बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी में मेरा भाई हॉस्टल में रह कर घर आया तो उसकी हरकतें बदल चुकी थी. वह मेरे जिस्म कपास आने के बहाने ढूंढता था. आखिर एक दिन उसने मुझे चोद भी दिया.
फ्रेंड्स, मेरा नाम सिम्मी है. मेरी उम्र 23 साल की है.
मेरे भाई का नाम राज है.
वह अभी 18 साल का हो गया है.
यह बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी इसी भाई की है.
मेरे पापा एक आर्मी ऑफीसर थे लेकिन तीन साल पहले ही हार्ट अटॅक से उनकी मृत्यु हो गई थी.
मेरी मॉम की उम्र 43 साल की है. घर में मैं और मॉम ही रहती हैं.
मेरा भाई हॉस्टल में रह कर पढ़ रहा है.
और अभी वह हॉस्टल से घर वापस आ रहा था क्योंकि हमारे ताऊ जी की लड़की की शादी तय हो गई थी.
मेरा भाई शादी के एक हफ्ते पहले ही घर आ गया था.
मैं अपने भाई से बहुत प्यार करती हूँ और वह भी मुझसे उतना ही प्यार करता है.
लेकिन कभी कभी हमारी लड़ाई हो जाती है क्योंकि वह बहुत तंग करने लगता था और बहुत ज़िद्दी भी है.
हमारी मॉम भी हम दोनों से बहुत प्यार करती हैं लेकिन वे कभी कभी दुखी हो जाती हैं क्योंकि पापा के जाने के बाद वे अकेली पड़ गई हैं.
मैंने उनको कई बार कमरे में अकेले रोते हुए देखा है.
शायद पापा के फौज में रहने के कारण उनको शारीरिक सुख भी बहुत ज्यादा नहीं मिला था.
हालांकि मुझे मालूम था कि वे किसी न किसी मर्द के साथ सेक्स करती हैं क्योंकि एक आंटी उनको कभी कभी घर से बाहर ले जाती थीं और जब मॉम घर वापस आती थीं, तो बेहद खुश दिखाई देती थीं.
उससे ही मैंने अंदाजा लगाया था कि वे किसी के साथ सेक्स करती हैं.
मेरा भाई जब से हॉस्टल से आया है, उसकी हरकतें बहुत अजीब सी हो गई हैं.
वह पहले हमारे साथ एक थाली में कभी कभी खाना नहीं ख़ाता था, उसको कैसा का भी झूठा खाना खाना पसंद नहीं था, यहां तक कि वह मेरा और मॉम का खाना भी नहीं खाता था.
लेकिन हॉस्टल से आने के बाद वह एकदम से बदल गया था.
अब वह कभी कभी मेरे और मॉम के साथ एक ही थाली में खाना ख़ाने लगा था.
उससे पूछने पर वह बोलता- मॉम, आप ही तो कहती थीं कि एक दूसरे का खाना खाने से प्यार बढ़ता है.
मॉम ये सुनकर हंस देतीं.
मैंने देखा था कि अब उसकी नज़रें हमेशा मुझ पर या मॉम पर ही रहती थीं.
उसके अन्दर यह काफी बड़ा बदलाव था.
मैंने चैक किया था कि वह मुझे देखता रहता था और जब मैं एकदम से पलट जाती तो भाई सहम जाता और इधर उधर देखने लगता था.
उसको मैंने मॉम को भी देखते हुए देखा था.
जब मॉम झुक कर पौंछा लगाती थीं तो उसकी नजरें मॉम की लटकती छातियों पर या उनकी हिलती हुई गांड पर लगी रहती थीं.
जब मॉम किचन में काम करतीं तो वह उनको पीछे से देखता रहता था.
घर में शादी की तैयारियां तेज हो गई थीं जिसके चलते एक दिन हमें अपने बड़े घर जाना था.
हम सब तैयार हो रहे थे.
उस दिन मैंने साड़ी के साथ बैकलैस ब्लाउज पहना था.
मॉम ने भी साड़ी पहनी थी.
