न्यू ब्राइड सेक्स कहानी में एक आदमी की बीवी मारी तो उसने दूसरी शादी नहीं की और वह जवान रंडियों को चोदने लगा. कुछ समय बाद उसके बेटे की शादी हुई और जवान बहू घर आई.
यह पुराने समय की बात है.
एक बड़े जमींदार लाला सूरजभान की पत्नी कुछ साल पहले मर गई थीं.
उस वक्त लोगों ने लाला जी से कहा कि दूसरी शादी कर लो.
लेकिन उसने नहीं की क्योंकि उसे मालूम था कि उसको इस उम्र में कोई अपनी जवान लड़की नहीं देगा.
उसको दूसरी शादी कर लेने से अपना जवान लड़कियों को चोदने का सपना टूटता सा नजर आ रहा था.
पत्नी के मर जाने के बाद वह बड़ी आसानी से अपने पैसे के दम पर जवान लड़कियों के साथ रंगरलियां मना सकता था.
उसने यही किया भी.
पत्नी के गुजर जाने के बाद व्यापार के बहाने वह शहर जाता और उधर की जवान रंडियों के साथ अपनी कामवासना को बुझा कर वापस आ जाता.
अब उसकी आंखों में हर किसी जवान लड़की को देख कर वासना की भूख जगने लगी थी.
फिर समाज के कुछ लोगों ने उससे कहा- घर में एक औरत का होना जरूरी है. तुम अपने बेटे की शादी कर दो तो घर में एक स्त्री आ जाएगी और वह घर संभाल लेगी.
इस तरह से जब घर संभालने की बात आई तो उसने अपने बेटे मोहन की शादी एक सुंदर लड़की छाया से कर दी.
यहीं से इस न्यू ब्राइड सेक्स कहानी की शुरुआत हुई.
सूरजभान को अपने बेटे की शादी में ही समझ आ गया था कि यह बहू आसानी से उनसे चुदवा लेगी.
एक दो दिन में घर में सभी मेहमान चले गए.
अंत में लाला की मुँहबोली भाभी बोली- लाला! अब हम भी चलते हैं. बहू से सेवा कराते रहना.
‘जी भाभी! बहू को इसलिए लाए हैं!’
बहू छाया ने सभी को पैर छूकर प्रणाम किया.
उसने अपने ससुर के पैर भी छुए.
तब लाला सूरजभान ने अपनी बहू की पीठ को सहलाते हुए कहा- पुत्रवती हो.
अपने ससुर के हाथ ने उसकी ब्रा का हुक टटोला था और पीठ को रगड़ा तो छाया अपने ससुर के इस कामुक स्पर्श से पहले तो सन्न रह गई, पर अगले ही पल उसके शरीर में अजीब-सी सनसनाहट भी दौड़ गई.
छाया शुरू से ही छिनाल किस्म की लड़की थी तो उसे समझ में आ गया कि इस घर में उसे खुल कर चुदाई का खेल खेलने से कोई नहीं रोकने वाला है.
उसी वक्त छाया ने अपने ससुर की टांगों में अपना सर घुसेड़ दिया.
उसके ऐसा करने से लाला का लंड फुफकार कर धोती में खड़ा हो गया और बहू के मुँह से सट गया.
बहू ने भी लजाकर लंड को पकड़ कर सहला दिया और वह अपने ससुर से अलग होकर खड़ी हो गई.
ससुर सूरजभान लाला और बहू की आंखें आपस में मिल गईं.
दोनों के दिलों की धड़कनें बढ़ गईं.
अपनी बहू छाया की कामुक निगाहों को देखकर ससुर सूरजभान ने अपने लंड को पकड़ा और वह उसे धोती के अन्दर दबाने की कोशिश करने लगा.
लंड के हिलने-डुलने से बहू को लंड की लंबाई और मोटाई का पता चल गया.
बहू भी शर्माकर हंसती हुई अन्दर चली गई.
लाला सूरजभान को ऐसा महसूस हुआ कि अभी के अभी अपनी बहू की बुर में जाकर लंड घुसा दूं!
रात को खाने के लिए जब बहू भोजन लाई तो लाला का लंड फिर से फनफना कर फुफकार मारने लगा.
