मामा दी तलाकशुदा कुड़ी की मस्त चुत चुदाई- 1

पंजाबी बहनचोद कहानी में मैं मामा के घर गया तो उनकी बेटी वहां थी. उसकी बुंड यानी चूतड़ देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. वो तलाकशुदा थी. मेरा मन उसे चोदने का हो गया.

साथियो, वैसे तो मेरा बचपन से ही अपने मामा के घर आना-जाना बहुत कम था.
लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उनके घर जाना मुझे अच्छा लगने लगा.

मेरे मामा की लड़की सिमरन मुझसे लगभग पाँच साल बड़ी थी.
उस समय मेरी उम्र करीब 28 साल की होगी और सिमरन की उम्र 33 साल की होगी.

सिमरन की शादी को पाँच साल हो चुके थे और उसका डेढ़ साल का बच्चा भी था.

पहले तो सिमरन को देखकर मेरे दिल-दिमाग में कभी गलत ख्याल नहीं आए.

फिर एक दिन मुझे अचानक चंडीगढ़ जाना पड़ गया.
इसीलिए मैं एक दिन पहले अपने मामा के घर लुधियाना चला गया.

रास्ते में देर हो गई और गर्मी का मौसम होने की वजह से रात के नौ बजे का समय हो गया.

जैसे ही मैं घर पहुँचा, मामा की लड़की ने दरवाजा खोला.
हम दोनों एक-दूसरे से गले मिले और घर के अन्दर आ गए.

सिमरन ने काले रंग की टी-शर्ट और काले रंग का लोअर पहना हुआ था, जिसमें वह बहुत मस्त लग रही थी.
उसके चूतड़ बहुत बड़े और आकर्षक लग रहे थे.

मैंने पहले कभी इस ओर ध्यान ही नहीं दिया था कि सिमरन इतनी सेक्सी लड़की है.
लेकिन आज उसे देखकर मेरे मन में गलत ख्याल आने शुरू हो गए.
मैं बार-बार उसके चूतड़ों को देख रहा था.

रात ज्यादा हो गई थी, तो मैंने रोटी खाई और फिर सब लोग सोने चले गए.

मैं बताना भूल गया कि मेरे मामा का देहांत हो चुका है.
मेरी मामी, उनका बेटा जो मेरा हमउम्र और दोस्त है और सिमरन ही घर में रहते हैं.

सिमरन का तलाक भी उसके बच्चे के जन्म के छह महीने बाद हो गया था.
उसका पति सिमरन की कोई कद्र नहीं करता था, बल्कि उसकी पिटाई भी करता था.
ये बात मुझे सिमरन ने बाद में बताई.

जैसा कि मैंने पहले बताया, मुझे चंडीगढ़ जाना था.
इसीलिए मैं रात को मामा के घर आ गया था.

सुबह जल्दी जाना था, तो मैं सुबह छह बजे लुधियाना से चंडीगढ़ के लिए निकल पड़ा.
सारे रास्ते मुझे सिमरन की याद सताती रही.
आज से पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था.

रात के बारह बज गए और अब सबको नींद आ रही थी।
सब सोने की तैयारी में थे, लेकिन मेरा मन अभी भी सिमरन को देखने और उससे बात करने का था।

लेकिन समय ज्यादा होने के कारण मेरी कोई नहीं चली और मैं भी सोने के लिए चला गया।

बिस्तर पर लेटे-लेटे मुझे सिमरन की याद सता रही थी। मेरा खयाल कभी सिमरन के बड़े-बड़े मूँमों और कभी उसकी बूँद की ओर जा रहा था।

चंडीगढ़ में अपना काम करने के बाद मैं फिर मामा के घर लौट आया क्योंकि काम में देर हो गई थी.
और हाँ, मैं सिमरन को फिर से देखना भी चाहता था!