उस दिन मॅाम बाथरूम में पैड लगाने गई थीं क्योंकि उस दिन उनके पीरियड्स आ गए थे.
उसी वक्त मुझे अंडरवियर चेंज करनी थी और मॉम को भी टाइम लग रहा था.
भाई उधर ही बैठ कर मेरे फोन में गेम खेल रहा था.
मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और अपनी जांघों तक ले जाकर झटके से अपनी अंडरवियर उतार कर एक तरफ रख दी और दूसरी अंडरवियर पहनने लगी.
मैं हमेशा थोड़ी टाइट पैंटी पहनती हूँ.
जब मैं अपनी पैंटी पहन कर अपनी साड़ी ठीक कर रही थी कि मेरी नज़र मेरे भाई पर गई, उसकी उसकी आंखें एकदम खुली रह गई थीं और वह पसीना पसीना हो रहा था.
मैंने उसका खड़ा हुआ लंड भी नोटिस कर लिया था.
हालांकि उसकी हालत देख कर मेरी हंसी भी रोके नहीं रुक रही थी.
पर जैसे तैसे मैंने खुद को शांत किया.
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ?
तो वह अपने लंड को छुपाते हुए वहां से चला गया.
अब हम सब रेडी हो गए थे.
मैंने अपने ताऊ के घर जाने के लिए एक कैब बुक की थी.
बड़े घर पहुंचने में हमको तीन घंटे लगने वाले थे.
रास्ते में भाई खिड़की की तरफ वाली सीट पर बैठा था और मैं उसके बाजू में.
उसका लंड अभी भी खड़ा था.
शायद वह अभी भी उसी घटना के बारे में सोच रहा था.
कुछ टाइम बाद मैंने नोटिस किया कि भाई को नींद आ रही है.
यह मॉम ने भी देख लिया था तो मॉम मुझसे बोलीं- अपनी गोदी में अपने भैया का सिर रख ले!
तो मैंने उसको अपनी गोदी में सिर रख कर सुलाने लगी.
लेकिन थोड़ी देर बाद उसकी मस्ती शुरू हो गई.
उसने अपना मुँह मेरी चूत की तरफ कर लिया और जोर जोर से सांसें लेने लगा.
मैं समझ गई कि यह मेरी चूत की खुशबू लेने की चेष्टा कर रहा है.
थोड़ी देर बाद वह मुझसे धीमी आवाज में बोला भी- दीदी आपका पर्फ्यूम अच्छा है.
पहले तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या कह रहा है.
मैं चुप रही तो वह भी चुपचाप सो गया.
फिर कार के तीन घंटे के सफर के बाद हम लोग अपने ताऊ जी के घर पहुंच गए.
वहां मेरी बड़ी मम्मी ने हमारा स्वागत किया और वे हमें अन्दर ले गईं
उनके घर में शादी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थीं.
बड़ी मम्मी ने हमें नाश्ता और कॉफी ऑफर की.
कॉफी पीने के बाद मुझे टॉयलेट लगने लगी.
मैं मॉम से बोल कर टॉयलेट करने के लिए जाने लगी.
मेरा भाई मेरे पीछे पीछे आने लगा.
उसकी इस बात को मैंने ध्यान नहीं दिया.
जैसे ही मैं बाथरूम में दाखिल हुई, मेरा भाई पीछे से आ गया और बोला- दीदी, मुझे भी टॉयलेट लगी है.
लेकिन मुझे भी जोर से लगी थी तो मैंने उसको बाथरूम के अन्दर ही ले लिया और दरवाजा बंद कर दिया.
मैंने उससे कहा- तू कोने में मुँह घुमा कर सुसू कर ले.
वह घूमा तो मैं उसके विपरीत खड़ी हो गयी और अपनी साड़ी ऊपर करने लगी.
मैं सुसू करने के लिए अपनी पैंटी नीचे कर ही रही थी लेकिन मेरी पैंटी मेरी जांघों तक ही उतर पाई होगी कि तभी मेरे भाई ने मुझे आगे से पकड़ लिया.
