोगों के लिए मैं इस ससुर ने अपनी बहू चोदी कहानी का तीसरा भाग लिख रहा हूँ.

अब तक की कहानी में आपने पढ़ा था कि ससुर भानू सिंह ने कैसे अपनी बहू की मजबूरी का फायदा उठा कर उसे चोदा था.

मजबूरी इंसान से सब कुछ करवा लेती है.
इंसान का समय का पहिया हमेशा एक जैसा नहीं चलता है.
जीवन में अच्छा-बुरा समय तो आता ही है लेकिन किसी किसी के जीवन कुछ ज्यादा ही समय खराब हो जाता है.

शालू एक पढ़ी-लिखी समझदार महिला थी.
उसने अपने पति को समझा बुझा कर प्यार से ठीक किया, उसकी सारी बुरी आदतें बंद कराईं, जिससे वह एक अच्छी नौकरी की तलाश करने लगा.

जल्द ही उसे एक अच्छा जॉब मिल भी गया.
इस तरह से कुछ और समय बाद शहर में उसे और अच्छा जॉब मिल गया.

पति-पत्नि दोनों शहर में एक किराए के मकान में रहने लगे.
दोनों की जिन्दगी अच्छी तरह से वापस पटरी पर आ गई थी और दोनों अपनी जिन्दगी के ताने-बाने बुनने लगे थे.

लेकिन समय तो समय है, वह जो चाहेगा वही होगा. इंसान चाहे जितने प्रयास कर ले.

हुआ ये कि शहर में दो तीन साल अच्छे से निकलने के बाद एक दिन शालू के पति की तबीयत खराब हो गई.
शालू को अपने पति को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा.

दो दिन तक शालू ने इंतजार किया कि उसके पति की तबीयत सही हो जाए.
पर जब पति की सेहत में सुधार नहीं हुआ तो शालू ने अपने सास-ससुर को फोन से बताया कि आपके लड़के तबीयत ज्यादा खराब है, वह अस्पताल में भर्ती हैं. आप दोनों लोग मेरे पास शहर आ जाएं.

शालू के पति को हर्ट अटैक आया था, जिसका इलाज होना था.
उस इलाज में काफी पैसे लगने की जरूरत आन पड़ी थी.

शालू के सास एवं ससुर दूसरे दिन शहर आ गए.
तीनों दिन भर अस्पताल में रहे.

शालू के पति की तबीयत अब ठीक थी.
डाक्टर ने उसका आपरेशन कर दिया था. डॉक्टर के अनुसार अस्पताल से छुट्टी होने में अभी तीन-चार दिन लगने वाले थे.

शालू के ससुर ने अस्पताल का सारा खर्च उठाया था, उसने शालू को एक पैसा भी खर्च नहीं करने दिया था.

शाम को शालू के सास-ससुर वापस घर चले गए.
शालू रात भर अस्पताल में अपने पति के पास रही.

इसके बाद दूसरे दिन शाम को शालू की सास ने कहा- शालू बेटा, अब तेरे पति की तबीयत ठीक है. तुम काफी दिनों ठीक से सोई नहीं हो तो आज मैं अस्पताल में रूक जाऊंगी. तुम अपने पापा के साथ घर चली जाओ और आराम कर लो.

अपनी सास का कहा शालू नहीं टाल पाई, उसने कहा- ठीक है.

इस बार शालू को अपने ससुर का व्यवहार अच्छा लगा, उसे उनके साथ घर जाने में कोई दिक्कत नहीं थी.
शालू अपने ससुर के साथ अपने घर चली गई.

घर जाकर शालू सोचने लगी कि कहीं ऐसा ना हो कि पापा मेरे फिर से कोई अश्लील हरकत कर दें.

इसी बात से शालू परेशान होने लगी और सोचते-सोचते ही वह अपने घर के काम समेटने लगी.

थोड़ी देर बाद शालू के ससुर ने आवाज लगाई- शालू बेटा, जरा यहां आना!
शालू उनके पास गई और बोली- जी पापा, आपने बुलाया … क्या बात है?

तो भानू सिंह ने कहा- बेटा, मैं जरा बाहर बाजार जा रहा हूँ. अभी आ जाऊंगा.
शालू सोच में पड़ गई कि पापा को इस समय इतनी रात में बाजार का क्या काम है?

