पत्नी की सहमति से विधवा सास के साथ संभोग- 1

हसबैंड सेक्स विद वाइफ कहानी में मेरे ऑफिस में एक लड़की आई. वह मुझे अच्छी लगी. हमारी दोस्ती हो गयी. मैं उसके घर गया, उसकी विधवा मम्मी से शादी की बात की.

फ्रेंड्स, आपको एक नए अनुभव से युक्त सेक्स कहानी का मजा लिख रहा हूँ, इस हसबैंड सेक्स विद वाइफ कहानी का आनन्द लें.

तपोश की सास अनुश्री उससे 17 साल बड़ी थी, उनके पति का देहांत हो गया था.

सास का व्यहार दोस्ताना था, वह जिंदादिल और हंसमुख थी.
तपोश की पहले उनसे दोस्ती हुई, फिर शारीरिक संबंध हुआ.

आइए तपोश की सेक्स कहानी उसकी जुबानी सुनते हैं.

उस समय मैं 24 उम्र का था.
मैं एक कंपनी में 3 साल से नौकरी कर रहा था.

मुझे अपने से बड़ी उम्र की भरे बदन की महिलाएं अच्छी लगती थीं.
मैं अक्सर प्लेटफॉर्म टिकट लेकर रेलवे प्लेटफॉर्म पर बैठ जाता और बड़ी उम्र की महिलाओं को निहारा करता था.

मुझे बड़ी उम्र की महिलाओं से बात करना बहुत अच्छा लगता था.

हमारी कंपनी में 21 उम्र की अनुप्रिया ने ज्वाइन किया, उसकी यह पहली नौकरी थी.
उसकी ट्रेनिंग की जिम्मेदारी मुझे मिली.

अनुप्रिया साधरण नैन नक्श की गेहुंए रंगत की हंसमुख लड़की थी, उसका बदन खिलाड़ियों जैसा छरहरा था, फिगर 32बी-28-34 का था.

वह खुलकर हंसती थी और जब वह हंसती थी, उसकी आंखें भी मुस्कुराती थीं.
उस समय वह बहुत आकर्षक लगती थी.
सच में उसमें एक कसक थी.

अनुप्रिया जल्दी काम सीख रही थी. उससे कोई गलती होने पर जब मैं बताता, तो वह मेरी बात का बुरा नहीं मानती थी बल्कि गलती सुधारने की कोशिश करती थी.
वह एक अच्छी सहकर्मचारी के रूप में मुझे काफी पसन्द थी.

अनुप्रिया ने बताया कि वह अपनी माँ के साथ रहती है.
जब उसकी उम्र 10 साल की थी, उसके पिताजी का देहांत हो गया था.
उसकी माँ उस समय 30 साल की थीं.
माँ ने उसकी देखभाल की, पढ़ाया और बढ़ा किया.
उसकी माँ किसी स्कूल में पढ़ाती हैं.
माँ उसकी सबसे अच्छी सहेली हैं.

मैं अपने फ्लैट में अकेला रहता था, मेरे माता पिता पास के शहर में रहते हैं.

मैं स्कूटर पर ऑफिस आता था.
अनुप्रिया बस से आती थी.

एक दिन बस की हड़ताल को गयी.
मैंने अनुप्रिया से कहा- चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देता हूँ.

वह स्कूटर पर बैठ गयी.

अनुप्रिया- सर आज माँ घर पर हैं, यदि आपको जल्दी न हो तो कृपया मेरे घर आएं … हम सब साथ चाय पिएंगे.
मैं राजी हो गया.

हम दोनों अनुप्रिया के घर पहुंचे.

अनुप्रिया की माँ ने दरवाज़ा खोला, तो अनुप्रिया ने मेरा परिचय कराया.
उसकी माँ का नाम अनुश्री था.

मैंने ध्यान से देखा तो पाया कि वे अनुप्रिया की माँ नहीं, बल्कि बड़ी बहन जैसी लग रही थीं.

बल्कि मैं यूं कहूँ कि वे अनुप्रिया के समान दिख रही थीं, तो गलत न होगा.
उनका बदन भरा हुआ था, न मोटी ना दुबली.

