विलेज चूत पोर्न कहानी में मैं गाँव में निर्माण कार्य करवा रहा था कि एक लड़की मुझे देखती थी. मैंने उसके घर वालों से आना जाना कर लिया. तो पता लगा कि वो लड़की मैरिड है.
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अब आगे विलेज चूत पोर्न कहानी:
उसी समय जब हम दोनों रिलेशनशिप में थे, तभी उसके बगल के गाँव में मैं नाली निर्माण करवा रहा था।
वहाँ एक सुंदर-सी लड़की नाज़िमा मुझे देखा करती थी।
धीरे-धीरे उसके घर वालों, यानी उसकी अम्मी-अब्बू से मेरी अच्छी जान-पहचान हो गई।
उसके अम्मी-अब्बू मुझे अपने घर बुलाते थे और मैं वहाँ बैठकर घंटों बातें करता था।
चुपके-चुपके मैं उसे देखता, तो वो भी मुझे देखती रहती थी।
वो शादीशुदा थी और उसकी एक बेटी भी थी, जो करीब 12-15 महीने की थी।
नाज़िमा के बारे में मुझे ज्यादा पता नहीं था।
लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि वो उसी गाँव के एक शादीशुदा लड़के के साथ भाग गई थी इसलिए उसके घर वालों ने उसी से उसकी शादी करा दी थी।
लेकिन दोनों के बीच झगड़ा हो गया था क्योंकि लॉकडाउन में नाज़िमा का बाप मुंबई से आया था।
गाँव के प्रधान ने नियम बना रखा था कि जो भी बाहर से आएगा उसे दस दिन स्कूल में क्वारंटाइन में रहना पड़ेगा।
लेकिन उसका बाप चुपके से घर आ गया था, तो उसके शौहर ने उसकी शिकायत कर दी थी।
इस बात को लेकर दोनों में झगड़ा हो गया और वो नाराज़ होकर अपने बाप के घर रहने लगी।
लगभग एक साल हो गया था, नाज़िमा अपने पति के घर नहीं गई थी और न ही उससे बोलचाल रखी।
शायद एक साल होने की वजह से वो सेक्स की भूखी थी और मुझे हर वक्त घूरती रहती थी।
यहाँ तक कि नाज़िमा अपनी बच्ची को मेरे सामने ही दूध पिलाने लगती थी।
तब मैंने पहली बार उसकी चूचियों को देखा।
वो बहुत छोटी-छोटी थीं, लगता ही नहीं था कि दूध पिलाने वाली चूचियाँ हैं, हाँ लेकिन वो काफी गोल-गोल थीं।
मेरा रोज़ वहाँ उठना-बैठना हो गया था।
एक मौका पाकर मैंने नाज़िमा को अपना नंबर कागज़ पर लिखकर दे दिया।
उसके बाद मैंने दो दिन तक उसके कॉल का इंतज़ार किया लेकिन उसका फोन नहीं आया।
फिर अगले दिन उसके घर गया, तो मौका मिलते ही पूछा, “फोन क्यों नहीं किया?”
नाज़िमा बोली, “मेरे पास फोन ही नहीं है, तो कैसे कॉल करूँ?”
तभी वो बोली, “मुझे एक फोन लाकर दे दो!”
लेकिन मैं उसे फोन नहीं दे पाया।
एक दिन एक अनजान नंबर से मिस्ड कॉल आया।
मैंने कॉल किया, तो वही लड़की थी नाज़िमा।
उसने कहा, “ये मेरे बाप का नंबर है! मैंने चुपके से फोन किया है!”
