छोटी बहन के साथ बस में चुदाई का सफर

छोटी बहन की चुदाई मैंने चलती बस में की. मेरे चाचा की बेटी से मेरी बिल्कुल नहीं बनती थी. एक बार हम दोनों स्लीपर बस में एक केबिन में थे. तो वहां क्या हुआ?

लेखिका की पिछली कहानी: मेरी अन्तर्वासना ने क्या गुल खिलाये

दोस्तो, मेरा नाम अजय है. मैं नासिक का रहने वाला हूं. मेरा परिवार एक सयुंक्त परिवार है. इसमें मेरे चाचा और मेरे पापा की फैमिली एक साथ रहती है.

घर में हम सब मिला कर 7 लोग रहते हैं. मेरे चाचा को एक लड़का और एक लड़की है.

मेरे पापा का मैं एकलौता लड़का हूँ.
घर के तीनों बच्चों में से मैं सबसे बड़ा हूं.

मेरे बाद चाचा की लड़की रेणु है. वो मुझसे दो साल छोटी है. पर उसके तेवर मुझे ज्यादा हैं.
मेरी और रेणु की आपस में जरा भी नहीं बनती है. उसके नखरे मुझे गुस्सा दिला देते हैं, इसी लिए मैं उससे बात नहीं करता हूँ और हमेशा उससे दूरी बनाए रखता हूं.

ये छोटी बहन की चुदाई अब से कुछ महीने पहले लॉक डाउन की है.

रेणु अभी 19 साल की है. उसका रंग गोरा, सुनहरे बाल, लाल होंठ, पतली कमर, बूब्स का साइज़ 32B, चूतड़ों का साइज़ 34 इंच … वो अपने आपमें कमाल का माल है.

दरअसल रेणु पढ़ाई में काफी होशियार है.
उसने 12 वीं कक्षा में 93 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे और इसी लिए आगे की पढ़ाई अच्छी तरह से हो, ये ख्याल रख कर मेरे चाचा ने उसे हैदराबाद के एक कॉलेज में दाखिला दिला दिया.

एक साल पूरा हो, इससे पहले ही लॉकडाउन शुरू हो गया, जिसकी वजह से वह घर वापिस आ गई. पर वो अपना सामान वहीं छोड़ आई थी.

उसके आने के बाद करीब 6 महीने हो चुके थे, हम सब सोच रहे थे कि कुछ करके उसका सामान वापिस लाया जाए. इसी लिए घर वालों ने ये जिम्मेदारी मुझे सौंप दी.

मैं अपने जाने की तैयारी कर रहा था तो रेणु ने साथ आने की ज़िद पकड़ ली.

मुझे उसके साथ राज़ी होना पड़ा मगर मैं नहीं चाहता था कि वो मेरे साथ आए.

मगर जब उसने जिद पकड़ ली तो चाचा ने कहा कि साथ ले जाओ.

अब मैंने हम दोनों के जाने की व्यवस्था की. एक ट्रैवल एजंसी से बात करके अपनी टिकट बुक करवा ली. दो दिन बाद हमें निकलना था.

उस दिन मुझे दोपहर में कॉल आया कि हमारी गाड़ी में कुछ प्रॉब्लम हो गई थी इसी लिए उन्होंने मुझे स्लीपर वाली एक लग्जरी बस के टिकट दे दिए जो कि काफी महंगा था.
चूंकि मुझे तो अपनी बुकिंग के एवज में मिल रहा था, तो मैं ना भी ना कर सका.

मैंने अभी तक इतनी महंगी बस में सफर नहीं किया था, इसलिए काफी उत्साहित था.

रात के करीब 8 बज चुके थे. मैं और रेणु बस अड्डे पर बस आने का इंतजार कर रहे थे. हमारे पास एक छोटा सा बैग था, जिसमें दोनों के एक दिन के कपड़े थे.

थोड़ी ही देर में हमारी बस आ गई. काफी शानदार बस थी.