मैं- आंटी, अनुप्रिया आपके बारे में हरदम बात करती है, कहती है आप उसकी सबसे अच्छी सहेली हैं.

आंटी- अनुप्रिया मेरी बेटी ही नहीं, सबसे अच्छी सहेली ही है.
उसी वक्त अनुप्रिया चाय बनाने गयी.

आंटी- सर, अनुप्रिया आपकी बहुत तारीफ करती है. आप उसे अच्छे से काम सिखा रहे हैं. आपसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा.
यह कहकर वे मुस्कुरा दीं.
उनकी आंखें भी मुस्कुरा रही थीं.

मुस्कुराते समय आंटी बहुत खूबसूरत लगीं.
मैं मन्त्रमुग्थ होकर उन्हें देख रहा था.

अनुप्रिया भी ऐसे ही हंसती है.

मैं- आप मुझे मेरे नाम तपोश से बुलाएं प्लीज!

चाय नाश्ते के समय आंटी के पूछने पर मैंने बताया कि मैं अकेला ही रहता हूँ.

आंटी- तपोश, आज डिनर हमारे साथ करें, मैं खाना बनाती हूँ.
यह कहकर वे उठने लगीं.

मैं- आज मैंने घर पर ऑन लाइन चिकन बिरयानी मंगवाना तय किया था, यहीं मंगवा लेता हूँ.
दरअसल मुझे आंटी से बात करना बहुत अच्छा लग रहा था.

आंटी- ठीक है, पर पेमेंट मैं करूंगी!

आंटी ने मेरे बारे में पूछा.
मैंने बताया मेरे माता पिता अमुक शहर में रहते हैं, मैं उनकी एक मात्र संतान हूँ.

आंटी अनुप्रिया के बचपन और उसकी शरारत की बात कर रही थीं और खुलकर हंस रही थीं.
मैं मुग्ध होकर उनको देख रहा था.

जब मैं बात कर रहा था, आंटी कभी कभी दीवार पर लगी फोटो को देखतीं, फिर मुझे देखतीं और किसी ख्याल में खो जातीं.

कुछ देर बाद खाना आ गया.
आंटी ने खाना ले लिया और अनुप्रिया प्लेट आदि लेने चली गयी.

मैंने उठकर दीवार पर लगी फोटो को पास से देखा.

आंटी और एक युवक की फोटो थी.
युवक कुछ कुछ मेरे जैसा दिखता था.

अनुप्रिया प्लेट लेकर आयी, उसने बताया वह फ़ोटो उसकी माँ और दिवंगत पिताजी की फोटो है.

मैं समझ गया कि आंटी मुझे और फोटो की तरह बार बार क्यों देख रही थीं.

इधर एक बात बताना चाहता हूँ कि जब भी मैं खाना खाता हूँ, खाते समय थोड़ा खाना मेरे कपड़ों पर गिर जाता है.
उस दिन भी गिरा.

अनुप्रिया- मेरे पिताजी भी जब खाना खाते थे, उनके कपड़ों पर भी खाना गिर ही जाता था.
आंटी मुझे देखती हुई थोड़ी देर तक फिर अपने ख्यालों में खो गईं.

फिर ख्यालों से उभरकर दूसरी बातें करने लगीं.
मुझे आंटी का साथ अच्छा लगा.

खाना होने के बाद मैं उनसे मुखातिब हुआ- आंटी, आपसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा!
आंटी- मुझे भी अच्छा लगा, फिर आना!

दूसरे दिन से ऑफिस के बाद मैं रोज अनुप्रिया को उसके घर के पास छोड़ने लगा.

एक दिन अनुप्रिया ने बताया कि माँ इस समय घर पर नहीं रहतीं हैं, वे ट्यूशन पढ़ाने जाती हैं.
यह बता कर वह चुप हो गई.

उसने मुझे घर आने को नहीं कहा. शायद वह अकेले में मुझे घर पर बुलाने में संकोच कर रही थी.

दस दिन बाद अनुप्रिया ने बताया- कल माँ का जन्म दिन है. माँ ने आपको आने का निमंत्रण दिया है, लंच साथ करेंगे.