उसने लंड को धोती से बाहर निकाल कर बहू के सामने दिखा दिया.
बहू भी लंड देखकर मुस्कुरा दी और उसने थाली रखते हुए अपने ससुर के लंड को हाथ से स्पर्श कर दिया और उसे प्रणाम करके अलग खड़ी हो गई.
ससुर ने उसे हंस कर देखा, तो वह भी कामुक भाव से मुस्कुरा दी.
लाला ने तुरंत छाया को अपने करीब बुलाया और अपने गले से सोने की जंजीर उतार कर उसके गले में पहना दी.
बहु छाया ने वापस अपने ससुर के पैर छूने के बहाने उनके लंड को मसल दिया.
ससुर ने उसी वक्त अपनी बहू के दूध दबा दिए और कहा- जल्दी ही मुझे खुश करो बहू!
वह बोली- जी बाबू जी.
खाना खाने के बाद बहू अपने पति मोहन के साथ सोने चली गई.
लाला जी ने भी अपना लंड निकाला और बहू की चुदाई के सपने देखते हुए मुट्ठ मारना शुरू कर दिया.
बहू का कमरा ससुर के कमरे के बगल में था इसलिए वह खिड़की की झिरी से अन्दर के नजारे देखने लगा.
मोहन ने छाया के सभी वस्त्र उतार कर उसे नंग-धड़ंग कर दिया.
वह उसकी नींबू के आकार की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा.
फिर वह होंठ चूसने लगा.
उसकी पीठ, कमर को चूमते हुए नीचे आ गया और चूत को चूसने लगा.
छाया नंग धड़ंग होकर अपने पति की प्यास बुझाने में अपनी टांगें उठाने लगी.
मोहन अपनी पत्नी की बुर में लंड घुसाने लगा.
जब छाया की बुर में लंड नहीं घुसा, तो वह तेल की शीशी लाने चला गया.
बहू की बिना बालों वाली सफेद बुर धीमी रोशनी में चमकने लगी.
यह देख कर लाला का लंड विद्रोह कर चुत में घुसने के फेर में उफान मारने लगा.
तब तक बेटा मोहन तेल लाया और उसने तेल से अपने लंड को चिकना किया.
फिर वह अपनी बीवी की बुर में तेल लगा कर उसे चिकना करने लगा.
उसके बाद वह लंड बुर के अन्दर घुसाकर न्यू ब्राइड सेक्स का मजा लेने लगा, दुल्हन को चोदने लगा.
लाला ने महसूस किया कि बहू अनमने ढंग से चुद रही थी.
उसका बेटा मोहन बुर चोदते हुए बोला- मन नहीं लग रहा है क्या डार्लिंग!
बहू छाया बोली- नहीं, मजा नहीं आ रहा है!
मोहन बोला- क्यों?
छाया बोली- मुझे और मोटे व लंबे लंड से चुदाई करवाने की तमन्ना थी पर आपका बहुत छोटा है.
मोहन बोला- यार, सबके लंड की लंबाई और मोटाई अलग-अलग होती है. लड़की को अपने पति के लंड में ही संतोष करना चाहिए.
छाया मुस्कराकर बोली- तुम मुझे खुश करने के लिए क्या कर सकते हो?
मोहन मुस्करा कर बोला- तुम्हारे लिए आसमान से तारे तोड़कर ला सकता हूं.
बहू मुस्करा कर बोली- रहने दीजिए! मेरे लिए मोटा और लंबा लंड का इंतजाम नहीं कर सकते … तो आसमान से तारे कहां से तोड़कर लाओगे?
मोहन बोला- अगर तुम्हारी नजर में कोई लंड हो, तो बोलो डार्लिंग!
छाया मुस्करा कर बोली- हां! मेरी नजर में ऐसा लंड है!
मोहन बोला- देखो डार्लिंग! पापा कितने सख्त आदमी हैं. अगर बाहर का लंड हुआ, तो काफी बवाल होगा!
छाया मुस्करा कर बोली- नहीं! बवाल नहीं होगा, क्योंकि मैं पापा जी के लंड से ही चुदवाना चाहती हूं.
