हॉट यंग भाभी कहानी में मैंने किराए का कमरा लिया पढ़ाई के लिए. मकान मालकिन जवान विधवा थी. उससे मेरी दोस्ती हो गयी. उसने मुझसे कैसे अपनी चूत मरवाई?
दोस्तो, मैं अतुल प्रधान, बिहार की राजधानी पटना का रहने वाला हूँ.
इस सेक्स कहानी में आप पढ़ेंगे कि कैसे मैंने अपनी मकान मालकिन, जो एक विधवा थी, के भीतर मरे हुए सेक्स के अहसास को जगाया.
उसकी चूत की आग को भड़काकर अपने लंड के लिए रास्ता बनाया और उसे धकापेल चोदा.
बस आप सभी लंड वालो, अपने लंड को सहलाते रहिए और चूत वाली बहनो, आप अपने छेद के चारों तरफ उगे हुए झांटों के जंगल को साफ कर लें, क्योंकि मेरी इस हॉट यंग भाभी कहानी को पढ़ते-पढ़ते कब आपका हाथ चूत में चला जाएगा, पता ही नहीं चलेगा.
बस धैर्य रखें और आराम से अंत तक पढ़ें.
ये बात आज से दो साल पहले की है, जब मैं अपने ग्रेजुएशन के अंतिम साल में था.
मेरी खोपड़ी पर फाइनल्स की परीक्षा होने की वजह से मैंने अपने हॉस्टल से अलग एक फ्लैट या कमरा ढूँढना शुरू कर दिया.
लेकिन मेरे जैसे छड़े बैचलर्स को कोई फ्लैट देने के लिए आसानी से राजी ही नहीं होता.
करीब एक सप्ताह तक खोजने और बाइक के पेट्रोल में काफी रुपए फूँकने के बाद मैं एक दिन थककर एक छोटी सी दुकान पर कोल्ड ड्रिंक पीने रुका.
वहां दो महिलाएं आपस में बात कर रही थीं.
एक की उम्र 40 साल से ऊपर थी और दूसरी तो लड़की सी ही थी, उसकी उम्र लगभग 20 साल की रही होगी.
कोल्ड ड्रिंक खत्म करने के बाद मैंने उस दुकानदार औरत से पूछा- यहां आस-पास कोई फ्लैट खाली है?
उसने उस 20 साल की लड़की की ओर देखते हुए कहा- तुम्हारा फ्लैट तो खाली है ना? इसे दे दो!
मुझे थोड़ी राहत मिली.
वह मुझे पहले तो देखने लगी फिर बोली- स्टूडेंट हो क्या आप?
मैंने कहा- जी.
वह मुँह सा लटका कर बोली- चलिए.
कुछ दिक्कतों के बावजूद मैंने वह कमरा पसंद करके शिफ्ट कर लिया.
यहां आने के बाद पता चला कि वह लड़की नहीं औरत ही है.
दो बच्चों की एक विधवा माँ है और उसकी असल उम्र 26 साल है, जो कि वह कहीं से भी नहीं लगती थी.
उसकी हाइट करीब 5 फीट 4 इंच थी और उसने अपना फिगर ऐसे मेंटेन करके रखा था कि हाय… क्या ही कहूँ.
आजकल के लड़कों को तो छोड़ो, उसके दूध गांड देख कर तो 80 साल के बूढ़ों का लंड भी खड़ा हो जाए.
पति की जायदाद और हैसियत की वजह से उसका अपने समाज में काफी सम्मान था.
इसीलिए, पति की मृत्यु के बाद भी उसने अपनी इच्छाओं और भावनाओं को दबाकर रखा था, ताकि कोई कलंक न लग जाए.
कुल मिलाकर वह ताले में बंद एक तिजोरी की तरह थी जिसे मैंने अपने लंड की चाबी से खोल कर खजाने का भरपूर लुत्फ लिया.
फ्लैट में शिफ्ट करने के बाद उसके मकान में मैं अकेला किरायेदार था.
इसलिए वह अक्सर आकर मुझसे बातें करती.
दोनों के अकेले होने के कारण कभी-कभार हम साथ में खाना भी बना लेते थे.
हम दोनों काफी घुल-मिल गए थे.
दिन के 24 घंटे में करीब 6 से 7 घंटे हम दोनों एक दूसरे से बातें करते हुए बिताते थे.
हालांकि अब तक मेरे मन में उसके लिए कोई गलत भावना नहीं आई थी.
लेकिन उसके दिमाग में शायद कुछ और ही चल रहा था.
वह बातों-बातों में मेरी लव लाइफ के बारे में पूछने लगी.
जब मैंने गर्लफ्रेंड होने से मना किया, तो बोली- आप झूठ बोल रहे हैं. आपकी इतनी अच्छी बॉडी है, रोज जिम जाते हैं, पढ़ने में इतने अच्छे हैं, बाइक भी है! आजकल की लड़कियों को और क्या चाहिए!
मैंने हंसते हुए कहा- ठीक है, एक नई गर्लफ्रेंड बना लेता हूँ और अपने फ्लैट में ले आऊंगा, इससे आपका दिल भी लगा रहेगा.
इस बात से पता नहीं क्यों, वह नाराज होकर चली गई.
उसके बाद उसने तीन दिन तक बात नहीं की.
अंत में मैंने ही उसे मनाने का सोचा और उसके फ्लैट में गया.
वह अपने बेडरूम में खुले बालों के साथ बैठकर मेरी डीपी को ज़ूम करके देख रही थी.
लेकिन जैसे ही हमारी नज़रें मिलीं, उसने मोबाइल बंद कर दिया और मुझे इग्नोर करते हुए गांड को तेज़ी से मटकाती हुई किचन में चली गई.
मुझे पता था कि उसका यह गुस्सा बनावटी था.
इसलिए मैं किचन में हॉट यंग भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया.
मैं बता दूँ कि खुले हुए बाल हम मर्दों की कमज़ोरी होती है.
उसके खुले बाल और मटकती गांड देखकर मेरा लंड तो वैसे ही खड़ा हो गया था.
जैसे ही मैं उसके करीब पहुंचा, उसके परफ्यूम की खुशबू से मेरा लंड और भी ज़्यादा फुफकार मारने लगा और लंड की नोक उसकी गांड की दरार को छूने लगा.
उसने इसका विरोध नहीं किया.
मैंने उसकी मौन सहमति समझी और अपने लंड का रगड़ना जारी रखा, साथ ही उसे बातों में उलझाने की कोशिश भी कर रहा था.
लेकिन उसका ध्यान बातों से ज़्यादा मेरे लंड पर था.
वह कमर को पीछे करके मेरे लंड से एक अलग ही सुख अनुभव कर रही थी!
मैंने मौके की नज़ाकत को समझते हुए उसे अपनी ओर घुमाया और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए.
उसने भी इसमें पूरा साथ दिया!
मैंने एक हाथ की उंगलियों को उसके बालों में फंसाकर सिर को पकड़ा हुआ था, वहीं दूसरा हाथ उसकी कमर और गांड को सहला रहा था.
लेकिन इस किस में मुझसे ज़्यादा वह उत्तेजित हो रही थी, जैसे किसी सालों से प्यासे आदमी को पानी नसीब हुआ हो.
करीब 10 से 15 मिनट तक हम दोनों किस करते रहे.
हमारे होंठ दुखने लगे थे और उसके बिना लिपस्टिक के होंठ चुंबन से ही लाल हो गए थे.
इतने पर भी हम दोनों में से कोई भी एक-दूसरे को छोड़ने को तैयार नहीं था.
जैसा कि आप पढ़ चुके हैं, मैं जिम जाता हूँ. सो, उसे किस करते हुए ही उठाकर बेडरूम में ले आया.