मैं फूल, गिफ्ट, मिठाई आदि लेकर उनके घर गया.
आंटी ने दरवाज़ा खोला.

वे काली शिफॉन की पतली साड़ी पहनी थीं. उनका ब्लाउज दिख रहा था, चूचे काफी बड़े थे.
बाद में मुझे पता चला कि उनकी ब्रा का साइज 34 सी है.
हल्के मेकअप में वे क़यामत सी सुंदर लग रही थीं.

मैंने हैप्पी बर्थ डे कहकर उन्हें फूल और गिफ्ट देते हुए कहा- आप बहुत सुंदर लग रही हो.
आंटी ने थोड़ा शर्माकर थैंक्स कहा.

फिर उन्होंने बताया कि अनुप्रिया केक लेने गयी है.

मुझे बिठाकर जल्दी में मेरे लिए पानी लेने जाने लगीं.
तभी आंटी का पैर फिसल गया और वे गिर गईं.
मैंने सहारा देकर उन्हें खड़ा किया.

वे चल नहीं पा रही थीं.
मैंने आंटी को गोद में उठाया, उनका भरा बदन मेरी छाती से लगा था, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.

मेरा लंड खड़ा होने लगा.

मैं आंटी को बेडरूम ले जाकर पलंग पर लिटाने लगा.

उस समय मेरे होंठ आंटी के होंठों के काफी पास थे.
मुझे उनके होंठ चूमने की तीव्र इच्छा हो रही थी.

इतने में दरवाज़े की घंटी बजी, मैंने आंटी को लिटाकर दरवाज़ा खोला.
अनुप्रिया अन्दर आयी, तो मैंने बताया कि आंटी के पैर में मोच आ गई है.

वह जल्दी से भाग कर कमरे में चली गई.
मैंने सोचा कि अच्छा हुआ अनुप्रिया आ गयी, मैं होंठ चूम लेता तो गड़बड़ हो जाती.

अनुप्रिया नीली साड़ी और हल्के मेकअप में काफी सुंदर लग रही थी.

मैंने आंटी के पैर की मोच लगी जगह बर्फ की सिकाई की, बाम लगाया और क्रेप बैंडेज बांध दी.

अनुप्रिया ने उन्हें दर्द निवारक दवा दी.

आंटी ने पलंग पर ही केक काटा और खाना खाया.

उनका दर्द थोड़ा कम हुआ, तो मैं घर चला गया.

मैं घर आकर सोचने लगा कि क्या मैं अनुप्रिया से शादी करूं!
मैं समझ नहीं पा रहा था कि मैं अनुप्रिया के मधुर हंसमुख स्वभाव के कारण उससे शादी करने की सोच रहा हूँ या उसकी माँ के आकर्षण में उससे शादी करने की सोच रहा हूँ? या दोनों कारण हैं?

ऑफिस के बाद स्कूटर पर अनुप्रिया को उसके घर छोड़ते समय हम दोनों कभी कभी किसी रेस्तरां में रुकते, नाश्ता करते और बातें करते.

अनुप्रिया ने बताया- पिताजी के देहांत के बाद दोस्तों, रिश्तेदारों ने माँ को दूसरी शादी के लिए कहा, माँ राजी नहीं हुईं. उन्हें मुझे पढ़ाना और बड़ा करना था. जो जोड़े हमारे पारिवारिक मित्र थे, अब घर नहीं आते, उनकी पत्नियों को माँ से उनके पति का बात करना / मेलजोल में खतरा लगता था.

एक महीने बाद मुझे समझ आया कि मैं अनुप्रिया से प्यार करने लगा हूँ.
मैंने आंटी से बात करना तय किया.

मैंने आंटी को फ़ोन किया- मैं आपसे चिकन पकाना सीखना चाहता हूँ, इस रविवार आ जाऊं?
आंटी- बड़ी ख़ुशी से!

मैं रविवार को चिकन लेकर उनके घर गया.

मैं- आप मुझे और अनुप्रिया को खाना बनाना सिखाएं और एक बात … क्या आप मुझे भी अपना दोस्त मान सकती हैं?
आंटी ने मुझसे हैंड शेक करते हुए कहा- आज से तुम मेरे दोस्त हो.