मोहन डरते हुए बोला- बाप रे! वह मुझे कच्चा चबा जाएंगे! मैं नहीं बात करने वाला हूं.
छाया मुस्करा कर बोली- मैं पापा से बात करूंगी और उन्हें चोदने के लिए राजी करूंगी.
मोहन सहमति देते हुए बोला- बीच में मेरा नाम मत लेना! तुम्हें जो करना हो, करो.
छाया हंस दी.
‘अगर पापा जी चोदने के लिए राजी हो गए, तो मैं तुम दोनों की चुदाई लाइव देखूंगा!’
छाया ने हां कह दी.
उसके बाद वे दोनों एक और बार सेक्स करके सो गए.
अगले दिन सुबह हुई तो सुबह से नहा-धोकर मोहन काम पर चला गया.
पापा जी नहा-धोकर खाने के लिए बैठ गए.
बहू खाना देने गई, तो लाला सूरजभान की धोती से लंड बाहर ताक रहा था.
चूंकि अब घर में सिर्फ लाला सूरजभान और बहू छाया ही रह गए थे.
लाला सूरजभान ने पूछा- रात में चुदाई का खेल चला था बहू?
छाया ने ललचाई नजरों से लंड की ओर देखते हुए कहा- कहां पापाजी! मुझे तो हर वक्त बस आपके लंड की याद सता रही थी.
‘देखो बहू, जब तक हम खाना खाते हैं … तुम मेरे लंड पर तेल मालिश करो!’
‘जी पापाजी!’
छाया जमीन पर बैठकर लंड पर मालिश करने लगी.
लाला सूरजभान ने कुर्सी पर बैठ कर खाना खाना शुरू कर दिया.
नीचे से लाला जी की दोनों टांगों के बीच लटकता उनका लंड जगने लगा था, तो छाया अपने ससुर के लंड की मालिश करने लगी.
मालिश करते करते छाया से न रहा गया तो उसने लौड़े के टोपे को बाहर निकाल लिया और उस पर चमकती प्रीकम की बूंदों पर अपनी जुबान फेर दी.
लाला को जैसे ही बहू की जुबान का अहसास अपने लौड़े पर हुआ, उसकी आह निकल गई- आह … छाया रानी जरा सब्र कर ले मेरी जान … बिस्तर पर चल … तुझे पूरी आइसक्रीम चुसवाऊंगा.
उधर से छाया की दबी आवाज में हंसी आई और उसने अपने ससुर के टट्टे को मसल दिया.
उन दोनों के बीच यही खेल चलता रहा और तब तक लाला सूरजभान ने अपना भोजन पूरा कर लिया.
छाया बर्तन अन्दर रखने के लिए गई तो लाला जी अपना लंड हिलाते हुए उसके पीछे पीछे चलने लगा.
उसका लंड हवा में झूला झूलता हुआ लटक रहा था.
वह अन्दर गया और रसोई में से बहू को पकड़ कर अपनी गोदी में उठा कर अपने कमरे में घुस गया.
छाया मुस्करा कर बोली- पापाजी! हम कहीं भागे जा रहे हैं, जो इतना तड़प रहे हैं.
लाला सूरजभान बोले- बहू, मैं रात से ही तड़प-तड़पकर मर रहा हूँ! अब एक मिनट भी बर्दाश्त नहीं हो रहा.
उसने झटके से छाया की सलवार-कमीज उतारकर उसे नंग-धड़ंग कर दिया.
पहले लाला ने अपनी बहू के होंठों पर होंठ रखकर चूसना शुरू किया.
फिर अपने दोनों हाथ से बहू के नींबू के आकार की चूचियों को मसलने लगा.
फिर दोनों चूचियों को मुँह में रखकर चूसने लगा और हाथ को चूत पर रखकर सहलाने लगा.
छाया खुशी से आंखें मूंदकर मजा लेने लगी और मुँह से सिसकारियां भरने लगी- हाय पापाजी! मेरे तन-मन में अजीब-सी आग लग गई है! पूरा शरीर आनन्द में डूब रहा है.
