सेक्सी न्यूड भाभी कहानी में मेरे पड़ोस में नयी भाभी आई.एक दिन सुबह मैंने उसे छत पर नंगी नहाती देखा. मेरा दिल उसकी चूत चोदने को करने लगा. मैंने उससे दोस्ती की.
दोस्तो, मेरा नाम भास्कर है. मैं वर्तमान में मेरठ में रहता हूँ और बी.एस.सी की पढ़ाई कर रहा हूँ.
पढ़ाई करने के लिए मैं घर से दूर अकेला रहता हूँ और जहां मैं रहता हूँ, वह हमारा ही एक पुराना वाला घर है जिसमें मैं अकेला रहता हूँ.
जिस कॉलोनी में हमारा घर है, वहां आस पास में ज्यादातर लोग किराये पर रहते हैं.
बी.एस.सी फाईनल ईयर के समय जब मैं यहां अपने पुराने घर में रहने आया था तो उसके करीब एक हफ्ते बाद ही मेरे घर के सामने वाले मकान में एक नव विवाहित जोड़ा किराये पर रहने आया था.
उनके आने के 2 दिन बाद तक तो मैंने किसी पर कोई ध्यान नहीं दिया क्योंकि मुझे औरतों की तरह कानाफूसी करने का शौक नहीं था.
उनके आने के दो दिन बाद ही जब मैं अपने घर के बाहर बैठा था तो मैंने देखा कि नये जोड़े वाला पुरुष अपना बैग लेकर कहीं बाहर जा रहा था और महिला उसे गली के बाहर तक छोड़ने जा रही थी.
जैसे ही मैंने उस महिला को देखा तो मैं देखता ही रह गया.
क्या गजब की गोरे रंग की खूबसूरत महिला थी वह!
उसने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी.
यह सेक्सी न्यूड भाभी कहानी इसी की है.
उस नव विवाहित महिला की उम्र यही कोई 27-28 साल के बीच रही होगी.
उसके जिस्म की बनावट बहुत ही आकर्षक और सेक्सी थी.
मैं उस महिला के लौटने के इंतजार में वहीं अपने घर के बाहर चबूतरे पर बैठा रहा.
कुछ मिनटों के बाद वह महिला गली के बाहर से अकेली लौटी … और मुझे देखने लगी.
जब वह मुझे देख रही थी तो मैं तो पहली ही नजर में उसे देख कर मोहित हो गया था.
उसकी तिरछी भौंहों वाले कटीले नैन और लाल कलर की लिपस्टिक में रसीले होंठों ने तो जैसे मुझे उसका दीवाना बना दिया था.
फिर उसने अपने घर में जाकर दरवाजा बंद कर लिया.
रोजाना सुबह करीब 6 बजे उठकर मैं हल्का होने के लिए छत पर बने बड़े अटैच बाथरूम में जाता था.
उसमें एक छोटा सा जंगला था, जिसमें से सामने वाले मकान की छत साफ साफ दिखती थी.
हल्का होने के बाद जैसे ही मैं नहाने बैठा तो मुझे उस जंगले के माध्यम से सामने वाले मकान की छत से कुछ आवाजें आती सुनाई दीं.
पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया क्योंकि आज से पहले मुझे उस छत से कोई आवाज नहीं सुनाई देती थी और आज आने लगी थी तो देखने की चुल्ल हुई.
सामने वाले नव विवाहित जोड़े के आने से पहले वह मकान खाली ही रहता था.
जंगला ऊंचाई पर था, तो मैं खाली बाल्टी को उल्टा करके उस पर चढ़ गया और जंगले के बाहर सामने वाली छत पर झांकने लगा.
जैसे ही मेरी नजर जंगले के बाहर पड़ी, तो मुझे वहां एक नीली साड़ी और एक पैंट शर्ट सूखते हुए दिखाई दिए.