तभी अनुप्रिया के फ़ोन पर कोई कॉल आ गई.
तो वह बात करने दूसरे कमरे में चली गयी.

मैं- आंटी मैं अनुप्रिया से शादी करना चाहता हूँ. आप की अनुमति मिले तो मैं अपने माँ पिताजी को आप दोनों से मिलने बुलाऊंगा.

आंटी- मैं अनुप्रिया से बात करूंगी. अब तुम दोनों खाना बनाना सीखो.
आंटी ने अनुप्रिया को बुलाया.

हम दोनों सीखने लगे.

दूसरे दिन शाम घर जाते समय.

अनुप्रिया- तपोश सर, हम लोग गार्डन चलें क्या? कुछ बात करनी है.
मैंने ओके कह दिया और हम दोनों एक गार्डन में आ गए.

अनुप्रिया- माँ ने बताया कि आप मुझसे शादी करना चाहते हैं. मैं आपको पसंद करती हूँ, पर शादी नहीं कर सकती. मैं अपनी माँ को अकेला नहीं छोड़ सकती.
मैं- हम दोनों आंटी का ख्याल रखेंगे, आंटी मेरी दोस्त बन गयी हैं.

अनुप्रिया शादी के लिए राजी हो गयी.

मैं- तुम मुझे तपोश कहो, सर नहीं!

मेरे माँ पिताजी आंटी से मिले, शादी एक महीने बाद तय हुई.

मैं ऑफिस से घर जाते समय अनुप्रिया को अपने फ्लैट ले जाने लगा.
वहां हम दोनों बातें करते, आलिंगन और चुंबन करते.

अनुप्रिया ने कह दिया कि इससे ज्यादा सब शादी के बाद!

शादी के बाद मैं अनुप्रिया को लेकर बारात के साथ अपने पिताजी के घर गया.
छोटी सी रिसेप्शन पार्टी हुई.

सुहागरात को महिलाओं ने अनुप्रिया का सजाकर बेडरूम में बिठाया.

मैंने बेडरूम में जाकर दरवाज़ा बंद किया, अनुप्रिया का घूँघट उठाया, वह ऐसे शर्मा रही थी … जैसे हम पहली बार मिले हों.

वह सुंदर लग रही थी.
मैंने उसकी सुंदरता की तारीफ की, सोने की चेन भेंट में दी.

अब मैं उसे लिटाकर चूमने लगा, वह भी साथ दे रही थी.

पता ही नहीं चला कब हमने एक दूसरे के कपड़े उतार दिए.

मैंने अनुप्रिया के नंगे चूचे पहली बार देखे थे.
एकदम सुडौल और तने हुए थे.
भूरे निप्पल उसके चूचों की शोभा बढ़ा रहे थे.

मैं एक चूचे को दबा रहा था, दूसरे को चूस रहा था.
अनुप्रिया सिसकारी लेने लगी.

मैंने पहले कभी सम्भोग नहीं किया था इसलिए मैं बेकरार था.
मेरा लंड खड़ा हो गया था.

अनुप्रिया चित लेटी थी, मैं उसकी फैले पैरों के बीच आया.

अनुप्रिया ने तकिये के नीचे से टर्किस टॉवल निकाल कर अपनी कमर के नीचे रखा.

अनुप्रिया ने नारियल तेल की बोतल मुझे देकर लंड की तरफ इशारा करके कहा- इस पर लगा लीजिए!

मैंने लंड पर तेल लगाया और चूत में डालने की कोशिश करने लगा.
मुझे छेद नहीं मिल रहा था.

अनुप्रिया ने लंड पकड़ कर चूत के छेद पर रखा कर हुं कहा.
मैंने एक झटके से लंड पेल दिया.

अनुप्रिया के मुँह से हल्की चीख निकल गई, उसकी आंखों में आंसू थे … पर चेहरे पर मुस्कान थी.

मैं कमर हिलाकर उसे चोदने लगा और कुछ ही मिनट बाद झड़ गया.
मैं शर्माकर उसके ऊपर से उतर गया.

मेरे लंड पर खून लगा था.
अनुप्रिया की चूत और कमर के नीचे टॉवल पर भी खून था.