तो मैं एकदम से डर गई और उसको हटाने की कोशिश करने लगी.
मेरी साड़ी ऊपर को उठी हुई थी और पैंटी जांघों पर थी.
वह अपने मुँह के समेत मेरी साड़ी के अन्दर घुस गया था.
भाई ने मुझे जोर से पकड़ रखा था.
तभी अचानक से उसका मुँह मेरी चूत से टच हुआ और मेरी बॉडी में करेंट सा दौड़ गया.
मुझे जोर से सुसू लगी थी और मुझसे रोकी नहीं जा रही थी.
मैं उसे हटाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन तभी उसके होंठ मेरी चूत पर चिपक गए.
मैं खुद को रोक ही नहीं पाई और हल्की सी चीख के साथ मैंने उसके मुँह में ही सुसू कर दी और मैं अपने मुँह पर हाथ रख कर अपनी सीत्कार को रोकने लगी.
मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है मेरे साथ!
मैंने भाई को एक चांटा मार दिया.
मेरा भाई रोने लगा और मुझसे अलग हो गया.
उस वक्त भाई के लिए मेरे अन्दर मिले जुले भाव आ रहे थे.
प्यार भी आ रहा था और गुस्से के साथ एक कामुक भाव भी था.
मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था.
तभी भाई मेरे पास को हुआ और उसने मुझ हग कर लिया.
मेरा भाई मेरी सुसू में पूरी तरह गीला हो चुका था.
करीब बीस मिनट तक हम दोनों बाथरूम में ही रहे.
फिर मैंने अपने हाथों से अपने भाई का मुँह धोया और उसके कपड़े भी पानी से साफ किए.
फिर मैंने अपनी साड़ी को भी ठीक किया और अपने चेहरे को सही किया.
अब मैंने अपने भाई को समझाया कि यह बात किसी को बताना नहीं … यह सब ग़लत है.
अब मैं बाहर आ गई.
बाहर आई तो मॉम ने पूछा- इसको क्या हो गया … ये गीला कैसे हो गया?
मैंने कह दिया कि इसने गलती से फव्वारा चालू कर दिया था.
यह कह कर मैंने भाई को आंख मार दी.
मॉम चली गईं.
बाद में भाई ने बोला- दीदी, आपकी सुसू तो बहुत टेस्टी है!
मैं हंस दी.
शादी के बाद हम सब वापस घर पहुंच गए.
उसके बाद मेरे और मेरे भाई के बीच का रिश्ता कुछ अलग सा हो गया था.
जब भी मैं भाई को देखती या भाई मेरे पास होता, तो मेरी प्रतिक्रियाएं एक बहन जैसी नहीं होतीं.
कभी मैं उसके साथ चूमा चाटी करने लगती तो कभी उसे अपनी बांहों में भर लेती.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ.
मैं अब उससे दूरी बनाने की कोशिश करने लगी.
अब उसके हॉस्टल वापिस जाने में कुछ दिन ही बचे थे.
तभी खबर आई कि उसके हॉस्टल की बिल्डिंग में कोई हादसा हो गया है जिस वजह से सबको एक महीने के लिए आने से रोक दिया गया है.
भाई हमारे साथ ही रह कर पढ़ने लगा.
मैं उसे अपने कमरे में ही सुलाने लगी थी.
एक दिन मैं किचन में काम कर रही थी और मॉम अपनी उन्हीं सहेली आंटी के साथ गई थीं.
वे देर से आने की कह कर गई थीं तो मैं समझ गई थी कि आज मॉम अपनी सर्विसिंग करवाने लगी हैं.
आज गर्मी कुछ ज्यादा थी तो किचन में मुझे खाना बनाते बनाते गर्मी भी लग रही थी और पसीना भी आ रहा था.
तभी मुझे घर का मुख्य दरवाजा खुलने की आवाज़ आई.
मैं समझ गई कि भाई बाहर से खेल कर आ गया है.
उसको घर में आए हुए दो मिनट ही हुए होंगे कि उसने मुझसे पूछा कि मॉम कहां हैं?
