रजनी की शादी मनमोहन के एकलौते बेटे कमल से मंदिर में हो गई।
उसके ससुर मनमोहन विधुर थे।
उनकी पत्नी दो साल पहले ही गुजर गई थी।
यह परिवार बहुत गरीब था.
सुहागरात को रजनी और कमल एक झोपड़ी में सोने के लिए चले गये।
जाड़े की रात थी और मनमोहन बाहर ही एक चादर के साथ सो गये।
यह देखकर रजनी बोली- पापा को झोपड़ी में सुला लीजिये। कहीं ठंड से मर गये तो मोहल्ले के हम लोग पर थूकेंगे।
कमल ने अपने पिता को झोपड़ी में बुला लिया।
एक ही रजाई में तीनों सो गये।
यहीं से जवान बहू फक कहानी शुरू हो गयी.
रात में कमल चुदाई में लग गया और फचाक-फचाक की चुदाई आवाज सुन कर मनमोहन का लंड खड़ा हो गया।
उसे अपनी जवानी याद आ गई।
उसने रजनी को अपनी पत्नी समझकर हाथ से उसकी पीठ सहला दी।
रजनी समझ गई कि यह ससुर का हाथ है, पर वह इसलिए चुपचाप रही कि देखूँ ससुर जी और क्या करते हैं।
रजनी का विरोध न देखकर मनमोहन की हिम्मत बढ़ गई और उसके सिर पर हाथ रखकर सहलाने लगे।
झोपड़ी में अंधेरा होने से पता नहीं चला।
अब मनमोहन अपना लंड रजनी की पीठ पर रगड़ने लगे।
आनंद में रजनी अपना हाथ से ससुर का लंड पकड़कर सहलाने लगी।
वह फुसफुसाकर कमल से बोली- अब मुझे चित लेटाकर चुदाई करो!
कमल रजनी को चित लेटा कर चुदाई करने लगा।
ऐसा करने से वह ससुर का लंड अच्छा से पकड़कर सहलाने लगी।
अब वह खुलकर ससुर का लंड जड़ तक सहलाने लगी।
वह यह पहले से ही जानती थी कि ससुर जी का लंड काफी मोटा और लंबा है.
इसलिए वह ससुर से चूत चुदाई का चुदाई का इंतजाम करने लगी।
वह कमल से फुसफुसाकर बोली- आप बगल में लेटकर चुदाई करिये ताकि पापा जाग न जायें।
वह जानती थी कि पापा जी आवाज सुन रहे हैं इसलिए उनको भी मजा लेने का स्थान बना दूँ।
उधर कमल नादान बगल में करवट लेटकर अपना लंड घुसाकर चुदाई करने लगा।
अब मनमोहन समझ चुका था कि बहू रजनी भी मजा ले रही है इसलिए वह धीरे से उसकी पीठ पर सटकर चूमने लगा और गांड सहलाने लगा।
फिर अपना लंड को गांड के पास ले जा कर रगड़ने लगा और सिर को प्यार से सहलाने लगा।
उसने रजनी का एक हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया।
रजनी अब आराम से ससुर का लंड सहलाने लगी।
अब रजनी फुसफुसाकर कमल से बोली- अब पीछे से बुर में लंड डाल कर चुदाई कीजिए क्योंकि मैं इस आसन में थक गई हूँ।
ऐसा कहकर वह अपना मुंह घुमाकर ससुर के तरफ हो गई ताकि शरीर के आगे भाग को भी ससुर प्यार कर सके।
उधर अनजान कमल पीछे से करवट लेटकर लंड को बुर में घुसाकर चुदाई करने लगा।
अब रजनी ने नंग-धड़ंग ससुर के सामने लेटकर उन्हें प्यार करने का भरपूर मौका दे दिया।
मनमोहन भी कम चतुर खिलाड़ी नहीं था। वह मौका का फायदा उठाकर रजनी का मुँह चूमने लगा।
फिर वह अपनी पुत्रवधू के होंठ चूमने लगा और गाल चूमते हुए नारंगी साईज चूची को मुख में लेकर चूमने लगा और चबाने लगा।
मनमोहन ने चूची के निप्पल को दाँत से काट लिया।
दर्द और खुशी से रजनी बहू चिल्ला उठी- ऊऊईई ई माँ!
कमल फुसफुसाकर बोला- क्या हुआ डार्लिंग?
रजनी बोली- नहीं कुछ नहीं … मजा आया … इसलिए चिल्लाई थी।
यह सुनकर कमल खुश होकर चुदाई करने लगा।
फचाक-फचाक की आवाज से झोपड़ी गूंज रही थी।
ससुर मनमोहन सिंह समझ गये थे कि बहू को निप्पल काटने से दर्द हुआ था।
अब वह सर उठा कर रजनी की बुर चुदाई देखने लगा।
बेटा का लंड छोटा और पतला था इसलिए वह समझ गया कि बहू मेरा मोटा और बड़ा लंड बुर चुदाई के लिए चाहिए।
दस मिनट में कमल झड़ गया था और हाम्फने लगा था।
फिर वह उसी अवस्था में सोकर खर्राटे मारने लगा।
रजनी कमल को झकझोर कर उठाती हुई बोली- सो गये क्या?