मैं और रेणु बस में चढ़ कर अपनी सीट खोजने लगे.
तब मुझे पता चला कि इस केबिन वाली बस में हमारा केबिन एक ही है. यानि रेणु आज रात मेरे साथ मेरे बगल में सोने वाली थी, वो भी पूरी रात.

मुझे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था, पर मेरे पास कुछ विकल्प नहीं था … तो मैं चुपचाप उसके साथ केबिन के अन्दर चला गया.

रेणु खिड़की की तरफ सरक गई और मैं उसके बगल में बैठ गया.

थोड़ी देर बाद मुझे नींद आने लगी. मैंने रेणु की तरफ देखा, तो रेणु आराम से सो रही थी.
मुझे उसका मासूम सा चेहरा दिख रहा था और वो बड़े आराम से सो रही थी.

मेरे दिल में एक भाई वाला प्यार उमड़ने लगा.
मैं सोचने लगा था कि मैं बिना वजह उससे नाराज रहता हूं.
एक ही तो बहन है मेरी, वो भी इतनी प्यारी.

मैं उसके बगल में लेट गया और एक कम्बल अपने ऊपर ओढ़ लिया.
कम्बल बड़ा था … इसी लिए रेणु को भी उसी के अन्दर मैंने ले लिया और सो गया.

कुछ देर बाद गाड़ी में कुछ झटका लगा, जिससे मेरी नींद खुल गई.
मैंने देखा कि मेरा कम्बल मेरे पैरों के नीचे था. मेरे बायां हाथ रेणु की छाती पर था, वो भी इस तरह, जैसे मैं उसके बूब्स दबा रहा हूं.

ना चाहकर भी मेरे दिल में उसके प्रति अजीब सी चाह बन रही थी.
मैंने धीरे धीरे अपना हाथ दबाना शुरू कर दिया,

उसके बूब्स बहुत ही ज्यादा मुलायम थे. मुझे पहली बार अपने लंड में इतना तनाव महसूस हो रहा था.
लंड पैंट फाड़कर बाहर आने की कोशिश करने लगा था. इस वजह से मुझे काफी तकलीफ होने लगी.

मैंने अपना लोवर नीचे सरका दिया और लंड बाहर निकाल लिया.
मेरा लम्बा लंड तनतना कर खड़ा था.
मुझे रेणु में अब हवस नजर आने लगी.

मैंने उसके बूब्स बारी बारी से दबाना शुरू कर दिया.
वो थोड़ा हिल-डुल रही थी … उसने मेरी तरफ करवट ली और अपना एक पैर मेरे पैर पर रख दिया.

अब उसके पैर के नीचे मेरा लंड दब रहा था.

रेणु का चेहरा मेरे काफी करीब था.
मेरी मासूम बहन मेरी ओर होंठ करके सो रही थी.

मैं हल्का सा उसकी ओर को सरक गया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उसके होंठों का स्वाद मुझे मदहोश करने लगा.

बस में एसी चल रहा था, तब भी उसके बदन की गर्मी केबिन की गर्मी बढ़ा रही थी.

मैंने उसे अपनी तरफ खींच कर उसको चूमना शुरू कर दिया, पर वो शांत पड़ी रही थी.
उसकी तरफ से कोई भी हरकत नहीं हो रही थी.

मैं पूरी तरह से वासना से भीग चुका था. मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और अपनी बहन को अपनी बांहों में लेकर प्यार करने लगा.

मैंने धीरे धीरे कर उसकी टी-शर्ट उसके बूब्स के ऊपर सरका दी.
उसने पीले रंग की प्यारी सी ब्रा पहन रखी थी. वो उसमें बिल्कुल अप्सरा लग रही थी.

मैंने ब्रा को बिना खोले ही ऊपर सरका दिया और उसके बूब्स मेरे आगे पूरी तरह नंगे हो गए.