मैंने जैसे ही उससे बोला- वे बाहर गई हैं, उसने मुझे पीछे से हग कर लिया.
उसके स्पर्श से मैं मचल उठी.
लेकिन अगले ही पल मैंने अपने आप को समझाया कि वह तेरा भाई है.
मैंने उसको खुद से दूर किया और इस बार उसे डांटा भी और थप्पड़ भी मारा क्योंकि वह प्यार से समझ नहीं रहा था.
वह लगातार मेरे साथ खेलने की कोशिश कर रहा था.
मैंने उसे धक्का देकर खुद से दूर किया और कहा- रुक, मॉम को आने दे … मैं उन्हें सब बताती हूँ.
वह मेरी बात सुनकर मुझसे अलग हो गया और दूरी बना कर खड़ा हो गया.
मैं अपना काम करने लगी.
अभी बमुश्किल दो मिनट ही हुए थे कि वह वापस किचन में आ गया और उसने मेरी कुर्ती को पीछे से ऊपर कर दिया.
जब तक मैं कुछ समझ पाती कि उसने मेरी लैगिंग्स के ऊपर से ही मेरी दोनों चूतड़ों के बीच में अपना मुँह घुसा दिया.
मैं एकदम से चीख पड़ी.
मैंने अपने हाथ पीछे किए और उसके बाल पकड़ कर उसका मुँह अपनी गांड से हटाने की कोशिश की.
इस चक्कर में मेरा संतुलन बिगड़ रहा था.
उधर मेरा भाई भी मेरी लैगिंग्स के ऊपर से ही अपनी जीभ मेरी गांड में घुसेड़ने की कोशिश कर रहा था.
मुझे न चाहते हुए भी मजा आने लगा था.
मेरी तरफ से विरोध नहीं होता देख कर वह और ज्यादा बिंदास हो गया और मेरी दोनों टांगों को अपने हाथों से पकड़ कर मेरी गांड को चाटने में लगा रहा.
मैं भी कामुक होने लगी थी और न चाहते हुए भी कुछ कर नहीं पा रही थी.
तभी उसकी तेजी से मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं किचन की पट्टी का सहारा लेकर झुक सी गई.
मुझे ऐसा लगा कि मेरी चूत से पानी निकलने वाला है, तो मैं उसे हटाने के लिए उसके बालों को खींचने लगी.
यह एक तरह से ठीक वैसा हो रहा था जैसे मैं उसे हटाने की कोशिश में उसे अपनी चूत में और ज्यादा दबाए जा रही थी.
उसी पल मैं झड़ गई और रस बह जाने के बाद मैंने उसके बालों से ही पकड़ कर उसे हटाया और कहा- आह हट जा कमीने … तूने यह सब कहां से सीख लिया है?
वह हंस दिया और मुझे देखने लगा.
उसने मेरी टांगों को अभी भी अपने हाथों से जकड़ा हुआ था.
बहुत देर के बाद मैं उसको खुद से दूर कर सकी और मैंने प्यार से उसको एक थप्पड़ मारते हुए कहा- पागल है क्या? अभी मॉम देख लेतीं तो?
वह हंसता हुआ अलग हो गया.
मैंने हाथ से छूकर देखा कि मेरे भाई की वजह से मेरी पजामी पीछे से पूरी गीली हो गई थी.
मैं बाथरूम में चली गई और आज की इस घटना को याद करके बहुत देर तक अपनी चूत को सहलाती रही और अपने भाई की मदमस्त हरकत को याद करके अपनी चूत में उंगली करती रही.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं किस तरह से अपने भाई को समझाऊं, या खुद को उससे दूर करूँ या सब कुछ हो जाने दूँ.
दिन में जब मैं अपने कमरे में कुछ काम कर रही थी. उस वक्त मेरा भाई बिस्तर पर रहा था.
भाई को देख कर मुझे वे सब घटनाएं याद आ रही थीं, जो मेरे साथ अभी तक हुई थीं.
मेरा भी मन नहीं मान रहा था.