जब मैं लुधियाना आया तो आज सिमरन ने पंजाबी सूट पहना हुआ था जिसके कारण मुझे उसके चूतड़ों के अच्छे दर्शन नहीं हुए.
रात को काफी देर तक बातें करने के बाद हम सब सोने की तैयारी करने लगे.

सिमरन उठकर चली गई, लेकिन दस मिनट बाद वह फिर से हमारे पास आ गई.

उसके आने से मेरी खुशी का ठिकाना न रहा.
जब मैंने सिमरन को फिर से लोअर और टी-शर्ट में देखा, तो मैं हैरान रह गया.
आज वह कल से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी.

आज उसका लोअर कल से भी ज्यादा टाइट था, जिससे उसकी जांघें और पीछे मटकते हुए दोनों कूल्हे आज और बड़े लग रहे थे.

ऊपर उसकी टी-शर्ट में से उसके मम्मे भी काफी बड़े बड़े लग रहे थे, चूंकि उसकी आज वाली टी-शर्ट का गला कुछ ज्यादा ही खुला हुआ था तो आधे से ज्यादा मम्मे बाहर निकलने को मचल रहे थे।

मैंने ध्यान दिया कि वह आज मेरे सामने खुद को ज्यादा शो कर रही थी. मतलब अपने हसीन और सेक्सी शरीर का खुल कर प्रदर्शन कर रही थी।
मेरी नजरों को भांप कर उसने हल्के से स्माइल किया और हम दोनों बैठ कर फिर से बातें करने लगे।  

सिमरन मेरे पास ही बैठी थी.
मैं चोरी-चोरी कभी सिमरन के मम्मों को, जिनका साइज 36 होगा और कभी उसकी जाँघों को देख रहा था.

बल्ब की रोशनी में सिमरन का गोरा-चिट्टा रंग चमक रहा था, जो उसे और भी कयामत बना रहा था.
बातें करते-करते सिमरन मेरा हाथ पकड़ लेती और मैं भी उसका हाथ पकड़ लेता।

रात के बारह बज गए और अब सबको नींद आ रही थी.
सब सोने की तैयारी में थे, लेकिन मेरा मन अभी भी सिमरन को देखने और उससे बात करने का था.

फिर समय ज्यादा होने की वजह से मेरी कुछ चली नहीं और मैं भी सोने चला गया.

बिस्तर पर लेटे-लेटे मुझे सिमरन की याद सता रही थी.
मेरा ख्याल कभी सिमरन के बड़े-बड़े मम्मों पर जाता, तो कभी उसकी उठी हुई पिछाड़ी पर.

अगले दिन मुझे अपने घर जाना था. सिमरन दीदी को ड्यूटी के लिए जल्दी तैयार होना था. वह नहाकर तैयार होने लगी.

मामी ने मुझसे भी नहाने को कहा.
मैं बाथरूम में गया और अपने कपड़े उतारकर हैंगर पर टांगने लगा.

तभी मेरा ध्यान सिमरन के उतारे हुए कपड़ों पर गया. मैंने उसका लोअर उठा लिया और उसकी टी-शर्ट हैंगर पर टंगी रहने दी.
फिर जैसे ही मैंने टी-शर्ट हटाई, मुझे सिमरन की काले रंग की ब्रा दिखी.

मैंने उसकी ब्रा अपने हाथों में ले ली. उसकी ब्रा बहुत सेक्सी थी.
ब्रा का ब्रांड क्लियानी था और बहुत सॉफ्ट थी. उसकी ब्रा से एक अजीब-सी खुशबू आ रही थी, जो मुझे मदहोश कर रही थी.

मैं अपनी भैन की ब्रा को बार-बार चूम रहा था और अपने सात इंच लंबे लन्न से रगड़ रहा था.
मेरी कामवासना चरम पर थी.

