सेक्स एडिक्ट बन गयी मैं शादी के बाद पति से कुछ दिन चुद कर ही. सुहागरात को मेरे पति ने मेरी चूत की सील तोड़ी. तकलीफ हुई पर मजा आया. मेरी गांड की सील भी तोड़ी उसके बाद!
दोस्तो, कैसे हो आप लोग मैं आप लोगों की प्यारी व सेक्सी जुगनी एक बार फिर से हाजिर हूँ.
मैं अपनी सेक्स कहानी का अगला भाग लेकर आई हूँ.
जैसा कि आप लोगों ने मेरी कहानी के तीसरे भाग
चुदाई के बाद मेरी वासना बढ़ गई
में पढ़ा था कि मेरे पति मुकेश ने मुझे किस तरह चोदा.
मेरी चूत अब खुल चुकी थी और अब मेरे पति मुकेश की नज़र मेरे बड़े बड़े कूल्हों पर थी.
वे मेरी गांड मारना चाहते थे और मुझसे कह भी रहे थे कि एक बार गांड मार लेने दो.
मगर मैं नहीं मान रही थी.
अब आगे सेक्स एडिक्ट बन गयी मैं:
मुकेश ने मुझे समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन मैं गांड चुदाई के लिए तैयार नहीं हुई.
मैंने कहा- मुझे मालूम है, उधर चुदवाने में बहुत दर्द होता है.
फिर मेरे पति मुकेश ने मेरी सिर्फ चूत की ही चुदाई की.
चुदाई के दौरान मैंने देखा कि मुकेश कुछ सोच रहे थे.
इन्होंने मुझे बेड के किनारे से लगाकर फिर से घोड़ी बना दिया और मेरी चूत चोदने लगे.
लेकिन इनकी नज़र मेरी फूली हुई गांड पर टिक गई थी.
इन्होंने पास रखी तेल की कटोरी में उंगली डुबोई और मेरी गांड के छेद में डाल दी.
मुकेश की आधी उंगली मेरी गांड में चली गई.
अचानक हुए इस हमले से मैं दर्द के मारे ‘आउच’ करके बेड पर लेट गई.
मुकेश भी मेरे ऊपर बेड पर आ गए.
फिर इन्होंने कटोरी उठाई और लंड पर तेल टपकाकर मेरी चूत में आगे-पीछे करना शुरू किया.
इसके बाद मेरी गांड से उंगली निकाली और तेल डालकर उंगली से मेरे गांड के छेद को ढीला करने लगे.
मुझे लगा कि मुकेश बस यूं ही गांड में उंगली कर रहे हैं, तो मैंने अपनी गांड का छेद ढीला छोड़ दिया.
मुकेश ने उसी पल तेज़ी से एक्शन लिया. मेरी चूत से अपना लंड निकाला और मेरी गांड में डाल दिया. इनका आधा सुपारा मेरी गांड में घुस गया था.
मैं चीखने को हुई, लेकिन इन्होंने बड़ी फुर्ती से मेरा मुँह दबा दिया और लंड को धीरे-धीरे मेरी गांड में पेलते चले गए.
मुकेश ने मेरी छोटी-सी गांड में अपना आधे से ज़्यादा लंड घुसेड़ दिया था.
मैं ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी और इनके लंड को बहुत दबाने लगी.
फिर ये एक मिनट रुक गए, अपने लंड को मेरी गांड में जगह बनाने का मौका दिया.
मैं अब भी सुबक रही थी.
लेकिन मुझे महसूस हुआ कि लंड ने मेरी गांड में जगह बना ली थी.
ये महसूस होते ही मुकेश ने फिर से लंड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया.
अब मुकेश कुछ देर तक आधे लंड से ही मेरी गांड मारने लगा.
मैं इनके हर धक्के पर चिल्लाने लगी.
मुकेश बिना कुछ ध्यान दिए मेरी छोटी-सी गांड को गड्ढा बनाते रहे.