मैंने पढ़ा था कि पहली बार सम्भोग के समय सील टूटने पर खून निकलता है.

मैं जल्द झड़ने के कारण उदास होकर बैठा था.

अनुप्रिया- चलिए बाथरूम में अंग धो लेते हैं, उदास मत होइए … मैंने पढ़ा है कि पहली बार में उत्तेजना से ऐसा हो जाता है.
हम दोनों ने बाथरूम में जाकर लंड चूत धोये और उसने टॉवल को साबुन से धोकर सूखने टांग दी.

हम दोनों पानी पीकर पलंग पर नंगे करवट में एक दूसरे की तरफ मुँह करके लेटे थे.

अनुप्रिया मेरे बालों में हाथ फेरने लगी.

जल्द ही हम दोनों चूमा-चाटी करने लगे.

अनुप्रिया चित पैर फैलाकर लेटी, उसने नया टॉवल अपनी कमर के नीचे लगाया.
मैंने लंड पर तेल लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया.

उसने लंड को छेद पर लगाकर कहा- धीरे धीरे शुरू कीजिये, मैं आपकी ही हूँ और रात भी काफी बाकी है.

मैं उसे चूमते हुए धीरे धीरे चोदने लगा.
इस बार मुझे बहुत मजा आ रहा था.

अनुप्रिया नीचे से अपनी कमर उछाल रही थी.

कुछ देर बाद मेरी चोदने की गति बढ़ गयी.
हम दोनों ही कामुक भाव से सिसकारी ले रहे थे.

करीब 15 मिनट बाद अनुप्रिया मचलने लगी.
उसकी चूत से कामरस का फ़व्वारा निकला और वह निढाल हो गयी.

मैंने थोड़ी देर तक उसे और चोदा, फिर झड़ गया तो उसकी चूत अपने वीर्य से भरकर उसके ऊपर ही लेट गया.
अनुप्रिया ने मुझे आलिंगन में ले लिया.

कुछ पल बाद लंड सिकुड़ कर चूत से निकल गया.

हम दोनों बाथरूम से लंड चूत साफ करके वापस बिस्तर पर आ गए और कपड़े पहन कर लेट गए.

मैं- मुझे बहुत मजा आया!
अनुप्रिया- मुझे भी.

मैं- एक बात बताओ … तुमने सेक्स के बारे में किससे सीखा?
अनुप्रिया- मेरी सबसे अच्छी सहेली मेरी माँ ने मुझे यह सब बताया है!

सुबह के समय हम दोनों ने फिर से सम्भोग किया.
इस बार मुझे छेद मिल गया.

हम दोनों हनीमून पर बाहर गए और रोज अनुप्रिया की माँ से फ़ोन पर बात करते.

हम हर रात एक दो बार सम्भोग करते, सेक्स वीडियो देखकर हसबैंड सेक्स विद वाइफ में नए नए आसन आजमाते.
हम दोनों 69 की पोजीशन में लंड चूत चूसते.

मैं कभी अनुप्रिया को घोड़ी बनाकर पलंग के किनारे खड़ा करता, कभी वह फर्श पर खड़ी होकर सामने झुककर पलंग पर हाथ रखकर घोड़ी बन जाती और मैं फर्श पर खड़ा होकर उसकी कमर पकड़कर पीछे से चूत चोदता, उसके कूल्हे पर चांटे मारता.

कभी वह मेरे लंड की सवारी करती.
कभी हम मिसनरी आसन में सम्भोग करते.

मैं अनुप्रिया को अनु नाम से पुकारने लगा, वह मुझे तुम कहने लगी.

हम अपने शहर जहां हम नौकरी करते हैं, वापस आ गए.
आंटी के पास मेरे फ्लैट की चाबी थी उन्होंने हमारा स्वागत किया.

मैं अनुप्रिया की माँ को आंटी कह कर ही बुलाता रहा.

आंटी- पगफेरे की रस्म के अनुसार तुम दोनों को मेरे घर आना होगा और रात को वहीं रहना होगा.
वे चली गईं.

मेरे दोस्त ने बताया था कि कभी कभी वह और उसकी पत्नी थोड़ी शराब पीते हैं. उसके बाद सेक्स में अलग ही मजा आता है.