साड़ी को देखते ही मैं समझ गया कि ये तो वही साड़ी है, जिसमें मैंने कल सामने वाली भाभी को देखा था.
मैंने फटाक से उस जंगले से छत पर नजर डाली.
तो देखा कि छत पर सामने वाली भाभी रस्सी पर कपड़े सुखा रही थी और उसने केवल काले रंग की ब्रा और काले रंग का पजामा पहन रखा था.
यह देख कर तो जैसे मेरी लॉटरी ही निकल पड़ी थी.
मैं भाभी की गोरी छाती, सेक्सी कमर और पूरी खुली हुई गोरी पीठ को छिप छिप कर ताड़े जा रहा था.
यह कामुक नजारा देखते ही देखते मेरा लंड फूलने लगा और मात्र कुछ ही सेकंड में तन कर खड़ा हो गया.
फिर कपड़े सुखाने के बाद भाभी ने अपना पजामा भी उतार कर एक टब में डाल दिया.
पजामा उतरते ही मुझे भाभी की काली चड्डी भी दिखाई थी.
अब भाभी केवल चड्डी और ब्रा में ही थी और वहीं छत की दीवारों के कोने में बैठ कर नहाने लगी.
सामने वाले मकान की छत की दीवारें ऊंची थीं जिसकी वजह से पड़ोस के मकानों की छतों से उस छत को कोई देख नहीं पाता था.
हमारे मकान की छत से भी वहां देख पाना मुश्किल था, लेकिन छत पर बना अटैच बाथरूम छत के उस कोने में बना था, जहां से सामने वाली भाभी के मकान की छत दिख जाती थी.
फिर भाभी ने अपनी ब्रा को भी उतार दिया और उसे साबुन और कपड़े धोने के ब्रश से रगड़ रगड़ कर धोने लगी.
अब भाभी सिर्फ काले रंग की चड्डी में ही थी.
ब्रा को रगड़ रगड़ कर धोने की वजह से भाभी की खुली हुई गोल गोल चिकनी चूचियां गजब हिल रही थीं.
उसकी रसभरी नारंगियों को थिरकता देख कर तो मेरा लंड तन कर इतना सख्त हो गया मानो चड्डी फाड कर ही छेद कर डालेगा.
खैर … मेरे तने हुए लंड को छेद की तलाश तो थी ही और वह तलाश थी उस नहाती हुई भाभी की चूत के छेद की तलाश.
मैं बाथरूम में चड्डी पहने हुए गीला खड़ा था.
खड़े हुए लंड के बढ़ते तनाव की वजह से मैंने अपनी चड्डी उतार दी, जिससे मेरा सख्त लंड फुदक कर बाहर आ गया.
अब मैं पूरा नंगा होकर सामने वाली अपनी छत के बाथरूम के जंगले से उसकी छत पर भाभी को नहाते हुए देखता रहा.
नहाते समय भाभी के तन बदन से होकर गुजरता पानी ऐसे प्रतीत हो रहा था मानो मेरे सामने कोई जल परी भीगी हुई नाच रही हो.
भाभी को छिप छिप कर नहाता देख कर मैं तो बिल्कुल जोश में ही आ गया था!
मैंने अपने एक हाथ से अपने फूले हुए तन कर खड़े लंड को पकड़ा और भाभी को नहाते देख कर लंड की खाल को ऊपर नीचे करने लगा … मतलब मुट्ठ मारने लगा.
भाभी नहा चुकी थी और अब उसने अपनी चड्डी भी उतार दी.
आह … भाभी बिल्कुल नंगी थी!
मैं तो बस भाभी के गोरे और चिकने गीले बदन को देखता ही रह गया.
भाभी की गोल गोल कसी हुई चूचियां और चिकनी चूत का हिस्सा तो जैसे देखने लायक था.
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.
ऐसा लग रहा था जैसे भाभी ने कल ही अपनी झांटें बनाई हों.
