मेरा भाई मेरे जवान गर्म बदन से खेला

भाई बहन X कहानी में मैं जवान हो गयी थी पर मेरा कोई यार नहीं था. मैं चुदना चाहती थी. एक दिन मैं नहा रही थी तो मेरा भाई मुझे नंगी नहाती देख रहा था. मेरी चूत गीली हो गयी.

हाय … मेरा नाम छाया है.
मैं 19 साल की हूँ.
मेरा फिगर 32-28-34 का है.

मेरी एक दीदी और एक छोटा भाई है.
मेरी दीदी की शादी हो चुकी है.

मैं अभी पढ़ाई कर रही हूँ.
लेकिन अभी तक मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है.

अभी तक मेरे बदन को किसी ने नहीं छुआ है लेकिन अकेले में मेरा भी मन चुदने का होता है पर शर्म के मारे मैं सहेली से भी ऐसी बातें नहीं करती.

मेरा भाई मुझसे 2 साल बड़ा है.
हमारा कमरा साथ-साथ ही है.
हमारा बाथरूम दोनों कमरों के बीच में है जिससे बाथरूम से दोनों कमरों में जाया जा सकता है.

भाई बहन X कहानी मेरे बाथरूम से शुरू हुई थी.

एक दिन मैं बाथरूम में नहा रही थी.
अक्सर मैं नंगी ही नहाती हूँ.

उस दिन भी मैं नंगी थी.
मैं शॉवर के नीचे नहा रही थी.
तभी मुझे लगा जैसे कोई मुझे देख रहा है.

बाथरूम में भाई के कमरे की तरफ रोशनदान है.

मैंने थोड़ा हिलते हुए चुपचाप नहाते-नहाते आंखें ऊपर करके देखा तो भाई की आंखें दिखीं.
मैं घबरा गई.
मैंने सोचा कि अब क्या होगा?

लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि भाई को पता लगे कि मैंने उसे देख लिया.
इसलिए चुपचाप वैसे ही नहाती रही.

मैं सोचने लगी कि मेरे भाई ने मुझे नंगी देख लिया, अब क्या होगा?

मैं सोचती थी कि वह अभी छोटा है.
लेकिन वह तो मुझे नहाते हुए देख रहा है; उसकी मुझ पर गंदी नज़र है.

चूंकि मैं यह बात किसी से बोल भी नहीं सकती थी.
यदि मैं पापा या मम्मी को बता देती तो वे उसे जान से मार देते.

फिर मैं सबको क्या बताती कि मैं नंगी क्यों नहा रही थी?

मैंने सोचा, अब जो होगा देखा जाएगा.

मैंने तो कुछ गलत नहीं किया और मैं ऐसी नहाती रही जैसे मुझे कुछ पता ही नहीं.

बल्कि मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी.
फिर पेट से नीचे चूत को मसलने लगी.

मैंने वैक्स किया हुआ था तो मेरी गुलाबी दाना साफ़ दिखाई दे रहा था.

तभी मुझे ध्यान आया कि ऐसे में किसी ने मुझे पहली बार देखा है मेरा भाई मुझे ही देख रहा है, मतलब मैं बहुत हॉट हूँ शायद!

अब मैं कामुक होने लगी.
धीरे-धीरे मेरी उंगली मेरी चूत के अन्दर चली गई.
मैंने सोचा कि अब भाई ने देख ही लिया तो उसे ठीक से दिखा दे देती हूँ.

वह भी तरस रहा होगा बेचारा मेरी तरह.
कम से कम मैं उसे इतना तो कर ही सकती हूँ.

मैं रोशनदान की तरफ मुँह करके नहाने लगी.
अब भाई को मेरी चूत और चूचियां सब दिखाई दे रही थीं.

फिर मैंने नहाकर तौलिए से बदन पौंछा और जानबूझ कर बिना पैंटी-ब्रा के मैक्सी पहन ली.
अब मैक्सी में से मेरे बड़े-बड़े टाइट चूतड़ और चूचियां साफ उभर रहे थे.

मैं अपने कमरे में आ गई.

अब मुझे समझ आया कि भाई मेरे कमरे में रोज रात में क्यों आता था.
कई बार वह वहीं मेरे साथ ही सो भी जाता था.
इसका मतलब वह आज भी आएगा और शायद वहीं सोए.

मैंने जानबूझ कर अपने कमरे के दरवाजे की कुंडी नहीं लगाई.

रात को जैसा मैंने सोचा था, भाई आया और बातें करने लगा.

लेकिन आज मैं बस देखना चाहती थी कि वह क्या करता है.

वह मेरे साथ ही बेड पर बैठ गया और मोबाइल देखने लगा.

मैं जानबूझकर उसे उकसाने लगी.
मैंने लोशन निकाला और नाइटी ऊपर करके घुटनों तक लोशन लगाने लगी.
मेरी नाइटी सिल्क की थी और हल्की-सी टाइट थी.

फिर मैंने अपने बाल खोल लिए और कंघी करने लगी जिससे मेरे निप्पल मैक्सी में से साफ़ दिख रहे थे.