बेड पर लेटने के बाद उसने होंठ छोड़े और अपनी आंखें बंद कर लीं.
मुझे लगा कि वह झड़ चुकी है.
मैंने अपनी खुशी के लिए जब उसके माथे को चूमा, तो उसने आंखें खोलीं.
तब मैंने उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी देखी.
मुझे रुकता देख वह बोली- आज मत रोको खुद को … होने दो … जो हो रहा है!
यह सुनते ही मैंने उसे पीठ के बल लिटाकर उसकी गर्दन और कान की बाली को चूमना शुरू कर दिया.
वह एक काली नाइटी में थी.
मैंने उसकी नाइटी खोलकर साइड में रख दी और ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स चूसने लगा.
उसका बेटा अभी दो साल का था और अभी भी दूध पीता था इसलिए उसके बूब्स में अभी भी दूध आता था.
दूध को बाहर आता देख मैंने ब्रा के हुक तोड़कर उसे हटा दिया.
मेरे इस उतावलेपन को देख वह हंसने लगी.
इधर मुझे दूध पीने में बहुत मज़ा आ रहा था.
मैं एक हाथ से दूसरे बूब को भी दबा रहा था, जिससे वह मचल कर झड़ चुकी थी.
अब उससे रहा नहीं जा रहा था.
उसने पहले भी मुझसे कई बार मेरा लंड बाहर निकालने को कहा था लेकिन मैंने लंड को अन्दर ही रखा.
इस वजह से वह परेशान हो गई और उसने मुझे बेड पर उलट दिया.
तब मुझे अहसास हुआ कि जब एक लड़की सेक्स को लेकर उत्तेजित होती है, तो उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है.
उसने मेरा पैंट खोल कर लंड को बाहर निकाला और गौर से देखने लगी.
मेरे पूछने पर उसने बताया- मेरे पति का तो छोटा था, तब भी बहुत दर्द होता था. ये तो इतना बड़ा है! इससे चुदूँगी तो मैं मर ही जाऊंगी! मुझे नहीं करना!
मामला बिगड़ता देख मैंने उसे लिटाकर उसके पेट को चूमना शुरू कर दिया, जिससे वह फिर एक अलग ही दुनिया में चली गई.
उसकी आंखें बंद हो गईं.
तब मैं पेट से होते हुए जांघों को चूमते हुए आ गया और उसकी काली पैंटी को उसकी टांगों से बाहर निकाल दिया, जिसका उसे पता भी नहीं चला.
जांघों का ऊपरी हिस्सा बहुत सेंसिटिव माना जाता है.
उसे चूमते हुए मेरा लंड अब रुकना नहीं चाहता था.
मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद के चारों ओर घिसना शुरू कर दिया, जिससे वह मचलने लगी और अन्दर घुसाने की रिक्वेस्ट करने लगी.
लेकिन मैं लंड से चुत को रगड़ते हुए मज़ा लेने लगा.
वह उत्तेजना में कुछ अलग ही आवाज़ें निकालने लगी.
लेकिन जैसे ही वह कुछ और बोलने वाली थी, मैंने धड़ाक से लंड को उसकी चूत में घुसा दिया.
दो बच्चों की माँ होने के बाद भी उसकी चूत काफी कसी हुई थी, इसलिए उसकी एक जोरदार चीख निकली.
चूंकि यह मकान चारदीवारी से घिरे एक ग्राउंड में था, इसलिए पड़ोसियों का कोई डर नहीं था.
वह रोती हुई लंड को बाहर निकालने की विनती करने लगी.
मैंने उसका मुँह बंद करने के लिए उसे चूमना शुरू कर दिया और साथ ही एक हाथ से उसके बूब्स भी दबाने लगा.
थोड़ी देर में वह गांड उठाकर मेरे लंड को और अन्दर करवाने का प्रयास करने लगी.