फिर भाभी नंगी ही बैठ कर अब अपनी चड्डी को धोने लगी.
चड्डी धोने के बाद भाभी ऊपर उठी और उठकर पीछे की ओर मुड़कर रस्सी पर अपने धोई हुई ब्रा और चड्डी को सुखाने लगी.
उस समय मैं भाभी की मस्त गोरी और गोल घुमावदार गांड को देख कर उसका दीवाना हो गया था.
भाभी की गांड के बीच की गहरी लकीर तो इतनी आकर्षित करने वाली लग रही थी कि पूछो ही मत!
फिर भाभी आगे आई और अपने बालों और बदन को सफेद रंग के तौलिये से पौंछने लगी और बाल पौंछने के बाद भाभी ने उसी तौलिया को अपने बालों पर लपेट लिया.
उस समय तक भाभी पूरी नंगी ही थी, बस बालों में तौलिया बंधा हुआ था.
फिर मैंने अपना फूला हुआ लंड पकड़कर जोर जोर से मुट्ठ मारना शुरू कर दिया और कुछ ही पलों में मैं झड़ गया.
मेरे लंड का सफेद पानी (वीर्य) बाथरूम की फर्श पर टपकने लगा और सामने वाली भाभी को नंगी देख कर मुट्ठ मारने का अनुभव बहुत ही नया और आनंदित कर देने वाला था.
अब भाभी ने सबसे पहले एक सफ़ेद रंग की जालीदार ब्रा और जालीदार चड्डी पहनी.
उसके बाद उसने एक लाल रंग की नाईटी पहनी और छत का दरवाजा बंद करके नीचे चली गई.
पिछ्ला आधा घंटा मेरे लिए बहुत ही मजेदार और लॉटरी लगने जैसा था.
फिर मैं भी नहा कर नीचे आ गया और तैयार होकर कॉलेज चला गया.
उस दिन मेरा मन कॉलेज में बिल्कुल नहीं लग रहा था क्योंकि पूरा दिन मेरे दिमाग में सामने वाली भाभी का नंगा जिस्म ही घूम रहा था जिसे मैं चाहकर भी नहीं भुला पा रहा था.
उसी रात करीब 10 बजे मैं अपने बिस्तर पर पड़ा भाभी के ख्वाबों में खोया हुआ था.
सुबह सामने वाली भाभी को नंगी नहाते देख मेरे मन में भाभी के लिए एक अजीब सा आकर्षण उत्पन्न हो रहा था.
मैं कैसे भी करके सामने वाली भाभी को पाना चाहता था और उसके सेक्सी जिस्म का स्वाद चखना चाहता था.
मेरे लंड में एक अलग ही फड़फड़ाहट थी, जिसे मैं चाह कर भी शांत नहीं कर पा रहा था.
मेरा ध्यान उस बात की ओर गया कि जब भाभी अपनी ब्रा और चड्डी छत की रस्सी पर सुखा रही थी तो पीछे से उसकी गांड क्या कयामत ढहा रही थी.
मैंने मन में ठान लिया था कि कैसे भी करके मुझे वह गोल गांड पानी ही होगी.
फिर मुझे याद आया कि मेरे घर की छत और सामने वाली भाभी के मकान की छत बहुत ही पास पास है, जहां से मेरे जैसा 5 फुट 8 इंच लंबा बंदा आसानी से कूद कर आ-जा सकता है.
यह सोचते ही मैं जल्दी से छत पर चला गया. छत पर अंधेरा था लेकिन इतना भी नहीं था कि कुछ दिखाई ही न दे.
मैंने आस पास की छतों पर नजर दौड़ाई तो वहां से पड़ोस की छतों पर कोई हलचल नहीं थी.
मैं रात के अंधेरे में बड़ी आसानी से सामने वाली छत पर कूद कर चला गया और रस्सी पर सूख रही भाभी की काले रंग की ब्रा और चड्डी उतार कर नीचे अपने कमरे में ले आया.
फिर मैंने भाभी की चड्डी को उल्टा करके आगे वाले उस हिस्से से सूँघा, जिस हिस्से पर चड्डी भाभी की चिकनी चूत को स्पर्श करती थी.
इसी तरह मैंने भाभी की चड्डी को पीछे से गांड वाले हिस्से से सूँघा.
उसके बाद मैंने भाभी की उस चड्डी को अपनी चड्डी के भीतर घुसा कर लंड से लपेट लिया.
इसके बाद मैं भाभी की ब्रा को उल्टा करके उस हिस्से से सूँघने लगा, जहां ब्रा भाभी की गोल कसी हुई चूचियों को स्पर्श करती थी.
मैंने चड्डी के संग-संग भाभी की ब्रा को भी अपने लंड पर लपेट लिया और उन्हें जोर जोर से अपने लंड पर रगड़ने लगा.
कुछ देर तक ऐसे ही रगड़ने के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने जल्दी से भाभी की चड्डी और ब्रा को अपने लंड से हटाया और झड़ते समय अपने लंड से निकले वीर्य को भाभी की चड्डी के आगे चूत वाले हिस्से पर छपा दिया.
अब वीर्य चड्डी पर चिपका हुआ था तो मैंने इसी तरह वीर्य को थोड़ा थोड़ा लेकर भाभी की चड्डी को उल्टा करके गांड वाले हिस्से पर भी मल दिया और बाकी बचे वीर्य को ब्रा के अन्दर चूचियों वाले हिस्से पर मल दिया.
इतना करने के बाद मैंने भाभी की ब्रा और चड्डी को लिया और सामने वाली भाभी की छत पर जाकर रस्सी पर उसी जगह सूखने डाल दिया जहां से मैंने उन्हें उतारा था.
मैं अपने कमरे में आ गया और सोचने लगा कि सामने वाली भाभी की चूत और गांड न सही, लेकिन उसकी चड्डी तो मिली सेक्स करने के लिए.
यही सब सोचते सोचते मैं सो गया.
अगला दिन रविवार होने के बावजूद भी मैं सुबह जल्दी उठा और जल्दी से अपनी छत पर बने बाथरूम में चला गया.
क्योंकि यह वही समय था जिस समय पर कल सुबह सामने वाली भाभी अपनी छत पर नहा रही थी.
थोड़ी ही देर में भाभी वहां आई और नहाने बैठ गई.
भाभी की छत पर एक सीमेंट का टैंक बना हुआ था, जिसमें पानी भरा रहता था.
भाभी उसी पानी से नहाती थी.
अब भाभी नहा रही थी तो मैं कल की तरह ही भाभी को नंगी नहाते देख उत्साहित और कामुक हो रहा था.
नंगी नहाती भाभी का गोरा बदन और गोल कसी हुई चूचियां और घुमावदार गांड को देख देख कर तो जैसे मेरा तन बदन मचला जा रहा था.
ऐसा मन कर रहा था जैसे कि अभी सामने वाली छत पर कूद कर चला जाऊं और नंगी नहाती भाभी पर टूट पड़ूँ.
लेकिन मैंने अपने मन को काबू में किया और नंगी नहाती भाभी के बदन के एक एक अंग को गौर से देखने लगा.
नहाते नहाते भाभी के हाथ से साबुन छूट कर गिर गया और फिसल कर पीछे मोरी की ओर चला गया.
भाभी की आंखों पर साबुन लगा था, तो भाभी आंखें बंद किए हुए ही यहां-वहां साबुन को टटोलने लगी.
फिर भाभी पीछे मुड़ी और घुटनों के बल बैठकर पीछे मोरी की तरफ साबुन को टटोलने लगी.
क्या बताऊं दोस्तो, क्या मस्त सीन था सेक्सी न्यूड भाभी का!
जब भाभी पीछे मुड़कर घुटनों के बल आगे की ओर झुककर साबुन टटोल रही थी, तो मुझे भाभी की गांड का सुहावना नजारा देखने को मिल रहा था.
आखिर में भाभी जब और आगे झुकी, तो भाभी की गांड चौड़ा गई और मुझे भाभी की गांड का छेद भी दिखाई दे गया.
क्या मस्त पल थे यार वे … जिसे मैं अब तक भुला ही नहीं पा रहा हूँ.
फिर जब भाभी नहा कर फारिग हुई तो भाभी ने वही कल वाली काली ब्रा और चड्डी रस्सी से उतार कर पहन ली जिन्हें मैंने कल रात को अपनी वीर्य से सान दिया था.
जैसे ही भाभी ने चड्डी पहनी, मैं सोचने लगा कि कल रात को मैंने भाभी की चड्डी पर चूत और गांड वाले हिस्से पर अपने लंड से निकला वीर्य लगाई थी, आज वह मेरे सूखे हुए वीर्य भाभी की नहाई हुई चूत और गांड को स्पर्श कर रही है.
ये सब सोचकर मैं बहुत खुश हो रहा था कि फिलहाल भाभी को चोदने का सपना तो पूरा नहीं हुआ था, पर भाभी को चोदे बिना ही मेरे लंड से निकला वीर्य भाभी की चूत और गांड पर लग गई है.
भाभी स्लेटी रंग की सिल्की नाईटी पहन कर नीचे चली गई और मैं भी नहा धोकर नीचे आ गया.
मैंने अब पक्का मूड बना लिया था कि अब मुझे अगर सामने वाली भाभी को चोदने और उसके साथ सोने का सपना पूरा करना है, तो मुझे भाभी से करीबी बनानी पड़ेगी.
तब मैंने एक आईडिया सोचा और दोपहर के करीब एक बजे सामने वाली भाभी के घर जाकर उसका दरवाजा खटखटाया.
जैसे ही भाभी ने गेट खोला … मैं तो भाभी का गोरा तिरछी नैनों और लाल होंठों वाला कामुक चेहरा देखता ही रह गया.
भाभी ने पूछा- क्या चाहिए?
मैंने दबी हुई आवाज में पूछा- भाभी, थोड़ी चीनी मिलेगी?
भाभी बोली- तुम सामने वाले घर में रहते हो न?
मैंने हां कहा और भाभी ने मुझे अन्दर आने के लिए कहा.
भाभी मुझे अपने रसोई घर में ले गई और मुझे एक कटोरी में चीनी भर कर देने लगी.
इसी बीच मैं स्लेटी रंग की नाईटी पहनी हुई भाभी के सुंदर और कामुक जिस्म का दीदार करने लगा.
मैं लगातार भाभी की चूचियों और गांड को देखे जा रहा था.
उस समय मेरी नजरों में हवस भरी हुई थी, जिसकी वजह से मेरी नियत फिसल गई और मैं भाभी को सामने से गंदी नजरों से देखने लगा.
जब भाभी चीनी देने के लिए आ रही थी, तो मैं सामने से भाभी के गोरे सीने को ताड़ने लगा.
भाभी की नजर मेरी नजरों पर पड़ चुकी थी तो वह थोड़ी असहज हो गई.
मैं स्थिति को भांप गया और जल्दी से चीनी लेकर वहां से चलता बना.
कई दिनों तक मैं रोज सुबह छत के बाथरूम में जाकर छिपकर भाभी को नंगी नहाते हुए देखता था.
नंगी नहाती भाभी के जिस्म का एक एक अंग मेरी छिपी हुई नजरों से वाकिफ हो गया था.
फिर यूँ ही इसी तरह मैं कई बार भाभी के पास जाने के लिए कोई न कोई बहाना बना ही लेता था और अब भाभी भी मेरे साथ बातें करने में घुल-मिल गई थी.
कभी कभी भाभी भी मेरे घर आती जाती रहती थी.
इसी तरह बातें करके मुझे भाभी के बारे में बहुत कुछ पता चला.
जैसे भाभी का नाम पम्मी था और भाभी की शादी ग्रेजुएशन पास करते ही हो गई थी.
भाभी मेरे साथ इतनी घुल मिल गई थी कि उसने बताया कि कॉलेज के समय उसका एक ब्वॉयफ्रेंड भी था.
जब इस बारे में भाभी के घर वालों को पता चला तो उन्होंने भाभी की शादी जल्द से जल्द करवा दी.
भाभी को क्या खाना पसंद है और क्या पहनना पसंद है, इसके बारे में भी मैं बखूबी जान चुका था.
अब भाभी मुझे ये सब एक दोस्त होने के नाते बताती थी या एक मिलनसार पड़ोसी होने के नाते बताती थी या भाभी के मन में मेरे लिए कुछ था?
इस बात का मैं पता नहीं लगा पाया था.
एक रात बहुत तेज बारिश हो रही थी और रात करीब 10 बजे के आस-पास मेरे घर के दरवाजे के खटखटाने की आवाज आई.
मैंने गेट खोला तो गेट पर सामने भाभी गुलाबी रंग की कसी हुई नाईटी में भीगी हुई खड़ी थी.
उसे देखकर मैं चौक गया और मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई.
मैंने भाभी को अन्दर आने को कहा.
भाभी अन्दर आई तो मैंने भाभी को एक तौलिया दी और उनसे अपने भीगे हुए बदन को पौंछने के लिए कहा.
भाभी ने अपना सिर पौंछ कर वह तौलिया वहीं सोफे पर रख दी.
फिर मैंने भाभी से इतनी रात गए मेरे यहां आने का कारण पूछा.
तो भाभी ने बाते कि तेज बारिश की वजह से उनके यहां लाईट नहीं आ रही है. उसके पति भी काम के चलते शहर से बाहर थे और वह अकेली बोर हो रही थी, इसीलिए वह मेरे घर आ गई क्योंकि मेरे घर में इन्वर्टर जो लगा हुआ था.
फिर कुछ देर तक हम ऐसे ही बातें करने लगे.
बातों ही बातों में मैंने पूछा- भाभी आपके पति कहां काम करते हैं जो वह कई दिनों तक घर से बाहर रहते हैं!
यह सुनकर पम्मी भाभी उदास हो गई और चुप हो गई.
पहले तो मैं समझ नहीं पाया कि क्या हुआ?
फिर मैंने कहा- भाभी, क्या मैंने कोई गलत सवाल पूछ लिया?
मेरे इस सवाल का उत्तर पाने के लिए मैंने पम्मी भाभी को देखा तो वह मेरी तरफ देख रही थी और उसकी आंखों में हल्के आंसू थे.
मैं हैरान हो गया और मैंने आंसुओं का कारण जानना चाहा.
पम्मी भाभी ने बताया कि उनके पति का किसी और औरत के साथ चक्कर चल रहा है, इसी वजह से वह कई कई दिनों काम का बहाना बना कर उस औरत के साथ समय बिताते हैं.
यह सुनकर मैं हैरान था.
दोस्तो, मैं सोच रहा था कि यह तो ठीक वैसे ही हुआ कि जिस फल को मैं खाने की सोच रहा था, वह मुझे प्लेट में सजा कर परोस दिया गया हो.
आगे की सेक्स कहानी में मैं आपको लिखूँगा कि भाभी को किस तरह से चोदा और उसकी चुदास को अपने लंड से शांत किया.
आपको यह सेक्सी न्यूड भाभी कहानी कैसी लग रही है, प्लीज बताएं.
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सेक्सी न्यूड भाभी कहानी का अगला भाग: पड़ोस में आई नई भाभी की चुत चुदाई- 2