शालू थोड़ी समझ गई कि शायद पापा के मन में शैतान जाग गया है. ये आज कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर करेंगे.

थोड़ी देर बाद भानू सिंह घर वापस आ गया.
वह बाजार से अंग्रेजी शराब की एक बोतल लेकर आया था और साथ में कुछ खाने का सामान था.

उसने ने शालू से एक ग्लास और एक प्लेट लाने को कहा.
शालू दोनों सामान लेकर आ गई.

शालू शराब देख कर समझ गई कि आज फिर से पापा में शैतान जाग गया है. ये कुछ हरकत करेंगे.
यही सोचती हुई वह अपने कमरे में चली गई.

अभी उसको पलंग पर लेटे हुए 10-15 मिनट ही हुए थे कि भानू सिंह ने आवाज लगाई- शालू बेटा, जरा यहां आना!

वह उठ कर आई तो उसने देखा कि उसके ससुर भानू सिंह पर शराब का नशा पूरी तरह से चढ़ गया था.

शालू को उसके ससुर ने काम वासना से भरी हुई नजरों से देखा, फिर अपनी आंख दबाते हुए लंड को सहला दिया.

उनको ये करती देख कर शालू शर्मा गई और उसने अपनी निगाहें नीचे कर लीं.

पर इससे पहले कि शालू कुछ समझ पाती कि भानू सिंह ने शालू को अपनी ओर खींच कर अपने सीने से लगा लिया.

शालू नारी सुलभ लज्जावश उनके बंधन से छूटने की हल्की सी कोशिश करने लगी.

लेकिन भानू सिंह सिंह ने शालू को पूरी ताकत से अपनी बांहों में जकड़ रखा था.
शालू की दोनों चूचियां भानू सिंह के सीने से बुरी तरह दब रही थीं.

शालू ने भानू सिंह से कहा- मैं आपकी बेटी जैसी हूँ.
लेकिन भानू पर इस बात का असर नहीं हो रहा था, उसने शालू की साड़ी सहित पेटीकोट ऊपर कर दिया.

शालू की संगमरमर जैसी गोरी टांगें अन्धेरे में चमकने लगीं.
भानू सिंह ने एक बार में शालू की पैंटी भी निकाल फेंकी.
अब शालू का नीचे का गोरा बदन एकदम नंगा था.

भानू सिंह ने शालू के ब्लाउज के बटन खोल कर उसकी ब्रा को उसके बदन से खींचा और अलग कर दी.

शालू के दोनों स्तन कबूतर की तरह फुदकने लगे.

भानू सिंह उन दोनों को जोर-जोर से मसलते हुए एक को चूसने लगा. वह अपनी सेक्सी बहू शालू के दूध ऐसे चूस रहा था, जैसे उसे कभी मिले ही न हों.

शालू भी काफी दिनों से सेक्स के लिए प्यासी थी तो वह भी कब तक खुद को रोक पाती.
थोड़ी देर बाद शालू के मुँह से भी ‘सी…सीई … आई …’ की आवाजें निकलने लगीं.
उसे भी थोड़ा थोड़ा मजा आने लगा था.

कुछ मिनट तक भानू सिंह ने शालू के दोनों स्तनों को जोर-जोर चूसे और वह अपनी बहू शालू के बदन को सहलाने लगा.

शालू भी चुदास से गर्म होने लगी थी.
उसके मन में भी अपने ससुर का मोटा लंबा लंड लेने की कामना जागृत होने लगी थी.

कुछ ही देर में भानू सिंह ने शालू को पलंग पर लेटा दिया.
शालू के दोनों पैर अपनी तरफ खींच कर वह अपनी बहू चूत को अपने लंड के पास ले आया.

भानू सिंह पलंग के नीचे ही खड़ा था और लंबा मोटा लंड हवा में तनतना रहा था.

भानू सिंह ने लौड़े को चूत के मुँह पर सैट किया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड शालू की चूत में पेल दिया.
शालू एकदम से लंड घुसने से सिहर उठी और उसके मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- आई मर गई … हट जाओ पापा … मुझे दर्द हो रहा है. मैं मर जाऊंगी!

मगर भानू सिंह तो शराब के नशे में उन्मत्त सांड की तरह उसके ऊपर सवार था.
उसे शालू की चीख पुकार से कोई मतलब नहीं था.