करीब दस मिनट बाद मैंने अपनी गांड को थोड़ा ढीला किया.
मुकेश भी जोश में आकर ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगे.
मैं अभी भी सिसकारियां ले रही थी.
मेरे पति मुकेश के लंड के हर धक्के के साथ मेरी ‘आह’ निकल जा रही थी.
फिर इन्होंने मेरी गांड से लंड निकाला और मेरी चूत में पेलकर चूत चोदने लगे.
अब मैं चुप हो गई.
इन्होंने देखा कि मेरी गांड का छोटा-सा छेद बड़ा हो गया था, काला पड़ गया था और बहुत लपलपा रहा था.
इन्होंने फिर से मेरी चूत से लंड निकाला और मेरी गांड में पेल दिया.
इस बार मुझे दर्द नहीं हुआ.
मेरे पति मुकेश के लंड ने मेरी गांड में अपने लिए जगह बना ली थी.
शायद मेरी गांड को भी अब इनका लंड पसंद आने लगा था.
अब इन्होंने बारी-बारी से मेरी चूत और गांड मारनी शुरू की.
मैं भी पहली बार गांड मरवाकर मज़ा लेने लगी थी.
आखिर में मुकेश ने मेरी गांड में ही अपने लंड का पानी छोड़ दिया और मेरे ऊपर ढेर हो गए.
झड़ने के बाद मुकेश ने मुझे कसकर पकड़ कर बगल में लेटा लिया.
इनका लंड अभी भी मेरी चूत को छू रहा था.
मैंने कुछ देर आराम किया.
मेरी चूत और गांड दोनों सूजकर बड़ा पाव की तरह हो गई थीं.
सूजन की वजह से मैं अपनी टांगें भी ठीक से मोड़ नहीं पा रही थी.
मैं इनसे नाराज़ थी.
इन्होंने कहा- अभी दो बार ही हुआ है. धीरे-धीरे तुम्हें इसकी आदत पड़ जाएगी. तू देख, कल तक मैं तुझे 8 बार कैसे चोदता हूँ.
मैंने दोनों हाथ जोड़े और माफी माँगने लगी.
फिर मुकेश ने मुझे आराम करने के लिए बिस्तर पर लेटा दिया.
वे खुद भी मेरे साथ चादर ओढ़कर सो गए.
हम दोनों चादर के अन्दर नंगे थे.
मैं अपनी टांगें चौड़ी करके सो गई थी क्योंकि अभी तक बहुत दर्द हो रहा था.
रात को मुकेश पेशाब करने के लिए उठे.
मैं वैसे ही नंगी सो रही थी.
इन्होंने धीरे से मेरे ऊपर से चादर हटा दी.
मुझे नंगी देखकर इनका लंड फिर गर्म हो गया.
मेरी खुली हुई चूत उन्हें लुभाने लगी.
इन्होंने वैसे ही मेरी चूत में लंड पेलकर चोदना शुरू कर दिया.
चोदते हुए इन्होंने थोड़ी-सी पेशाब भी मेरी चूत में कर दी.
लंड घुसते ही मैं जाग गई और छटपटाने लगी.
मुझे अपनी चूत में कुछ गीला-गीला महसूस हुआ लेकिन बहुत अच्छा भी लग रहा था.
मुकेश ने तब तक मेरी चूत में बीस धक्के मार दिए थे.
मुझे अब चूत में लंड से जलन होने लगी थी.
मैंने कहा- आप आगे रहने दो … पीछे कर लो, मेरी गांड मार लो. आगे कल कर लेना.
मुकेश ने मुझे समझाया और बहुत सहलाते हुए चूत ही चोदते रहे.
कुछ देर बाद मेरी चूत में भी पानी आने लगा और मैं चुदने का मज़ा लेने लगी.
मुकेश ने मुझे दस मिनट तक और चोदा, फिर मेरी चूत में ही पानी निकाल कर सो गए.
सुबह हम दोनों उठे.
मैं पहले उठी थी और इनके ऊपर चढ़कर लेट गई थी.