लाला सूरजभान उसकी चूत को मुँह से चूसते हुए बोला- हम तो रात से ही तड़प-तड़पकर मर रहे हैं, रानी! मेरी बहू रानी! नहीं … बुर की रानी!
छाया भी तड़पती हुई बोली- मेरे पापाजी! मेरे राजा जी! मेरे लंड के राजा जी! बुर में लंड घुसाओ न … कब तक तड़पाओगे!
यह सुन कर लाला ने अपनी धोती उतार दी और नंग-धड़ंग हो गए.
उसने छाया को करवट लेटाकर उसकी एक टांग उठाई और अपनी कमर पर रख दी.
फिर लंड को बुर के मुँह पर रख दिया.
‘छाया रानी! अपनी बुर को मेरे लंड से रगड़ो और जब अन्दर घुसवाने का मन करे, तो बोल देना!’
यह सुनकर छाया ने अपनी बुर के छेद पर लंड रख कर रगड़ना शुरू किया.
तब तक लाला सूरजभान उसकी चूचियों को मुँह में रखकर चूसने लगा, फिर होंठों पर होंठ रखकर चूसने लगा.
तभी बुर पर लंड रगड़ती हुई छाया बोली- राजा जी! मेरी बुर के अन्दर खुजली हो रही है … अपना लंड घुसाओ न!
यह सुनकर लाला सूरजभान ने आव देखा न ताव, फचाक के साथ अपना घोड़े वाला सुपारा घुसा दिया.
‘हाय…य ययय … लाला जी … मैं मर गई! अन्दर बहुत दर्द हो रहा है! लंड को बाहर निकालो!’
लाला सूरजभान ने उसकी चूचियां मसलते हुए कहा- बहू … थोड़ा-बहुत दर्द होगा ही … सहन कर लो … बस फिर आनन्द ही आनन्द है … जरा बर्दाश्त कर लो मेरी रानी!
यह कह कर लाला ने अपनी बहू के मुँह को हाथ से दबाया और चूचियों को चूसना शुरू किया.
फिर लाला अपनी बहू की पीठ थपथपा कर बोला- मेरी बहादुर बहू! थोड़ा-बहुत दर्द बर्दाश्त करो न, मेरी दिल की मलिका! मेरी बहू रानी!
कुछ मिनट बाद छाया मुस्करा कर बोली- अब धीरे-धीरे धक्का मारकर लंड घुसाइए … आह मजा आ रहा है!
लाला भी मजा लेते हुए धीरे-धीरे लंड घुसाने लगा.
पहला धक्का मारा तो लंड छह इंच अन्दर घुस गया, दूसरे धक्के में और एक इंच … इसके बाद तीसरा धक्का मारा तो लाला जी का आठ इंच का मूसल लंड बहू की बुर को फाड़ कर अन्दर घुस गया.
बहू को बेहद तेज दर्द हो रहा था मगर वह भी पक्की रांड थी.
अपने ससुर का लंड झेल गई.
फिर रुककर लाला ने पूछा- डार्लिंग! बुर के अन्दर चार इंच मोटा लंड जाते हुए कैसा लग रहा है?
छाया मुस्कराकर बोली- बहुत अच्छा लग रहा है! ऐसा लग रहा है कि पूरा जन्नत की सैर कर रहे हैं.
लाला सूरजभान ने पूछा- पूरा लंड अन्दर घुसा दूँ, डार्लिंग!
छाया आनन्द से मुस्करा कर बोली- आपने अभी तक पूरा लंड नहीं घुसाया है! हमने तो कहा था कि पूरा लंड घुसाइए.
यह सुनकर लाला सूरजभान उत्तेजित हो गया और उसने पूरी ताकत से एक जोरदार धक्का दे मारा.
खचाक की आवाज के साथ पूरा लंड घुस गया.
छाया की बुर आनन्द से पानी-पानी होने लगी जिससे चुदाई में मजा आने लगा.
फचाक-फचाक, फचाक-फचाक, फचाक-फचाक की आवाज से कमरा गूंज उठा.
छाया भी चूतड़ हिलाकर चुदाई में सहयोग करने लगी.