अब भानू सिंह शालू के होंठों का चुंबन लेने लगा था.
वह कभी अपनी बहू के मम्मों को जोर-जोर से चूसने लगता तो कभी उनका हलवा बनाने लगता.
शालू की चूत में उसके ससुर का लंड निरंतर आतंक मचाए हुए था.

कुछ ही देर में शालू भी धीरे-धीरे गर्म होने लगी.
उसके शरीर ने उसका साथ देना छोड़ दिया था.

इधर भानू सिंह का लंड चूत की जड़ में घुसा पड़ा था.

शालू के सामान्य होते ही भानू सिंह ने फिर से एक बार अपने लंड को चूत से बाहर निकाला और एक जोर का प्रहार चूत में दे मारा.

इस झटके से शालू एकदम से कराह उठी और उसने चादर को अपने दोनों हाथ की मुट्ठियों से कस लिया और अपने ससुर के लंड के हमले झेलने लगी.

अब भानू सिंह अपनी बहू की चूत में जोर-जोर से धक्के मारता हुआ उसे धकापेल चोदने लगा.
शालू के मुँह से जोर-जोर से आवाजें निकल रही थीं- सीई … आई मर गई छोड़ दो मुझे … मेरी फट जाएगी आपका लंड बहुत बड़ा है पापा.

लेकिन भानू सिंह अपना काम पूरी ईमानदारी से कर रहा था.
वह जोर-जोर से अपनी बहू की चूत चोदने में लगा हुआ था.

ससुर तो बहू की चुदाई में स्वर्ग का मजा ले रहा था.
उसे तो जैसे कोई परी हाथ लग गई थी.

दस मिनट तक भानू सिंह ने जोर-जोर से शालू का चोदा, उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया.

फिर जब भानू सिंह अपने चरम पर आ गया तो वह चिल्लाने लगा और गंदी गंदी गालियां देने लगा- आह साली, बहन की लौड़ी … मेरे लंड से चुदवाने में कितने नखरे करती है … आह तेरी मां की चूत … आज देख मैं तेरी चूत का क्या हाल करता हूँ. तू मेरे लंड से चुदने के बाद मेरी चुदाई याद करेगी.

इस तरह से भानू सिंह ने शालू की जबरदस्त चुदाई की और उसी की चूत में झड़ गया.

भानु सिंह अपना सारा वीर्य अपनी बहू की चूत में ही निकाल दिया.

शालू को अपनी चूत में ऐसा लगा जैसे उसकी चूत में वीर्य की बाढ़ आ गई हो.

ससुर के लंड का पूरा माल उसकी चूत में में से निकल कर बाहर उसकी जांघों तक आ गया था.

वे दोनों चुदाई के बाद एक दूसरे से अलग हो गए थे.

शालू पलंग पर चित लेटी हुई थी.
वह काफी थक गई और उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई तूफान आकर गया हो.

भानू सिंह शालू के पास पलंग पर बैठ गया और एक सिगरेट सुलगा कर सुस्ताने लगा.

थोड़ी देर तक कमरे का माहौल एकदम शांत रहा और सन्नाटा छाया रहा.

कुछ मिनट बाद शालू अपने कपड़े समेट कर कमरे से जाने लगी.

भानू सिंह ने उसके कपड़े उसके हाथ से खींच कर नीचे फेंक दिए.

शालू फिर से एकदम से नग्न हो गई.
उसके ससुर ने उसका हाथ पकड़ कर फिर से पलंग पर पटक दिया.

भानू सिंह ने कहा- मेरी जान, अभी कहां जा रही है. अभी तो पूरी रात बाकी है.

शालू समझ गई कि ये सांड आज न मालूम उसके साथ क्या करेगा.
उसने कहा- मुझे जाने दो. अब बस करो. आपने एक बार मुझे चोद तो लिया है.

मगर उस रात भानू सिंह ने दो बार और अपनी बहू चोदी और शालू की चूत का भोसड़ा बना दिया.

उस रात पूरे कमरे में शालू की चुदाई आवाजें ही गूँजती रही थीं.

दोस्तो, आपको मेरी ससुर ने अपनी बहू चोदी कहानी कैसी लगी?
मुझे जरूर बताएं.

अगली बार मैं आपके लिए कुछ नया लिखने का प्रयास करूंगा.
धन्यवाद.
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