मेरी हरकतों से मुकेश भी जाग गए.
जैसे ही इनका लंड खड़ा हुआ, इन्होंने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और धीरे से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया.
मैं सेक्स एडिक्ट बन चुकी थी … मैं आराम से मुकेश की गोद में ऊपर-नीचे हो रही थी.
थोड़ी देर बाद मुकेश ने मुझे उठा लिया और उठा उठा कर चुदाई करने लगे.
मैं इनसे बातें करने लगी- कल तुमने मुझे किसी मुजरिम की तरह सजा दी थी. मेरी गांड मारी. भला कोई ऐसा करता है यार?
मुकेश बस मुस्कुरा दिए.
हम दोनों की चुदाई अब जोरों पर चलने लगी.
मैं झड़ने के करीब पहुँच गई थी.
एक मिनट बाद मैंने मुकेश के लंड पर कूदना बंद कर दिया.
मुकेश समझ गए कि मैं झड़ गई हूँ.
तभी मैं उठने लगी और बोली- मुझे पेशाब लगी है, मैं मूत कर आती हूँ.
मुकेश ने कहा- मगर मैं अभी झड़ा नहीं हूँ.
यह कह कर इन्होंने मुझे पकड़ लिया और खींचकर बेड के किनारे पर ले आए.
मैं कुछ समझ पाती, इससे पहले ही इन्होंने पीछे से आकर मेरी चूत में लंड पेल दिया और जोर-जोर से चोदने लगे.
मैं बस ‘आह ओह आह’ ही कर पा रही थी.
हंसते हुए मैंने कहा- अब पेशाब तो कर आने दो!
मुकेश बोला- लंड से चुदते-चुदते यहीं पर कर ले.
मैं नहीं मानी.
मैंने अपनी पेशाब रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन इन्होंने चुदाई की स्पीड तेज कर दी.
मुकेश इस बार फुल स्पीड में 5-6 धक्के मारकर पूरा लंड मेरी चूत से ऐसे निकाल दे रहे थे, जैसे पोर्न मूवी में स्क्वर्टिंग चुदाई में करते हैं.
चार-पाँच बार ऐसा करने के बाद मैं जोर-जोर से पेशाब करने लगी.
मेरा पूरा शरीर किसी वाइब्रेटर की तरह हिलने लगा.
इन्होंने वैसे ही धकापेल चोदना जारी रखा.
इस वक्त मैं पूरी चुदासी लड़की की तरह आहें निकाल-निकालकर चुद रही थी.
इन्होंने पूछा- चूत में दर्द है?
मैं बोली- नहीं, आज तो मज़ा आ रहा है.
अब इन्होंने मेरी एक टांग को पूरा ऊपर उठाया और मेरी चूत में लंड दे दिया.
इनका दूसरा पैर बेड के नीचे था.
वे मुझे पूरी रफ्तार से चोद रहे थे.
मेरा ऊपरी हिस्सा हवा में जोर-जोर से हिल रहा था और चूत से ‘पच-पच’ की जोरदार आवाज़ आ रही थी.
इस आवाज़ के साथ हमारे शरीर के टकराने की ‘थप-थप’ की आवाज़ भी गूँजने लगी थी.
मुकेश मुझे जोर-जोर से चोदते हुए मेरी चूत के दाने को अपनी उंगली से रगड़कर मसल दे रहे थे.
इससे मैं चिल्लाने लगी, ‘आह … ओह और तेज़ चोदो … और फास्ट और जोर से … आह फक मी!’
मैं चरम पर पहुँच गई थी और झड़ने लगी.
मेरी सांसें पूरी तरह फूल रही थीं और मैं बिस्तर पर गिरने लगी.
हम दोनों इतनी ठंड में भी पसीने से तर-बतर हो गए थे.
मुकेश एक मिनट रुके रहे और मुझे संयत होने का मौका दिया.
फिर मुकेश मेरे ऊपर लेट गए.