कमल के तरफ से कोई आवाज न देखकर रजनी बहू बहुत खुश हो गई और ससुर से लिपट गई।
उसकी प्यास अभी बुझी नहीं थी और प्यासी तड़प रही थी।
कमल तो अपनी प्यास मिटाकर खर्राटे मार रहा था।
रजनी को चाहिए था एक मोटा और लंबा लंड … जो उसकी प्यास बुझा सके।
बचपन में ही वह चुदक्कड़ थी और उसे बड़े और मोटे लंड से चुदाई का चस्का लग गया था।
उसको देखने के लिए जब मनमोहन गये थे तो नापसंद कर दिया था।
तब रजनी के पापा मनमोहन सिंह से बोले- भाई साहब! आपकी बीवी नहीं है इसलिए चुदाई के लिए बुर नहीं मिलती होगी। बाहर रंडी को चोदने से रूपया बर्बाद होता है और बिमारी लग सकती है। पड़ोसी और रिश्तेदार की लड़की चोदने से बदनामी है।
मनमोहन सिंह तुनककर बोले- तो फिर मैं क्या करूँ? यही मेरे भाग्य में लिखा है।
रजनी के पापा मुस्कराकर बोले- भाग्य आपके हाथ में है। आपको चुदाई का इंतजाम हो जाएगा और वह भी फ्री!
चुदाई का नाम सुनकर उसका लंड में सनसनाहट समा गई और उछाल मारने लगा।
मनमोहन सिंह सुनकर खुश होकर बोले- नेकी और पूछ पूछ भाई साहब! बताओ कैसे बुर चुदाई करने के लिए मिलेगी?
रजनी के पापा मुस्कराकर बोले- बहू ऐसी लाइए जो आपसे चुदाई कराने के लिए तैयार हो।
मनमोहन अपना लंड सहलाते हुए बोले- ऐसा बहू कहाँ से मिलेगी? बताओ?
लोहा गर्म देखकर रजनी के पापा बोले- मेरी बेटी रजनी को बहू बना लीजिये।
मनमोहन मुस्कराकर बोले- ना बाबा ना … अगर बाद में रजनी बेटी चुदाई न करने दे तो?
रजनी के पापा मुस्कराकर बोले- पहले चुदाई कर लीजिए तब शादी कीजिएगा। चलिए खान-पान हो जाय।
जमीन पर पतल बिछाकर खाना देने के लिए रजनी आई तो उसकी चूची की गोलाई स्पष्ट दिख रही थी।
उसकी सलवार के ऊपर से चू त का त्रिकोण स्पष्ट दिख रहां था।
रजनी की गांड का साईज देखकर मनमोहन दीवाना हो गया था।
फिर रात में चुदाई का कार्यक्रम चला।
रजनी तेल लेकर मालिश करने के लिए आ गई।
वह बोली- अंकल! आप धोती और अंडरवियर उतारकर रख दें. नहीं तो गंदा हो जाएगा।
यह कहकर वह खुद भी नंग- धड़ंग हो गई।
यह देखकर मनमोहन भी नंगा हो गया।
तेल मालिश के बाद चुदाई का दनादन दनादन कार्यक्रम चला।
अब शादी से इंकार करने का को कोई प्रश्न न था।
एक माह तक दनादन दनादन चुदाई के बाद रजनी गुस्साकर बोली- अंकल! मैं गर्भवती हो गई हूँ और आप चुदाई पर चुदाई किये जा रहे हैं। जल्दी से अपने बेटे से मेरी शादी-विवाह करा दीजिए जिससे मैं पेट में पलने वाले बच्चे
को आपके बेटे का नाम दे सकूँ।
कमल से शादी-विवाह के बाद बहू बनकर रजनी घर आ गई।
रजनी अपने ससुर के मोटे और बड़े लंड की दीवानी थी ही … इसलिए बिना देर किये ही एक धक्का में ही पूरा लंड निगल गई।
उधर कमल खर्राटे ले रहा था और इधर रजनी बहू दनादन चुदाई करवा रही थी।
आधा घंटा दनादन चुदाई के बाद मनमोहन ने अपना पानी रजनी की चूत में गिरा दिया।
अब जवान बहू जब चाहती, ससुर के लंड से अपनी चुदाई करा लेती।
नौ माह बाद रजनी को बेटा हुआ जो जवान बहू फक का फल था.
कमल खुश होकर बेटे को मनमोहन की गोद में देते हुए बोला- पापा जी! लीजिए अपना पोता!
मनमोहन ने मुस्कराकर गोद में अपना बेटा लेकर एक नजर रजनी की तरफ देखा।
रजनी देखकर मुस्कराकर रह गई।
भाई कैसा लगी यह जवान बहू फक कहानी?
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