यह देखकर लाला सूरजभान मुस्करा कर बोला- अब मजा आ रहा है, बहू! पहले कहती थी कि दर्द हो रहा है, बुर से चार इंच मोटा और आठ इंच लंबा लंड निकाल दो.
छाया मुस्कराकर बोली- लंड ही जीवन है, राजा! अब जोर-जोर से धक्का देकर चोदो न! मेरी बुर को फाड़कर चीथड़े-चीथड़े कर दो! आह, आहह हह … बहुत मजा आ रहा है.
एक घंटे की दनादन चुदाई के बाद दोनों थककर एक-दूसरे से लिपटकर आराम से चुदाई करने लगे.
लाला सूरजभान ने पूछा- अब मैं पानी कहां गिराऊं रानी?
छाया बोली- मेरी बुर के अन्दर टपका दो राजा जी!
लाला सूरजभान ने मुस्करा कर कहा- तब तो बच्चा पैदा हो जाएगा डार्लिंग!
छाया ने मुस्कराते हुए जवाब दिया- आपने ही तो पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया था … तो पुत्र पैदा होने दीजिए!
लाला सूरजभान ने मुस्करा कर कहा- ठीक है मेरी रानी … अब से रोज चुदाई करवाओगी ना? मोहन नाराज़ तो नहीं होगा ना!
छाया ने मुस्कराते हुए कहा- मैंने मोहन को समझा दिया है! वह आज रात को हम दोनों की चुदाई लाइव देखेगा.
यह सुनकर लाला ने दनादन-दनादन चुदाई शुरू कर दी.
पानी निकलने के बाद लंड ‘फचाक’ की आवाज़ के साथ बाहर आ गया.
छाया ने जीभ से लंड को चाटकर सुखा दिया और लाला सूरजभान ने बुर को चाटकर सुखा दिया.
फिर दोनों उठकर बाथरूम गए और लंड-बुर धोकर आराम करने लगे.
दो घंटे बाद लाला फिर से लंड हाथ में लेकर चुदाई के लिए खड़ा हो गया.
इस बार आसन बदल-बदलकर चुदाई करने लगे.
इस तरह दिन में चार बार जमकर चुदाई का खेल समारोह संपन्न हुआ.
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सायंकाल मोहन आया और छाया के गाल पर चुम्मा लेकर बोला- डार्लिंग! पापा जी मान गए क्या?
छाया ने मुस्कराते हुए गाल सहलाकर कहा- आप किस बात के लिए बोले कि पापा जी मान गए हैं?
मोहन ने उत्साहित होकर धीरे से कान में पूछा- मेरा बाप तुम दोनों की चुदाई के लिए मान गया ना? मुझे नहीं लगता कि पत्थर दिल आदमी चुदाई के लिए मान जाएगा.
छाया ने मोहन की आंखों में आंखें डालकर मुस्कराते हुए कहा- कैसे नहीं मानेंगे! मैं चीज़ हूँ बहुत मस्त-मस्त, जो पत्थर को भी मोम कर दे!
मोहन मानो लाइव चुदाई देखने के लिए बहुत उत्साहित नज़र आने लगा.
छाया ने रात का खाना जानबूझ कर दोनों बाप-बेटे को एक साथ परोस दिया.
लाला सूरजभान ने बेटे से पूछा- सब कुछ ठीक चल रहा है ना मोहन!
उनके शब्दों में द्विअर्थी भाव था.
मोहन ने भी द्विअर्थी अंदाज़ में कहा- जी पापा! सब आपकी कृपा है.
रात को छाया अपने रूम में मोहन के पास सोने चली गई.
मोहन ने ज़ोर से पिता जी को सुनाते हुए कहा- थकान की वजह से नींद आ रही है! मैं सोने जा रहा हूँ, छाया! मुझे बीच में मत उठाना.
यह सुनकर छाया मुस्कराकर रह गई.
थोड़ी देर बाद मोहन खर्राटे मारने लगा.
छाया ने मोहन के गाल को प्यार से सहलाकर फुसफुसाते हुए कहा- मैं जा रही हूँ.
मोहन ने खिड़की की तरफ मुँह करके सोने का नाटक शुरू कर दिया.
लाला सूरजभान ने बहू को देखकर कहा- आ गई मेरी रानी.