मैं धीरे-धीरे अपने लन्न को हिला रहा था और सिमरन का नाम ले रहा था.
मेरा मन कर रहा था कि अपने लन्न के पानी से दीदी की पूरी ब्रा गीली कर दूँ. लेकिन डर था कि सिमरन दीदी को पता न चल जाए और वह नाराज़ न हो जाए.
क्योंकि मैं अपनी वासना की कहानी को और आगे ले जाना चाहता था।

अपने लन्न का पानी निकालने के बाद मैं नहाकर बाथरूम से बाहर आ गया और जाने के लिए तैयार हो गया.
सिमरन को भी स्कूल जाना था, तो वह सलवार-कमीज पहनकर तैयार हो गई.
हम दोनों ने रोटी खाई.

सिमरन ने कहा कि वह मुझे बस स्टॉप छोड़ देगी.
मैंने कहा- ठीक है!

मैंने एक्टिवा स्टार्ट की.
सिमरन मेरे पीछे बैठ गई और हम दोनों घर से निकल पड़े.

रास्ते में मैं सिमरन के बदन से आ रही महक को महसूस कर रहा था.
घर से बस स्टैंड का रास्ता दस मिनट का था, तो हमारी ज्यादा बात नहीं हुई.

बस स्टैंड पहुंच कर मैंने दीदी को ‘बाय-बाय’ कहा.
उसने भी मुझे गले लगाकर विदा कहा.

मैं बस में बैठकर फरीदकोट में अपने घर लौट आया.
लेकिन अब मुझे घर में चैन नहीं मिलता था.
मैं हर वक्त सिमरन के बारे में सोचता रहता था.

मैं जानबूझ कर सिमरन को फोन करता था.
अब मुझे उससे बात करना अच्छा लगता था. उसकी आवाज़ मुझे मदहोश कर देती थी!

हर रात मैं सिमरन के फूले हुए मम्मों और बुंड को याद करके मुठ मारता.
मेरा दिल अब सिमरन के बिना नहीं लगता था.
मैं उसे मिलने के लिए बेताब था.

आखिर एक दिन मेरे डैडी ने कहा- तुझे मामा के घर जाना है. मामी की तबीयत ठीक नहीं है.

दीपक, मामा का बेटा, चंडीगढ़ काम पर गया था और उसे छुट्टी नहीं मिली.
मेरी खुशी का ठिकाना न रहा!

अगले दिन मैं मामा के घर चला गया.

सिमरन से मिलकर मुझे बहुत खुशी हुई.
मैं और सिमरन मामी को दवाई दिलवाने गए.

शाम को हम वापस आ गए.
मामी की तबीयत ठीक न होने के कारण मैं वहीं रुक गया.

हमने उस रात जल्दी सोने का प्रोग्राम बना लिया.

गर्मी की वजह से रात को बाहर ही मंजे (चारपाई) डाल लिए.
सिमरन ने अपना बिस्तर मेरे पास ही लगाया.

रात को एक बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि सिमरन दीदी अपनी मोटी बुंड मेरी तरफ करके सो रही थी.

मैंने हिम्मत करके दीदी के चूतड़ों पर हल्के से अपने हाथ को रखा.

दीदी की तरफ से कोई हलचल न होने पर मेरी हिम्मत और बढ़ गई.
मैंने दीदी की फुद्दी पर हाथ रखकर उंगली दबा दी.
दीदी की फुद्दी भी उनकी बुंड की तरह मोटी थी.

मैं कभी बुंड पर, तो कभी फुद्दी पर हाथ रख देता.

मेरा हौसला और बढ़ गया.
मैंने दीदी का 36 साइज़ का मम्मा पकड़ लिया और ज़ोर से दबा दिया!

सिमरन अब थोड़ा हिली और मेरा हाथ पकड़ कर पीछे कर दिया.
मैं डर गया और पीछे हटकर लेट गया.

थोड़ी देर बाद मैंने फिर कोशिश की कि मम्मा पकड़ लूँ, लेकिन दीदी ने फिर मेरा हाथ पकड़ लिया.

अब मुझे डर लग रहा था, इसलिए मैं कमरे के अन्दर चला गया.

