हॉट अन्तर वासना की स्टोरी में शादी वाले घर में मेरी भाभी मेरे पास लेट कर सो गयी. उनके होंठ मेरे पास थे, मैंने उन्हें किस कर लिया. वे कुछ ना बोली.
दोस्तो, आप सब कैसे हैं?
मैं आपका दोस्त रोहन हूँ और आज आपके लिए अपनी भाभी की मस्त चूत की चुदाई का मज़ा लेकर आया हूँ.
मैं आप सबको यकीन दिलाता हूँ कि यह कहानी पढ़ के आप दो बार तो जरूर मुट्ठ मारेंगे.
मैं कानपुर का रहने वाला हूँ.
मैं अभी 20 साल का हूँ.
ये हॉट अन्तर वासना की स्टोरी पिछले साल की है, जब मेरे घर में शादी थी.
बहुत सारे मेहमान आए थे, इसलिए हमारे घर में जगह कम पड़ गई थी.
मैं जमीन पर लेटा था.
अचानक मेरे पास कोई आकर लेट गया.
मैंने कहा- अरे, कौन हो यार? दूर जाओ मुझसे!
तभी भाभी बोलीं- देवर जी, ठंड लग रही है!
मैं आपको बता दूँ कि ये जनवरी की बात है, जब सचमुच बहुत ठंड थी.
मैंने कहा- भाभी, आप कहीं और लेट जाओ!
भाभी बोलीं- इतनी रात में अब कहां जाऊं? ऊपर से घर में जगह भी तो नहीं है. बस, आज की रात की तो बात है!
मैंने कहा- ठीक है, सो जाओ!
ये सुनकर वह खुश हो गईं.
अब हम दोनों जवान थे; भाभी भी अभी 29 साल की जवान थीं.
हम साथ में लेटे रहे.
रात के 2 बजे मेरी नींद खुली, तो देखा कि भाभी के होंठ मेरे होंठों के बिल्कुल पास थे.
मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया.
थोड़ी देर बाद भाभी ने अपना एक पैर मेरे ऊपर रख दिया.
इससे मेरे मन में उन्हें चोदने की इच्छा जागने लगी.
भाभी मेरे इतने करीब आ गईं कि मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने उनके रसीले, गुलाबी होंठों को चूम लिया!
मुझे डर था कि कहीं वह कुछ बोल न दें, लेकिन वह सो रही थीं.
मैंने सोचा कि एक और चुंबन ले लिया जाए!
अब मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसना शुरू कर दिया.
थोड़ी देर बाद मुझे लगा कि भाभी भी मेरे होंठ चूसने में मेरा साथ दे रही हैं, पर उनकी आंखें बंद थीं!
यह महसूस करते ही मेरे अन्दर और हिम्मत आ गई.
मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और जोर-जोर से उनके होंठ चूसने लगा.
क्या होंठ थे, कसम से!
पहली बार किसी के होंठों का ऐसा जलवा देखा था!
अब भाभी भी गर्म होने लगी थीं.
मैंने अपना एक हाथ उनकी पीठ पर घुमाना शुरू किया.
फिर हल्के से उनका ब्लाउज़ खोल दिया.
भाभी बोलीं- देवर जी, ये सब हम सही तो कर रहे हैं न?
मैंने कहा- आप ही बताओ भाभी, क्या अब हमें खुश रहने का हक है या नहीं?
भाभी बोलीं- है, हमें तो है!
मैंने पूछा- तो आप बताओ, क्या आप भैया के साथ खुश हैं?
भाभी बोलीं- अब क्या बताऊं देवर जी … आपके भैया में अब वह दम नहीं रहा; वे मुझे खुश ही नहीं कर पाते हैं!
मैंने कहा- तो भाभी, आपको खुश रहने का पूरा हक है! मैं आपको वह खुशी दूँगा, जो भैया कभी नहीं दे पाए!
ये सुनकर भाभी मुझसे लिपट गईं.
भाभी बोलीं- मैं तो बहुत दिनों से तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी, तुम ही मुझे नहीं देखते थे!
मैंने कहा- अब तो देख लिया, मेरी जान!
मेरे मुँह से इतना सुनते ही वे मुझसे लिपट गईं और मुझे किस करने लगीं.
भाभी तो जन्मों की प्यासी लग रही थीं!
पागल की तरह मुझे किस कर रही थीं, कभी-कभी मेरे होंठ भी काट लेती थीं!
मैंने भी उनके होंठ काट लिए.
फिर मैंने उनका ब्लाउज़ निकाल दिया.
उनके मस्त, संतरे जैसे गोल-मटोल बूब्स बाहर आ गए; भाभी ने ब्रा नहीं पहनी थी!
क्या गज़ब के बूब्स थे, कसम से … देखकर ही मज़ा आ गया.
मैंने भाभी के एक दूध को सीधे अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा.