अपनी बहन के गोरे गोरे चूचे मेरे सामने थे और मेरी वासना बढ़ा रहे थे.

उसके मम्मों पर भूरे रंग के निप्पल थे. मैं तो जैसे स्वर्ग में था.

मैंने रेणु का पांव धीरे से नीचे कर दिया ताकि मेरा लंड भी खुल जाए.
उसने नीचे इलास्टिक वाली पैंट पहनी थी, जिसे लैंगिंग्स कहते हैं, वो लाल रंग की थी.

मैं लैंगिंग्स निकालने की कोशिश करने लगा.

रेणु के पीछे की ओर से हाथ बढ़ा कर मैं लैंगिंग्स को नीचे सरकाने लगा.
लेकिन उसको मैं ज्यादा नहीं सरका पा रहा था.

उसकी गांड पर लैंगिंग्स एकदम फंसी सी थी.

मैं हिम्मत जुटा कर उठ कर बैठ गया और दोनों तरफ से लैंगिंग्स को पकड़ कर एक ही बार में उसके घुटनों तक कर दिया.
बाद में मैंने लैंगिंग्स को उसके बदन से पूरा उतार कर अलग कर दिया.

अब मेरे सामने मेरी बहन सिर्फ एक लाल रंग की पैंटी में मेरे आगे पड़ी हुई थी.

उसकी टांगों के बीच में नाजुक सी चूत की दरार महसूस कर सकता था.
मैं इतनी ज्यादा उत्तेजना में आ गया था कि मुझे लगा मैं अब पानी छोड़ दूंगा.
फिर खुद को काफी संभालने के बाद मैं स्थिर हो गया.

मैंने रेणु का एक पांव अपने ऊपर चढ़ा लिया और उसे ऊपर की और इस तरह से ले रहा था, जिससे उसकी चूत मेरे लंड के सुपारे को छू सके.

इस चक्कर में रेणु करीब करीब पूरी मेरे बदन पर सोई सी हो गई थी.
मेरा लंड उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से ही किस कर रहा था. चुत में से भी हल्का हल्का पानी भी निकलने लगा था. उसकी चुत का रस रेणु की पैंटी को लग रहा था. रेणु अभी भी शांत सो रही थी.

नीचे से मेरा लंड उसकी चूत को घिस रहा था, ऊपर में उसके बूब्स को दबाते हुए कभी उसके होंठ चूसता, तो कभी उसकी चूची चूमता.

मुझ पर अब चुत चोदने का भूत सवार हो चुका था.
मैं ये तक भूल गया था कि जो मुझ पर लेटी है, वो मेरी प्यारी छोटी बहन रेणु है.

उसके बारे में थोड़ी देर पहले मुझे प्यार आ रहा था, उसी के मुँह में अब मुझे अपना लंड अन्दर तक डालने की इच्छा हो रही थी.

मैं पिछले आधे घंटे से उसके होंठ चूस रहा था.
उसके होंठ काफी ज्यादा लाल हो चुके थे.

मैं काफी खुश था कि मैंने इतना सब कर लिया और अभी तक रेणु सो रही थी इसलिए अब मुझे थोड़ा कम डर लग रहा था.

बदन पर कपड़े ना होने से अब गर्मी कम लग रही थी. मैं रेणु का बदन अपने बदन से पूरी तरह चिपकाए हुए लेटा था.

उसके दोनों पांव मेरी कमर के आजू बाजू थे. उसकी चूत मेरे लंड को दबा रही थी. सिर्फ पैंटी की वजह से अभी तक मेरा लंड बाहर था वरना अभी तक उसकी चुत में अन्दर चला जाता.

अब माहौल काफी शांत हो चुका था.

तभी उसने अपना मुँह मेरे कान की ओर ले लिया और मेरे कान में एक धीमी सी आवाज आई- थैंक्यू भैया मुझे काफी गर्मी लग रही थी … आई लव यू.