हमने थोड़ी देर बात की, फिर उसने फोन काट दिया।
नाज़िमा के घर वाले मेरी दावत भी करना चाहते थे लेकिन मैं शाम को रुक नहीं सकता था क्योंकि शाम को हमारा मीटिंग होता था जिसमें अगले दिन का काम और हुए काम का रिपोर्ट बनाना होता था।
ऐसे ही दिन बीतते गए।
एक दिन किस्मत ने साथ दिया।
नाज़िमा के घर से 500 मीटर की दूरी पर एक नया पुलिया बनाना था और उस दिन कंक्रीट रात में होने वाला था।
साइट इंचार्ज का कॉल आया कि जब तक कंक्रीट खत्म न हो जाए, तब तक वही रहना है।
मैं तुरंत नाज़िमा के घर वालों से आज दावत में शामिल होने की बात करने गया।
उसके घरवाले बहुत खुश हुए और दावत का इंतज़ाम करने लगे।
मैं वापस साइट पर आ गया।
गाँवों में लोग जल्दी खाना खा लेते हैं तो वहाँ भी जल्दी खाना तैयार हो गया।
वो लोग मुझे खाने के लिए बुलाने लगे।
करीब 8 बजे मैं उसके घर गया।
खाना परोसने का काम उसका और उसकी छोटी बहन का था।
उसकी छोटी बहन भी मुझे देखती रहती थी।
शायद वो मुझे पसंद करती थी।
जब नाज़िमा खाना देने आई, तो मैंने धीरे से उससे कहा, “आज जब सब सो जाएँगे, तो तुम तैयार रहना! मैं तुमसे मिलने आऊँगा!”
वो खुश हो गई।
मैंने उससे साफ-साफ कह दिया, “मुझे चूत चाहिए!”
वो बोली, “तुम लड़कों को बस उसी से मतलब होता है!”
मैं बोला, “देखो, तुम भी शादीशुदा हो और मैं भी! तुम्हारे भी बच्चे हैं और मेरे भी! ये प्यार-मोहब्बत न तुम्हें चाहिए, न मुझे! अगर चूत दोगी, तो आऊँगा, वरना नहीं!”
वो बोली, “तुम्हारे आगे चूत की क्या औकात! ले लेना चूत, तुमसे बढ़कर थोड़ी है!”
मैंने खाना खाया और कुछ देर उसके अम्मी-अब्बू से बात की।
तब तक उनके सोने का समय हो गया, तो वो सोने की तैयारी करने लगे।
मैं साइट पर आ गया।
अभी भी कंक्रीट हो रहा था।
करीब 1-1.5 घंटे बाद मुझे अंदाज़ा हो गया कि सब सो गए होंगे।
मैं नाज़िमा के घर गया और चुपके से पीछे की तरफ से घुस गया।
उसके घर में दो ही कमरे थे और एक हॉल था।
एक कमरे में उसकी भाभी और दूसरे में उसके अम्मी-अब्बू सोते थे।
दोनों बहनें हॉल में सोती थीं।
मुझे पता था कि नाज़िमा यहीं सोती है, तो मैं सीधा उसके बगल में लेट गया।
नाज़िमा जाग रही थी।
वो मुझसे तुरंत लिपट गई।
उसके बगल में उसकी छोटी बहन भी सोई थी.
तो हमने बिना आवाज़ किए उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और किस करना शुरू कर दिया।
अपने पति से एक साल से दूर होने की वजह से वो इतनी प्यासी थी कि मेरी जीभ तक चाट रही थी।
ऐसा लग रहा था मानो मुझे खा जाएगी।
वो मेरे होंठों को चूसने लगी।
मैं किस करते-करते धीरे से उसके शर्ट के अंदर हाथ डालकर उसके छोटे-छोटे चूचे दबाने लगा।
वो मादक सिसकारियाँ निकालने लगी और भूल गई कि बगल में उसकी छोटी बहन भी सोई है।
मैं जोर-जोर से उसकी चूचियाँ दबाने में लगा हुआ था।
तभी मैंने देखा कि उसकी छोटी बहन ने हलचल की।
मैं समझ गया कि वो जाग गई है लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी।
शायद वो भी गर्म हो गई थी।
उसने अपनी शर्ट उतारकर बगल में रख दी।
उसने ब्रा नहीं पहनी थी तो छोटे-छोटे चूचे मेरे सामने आ गए।
झट से मैंने उसकी एक चूची को दबाना शुरू किया और दूसरी को मुँह में भर लिया।
चूँकि वो अपनी बच्ची को दूध पिलाती थी, तो दूध मेरे मुँह में आने लगा।
मैंने उसे पी लिया।
वो मीठा-मीठा था।
इससे उसकी सिसकारी निकल गई।
वो बोली, “कब से मैं इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी! एक साल से प्यासी हूँ, आज मेरी प्यास बुझा दो!”