भाई चोरी-से सब देख रहा था.

फिर मैंने हल्का-सा डियो लगाया और भाई को बोला- मैं सो रही हूँ. तुम्हें यहां सोना हो तो सो जाना, नहीं तो लाइट बंद करके जाना.

मैं भाई की तरफ मुँह करके लेट गई.
कुछ देर में मुझे सचमुच नींद आ गई.

कुछ देर बाद भाई ने मुझे चैक करने के लिए आवाज़ दी लेकिन मैं सचमुच सो चुकी थी.

फिर भाई ने मेरे कंधे को हिलाया, मैं नहीं हिली.
जब उसे यकीन हो गया कि मैं सो चुकी हूँ तो वह लाइट बंद करके मेरे पास ही लेट गया.

मेरी नाइटी डीप कट वाली थी.
गर्मियों में इसे पहनने में काफी रिलैक्स रहता है, इसलिए मैं इसे सोते समय इसे ही पहनती थी.

अचानक से मुझे लगा कि कोई मेरी चूची दबा रहा है.
बस मेरी नींद खुल गई.
पर मैं हिली नहीं.

मैंने देखा कि मेरी एक चूची बाहर निकली हुई थी.
मेरी नाइटी पीछे से कमर तक ऊपर हो चुकी थी.

भाई पीछे से मुझसे चिपका हुआ था और कोई टाइट-सी चीज़ मेरे चूतड़ों के नीचे थी.
यह शायद भाई का लंड था.

भाई मेरी गांड से लंड रगड़ रहा था.
तभी मैं सीधी लेट गई.

भाई एकदम शांत हो गया.

अब उसकी एक टांग मेरी टांगों के ऊपर थी और हाथ मेरे पेट पर था.
मेरी नाइटी चूत के जरा ही नीचे थी.

मैं फिर से सोने का नाटक करने लगी.
कुछ देर इंतज़ार करने के बाद भाई फिर हरकत में आया.

उसने मेरी नाइटी को चूत से हटाकर ऊपर कर दी और मेरे चूचे दबाने लगा.
इस बार मुझे उसका लंड मेरी चूत के पास सरकता हुआ लगा.

वह साइड में लेट कर ही लंड को चूत के पास लाने की कोशिश कर रहा था ताकि कहीं मैं उठ न जाऊं.

जैसे ही उसका लंड मेरी चूत से टच हुआ, मेरा हाथ अचानक से मेरी चूत पर चला गया और भाई का आधा लंड मेरे हाथ के नीचे आ गया था.
अब भाई घबरा कर वैसे ही शांत हो गया.

मैंने चुत में खुजली का बहाना करके हाथ हल्का-सा हिलाया और फिर भाई के लंड के ऊपर ही रख दिया.
अब भाई का लंड मेरे हाथ में था.

भाई का लंड मोटा और लंबा था, मेरे हाथ से भी बड़ा.
मेरी चूत के ऊपर भाई का लंड था और लंड के ऊपर मेरी हथेली.

मैंने सोचा कि आज मौका है; मैंने हिम्मत करके लंड को उंगलियों से पकड़ लिया और वैसे ही लेटी रही.
कुछ देर बाद भाई ने फिर से हिलने की कोशिश की.
उसे लगा कि मैंने नींद में लंड पकड़ा है.

अगर लंड को हाथ से छुड़ाया तो मैं उठ जाऊंगी इसलिए वह मेरी चूची को चूसने लगा और लंड को मेरी चूत पर हिलाने लगा.

अब मुझे भी भाई बहन X करने में मज़ा आने लगा था.

कुछ देर भाई ऐसे ही मेरी चूचियों से खेलता रहा और उसका लंड मेरी चूत और हाथ में लगता रहा.

फिर उसकी स्पीड बढ़ गई.
तभी मेरा हाथ गीला हो गया, शायद भाई के लंड से कुछ निकला था.

मेरी चूत भी गीली हो गई थी.

फिर भाई भी पीछे होकर सो गया, उसने मेरी नाइटी नीचे कर दी.
मेरी चूत पर चिपचिप हो रही थी.

फिर मैं भी सो गई.

अगले दिन मेरी मम्मी बोलीं- तुझको आज दीदी की ससुराल जाना है, वहां जाना बहुत ज़रूरी है.

मैं दिन में दीदी के घर आ गई.

दीदी की सास बीमार थीं, अस्पताल में भर्ती थीं.
जीजा जी बैंगलोर में थे, वे आ ही नहीं सकते थे.

तो दीदी को अस्पताल में सासू जी के साथ रहना था.
पीछे से दीदी के ससुर घर पर अकेले थे, वे भी बीमार ही रहते थे.

इसलिए मुझे तब तक उनकी देखभाल के लिए बुलाया गया था.
दीदी मेरे आने के बाद अस्पताल चली गई थीं.

मुन्ना मेरे पास ही था, वह दो साल का था.
उसे अस्पताल ले जाना ठीक नहीं था.

कुछ देर तो वह ठीक रहा, फिर वह दुधु-दुधु करने लगा.
मैंने बोतल से दूध पिलाया, लेकिन वह रोने लगा और मेरे निप्पल पकड़ने लगा.