लाला खुद भी उठकर खिड़की के अन्दर झाँकने लगा कि मोहन सो रहा है या नहीं.
लाला सूरजभान ने बहू छाया को गोद में उठाकर पलंग पर बैठा दिया.
मोहन भी लाइव चुदाई देखने के लिए खिड़की के पास बैठ गया.
उसने देखा कि लाला ने बहू को गोद में बैठाकर उसके होंठ चूमने शुरू कर दिए.
फिर लाला अपनी बहू की चूचियों को सहलाते हुए मुँह लगाकर चूसने लगा.
छाया की सलवार, पैंटी और समीज़ उतारकर उसे नंग-धड़ंग कर दिया.
लाला ने बुर को हाथ से सहलाकर चाटना शुरू किया.
फिर अपना लंड निकालकर छाया के हाथ में दे दिया और कहा- लंड को हिलाते हुए चूसो.
छाया ने मुँह से लंड चूसते हुए उसे आगे-पीछे करने लगी.
लंड भी फनफना कर फुफकार मारने लगा.
मोहन ने देखा कि पापा का लंड फनफना कर फुफकार मार रहा था जो किसी घोड़े के लंड से भी बड़ा और मोटा लग रहा था.
उसको चिंता होने लगी कि छाया अपने बुर में इतना बड़ा लंड कैसे घुसवाएगी! कहीं उसकी बुर फट गई तो इलाज कराना पड़ेगा! क्या वह छाया को जाकर मना कर दे?
फिर उसने सोचा कि मना कर दूंगा तो लाइव चुदाई कैसे देख सकूँगा?
जब छाया भयंकर लंड से चुदवाने को तैयार है, तो मैं दाल-भात में मूसलचंद क्यों बनूँ!
एक कहावत है न कि जब चुदाई वाली जोड़ी राजी, तो क्या करेगा काजी!
पापा जी ने छाया को उठाकर अपने बगल में सुला दिया और एक पैर उठाकर अपनी कमर पर रख लिया.
इससे लंड और बुर आमने-सामने एक-दूसरे को छूने लगे.
फिर पापा ने छाया से कहा- मेरे लंड को अपनी चूत के छेद में रगड़ो.
छाया भी एक आज्ञाकारी बहू की तरह बुर को लंड से रगड़ने लगी.
फिर छाया उत्तेजित होकर बोली- पापा जी! बुर में गुदगुदी हो रही है! लंड को अन्दर घुसाइए ना.
मोहन यह सब लाइव देख रहा था और उत्तेजना से उसके पूरे शरीर में अनजाना-सा कंपन होने लगा था.
छाया पापा जी से उनका भयंकर लंड अपनी बुर में घुसाने की माँग कर रही थी.
तभी ‘फचाक’ की आवाज़ आई और आश्चर्यजनक रूप से मोहन के पापा के भयंकर लंड का सुपारा छाया की बुर के अन्दर घुस गया.
मोहन के पापा का घोड़े जैसा लंड मोहन की कमसिन बीवी की बुर में घुस गया था.
फिर मोहन ने देखा कि उसके पापा जी ने अपने लंड को उसकी बीवी की चुत में धीरे-धीरे अन्दर घुसाना शुरू किया.
‘फचाक-फचाक, फचाक-फचाक.’ की आवाज़ के साथ पूरा आठ इंच लंबा और चार इंच मोटा लंड घुस गया.
अब छाया बोली- पापा जी घुस गया पूरा … आह अब जोर-जोर से धक्का मारकर चुदाई करो ना!
पापा जी जोर-जोर से दनादन-दनादन धक्का मारकर चुदाई करने लगे.
‘फचाक-फचाक, फचाक-फचाक’ की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज उठा.
यह देख कर मोहन की गांड फट गई और वह थरथर काँपते हुए अपने लंड को आगे पीछे करते हुए उसकी मुट्ठ मारने लगा.
उधर दस मिनट की चुदाई के बाद पापा जी बोले- बहू … अब घोड़ी बनकर चुदवाओ.
यह कहकर पापा जी ने ‘फचाक’ की आवाज़ के साथ अपना घोड़ा-लंड निकाल लिया और खड़े हो गए.