कमरे में आकर मैं बिस्तर पर लेट गया. मुझे लगा कि मेरे नीचे कुछ है.
मैंने लाइट जलाई तो देखा, दीदी की कच्छी और ब्रा बिस्तर पर पड़ी थी.

मेरी आंखों में चमक आ गई! मैंने सोचा, चलो अगर दीदी की फुद्दी नहीं, तो कच्छी से काम चला लेते हैं.

मैंने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर लेट गया.

मैंने अपना लन्न निकाला और कभी ब्रा पर, तो कभी कच्छी पर रगड़ने लगा. बड़ा मज़ा आ रहा था!

मैं दीदी की कच्छी को सूँघते-सूँघते पूरा मुँह में डाल लेता और ब्रा को लन्न से लगा लेता.

आंखें बंद करके मैं मुठ मार रहा था कि तभी दीदी कमरे में आ गईं और मुझे पता ही नहीं चला!

दीदी ने एकदम मेरे हाथ से अपनी ब्रा छीन ली. मेरे तो होश ही उड़ गए!

सिमरन गुस्से में चिल्लाई- तू बाहर मेरे साथ गलत कर रहा था और अन्दर मेरी ब्रा-पैंटी को चूम रहा है? तुझे शर्म नहीं आती?

मैं चुपचाप सुन रहा था.
फिर मैंने कहा- मैं क्या करूँ? जब से तुझे देखा है, मुझे तेरे बड़े चूतड़ों के सिवा कुछ दिखता ही नहीं!

यह सुनकर सिमरन थोड़ा शर्मा गई.
एक दो पल रुकने के बाद उसने मुझसे कहा- क्या बात है? तेरी अपनी भैन रानो के ऐसे बुंड नहीं हैं क्या?

मैं चुप रहा और सोचने लगा कि रानो की बुंड भी काफी बड़ी है, लेकिन मैंने कभी ध्यान नहीं दिया.

अब सिमरन मेरे पास खड़ी थी, मेरी तरफ देख रही थी और उसके हाथ में ब्रा थी.

सिमरन ने फिर कहा- तू अपनी भैन रानो के चूतड़ नहीं देखता क्या? बता, रानो की बुंड पसंद नहीं, जो तू मेरे चूतड़ों पर नज़र रखे बैठा है?

मैं चुप था और सिमरन के मम्मों की तरफ देख रहा था.
सिमरन- तेरा ध्यान कहाँ है?

मैं- माफ करो दीदी!
यह कहकर मैंने सिर झुका लिया.

सिमरन- मेरी कच्छी कहाँ है? कहीं खा तो नहीं गया!
मैं- नहीं!

मैंने अपनी अंडरवियर से कच्छी निकालकर सिमरन के सामने रख दी.

सिमरन- हाय, मैं मर गई! ये कहाँ से निकाल ली?
उस वक्त वह मेरे लन्न की तरफ लगातार देख रही थी.
शायद दीदी की कच्छी निकालते वक्त मेरा लन्न भी अंडरवियर से बाहर आ गया था, जिसे वह देख रही थी!

फिर सिमरन बिना कुछ बोले बाहर चली गई.

मुझे लगा शायद वह बाहर सोने चली गई.
इसलिए मैं भी सो गया.

मैं सोच रहा था कि दीदी बहुत गुस्से में होगी.

फिर सुबह 3 बजे मैं बाथरूम जाने के लिए उठा तो सिमरन अपने बिस्तर पर नहीं थी.
उसका बच्चा अकेला सोया पड़ा था और पास के बिस्तर पर मामी गहरी नींद में सो रही थीं.

फिर मैं बाथरूम की तरफ गया तो बाथरूम की लाइट जल रही थी और दीदी अन्दर थी.
मैं बाथरूम के बाहर खड़ा इंतज़ार कर रहा था.

लेकिन सिमरन बाहर आने का नाम ही नहीं ले रही थी.