इन्होंने मेरी दोनों टांगें मोड़ दीं और मुझे किसी कुर्सी की तरह उठा लिया.
अब मुकेश मुझ पर पूरी ताकत से पिल पड़े और मेरी चूत में धक्के मारते हुए चोदने लगे.
इस समय इनका लंड भी पूरा गीला था.
इन्होंने फुर्ती से चूत से लंड निकाला और मेरी गांड में पेल दिया.
मैं एक पल के लिए चिहुँकी- आपने अपना लंड गलत जगह पेल दिया है!
मुकेश ने कहा- हां जान, मुझे मालूम है. कभी-कभी उधर का मज़ा भी ले लेना चाहिए!
वे मेरी गांड जबरदस्त तरीके से मारने लगे.
मुझे अच्छा लगने लगा.
मेरी गांड अब तक काफी खुल चुकी थी.
फिर मैंने इनसे कहा- आप कल जैसी चुदाई करो. आगे-पीछे बारी-बारी से मुझे पेलो.
मुकेश समझ गया कि लौंडिया मस्त हो गई है. अब ये कभी मेरी चूत में लंड पेल देते, तो कभी मेरी गांड मारने लगते.
कुछ ही देर की इस मस्ती भरी चुदाई के बाद ये भी अपने आखिरी दौर में आ गए और झड़ने के करीब थे.
मुकेश ने इस बार अपना पूरा पानी मेरी चूत और गांड को पिलाया.
मेरी चूत की बच्चेदानी तक इनका लंड पानी छोड़ने लगा था.
इनका पानी महसूस करके मैं भी फिर से झड़ गई.
मेरी चूत ने इनके लंड से सारा पानी निचोड़ लिया था.
जब मुकेश का लंड चूत से निकला, तो इस बार मुझे हल्का-सा दर्द होने लगा.
मैंने इनके लंड को अपने मुँह में डाल दिया और चूसने लगी.
इस समय मेरी चूत इनके मुँह पर थी.
मुकेश ने मेरी चूत चाटकर साफ कर दी.
मुझे भी चूत चटवाने से राहत मिल गई.
फिर इन्होंने अपने मोबाइल से मेरी फटी चूत और गांड की फोटो खींची और अपनी एक्स-वाइफ हर्षा को भेज दी.
हर्षा ने फोटो देखकर कहा- ये किसकी सूजी हुई चूत है? बेचारी की चूत का क्या हाल कर दिया है तुमने!
इन्होंने बताया- ये जुगनी की चूत है. मैंने फाड़ दी है.
वह बोली- ठीक किया … और चौड़ी कर उस रंडी की चूत को … साली को बहुत गर्मी चढ़ी थी.
हर्षा की बात सुनकर मुकेश समझ गया कि हर्षा को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह किसे चोद रहा है. उसको सिर्फ बच्चों से मतलब था. वह भी हर्षा के कहने पर मुझे चोद रहा था.
करीब दो घंटे बाद मैं नहाने गई.
नहाकर तौलिया लपेटकर जैसे ही बाहर निकली, इन्होंने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और वहीं छोटी-सी बेंच टाइप की टेबल पर लेटा दिया.
मैं हंसने लगी.
इन्होंने मेरी टांगें चौड़ी कीं और मेरी खुली चूत में पूरे जोर से लंड पेल दिया.
मैं जैसे-तैसे इनके लंड को झेल गई और कराहने लगी.
इनके लंड को उस वक्त न जाने क्या हुआ था कि मुकेश ने वहीं पर मेरी चूत में गधे की तरह लंड पेलकर मुझे चोदता रहा.
छोटी-सी टेबल की वजह से मेरा सिर पीछे को लटक गया था.
इन्होंने मुझे वह भी ठीक नहीं करने दिया … बस मुझे चोद-चोदकर पूरा खोल दिया था.
झड़ने के वक्त मुकेश ने मेरे मुँह में पूरा लंड डाल दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे.