उसने तुरंत अपनी सलवार खोलकर बगल में रख दी।
उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी।
उसकी चूत पर भी बाल नहीं थे, शायद उसने आज ही साफ की थी।
मैंने भी सिर्फ़ जींस और अंडरवियर उतार दिया।
नाज़िमा मेरा 6 इंच का लंड देखकर खुश हो गई।
मैंने उससे कहा, “लंड को मुँह में लेकर गीला कर दे!”
उसने मुँह में ले लिया।
थोड़ी देर बाद मैंने अपने गीले लंड को उसकी चूत के छेद पर सेट किया और जोर से धक्का मारा।
मेरा पूरा लंड उसकी विलेज चूत को फाड़ता हुआ अंदर चला गया।
उसकी चूत एक साल से लंड न लेने की वजह से टाइट हो गई थी और उसे दर्द हो रहा था लेकिन वो दर्द सह गई।
मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया और लगातार धक्के लगाने लगा।
तभी मेरा ध्यान उसकी बहन पर गया।
वो सीधी पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी साँसें व धड़कन इतनी तेज़ थीं कि उसके छोटे-छोटे चूचे ऊपर-नीचे हो रहे थे।
ये देखकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना एक हाथ उसकी चूची पर रख दिया।
उसने तुरंत मेरा हाथ हटा दिया।
उसकी बड़ी बहन चुदाई में इतनी मगन थी कि उसे कुछ पता नहीं चला कि उसकी छोटी बहन जाग रही है।
मैं धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था और वो गांड उठा-उठाकर मेरा साथ दे रही थी।
एक बार फिर मैंने अपना हाथ उसकी छोटी बहन की चूची पर रख दिया लेकिन इस बार उसने नहीं हटाया और सिसकारने करने लगी।
अब मैंने अपना हाथ उसके कमीज़ के अंदर डालकर दबाने लगा और अपने मुँह में उसकी बड़ी बहन का दूध पी रहा था।
मैं धकापेल चुदाई कर रहा था।
करीब 15 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और उसके ऊपर ही लेट गया।
मेरा एक हाथ अभी भी उसकी छोटी बहन की चूचियों पर था।
अब मैंने अपना हाथ उसकी चूची से हटाकर नीचे लेगी के अंदर डाल दिया।
उसकी चूत से पानी बह रहा था।
मैंने एक उंगली अंदर डाली तो वो उछल गई और मेरा हाथ बाहर निकाल दिया।
दिल तो कर रहा था कि उसकी कुंवारी चूत को अभी चोद दूँ.
लेकिन मैंने अपने पर कंट्रोल किया और उन दोनों के बीच में लेट गया।
तभी साइट से फोन आने लगा क्योंकि कंक्रीट पूरा हो गया था।
मैंने झट से अपनी जींस पहनी और उसे किस करके निकल गया।
साइट पर आकर सारा सामान इकट्ठा करवाकर मैं रूम पर चला गया।
अगले दिन साइट पर गया, तो वो नहीं दिखाई दी।
उसके घर गया, तो भी नहीं दिखाई दी।
मैंने किसी से उसके बारे में नहीं पूछा।
तीन-चार दिन बाद गाँव के एक लड़के ने बताया कि उसके पति को शक हो गया था कि मैं उसके लिए ही उसके घर जाता हूँ।
इसलिए वह उससे माफी माँगकर उसे अपने घर ले गया है।
अब मैंने उसकी छोटी बहन पर फोकस करना शुरू कर दिया।
फिर एक हफ्ते बाद मुझे वहाँ से दूसरी साइट पर भेज दिया गया।
उसके घर वालों से बात होती रहती है और कभी-कभी जब उसके अब्बू घर पर नहीं होते, तो उसकी छोटी बहन फोन उठाती है और हमारी बातचीत हो जाती है।
लेकिन उससे मिलने के लिए वहाँ जाने का सही मौका नहीं मिल रहा है।
उसके साथ कोई चुदाई वाली बात होगी तो मैं बताऊँगा अगली कहानी में.
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