तभी दीदी के ससुर जी की आवाज़ आई- क्या हुआ बेटा?

वे नीचे नहीं आ सकते थे तो मैं मुन्ने को लेकर ऊपर चली गई.
वे बोले- बेटी, इसे बोतल की आदत नहीं है, इसे चूची की आदत है.

मैं शर्मा गई.

जब कुछ देर वह रोता रहा, तो वे फिर बोले- तुम इसे अपनी चूची पिला दो, ये शांत हो जाएगा.

मुझे शर्म आ रही थी कि मैं उनके सामने कैसे निप्पल निकालूँ.

फिर वे बोले- बेटा, मुझसे शर्माओ मत, नहीं तो ये ऐसे ही रोता रहेगा. तेरी दीदी भी मेरे सामने दुधु पिलाती है.

अब मैंने शर्माते हुए सूट ऊपर उठाया और ब्रा से चूची बाहर निकाली, अपनी चूची का निप्पल अपनी दो उंगलियों से पकड़ कर मुन्ना के मुँह में डाल दिया.
मैं सूट को नीचे करने का ध्यान नहीं रख पाई और मोबाइल देखने लगी.

मेरी पूरी चूची ब्रा से बाहर निकली थी, ससुर जी बार-बार देख रहे थे.

वे बोले- बेटी, तुम बहुत अच्छी हो. तुम्हारी दीदी भी बहुत अच्छी है, मेरी सारी सेवा वही करती है. मुझे घुमाना, खाना खिलाना, कभी-कभी नहला भी देती है. बेचारी मेरी सेवा के लिए यहीं सो जाती है, ताकि बार-बार उठकर न आना पड़े. उसने अपनी सास की कमी पूरी कर दी.

मैं दीदी की बढ़ाई सुनकर खुश हो रही थी.
फिर वे बोले- बेटा, अब चूची बदल दे … तो ये जल्दी सो जाएगा.

मैंने दूसरी चूची भी बाहर निकाल दी, अब मेरी दोनों चूचियां नंगी थीं.

मुझे ये सब नहीं पता था, तो मेरा ध्यान नहीं गया.
मुन्ना धीरे-धीरे सो रहा था.

फिर दीदी के ससुर बोले- बेटी, तुम तो तुम्हारी दीदी से भी सुंदर हो, बहुत अच्छी हो. मैं तो परेशान हो रहा था, लेकिन अब तुम्हारे आने से मैं रिलैक्स हूँ.

मैं बोली- ये तो मेरा भी फ़र्ज़ है. मैं भी आपके लिए मेरी बहन जैसी ही हूँ. आपको जो भी ज़रूरत हो, मुझे बोल देना. जब तक दीदी नहीं हैं, मैं आपका ख्याल रखूँगी.
वे सरक कर मेरे पास आए और मेरी पीठ पर हाथ रखकर बोले- खुश रहो बेटी.

मैंने नज़रें नीची कर लीं और मोबाइल देखने लगी और वे मेरी चूचियों को.
फिर मुन्ना सो गया.

मैंने उसे साइड में वहीं सुला दिया.
फिर मैं खाना लाने किचन में चली गई.
हमने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे.

ससुर जी का कमरा बड़ा था, वहां एसी सोफा, टीवी सब था … अटैच बाथरूम भी था.
सोने से पहले वे बोले- बेटा, ज़रा मुझे सहारा दे दो, मुझे बाथरूम जाना है, पेशाब के लिए.

मैंने सोचा कि ससुर जी बेचारे बूढ़े व अपाहिज हैं, मुझे इनकी सेवा करनी चाहिए.

मैंने उनका हाथ कंधे के पास से पकड़ कर सहारा दिया और बाथरूम ले जाने लगी.
मेरे बूब्स उनके हाथ से टकरा रहे थे.

बस ब्रा की वजह से फील कम हो रहा था लेकिन चलते-चलते उनका हाथ नीचे मेरी चूत को कई बार टच कर गया.

शुरू में तो मुझे शर्म आई, लेकिन मैं उनका हाथ छोड़ नहीं सकती थी.
फिर मैंने भी ज्यादा गौर नहीं किया.

बाथरूम से वापस आते हुए भी उनका हाथ मेरी चूत को टच करता रहा.

मैं उन्हें लिटाकर दूसरी तरफ सो गई.

मुझे भाई का लंड याद आने लगा.
अगर मैं आज घर पर होती, तो आज फिर भाई को मज़ा देती.

अपने सगे भाई के साथ चुदाई की बात सोच कर मुझे पूरे शरीर में झनझनाहट सी होने लगी.

दोस्तो, इस भाई बहन X कहानी के अगले भाग में आपको मेरी चुत की जबरदस्त चुदाई का मजा आने वाला है.

प्लीज मुझे अपने कमेंट्स से जरूर बताएं कि आपको मेरी इस सेक्स कहानी को पढ़ कर कैसा लग रहा है.
[email protected]

भाई बहन X कहानी का अगला भाग: