गाँव की भाभी खेत सेक्स कहानी में एक चरवाहे ने खेतों में काम करने वाली एक सेक्सी देसी भाभी की चूत मारी. उसने मूतने के बहाने से अपना लंड भाभी को दिखाया था.
दोस्तो, मेरा नाम सुरेश है.
मैं एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं.
मेरा काम बकरियों को चराना है. मैं हर रोज बकरियों को चराने के लिए खेत ले जाता हूं.
इस गाँव की भाभी खेत सेक्स कहानी को सुनाने से पहले मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि मेरी उम्र 23 साल है.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि इस उम्र में वासना की गर्मी अत्यंत भड़क जाती है.
उसी के चलते मेरे साथ जो बीता, वही आज मैं आपको सुना रहा हूं.
बात मई महीने की है.
उन दिनों भीषण गर्मी रहती है और बकरियों को चारा चराने हेतु काफी दूर-दूर तक जाना पड़ रहा था.
मैं अपने गांव से कुछ दूरी पर दूसरे गांव गया था और बकरियां चरा रहा था.
वहीं कुछ दूरी पर खेतों में कुछ औरतें काम कर रही थीं.
तभी मुझको बहुत गर्मी लगने लगी, तो मैंने देखा कि जहां औरतें काम कर रही हैं … वहीं पर एक बड़ा सा छायादार पेड़ है.
मैं वहीं जाकर बैठ गया और आराम करने लगा.
बकरियां अपने आप से चारा चरने लगी.
मैं अभी कुछ ही देर बैठा था कि अचानक से मेरी नजर एक औरत के जिस्म पर जा पड़ी.
वे सब औरतें खेतों में काम कर रही थीं, और पानी से भीगी हुई थीं … जिससे उनके बदन कमोवेश पूरे भीगे हुए दिख रहे थे.
बाकी की सब औरतें तो झुक कर काम कर रही थीं, जिससे उनके बड़े बड़े दूध हिलते हुए दिख रहे थे. उनमें से एक भाभी के दूध कुछ ज्यादा ही मदमस्त दिख रहे थे।
इतनी भयंकर गर्मी में तरावट वाले इस दृश्य को देख कर मुझे मजा आने लगा था.
मैं बैठे-बैठे उसके थन देख रहा था और उसके थनों से मेरी नजर भी नहीं हट रही थी, मैं एकटक देखे जा रहा था.
चूंकि मैंने अब तक कभी भी सेक्स नहीं किया था और मेरी जवानी मुझे भड़कने पर मजबूर कर रही थी.
इस कारण से मेरी नजर हट नहीं रही थी.
फिर कुछ देर बाद उस भाभी ने मुझको उसे इस तरह से देखते हुए देख लिया.
उसने झट से अपनी साड़ी संवार कर अपने दूध ढक लिए.
अब मेरी नजर उसकी नजरों से मिली तो मैंने अपनी नजर वहां से हटा ली.
कुछ देर तक तो मुझे यह लगता रहा कि वह अभी मेरे पास आकर मेरे ऊपर चिल्लाएगी या उधर से ही मुझे कुछ गालियां देगी.
पर उसने गुस्से भरी नजरों से मुझको देखा तो सही, पर वह मेरे ऊपर चिल्लाई नहीं.
फिर कुछ देर बाद मैं वहां से चला गया क्योंकि मुझको डर था कि यदि मैं कुछ देर इधर और रुका तो वह अपनी साथ वाली औरतों से कुछ कह कर मेरे ऊपर चिल्लाएगी … या चिल्लाने से आगे भी कुछ और हो सकता है.
इसलिए मैं वहां से उठ कर आगे निकल गया और उन सबसे दूर जाकर अपनी बकरियों को चराने लगा.
बकरी चराने का काम खत्म होने के बाद मैं वहां से वापस चल दिया और उस औरत के बारे में ही सोचता रहा.
मुझे उसके दूध फिर से नजर आने लगे और मेरे लंड ने आंदोलन करना शुरू कर दिया.
उस वक्त चारों तरफ सुनसान था तो मैंने एक खेत में जाकर अपने लौड़े को हाथ में ले लिया और सहलाने लगा.
उस वक्त मेरी आंखें मुंद गई थीं और अंतर्मन में उस औरत के बड़े बड़े दूध ही हिल रहे थे.
उसके मम्मों की कल्पना से लंड कड़क होता गया और मैंने सुनसान का फायदा उठाकर मुठ मारना चालू कर दिया.
कुछ ही समय में लंड ने धार मार दी और मैं अपने लंड को कुछ देर मसलता रहा.
फिर जब लंड ढीला हुआ तो पेशाब करके अपने लौड़े को अन्दर किया और आस-पास लगे पत्तों से हाथ रगड़ कर साफ कर लिए.
अब मैं आपको उस औरत के बारे में कुछ बता दूँ.
उसके काफी बड़े दूध थे और वह दिखने में करीब 35 से 38 साल के बीच की उम्र की रही होगी. उसका रंग सांवला था, पर फिगर कमाल का था.
उसके बारे अभी सोच सोच कर फिर से मुठ मारने का मन करने लगा था.
मैंने वापस से मुठ मारी और पानी निकल गया तो शांत हो गया.
फिर शाम हो गई और मैं अपनी बकरियां लेकर अपने घर की ओर चला गया.
रात में भी मैं उसी के बारे में सोचता रहा कि उस औरत को मैं कैसे पेलूँ.
अगली सुबह मैं पुनः अपनी बकरियों को लेकर उन्हें चराने के लिए चला गया.
मानव मन हरामी होता है.
तो मैं आज फिर से उसी जगह आ गया और उसी पेड़ के नीचे बैठ गया.
पर आज वहां कोई नहीं था, कोई भी औरत खेतों में काम नहीं कर रही थी.
कुछ देर तक मैं ऐसे ही बैठा रहा.
तभी अचानक से वही औरत खेतों में काम करने आई.
मैंने सोचा कि इसकी साथ वाली भी आ रही होंगी.
पर आज वह अकेली ही आई थी.
उसके पीछे दूर दूर तक कोई औरत नहीं दिख रही थी.
शायद उनको आज नहीं आना होगा.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वह अपने खेत में अकेली काम कर रही थी.
मैं बार बार यही सोच रहा था कि आज जोर से आवाज देकर उससे बात करूंगा, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.
उधर उस औरत ने अपना काम चालू कर दिया था.
वह कल के जैसे फिर से झुक कर काम करने लगी थी.
मेरी नजर भी फिर से उसके मम्मों पर गई और मैं देखने लगा.
वह औरत मुझको पेड़ के नीचे बैठे हुए देख चुकी थी और शायद समझ गई थी कि मैं उसकी ओर देख रहा हूँ और उसके मम्मों को देख रहा हूँ।
मैंने ध्यान दिया कि इस बार उसने मुझे गुस्से वाली नजरों से नहीं देखा और वह बेखबर होकर अपना काम कर रही थी.
मैं कुछ देर तक ऐसे ही देखता रहा और सोचता रहा कि उसको किस प्रकार के संकेत दूँ, जिससे वह समझ जाए कि मैं उसको चोदना चाहता हूं.
तभी मैंने अपने लोअर के ऊपर से ही अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
मैं आपको बता दूं कि गर्मी ज्यादा होने के कारण मैं लोअर पहन कर बकरियां चराने जाता था.
तभी उसकी नजर मेरी तरफ पड़ी, तो मैं अपने लोवर के अन्दर हाथ डालकर अपने लंड को सहलाने लगा था.
मैं सोच रहा था कि काश उसकी नजर मेरी तरफ पड़ जाए और वह देखे कि मैं अपने लौड़े को सहला रहा हूँ.
इस बात से उसके मन में भी कुछ ख्याल आए और काम बन जाए.
कुछ देर तक मैं ऐसे ही करता रहा.
उसकी नजर मेरी तरफ बार बार पड़ रही थी, यह मैं देख चुका था.
इस बार वह मुझे ध्यान से देखने लगी.
तो मुझको कुछ देर तो लगा कि वह अब मेरे ऊपर चिल्लाएगी.
पर डर जरा भी नहीं था क्योंकि खेत में हम दोनों ही थे.
इस कारण से मेरी हिम्मत बढ़ गई.
कुछ देर बाद वह मुझे देखकर मुस्कुराई और मुस्कुराते हुए ही उसने अपना मुँह मेरी तरफ कर दिया.
यह सब देख कर मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं सोचने लगा कि हंसी तो फंसी.
अब मैं जानबूझ कर पेशाब करने के बहाने खड़ा हो गया.
मैं उसी की ओर अपना लोअर नीचे करके खड़ा हुआ और अपना लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लगा.
वह औरत मेरा लंड देखने लगी और उसने मुस्कुरा कर अपना सर नीचे कर दिया.
मैंने हिम्मत करके उसको इशारे से अपनी ओर बुलाया.
वह भी हंसती हुई मेरी ओर आने लगी.
वह मेरे करीब आकर बोली- यह सब क्या कर रहे हो?
मैंने भी बोला- कुछ नहीं, बस गर्मी थी तो निकाल रहा था!
वह भी बोलने लगी- अपनी गर्मी ऐसे ही क्यों निकाल रहे हो, निकालना है तो मेरे ऊपर निकालो.
उसके मुँह से यह सब सुनते ही मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया.
मैंने आगे बढ़ कर तुरंत उसको गले से लगा लिया और किस करने लगा.
उसने मुझको धक्का दिया और कहने लगी- यहां नहीं कर सकते!
मैं भी बोला- तो कहां करेंगे, अब मैं और नहीं रुक सकता!
उस औरत ने कहा- हमारे खेत में पंप हाउस है, वहां चलते हैं.
वह चल दी तो मैं भी तुरंत उसके पीछे पीछे चला गया.
पंप हाउस के अन्दर जाते ही मैंने सबसे पहले दरवाजा बंद किया और उसको देखने लगा.
वह इठलाने लगी.
मैंने उससे उसका नाम पूछा.
उसने अपना नाम सुनीता बताया और कहा- क्यों नाम से क्या करना है!
अब मैं अपने आप को रोक ही नहीं पाया और उसको अपने गले से लगाकर किस करने लगा.
वह भी मेरा साथ देने लगी.
बस फिर क्या था … सबसे पहले मैं उसकी साड़ी को निकालने लगा.
जल्दी ही वह ब्लाउज और पेटीकोट में थी और बड़ी गजब ढा रही थी.
उसके बड़े बड़े बूब्स तो मानो जैसे ब्लाउज फाड़ कर बाहर ही निकल आएंगे.
वह अपने दूध उठा कर मुझे ललचाने लगी.
यह सब देख कर मैं अपने आप को रोक नहीं सका और ब्लाउज के ऊपर ही उसके मम्मों को दबाने लगा.
वह कामुक सिसकारियां लेने लगी- आह आह आह धीरे करो न … आह मर गई मां!
वह यह बोलकर सिसयाने लगी तो मैं और अधिक उत्तेजित हो गया और अपने दोनों हाथों से उसके दोनों मम्मों को और जोर से दबाने लगा.
फिर मैंने उसके ब्लाउज को निकाल कर दूर फेंक दिया.
वह ऊपर केवल काले रंग की ब्रा में रह गई थी.
मैंने उसके पेटीकोट के नाड़े को भी ढीला किया तो वह सरसराता हुआ टांगों में गिर गया.
उसने अपने पेटीकोट को टांगों से निकाल कर दूर फेंक दिया.
वह केवल ब्रा पैंटी में रह गई थी.
मैं अपने एक हाथ से उसके बूब्स को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा.
वह और ज्यादा मादक सिसकारियां भरने लगी- आह … मेरी चूत में कुछ हो रहा है!
मैंने उससे पूछा- तेरे पति कुछ नहीं करते क्या?
वह बोली- नहीं, वह एक शराबी है और वह कुछ नहीं करता है.
मैं समझ गया कि इसी लिए यह औरत सेक्स की भूखी है.
सच बोलूं तो वह ब्रा और पैंटी में गजब का माल दिख रही थी.
मैंने उससे कहा- मेरा चूसेगी?
सुनीता तुरंत बोली- हां.
वह तुरंत ही नीचे बैठ गई और उसने झटके से मेरा लोअर नीचे करके लंड बाहर निकाल लिया और अगले ही पल किसी जौंक की तरह कर उसने लंड को मुँह में भर लिया.
आह क्या बताऊं दोस्तो, उस टाइम तो मैं जन्नत की सैर कर रहा था.
मेरा लंड उसके मुँह में पूरा चला गया था और वह बड़े मजे से लौड़े को चूस रही थी.
शायद ऐसा इसलिए था क्योंकि उसको बहुत दिनों बाद लंड मिला था.
कुछ देर तक मेरे लंड को चूसने के बाद वह मेरी उंगली की तरफ देखने लगी और अपनी कमर हिलाने लगी.
मैं उसकी चूत में उंगली करके उसे मदहोश कर रहा था.
चूत में उंगली करने से ही वह इतनी ज्यादा सिसकारियां लेने लगी थी कि मुझे और तेज तेज उंगली करना अच्छा लगने लगा.
वह मस्ती से अपनी कमर को हिलाती हुई आवाज करने लगी- आह हां … आ आआ आह … आई उई मर गई मैं आह अब मुझे चोद दो मेरे राजा … आह अब नहीं रुक सकती … जल्दी से चुदाई करो मेरी … यह अपना लंड मेरी चूत में डालो … आह अब और नहीं रुक सकती!
मैंने अपना लंड उसकी चूत में सैट किया और एक धक्का लगा दिया.
लंड फिसल गया क्योंकि वह काफी दिनों से चुदी ही नहीं थी इसलिए उसकी चूत काफी कस गई थी.
मैंने फिर से एक बार और लौड़े को सैट किया और धक्का लगाया.
इस बार धक्का लगाने से मेरा आधा लंड अन्दर घुस गया और वह चिल्ला उठी- मर गई रे … अपना आह लंड निकालो बाहर … आह मेरी फट गई रे मेरी चूत … आ आ आह आई मर गई मां आह!
उसकी दर्द भरी सिसकारियां मेरी उत्तेजना को बढ़ाने लगी थीं.
मैंने उसकी चीख पर ध्यान न देते हुए फिर से एक और धक्का लगा दिया.
इस बार मेरा पूरा लंड अन्दर चला गया और उसकी चीख दुगनी तेज हो गई.
वह गाली देती हुई बोली- आह साले, सुन क्यों नहीं रहा … मैं मर गई भोसड़ी के आराम से कर ना … आह मैं मर गई आ आ आह!
मैं मस्ती से लगा रहा और उसकी चूचियों की मां चोदने लगा.
कुछ देर बाद उसको भी मजा आने लगा और वह मेरे लंड से मुकाबला करने लगी.
थोड़ी देर बाद मैंने उसको डॉगी स्टाइल में खड़ी किया और पीछे से चुदाई करने लगा.
डॉगी स्टाइल में मैंने उसके बालों को पकड़ कर खींचा और जोर-जोर से धक्का देने लगा.
मेरा लंड उसकी चूत में जाकर पच पच पच की आवाज करने लगा.
शायद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था इसलिए उसको बहुत मजा आने लगा था.
फिर मैंने उसको वापस नीचे लेटा कर हचक कर चोदना शुरू किया तो वह अपनी दोनों टांगें हवा में उठा कर चुदने लगी.
मैंने कम से कम आधा घंटा तक गाँव की भाभी खेत सेक्स करके चोदा.
फिर मेरा पानी निकल गया और वह भी शांत हो गई.
वह उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी.
मैंने भी अपने कपड़े पहने और हम दोनों कुछ देर तक बैठ कर आराम करने लगे.
वह बोली- जब भी चोदने का मन हो, तो तुम यहीं खेत में आ सकते हो.
मैंने हां कह दी और अपनी बकरियों को लेकर चला गया.
अब तक मैं उसकी फुदी 20 से ज्यादा बार ले चुका हूं. वह बड़ी कड़क माल है. उसे चोदने में मजा आता है.
दोस्तो, आपको यह गाँव की भाभी खेत सेक्स कहानी पढ़कर अच्छी लगी होगी.
तो मुझे कमेंट्स में जरूर बताएं.