मैं काफी देर तक अपने भाई का मासूम चेहरा देखती रही और जब खुद को न समझा पाई तो अपने भाई के साथ ही उसके बेड पर लेट गई.
तब मैं उसके लंड को टच करने लगी.
मेरा भाई गहरी नींद में था.
उसका लंड उस वक्त एकदम लुंजपुंज अवस्था में था.
मैं उत्तेजित हो गई थी तो मैंने उठ कर दरवाजा बंद किया और भाई के पैंट को नीचे कर दिया और मैं उसके लंड को टच करने लगी.
उसके लंड पर अभी झांटों ने उगना शुरू ही किया था.
लेकिन उसका लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था. उसके लंड का धागा भी शायद अब तक नहीं टूटा था.
मैंने अपने भाई के लौड़े को किस करना चालू कर दिया और जब अच्छा लगने लगा, तो मैंने धीरे से अपने छोटे भाई के लंड को अपने मुँह में भर लिया.
उसका मुलायम सा लंड चूसने में बड़ा ही मस्त लग रहा था.
मैं कुछ मिनट तक उसका लंड चूसती रही.
अब उसके लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी थी.
कुछ ही देर में मेरे भाई के लंड ने अपना रूप दिखाना शुरू कर दिया था; उसका लंड मेरे मुँह के अन्दर ही फूलने लगा था.
मुझे ऐसा लगा कि अब यह स्खलित होने ही वाला है.
मगर मुझे उसके कड़क होते लंड को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था तो मैंने भी मन बना लिया था कि इसके लंड की रबड़ी को भी खा ही जाऊंगी.
मैं लंड चूसती रही और उसने सोते हुए में ही मेरे मुँह में स्पर्म छोड़ दिया.
मैंने बड़े मन से उसके वीर्य को खा लिया था क्योंकि यह सब कुछ अचानक जरूर हुआ था, पर मैंने मन बनाया हुआ था कि उसका वीर्य चाट कर खा जाना है.
अब तो यह मेरा हमेशा का शगल बन गया था और कभी कभी तो मुझे लगता था कि मेरा भाई भी लंड चुसवाते समय जाग जाता है और वह जानबूझ कर मुझसे अपने लौड़े को मजे से चुसवाता है.
फिर एक दिन उसने लंड झाड़ने के बाद अचानक से मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- दीदी, मुझे भी आपकी चूत चाटनी है.
पहले तो मैँ अचकचा गई कि यह जाग गया … पर मैंने उससे कहा- नहीं भाई, यह गलत है.
वह बहुत शरारती और जिद्दी स्वभाव का है तो वह नहीं माना.
मुझसे वह बोला कि जब तक आप मुझे अपनी चूत नहीं दिखाओगी तब तक मैं आज खाना नहीं खाऊंगा.
मुझे लगा कि वह मज़ाक कर रहा है.
मैं उसके पास से उठ कर चली गई.
उसने सच में पूरे दिन कुछ नहीं खाया.
मुझे बहुत बुरा लगा कि मेरी वजह से यह सारे दिन भूखा रहा.
यदि मैं उसे अपनी चूत दिखा देती और वह चूत चाट भी लेता तो मेरा क्या घिस जाता.
अब मैंने तय कर लिया था कि आज उसे मैं अपनी चूत न केवल दिखा दूँगी, बल्कि वह चाहेगा तो उससे चूत चुसवा भी लूँगी.
रात को मैंने उसे अपने पास बुलाया और उससे कहा- तुम पहले खाना खा लो, तब मैं तुम्हारी हर बात मान लूँगी.
उसने कहा- मुझे आपकी चूत चाटनी है.
मैंने उस समय जानबूझ कर स्कर्ट पहनी हुई थी.
उसके सामने मैंने अपनी पैंटी निकाली और बिस्तर पर चित लेट कर उससे कहा- आ जा और अपनी दीदी की चूत चाट ले.
वह मेरे ऊपर शुरू से ही 69 में चढ़ा और मेरी चूत से खेलने लगा.