ये कह कर रेणु ने मुझे कसके पकड़ लिया. मेरी गांड फट गई, कुछ देर तो मैं समझ नहीं पाया आखिर ये क्या हुआ.

अब रेणु अपने होंठ मेरे होंठों पर ले आई और किसी पोर्न स्टार की तरह वो मुझे चूमने लगी थी.
वो अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी.

मैंने उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिए और जोर जोर से मसलने लगा.
अपने मुँह में भर कर किसी बच्चे जैसा उन्हें चूस रहा था.

अब डर खत्म हो गया था और उसे चोदने की बारी आ गई थी.

मैंने धीमी आवाज में रेणु से पूछा- क्या तुम रेडी हो?
उसने कुछ नहीं कहा बस उत्तर में वो मुझे और कसके जकड़ने लगी थी.

मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी की ओर बढ़ा दिया. पैंटी का चूत पर का हिस्सा सरकाया और उसकी चूत को अपने हाथ से मसल दिया.
बहन की चुत काफी गीली हो चुकी थी.

मैंने लंड का सुपारा उसकी चूत के होंठों पर सैट कर दिया.
रेणु तो पहले से ही मेरे ऊपर थी, उसकी कमर दोनों तरफ से पकड़ कर मैंने लंड पर दबा दिया.

एक ही बार में मेरा सुपारा उसकी चूत में चला गया.
उसे काफी दर्द हो रहा था. वो चिल्लाने वाली थी इसी लिए उसका मुँह मैंने अपने मुँह से दबा दिया.

थोड़ी देर इसी तरह रह कर एक बार और उसकी कमर नीचे की ओर दबा दी.
इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर घुस गया था.

इससे उसे और ज्यादा दर्द हो रहा था. वो अभी तक सीलपैक चूत लेकर घूम रही थी, जो मैंने खोल दी.

उसका पूरा बदन कांपने लगा था, पूरी तरह से बदन ठंडा पड़ गया था, उसकी आंखों से पानी भी निकलने लगा था.

वो धीरे धीरे रो रही थी.
मैंने जल्दी से अपने ऊपर एक चादर ओढ़ ली ताकि उसे ठंड ना लगे.

उसका चेहरा अपने हाथों में पकड़ कर मैं उसे सॉरी कह रहा था और धीरे धीरे उसे किस भी कर रहा था.

दो मिनट से ज्यादा हो गया था. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत के अन्दर था.

अब वो धीरे धीरे अपनी कमर हिलाने लगी, जिस वजह से मेरा लंड थोड़ा बाहर निकल आता, फिर दुबारा से अन्दर चला जाता.

मुझे काफी मजा आ रहा था.
अपनी ही छोटी बहन की गर्म चूत, जो आज तक मैंने कभी गौर से देखी नहीं. उसमें मेरा लंड घुसा था.

मेरा रेणु के प्रति प्यार बढ़ने लगा था.
उसने अपना सब कुछ मुझे दे दिया था. अपनी चूत, अपने बूब्स, अपने होंठ अपना कौमार्य वो सब कुछ मुझे सौंप चुकी थी. आज सब कुछ अजीब था, नया था … जिसकी मैंने कभी सपने में भी कल्पना नहीं की थी.

वो नीचे से मुझसे चुदवा रही थी, मैं ऊपर उसके नाजुक होंठ चूस रहा था.

आधा घंटा तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.
अब मैं झड़ने वाला था. मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा, मैंने रेणु को कसके पकड़ लिया और उसके अन्दर ही अपना पानी छोड़ दिया.

फिर जल्दी से पलट कर अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया, जिस वजह से मेरा कुछ पानी उसके अन्दर और बाकी का बाहर गिर चुका था.

उसकी चूत से भी पानी सीधा मुझ पर टपक रहा था. मैंने रेणु की पैंटी से उसकी चूत साफ कर दी जो कि मैंने उससे अलग नहीं की थी.