मैं इतना गर्म हो गया था कि जोर-जोर से चूस रहा था.
भाभी दूध चुसवाती हुई बोलीं- अरे, आराम से करो! ये सब तुम्हारे लिए ही हैं!
मैंने कहा- इतने दिन से क्यों तड़पा रही थीं मेरी जान? पहले बोल देतीं, तो अब तक तुम मां भी बन गई होतीं!
भाभी बोलीं- अभी क्या हो गया? आज मां बना दो!
मैंने जोर-जोर से उनके बूब्स दबाए और उनके होंठ चूस रहा था … या यूँ कहें, मैं उन्हें खा रहा था!
इसी बीच भाभी ने मेरा लंड मेरे पैंट से निकाल लिया.
जैसे ही उन्होंने मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड देखा, तो खुश हो गईं.
भाभी बोलीं- अरे देवर जी, इसे तो आपने हमसे छुपाकर रखा था! हमने तो आज तक इतना लंबा लंड नहीं देखा … किस्मत वाली होगी वह, जो तुम्हारी बीवी बनेगी!
मैंने कहा- तो तू ही बन जा ना … ले, खा ले इसे, मादरचोद!
गाली सुनते ही भाभी पागल हो गईं और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.
ऐसा लग रहा था जैसे सालों की प्यासी हों!
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.
मेरे मुँह से आवाज़ें निकलने लगीं- आह आह ओह … चूस मादरचोद चूस!
मैं भी उनके मुँह को चोद रहा था.
मेरा 8 इंच का लंड उनके गले तक जा रहा था.
काफी देर तक यही चलता रहा.
मैंने कहा- बस कर रंडी, अब इसे चूसती ही रहेगी, या आगे भी कुछ करेगी?
इतना सुनते ही भाभी ने बिना कुछ सोचे अपना पेटीकोट उठाया.
मेरे 8 इंच के लंड को अपनी चूत में सैट किया और उस पर बैठ गईं!
आह, क्या मज़ा था!
पर जितनी जल्दी वे लंड पर बैठी थीं, उतनी ही जल्दी उठ गईं.
भाभी बोलीं- मुझे लगा था कि मैं इसे आराम से ले लूँगी, पर मेरी तो फट गई!
मैंने कहा- ये रोहन का लंड है, जानेमन!
अच्छे-अच्छों को रुला देता है!
भाभी बोलीं- तो तुम ही इसे सैट करो!
मैंने उन्हें लिटा दिया और उनकी दोनों टांगें फैला दीं.
उनकी चूत के छेद में सरसों का तेल लगाया और अपने लंड पर भी लगाया.
अब मैं उनके चूत के ऊपर अपना लंड घुमा रहा था.
भाभी बोलीं- देवर जी, मुझसे रहा नहीं जा रहा!
ये सब क्या, मुझे तड़पाने के लिए कर रहे हो?
मैंने कहा- आराम से मेरी जान! इतनी जल्दी क्या है?
इतना कहकर मैंने उनकी चूत में अपना लंड सैट किया.
एक ही बार में जोर का धक्का मार दिया.
भाभी उछल पड़ीं और बोलीं- उऊउ मर गई … आह नहीं होगा मुझसे! बहुत दर्द हो रहा है!
पर अब मैं कहां रुकने वाला था?
मैंने उन्हें पकड़ा और पटक दिया.
भाभी बोलीं- आह ठीक है, पर आराम से करो!
मैंने फिर से उनकी चूत में लंड डाल दिया. उन्हें कहीं भागने नहीं दिया.
वे चिल्लाने लगीं, तो मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.
कुछ मिनट बाद वे बोलीं- आह अब मज़ा आ रहा है!
फिर मैंने तेज तेज धक्के मारना शुरू कर दिए.
भाभी भी चिल्ला रही थीं- आह आह मर गई! आज तो फट गई! आह उम उम ओह!
उनकी इन आवाज़ों से मुझे और मज़ा आ रहा था.
भाभी को भी बहुत मज़ा आ रहा था.
वह उछल-उछलकर चुद रही थीं.
कुछ 20 मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए.
उस रात हमने 5 बार चुदाई की.
फिर ये रोज़ का काम हो गया.
जब भी मौका मिलता, हम हॉट अन्तर वासना के कारण दोनों चुदाई कर लेते थे.
कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि भाभी मां बनने वाली हैं.
सब मुझे चाचू कह रहे थे, पर सच तो ये था कि भाभी मां बनी थीं.
और मैं चाचू नहीं, पापा बन रहा था! इसीलिए सबसे ज़्यादा खुश मैं ही था!
आप को मेरी ये हॉट अन्तर वासना की स्टोरी कैसी लगी?
कमेंट्स में जरूर बताएं ताकि मैं आप लोगों के लिए और भी बहुत सी सेक्स कहानी ला सकूं, धन्यवाद.