मैंने भी उसके बाक्सर को नीचे कर दिया और उसका मोटा लंड चूसने लगी.
वह मेरी चूत चाटते हुए बोला- वाह दीदी, आपकी तो एकदम सफाचट चूत है. आपने अपनी झांटें कब साफ की थीं?
उसके इस सवाल से मेरी झिझक भी जाती रही और मैंने कहा- मैं मॉम की तरह हमेशा अपनी चूत साफ रखती हूँ.
उसने किलकारी भरी- अरे वाह, इसका मतलब मॉम की चूत भी सफाचट रहती है?
मैंने उसके लंड से खेलते हुए कहा- हां.
वह बोला- दीदी मेरे टट्टे सहलाओ न प्लीज!
मैंने अपने भाई के टट्टे भी चूस लिए.
वह काफी खुश हो गया था.
फिर मैं काफी गर्म हो गई थी तो मेरा मन कर रहा था कि मेरा भाई मुझे झाड़ दे.
वही हुआ, उसने मेरी चूत को चाट चूस कर स्खलित करने पर मजबूर कर दिया और उसके साथ ही वह मेरी चूत का सारा रस चाट गया.
मैं बहुत सुकून महसूस कर रही थी.
मेरा भाई मेरी चूत चाटता जा रहा था.
सारा रस खत्म हो गया था पर वह चूत चूसता ही जा रहा था … जिससे हुआ यह कि मैं वापस गर्मा गई.
उधर आज उसका लंड झड़ ही नहीं रहा था.
अब वह 69 की पोजीशन से हट कर सीधा हुआ और मेरे ऊपर चुदाई की पोजीशन में चढ़ गया.
मैं अन्दर ही अन्दर डर भी रही थी और खुश भी थी.
मेरे भाई ने मेरी टांगें फैला दीं और अपने लौड़े को मेरी चूत में सैट करके एक धक्का दे दिया.
गीली चूत में उसके लंड का सुपारा फंस गया.
मैं भी सीलपैक माल थी तो मुझे बेहद दर्द हुआ.
मेरा भाई मेरे दर्द को दरकिनार करता हुआ मेरी चूत को फाड़ता गया और अंततः उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेवस्त कर दिया.
मैंने नीचे हाथ लगा कर देखा तो खून निकलने लगा था.
इतनी पीड़ा होने के बाद भी एक बार को मुझे मुस्कान आ गई कि मेरी सील मेरे भाई ने तोड़ दी.
बेहेनचोद ब्रो ने कुछ देर बाद मुझे हचक कर चोदना चालू कर दिया.
उसकी ताकत से मुझे अहसास हो गया था कि यह एक बेहेनचोद ब्रो सेक्स सेक्स में सच्चा मर्द है और मैंने अपने भाई से चुदवा कर कोई गलती नहीं की.
आधा घंटा तो मेरी चूत को बेहद बर्बरता से रगड़ने के बाद मेरा भाई मेरी चूत में ही झड़ गया.
इस दौरान मैं तीन बार स्खलित हुई थी.
चुदाई के बाद बेहद सुकून मिल रहा था.
मैंने अपने भाई को अपनी बांहों में कस लिया और कुछ देर के लिए हम दोनों उसी स्थिति में सो गए.
उस रात मेरे भाई ने मुझे सुबह चार बजे तक कई बार चोदा और अब यह हम दोनों का रोज का शगल हो गया था.
अब मेरा भाई मॉम की चुदाई करना चाहता है.
मुझे मालूम है कि मेरी मॉम दूसरे मर्दों से चुदवाती हैं.
पर वे अपने बेटे से अपनी चूत चुदवा पाएंगी या नहीं … यह अभी कह नहीं सकती.
दोस्तो, मैं अपनी सेक्स कहानी की अगली कड़ी में आपको बताऊंगी कि मॉम ने मेरे भाई से चुदवाने के लिए क्या कहा.
तब तक आप लोग अपने छेद और डंडे को सहलाएं पर मुझे जरूर बताएं कि आपको बेहेनचोद ब्रो सेक्स कहानी कैसी लगी.
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