फिर उसकी ब्रा से मैं अपना लंड साफ करने ही वाला था, तो उसने मुझे रोक दिया. उसने मेरे हाथों से अपनी ब्रा लेकर उसने दूसरी ओर फेंक दी. मेरे लंड को पकड़ लिया और सीधा अपने मुँह में ले लिया. वो काफी अच्छे से मेरा लंड चूस रही थी, मैं हैरान था.

उसने चाट कर ही मेरा पूरा लंड साफ कर दिया.

हम दोनों ने अपने अपने कपड़े ठीक कर लिए. मैं उससे अपनी नजरें नहीं मिला पा रहा था. मुझे काफी शर्म महसूस हो रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी थी.

रेणु भी मुझसे नजरें नहीं मिला रही थी. इतने दिनों से हमारे बीच झगड़े होते थे, शायद उन्ही झगड़ों में हमारा प्यार छिपा था.

हम दोनों चुपचाप सो गए.

सुबह हम दोनों उसके कमरे पर पहुंच गए जो किराए से लिया हुआ था.

वहां पर रेणु के साथ साथ 2 लड़कियां और रहती थीं जो अभी अपने अपने घर चली गई थीं.

सबसे पहले हम नहाने की सोच रहे थे.

रेणु ने मुझसे कहा- पहले आप नहा लो भैया.
मैंने उससे नहाने को कहा.

इसी बीच मेरे दिमाग में ख्याल घूम रहा था कि हमारे बीच कल रात जो हुआ था, वो मेरे लिए जन्नत से कम नहीं था.
बस अंधेरा होने की वजह से मैं ज्यादा साफ कुछ देख नहीं पाया था.

मुझे एक बार और रेणु को नंगी देखना था, उसके साथ चुदाई करनी थी, उसे अपने लंड से तड़पाना था.

मैंने रेणु से कहा- सुनो क्या तुम मुझे नहला दोगी … कल वो ट्रैवल करने की वजह से मुझे लगता है कि मेरे बदन से बदबू आ रही है, तो तुम मेरी पीठ पर थोड़ा साबुन लगा देना.

वो मान गई और मुझे मेरे कपड़े बैग से निकाल कर दे दिए.
उसने मुझे अन्दर जाने को कहा.

मैं बाथरूम के अन्दर चला गया और फटाफट कपड़े उतार दिए. मैं सिर्फ कच्छे में बैठा था.
रेणु को चोदने का मन में था … इसलिए मेरा लंड खड़ा हो गया था और कच्छे का तम्बू बन गया था.

कुछ मिनट बाद रेणु बाथरूम के अन्दर आ गई.
मैं दरवाज़े की तरफ पीठ करके बैठा था.

वो अन्दर आ गई और बाल्टी से पानी लेने को झुकी, तब उसे मेरा तना हुआ लंड मेरे कच्छे से दिख गया.

लंड देख कर वो हल्का सा मुस्कुराई और मुझे नहलाने लगी. इसी बीच उसके कपड़े गीले हो रहे थे.

मैंने उससे कहा- रेणु तुम भी मेरे साथ ही नहा लो, वैसे भी तुम्हारे कपड़े गीले हो चुके हैं.
रेणु- भैया, मुझे शर्म आती है.

मैं- अरे इसमें क्या शर्माना, मैं तुम्हारा भाई हूं. मैंने तुम्हें बचपन मैं ही बिना कपड़ों का देख लिया है और वैसे भी कल रात को तो …
रेणु ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और झट से अपनी टी-शर्ट उतार दी.

वो कल रात की ब्रा पहने मेरे आगे खड़ी थी और शर्मा रही थी.

मैंने उसे अपने आगे की ओर करके उसकी लैंगिंग्स नीचे सरका दी. अब वो पीली ब्रा और लाल पैंटी में मेरे आगे खड़ी थी. देखते ही देखते मैंने उसकी पैंटी नीचे सरका दी.