जब पानी निकलने वाला था तो इन्होंने मेरे मुँह में पूरा लंड अन्दर घुसा दिया.
मेरा सांस लेना भी मुश्किल हो गया था.
जब तक लंड खाली नहीं हुआ, मुकेश वैसे ही धक्के मारते रहे.
पूरा पानी निकालने के बाद मुकेश उठकर नहाने चले गए.
मैं अभी भी बेंच पर वैसे ही लेटी थी. मेरी तबीयत थोड़ी बिगड़ी-सी लग रही थी. मेरा पूरा शरीर दर्द कर रहा था पर मुझे मज़ा भी बहुत आया था.
फिर मैंने उठकर अपनी दोनों टांगें चौड़ी कीं और आईने में देखते हुए खुद से बोली- ये क्या किया आपने … आपने मेरी छोटी-सी चूत का भोसड़ा बना दिया और गांड भी देख … साला गड्ढा-सा खोद दिया.
मुकेश हंसने लगा और बोला- तुझे बड़ी खुजली थी न … अब मज़ा ले. अब तो तू किसी गधे का लंड भी ले लेगी.
मैं बोली- हां साले, हाथी का लंड ले लिया … तो गधे का लंड क्या चीज़ है!
मुझे अब भी यकीन नहीं था कि मुकेश ने मेरी चूत को चोदकर इतनी चौड़ी कर दी थी.
उस वक्त मैंने एक उंगली डाली, तो जरा भी महसूस नहीं हुआ.
फिर मैंने दो उंगलियां डालीं, फिर तीसरी डाली, तब थोड़ा महसूस हुआ कि कुछ घुसा है.
मैं बोली- साले, पहले एक उंगली डालती थी तो चूत में बहुत दर्द होता था. आज तीन उंगलियां डाल रही हूँ, तब भी कुछ नहीं हो रहा है.
मैं वहीं कुर्सी पर बैठ गई.
ये मुझे पीछे से चूमने लगे और चूत में उंगली करने लगे.
मेरे छोटे-छोटे दूध, जो अब बड़े नज़र आ रहे थे, को दबोच-दबोचकर मसलने लगे.
मेरे दूध इस समय टमाटर की तरह लाल-लाल हो गए थे.
कुछ ही देर में मैं गर्म हो गई, मतलब लंड लेने को तैयार थी.
मुकेश ने मुझे डॉगी स्टाइल में किया और लंड चूत में डालकर मुझे टोकते हुए आईने के करीब ले गए.
मैं आईने में खुद को चुदते हुए देखने लगी.
मुकेश कभी मेरी चूत में लंड डाल रहे थे तो कभी गांड में.
मैंने इस समय अपनी चूत और गांड को ढीला छोड़ा हुआ था.
इनके लंड ने अब मेरी चूत और गांड में अपने लिए जगह बना ली थी इसलिए बड़ी आसानी से इनका लंड मेरी चूत और गांड में जा रहा था.
इन्होंने मुझे लंड का चूत में अन्दर-बाहर होना भी दिखाया.
फिर मैं भी उसी पोजीशन में खुद आगे-पीछे होने लगी और हर धक्के को आईने में देखकर चुदाई का मज़ा लेने लगी.
मैं बोली- कितना हसीन पल है. कल तक मैं अपनी चूत आईने में देखती थी और सोचती थी कि कब इस चूत में लंड जाएगा … और आज देखो, कैसी 10-12 बच्चे वाली औरत जैसी चूत हो गई है मेरी!
इन्होंने हंसकर मुझे उठाया और अपनी गोद में बिठाकर चोदने लगे.
फिर बोले- कोई बात नहीं जान, मैं तुम्हें 10-12 बच्चों की माँ बना दूँगा.
मैं शर्मा गई और बोली- धत!
कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए.
अब दोनों में से किसी में जान नहीं बची थी.
दोस्तो, आप लोगों को मेरी ये सेक्स एडिक्ट कहानी कैसी लगी मुझे नीचे कमेंट बॉक्स जरूर बताना.
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