उनका लंड किसी घोड़े की तरह आगे-पीछे झूलने लगा.
छाया भी पापा के सामने घोड़ी बनकर झुक गई.
पापा ने छाया की बुर को चाटना और सूँघना शुरू किया.
इससे उनका मोटा लंड फुफकार कर और सख्त हो गया.
छाया बोली- पापा जी, अपने हाथ से पकड़ कर लंड अन्दर घुसाइए ना!
पापा जी बोले- नहीं बहू … किसी घोड़े को अपना लंड पकड़ कर अन्दर घुसाते देखा है? मज़ा तो तब आएगा, जब मेरा लंड अपने-आप तेरी बुर में घुसेगा!
मोहन यह सुनकर आश्चर्यचकित रह गया और जब उसके पापा का लंड अपने-आप ‘फचाक’ की आवाज़ के साथ उसकी बीवी छाया की बुर में घुस गया, तो वह बड़ी मुश्किल से अपनी आंखों पर भरोसा कर पाया.
अब लाला जी कहां रुकने वाला था.
‘फचाक-फचाक, फचाक-फचाक’ की आवाज़ के साथ लाला जी अपना पूरा लंड चुत में घुसाकर चोदने लगा.
उस वक्त उसके आधा किलो के आंड बहू की बुर के बाहर थपथपाकर शाबाशी दे रहे थे.
छाया भी कमर हिलाकर चुदाई का आनन्द ले रही थी.
उसकी बुर चोदते हुए पापा के मुँह से घोड़े जैसी आवाज़ निकल रही थी.
कुछ देर बाद पापा जी बोले- बहू … अब चित हो जाओ! अब तुम्हारे ऊपर चढ़कर चुदाई करेंगे.
लाला जी ने ‘फचाक’ की आवाज़ के साथ घोड़ा-लंड चूत से बाहर खींच लिया, जो छाया की चुत से बाहर निकल कर सफेद सफेद माल से लसा पड़ा था और हवा में झूल रहा था.
छाया मुस्करा कर बोली- पापा जी, रबड़ी चाट लूँ?
लाला- हां हां मेरी जान चाट लो … तेरी चूचियाँ भी भर जाएंगी, अभी बहुत छोटी छोटी सी हैं.
छाया लंड चाटती हुई बोली- अब सब कुछ आपके भरोसे ही है मेरे लंड के राजा! चूचियों को आम बनाओ या पपीता!
लंड चूस कर छाया पलंग पर चित होकर लेट गई.
लाला अपना भयंकर लंड लेकर अपनी बहू छाया के ऊपर चढ़ गया.
छाया ने अपने हाथ से अपने ससुर का लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर रखते हुए कहा- पापा जी! एक बार में पूरा लंड अन्दर ठोक दीजिए!
पापा जी ने ‘फचाक-फचाक’ के साथ पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
अब वह जोर-जोर से दनादन-दनादन चुदाई करने लगा.
बाहर से सिर्फ़ बुर का जड़ और लंड का जड़ का मिलन दिखाई दे रहा था और आधा किलो के आंड चुत को थपथपा कर उसे शाबाशी दे रहे थे.
आधा घंटे की दनादन-दनादन चुदाई के बाद लाला जी बोले- बहू! मैं अपना वीर्य कहां गिराऊं?
छाया मुस्करा कर बोली- मेरी बुर में गिरा दो पापा जी! मेरी चुत से मेरा देवर पैदा कर दो!
पापा जी ने अपना लंड झाड़ दिया और वे छाया के ऊपर सो गए.
एक घंटे बाद पापा जी उठने लगे.
दोनों के पानी से पूरा पलंग भीग गया.
पापा जी ने अपना लंड ‘फच’ की आवाज़ के साथ बाहर निकाला और बाथरूम में लंड धोने चले गए.
यह देखकर मोहन का दिमाग खराब हो गया और वह अपनी पत्नी से दूर रहने लगा.
अब उसका मन छाया और पापा की चुदाई देखने में ही रहता था.
उधर, छाया रोज़ पापा जी से चुदाई करवाती थी.
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