फिर जैसे ही मुझे यह लगा कि वह अब सामान्य हो चुकी है, तो मैंने अगला शॉट मारने के लिए खुद को रेडी किया.
जैसे ही मैंने दूसरा झटका लगाया, वह पूरी तरह काँप गई!
मेरा लंड उसकी ब/च्चेदानी को छू रहा था.
यह दूसरा झटका इतना मजबूत था कि उसके नाखूनों के निशान मेरी पीठ पर पड़ गए थे.
लेकिन इस बार मैंने अपना लंड घुसाना निकालना जारी रखा.
उस विधवा मकान मालकिन की मस्त रगड़ाई शुरू हो गई थी.
बेड के हिलने की आवाज और उसकी ‘आह … आह …’ की आवाजें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं.
इसलिए जितना वह चिल्लाती, मैं अपनी स्पीड उतनी ही बढ़ा देता.
इस बीच वह तीन बार झड़कर निढाल हो चुकी थी.
कुछ समय बाद जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने उससे पूछा- कहां गिराना है?
वह बोलने की हालत में नहीं थी, इसलिए इशारों में जवाब दिया कि अन्दर ही.
मैंने अपना रस अन्दर ही गिरा दिया और लंड को अन्दर डाले हुए ही उसके ऊपर लेट गया.
आज उसके चेहरे पर थकान तो थी ही, साथ ही एक अलग सी चमक भी दिख रही थी.
जैसे ही मैं उस पर लेटा, उस हॉट यंग भाभी ने दोनों हाथों से मुझे कसकर जकड़ लिया.
मैं कुछ बोलने वाला था कि उसने मेरे मुँह पर उंगली रख दी और बोली- अभी कुछ मत बोलो! बस इस पल का आनन्द लो!
फिर हम दोनों ऐसे ही गले लगकर सो गए.
तकरीबन आठ घंटे बाद, शाम सात बजे मेरी नींद खुली तो वह बुखार से तप रही थी.
मैं तुरंत उसे अपने साथ हॉस्पिटल ले गया, जहां उसे एक दिन के लिए भर्ती करने को कहा गया.
लेकिन इंजेक्शन लगने और तीन घंटे हॉस्पिटल के बेड पर रहने के बाद जैसे ही वह थोड़ी ठीक हुई, वह घर वापस जाने की जिद करने लगी.
मैंने और डॉक्टर ने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं मानी.
अंत में कुछ दवाएं लेकर मैं उसे वापस ले आया.
आते वक्त रात के बारह बज रहे थे.
चूंकि हम पटना से शहर की ओर आ रहे थे इसलिए रास्ते का कोई डर नहीं था.
हम आराम से आ रहे थे.
रास्ते में उसने हंसते हुए बताया- नर्स कह रही थी कि पति से सेवा पानी कम करवाओ, नहीं तो रोज हॉस्पिटल आना पड़ेगा!
रास्ते भर हम इस बात पर हंसते रहे.
इसके बाद हम लिव-इन की तरह रहने लगे.
वह मेरा बहुत ख्याल रखती थी, हालांकि उसकी लापरवाही की वजह से उसकी तबीयत फिर से खराब रहने लगी.
मेरे जिद करने पर उसने अपनी बड़ी बहन सलोनी को देखरेख के लिए बुला लिया.
अगली सेक्स कहानी में, मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी मकान मालकिन की गांड का और उसकी बड़ी बहन की चूत और गांड को अलग-अलग बार में कैसे चोदा.
फिर दोनों को साथ में लेकर थ्रीसम का अनुभव लिया.
मैंने पहली बार यहां लिखा है, इसलिए हो सकता है कि कुछ कमियां रह गई हों.
आप अपने सुझाव मुझे मेल पर भेज सकते हैं कि आपको हॉट यंग भाभी कहानी पढ़कर कैसा लगा, आपने क्या महसूस किया, या अगली सेक्स कहानी में आप क्या सुधार चाहते हैं.
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