मैं- अनु आज रात हम पार्टी करेंगे, बकार्डी शराब पिएंगे!
अनु- मैंने कभी नहीं पी, सुना है स्वाद बेकार होता है.

मैं- बकार्डी, स्प्राइट के साथ पीते समय अच्छी लगती है, बस थोड़ी ही पिएंगे.
अनु राजी हो गयी.

उस रात पीने के बाद हमने जमकर मजा किया, अनु ‘लंड चूत चोदो …’ आदि बोलने से कतराती थी, उसने उस रात सब बोला.

दूसरे दिन हम आंटी के घर गए.

लंच के बाद मैं बेडरूम में लेटा था.
बेडरूम का दरवाज़ा खुला था.

अनु अपनी माँ से ड्राइंगरूम में बात कर रही थी.
मैं अधखुली आंखों से उनको देख रहा था और उनकी बातें सुन रहा था.

आंटी- सुहागरात कैसी रही? शर्माओ नहीं … मैं तुम्हारी सहेली हूँ!
अनु- माँ तुम्हारी बतायी बातें बहुत काम आईं. हम दोनों सेक्स के बारे में अनाड़ी थे.

उसने विस्तार से सुहागरात में क्या क्या हुआ, माँ को बताया.

अनु- सेक्स में इतना मजा आता है, मुझे मालूम ही नहीं था.
वह बताने लगी कि हम दोनों ने किस किस आसनों में सम्भोग किया.

हमने बकार्डी पीकर कैसे मजा किया, वह भी बताया.

मैंने देखा सेक्स की बात सुनकर आंटी का चेहरा लाल हो गया था, वे मुट्ठी भींच कर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थीं.
सांसों के साथ उनके चूचे ऊपर नीचे हो रहे थे.

आंटी- मैं और तेरे पिताजी कभी कभी पीकर मजा करते थे.

उस रात अनु अपनी माँ के साथ सोई.
सुबह हम दोनों अपने घर चले गए.

मेरे करीबी दोस्त ने हमें उसके घर बुलाया.

डिनर के बाद अनु दोस्त की पत्नी से बात कर रही थी.
मैं दोस्त के साथ बालकनी में बात कर रहा था.

दोस्त- तुम अपने से बड़ी उम्र की महिलाओं को पसंद करते हो, उन्हें देखने स्टेशन जाया करते थे. मुझे लगा था तुम कोई बड़ी उम्र की महिला से शादी करोगे, पर भाभी तो तुमसे कम उम्र है.

यह सब बात होने के बाद हम दोनों पति पत्नी घर आ गए.

अनु- मैंने सुना तुम्हारा दोस्त कह रहा था कि तुम्हें बड़ी उम्र की महिलाएं पसंद थीं. अब समझी कि तुमने मेरी माँ को क्यों दोस्त बना लिया!
वह यह सब कहकर हंसने लगी.

मैं- अनु मैं तुम्हें पसन्द करने लगा था, मैं तुम्हारी माँ से दो बार मिला. उनसे बात की तो देखा कि तुम्हारी माँ इस उम्र में भी इतनी सुंदर और कठिनाइयों के बाद भी खुश रहती हैं. मुझे विश्वास हुआ 17 साल बाद भी तुम इतनी सुंदर और खुशमिजाज रहोगी. इसी लिए मैंने तुमसे शादी करने का फैसला किया. मेरी खुशकिस्मती है कि मुझे तुम जैसी पत्नी और आंटी जैसी दोस्त मिली. मैं आंटी को खुश और सुखी रहने की पूरी कोशिश करूँगा.

अनु मेरे सीने से लग गई.
उस वक्त आंटी नहीं थीं तो हम दोनों ने जमकर चुदाई का मजा लिया.

अब इसमें आंटी का प्रवेश कैसे हुआ वह सब आप सेक्स कहानी के अगले हिस्से में पढ़ सकते हैं.

आपको मेरी यह हसबैंड सेक्स विद वाइफ कहानी कैसी लगी, बताएं.

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मैंने अनेक कहानियां लिखी हैं, तो कहानी का संदर्भ मुझे जबाव देने में सहायता देगा.
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