मुझे उसकी चूत साफ साफ दिख रही थी, उस पर छोटे छोटे घुंघराले बाल थे.

मैंने रेणु को नीचे खींच कर घुटनों पर बिठा दिया.

मेरा एक हाथ मेरे कच्छे के भीतर था और दूसरे हाथ से मैंने उसके बालों को सर के पीछे से पकड़ रखा था.

मैंने झटके से अपना लंड बाहर निकाल कर सीधा उसके मुँह में दे दिया.
वो बड़े प्यार से मेरा लंड चूसने लगी थी.

मैं जबरन उसके गले तक अपना लंड घुसाने की कोशिश कर रहा था.
रेणु का चेहरा पूरी तरह लाल हो चुका था.

थोड़ी देर बाद उसे उठा कर मैंने उसके बूब्स पकड़ लिए, उसकी ब्रा के हुक खोल कर बूब्स को आजाद कर दिया.

मेरी प्यारी रेणु मेरे आगे पूरी नंगी खड़ी थी. उसके बदन पर गिरा पानी मोतियों जैसा चमक रहा था.

मैंने उसे अपनी ओर खींच कर उसके दोनों पैर अपने आजू बाजू कर दिए.
उस वक्त मैं एक स्टूल पर बैठा था. मैं अपने लंड को रेणु की चूत पर सैट करके उसे लंड पर बिठा दिया.

फिर एक ही झटके में मैंने अपना पूरा लंड चुत में धकेला, तो लंड अन्दर चला गया.
उसके मुँह से चीख निकल गई. उसने मुझे कसके पकड़ लिया.

धीरे धीरे वो मेरे लंड को अन्दर बाहर करने लगी थी.
उसका गर्म जिस्म मुझे जोर जोर से चोदने को मजबूर कर रहा था.

उसी हालत में मैंने उसे उठा लिया. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था.

रेणु को उठा कर मैं कमरे में आ गया. मैंने उसे धीरे से बेड पर लिटा दिया.
दोनों पैरों को फैला कर उनके बीच बैठ गया और लंड चूत के अन्दर डाल दिया.

मैं किसी जानवर की तरह अपनी बहन रेणु पर टूट पड़ा, उसे जोर जोर से चोदने लगा.

बीस मिनट बाद मैं अब झड़ने वाला था.
मैंने अपना लंड चुत से खींचा और रेणु के मुँह में दे दिया.
वो मेरा पानी गट गट कर पी गई.

हमने उस दिन का रिटर्न टिकट रद्द कर दिया और एक हफ्ता बहाना बना कर वहीं रुक गए.
कुछ खाने का सामान हम बाहर से ले आए और एक हफ्ता कमरे के अन्दर पूरी तरह नंगे होकर दिन में बार बार चुदाई कर लेते थे.

उसी बीच उसने मुझे कई सारी अलग अलग सेक्सी ब्रा पैंटी पहन कर दिखाईं, जो उसने और उसकी दोनों रूम पार्टनर ने मिलकर खरीदी थीं.

उसी के साथ साथ उसने मुझे सेक्स की किताबें भी दिखाईं, जिनकी वजह से आज वो मुझसे चुदवा रही थी. मुझे भी छोटी बहन की चुदाई में बहुत मजा अता है.
वो किताबें और ब्रा पैंटी मेरे हाथ ना लगे, इसीलिए वो मेरे साथ ज़िद करके आई थी.

पर शायद हमारे नसीब में कुछ और ही था.

अब घर में जब भी कभी उसे मेरे पास आना होता, वो पढ़ाई का बहाना कर मेरे रूम में आ जाती है.
हम कभी कभी अलग अलग पोर्न वीडियो देख कर नए नए सेक्स पोजीशन में चुदाई कर लेते हैं.

आई लव यू रेणु!

आपको छोटी बहन की चुदाई कैसी लगी, प्लीज़ मेल करें.
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