दस मिनट बीतने के बाद मैं बाथरूम के दरवाजे के पास गया.
अन्दर से कुछ आवाज़ आ रही थी.
ध्यान से सुनने पर पता चला कि ये दीदी की आवाज़ थी.

वह मेरा नाम लेती हुई अपनी फुद्दी में उंगली डाल रही थी और बोल रही थी- वीरे … तेरा लन्न बहुत मोटा और बड़ा है! ये मेरी प्यास जरूर बुझाएगा!

ये सब सुनकर मेरा लन्न खड़ा हो गया.
मैंने बिना बाथरूम किए जल्दी-जल्दी अपना मोबाइल लिया और बाथरूम के दरवाजे की झिरी से दीदी की फोटो खींच ली और वीडियो भी बना लिया.

फिर मैं वापस अपने कमरे में आ गया.

अब मुझे सिमरन की फुद्दी लेने का बहाना मिल गया था.
कमरे में लेटा हुआ मैं सोच रहा था कि दीदी की फुद्दी कैसे ली जाए.

तभी मेरी नज़र कमरे में पड़ी अलमारी पर गई. मैंने अलमारी खोली और सिमरन की ब्रा निकाल ली.

ब्रा को लन्न पर रखकर मैं मुठ मारने लगा.
कुछ ही देर में मैंने अपने लन्न का पानी दीदी की ब्रा पर निकाल दिया क्योंकि दीदी भी मेरा लन्न चाहती थी.

मुठ मारने के बाद मैंने दीदी की ब्रा बिस्तर पर फेंक दी और सो गया.

सुबह दीदी कमरे में आई.
मैं सोया हुआ था लेकिन जब दीदी ने आकर लाइट जलाई तो मेरी आंख खुल गई.

फिर भी मैंने जानबूझकर आंखें बंद रखीं.
दीदी अपनी अलमारी से कपड़े निकालने लगी.
मैं लेटा हुआ देख रहा था.

सिमरन ने अपनी कच्छी और सूट निकाल लिया, लेकिन शायद उसे अपनी ब्रा नहीं मिल रही थी.
काफ़ी देर अलमारी में देखने के बाद उसकी नज़र बिस्तर पर पड़ी ब्रा पर गई.

उसने मेरी तरफ देखा और अपनी ब्रा उठा ली. दीदी ने नोट किया कि ब्रा में कुछ चिपचिपा था.

दीदी समझ गई कि ये मेरा काम है.
लेकिन उस वक्त मैं ये देखकर हैरान रह गया कि दीदी मेरे लन्न के पानी को अपनी जीभ से चाट रही थी और मेरे लन्न की तरफ देख रही थी!

अब मुझसे रहा नहीं गया.
मैं उठा और सिमरन को जफ्फी पा ली.

उसने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन मैंने और कसकर पकड़ लिया और उसके मम्मे दबाने लगा.

उसने अचानक से खुद पर हमला हुआ देखा तो वह अकबका गई और मुझे छूटने की कोशिश करने लगी.
हालांकि वह चिल्ला नहीं रही थी तो मुझे अपना काम आसान होता दिखा.

दोस्तो, इस पंजाबी बहनचोद कहानी के अगले हिस्से में आपको लिखूँगा कि किस तरह से मैंने सिमरन की फुद्दी मजे से चोदी और उसके बाद क्या क्या हुआ.
आपको इस सेक्स कहानी में कितना मजा आ रहा है, प्लीज मुझे जरूर लिखें.

आपका वीर

पंजाबी बहनचोद कहानी का अगला भाग: मामा दी तलाकशुदा कुड़ी की मस्त चुत चुदाई- 2

यह कहानी पंजाबी गुरमुखी में पढ़ें – ਮਾਮੇ ਦੀ ਕੁੜੀ ਦੀ ਫੁਦੀ- 1

इस कहानी के लेखक की आईडी मेरे पास नहीं है.
अगर लेखक महोदय यह कहानी पढ़ रहे हों तो आगे की कहानी भेजें.
धन्यवाद.