गाओं की भाभी चुदाई कहानी में मेरे घर के सामने एक मस्त भाभी रहती थीं. उनको चोदने के चक्कर में मैंने उनसे दोस्ती कर ली और उनके घर जाने लगा.
दोस्तो, यह देसी भाभी की कहानी लेकर मैं आपका दोस्त सचिन आया हूँ.
मैं हरियाणा के बहादुरगढ़ के पास के एक गांव का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल है.
मैं दिखने में भी अच्छा हूँ.
मैं काफी समय से इस साईट पर कहानियां पढ़ता आ रहा हूँ.
तो सोचा मैं भी अपनी गाओं की भाभी चुदाई कहानी लिखूँ.
ये घटना आज से लगभग एक साल पहले की है जब मैं अपनी ग्रेजुएशन पूरी करके घर पर रहता था.
कोई काम नहीं था तो बस ऐसे ही दोस्तों के साथ घूमता रहता था.
मेरे घर के सामने वाले घर में एक भाभी रहती थीं.
वे एकदम माल थीं!
दूध सी गोरी, फिगर भी 32-28-34 का था.
आप सोच सकते हैं, कैसी होंगी!
मुझे तो उनके चूचे बहुत प्यारे लगते थे.
उनकी गांड तो बस देखते ही मन करता था कि अभी चोद दूँ!
उनकी शादी को 5 साल हो चुके थे और उनके दो बच्चे भी थे.
एक लड़का और एक लड़की. लड़की बड़ी थी और लड़का छोटा.
उनके बच्चों के साथ मेरी अच्छी बनती थी, मैं उनके साथ अक्सर खेलता था.
भाभी का नाम तो बताना ही भूल गया … उनका नाम प्रीति है.
पहले मुझे उनके लिए कोई गलत विचार नहीं थे.
लेकिन एक दिन जब मैं उनके बच्चों के साथ खेल रहा था, तो भाभी नहाकर निकली थीं.
क्या लग रही थीं!
उनके हल्के गीले बालों की वजह से उनके कपड़े भी हल्के-हल्के भीग गए थे.
उन्हें ऐसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
भाभी ने मुझे देखा, फिर भी मैं उन्हें एकटक देख रहा था.
फिर उन्होंने मुझे आवाज़ लगाई- क्या हुआ?
तब मुझे होश आया.
मैंने बात संभालते हुए कहा- कुछ नहीं, बस बच्चों के साथ खेल रहा हूँ!
लेकिन वे बार-बार नीचे देख रही थीं.
फिर मैंने ध्यान दिया तो वे मेरा टाइट हो चुका लंड देख रही थीं!
मैंने उसे ठीक किया.
तब तक भाभी अन्दर जा चुकी थीं.
फिर मैं वहां से अपने घर आ गया और बाथरूम में जाकर उन्हें सोचते हुए मुठ मारी.
तब जाकर शांति मिली.
अब मैं अक्सर उनके घर जाने लगा, बच्चों के बहाने से उनसे भी बात करने लग जाता.
हम लोग गांव में रहते हैं तो पानी लेने जाना होता है.
जब भी भाभी पानी लेने जातीं, तो मैं घर के बाहर खड़ा हो जाता और उन्हें देखता.
भाभी भी मुझे तिरछी नज़र से देखतीं और मुस्कराकर निकल जातीं.
अब भाभी को कोई भी काम होता, वे मुझे ही बुलाने लगीं.
कुछ सामान दुकान से लाना होता या और कोई घर का काम होता, तो वे मुझे बुला लेती थीं.
मैं भी झट से उनका काम कर देता था.
ऐसे ही मैं उनके और करीब आ गया था.
दिन में उनके पति ड्यूटी पर चले जाते थे, सास ओम शांति में चली जाती थीं और उनकी लड़की स्कूल चली जाती थी.
उनके ससुर नौकरी के कारण बाहर रहते थे तो दिन में सिर्फ़ वह और उनका छोटा लड़का ही घर पर होते थे.
बस, ऐसे ही दिन निकल रहे थे.
आगे कुछ हो नहीं रहा था.
अब ठंड शुरू हो गई थी, कोई मौका मिल नहीं रहा था.
ऐसे ही एक दिन भाभी मुझे बुलाने आईं.
उन्हें दुकान से कुछ सामान चाहिए था.
मैं दुकान से सामान लेकर उन्हें देने गया तो भाभी घर पर अकेली थीं.
मैंने पूछा- सब कहां हैं?
तो उन्होंने बताया- रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गई, वहां गए हुए हैं!
फिर मैं वहीं बैठकर भाभी से बात करने लगा.
अचानक भाभी के पैर पर स्लैब की टाइल टूटकर उनके पैर पर गिर गई और वे गिर गईं.
मैंने जल्दी से उन्हें उठाया और बेड पर लिटा दिया.
उन्हें पैर में दर्द हो रहा था, तो मैंने कहा- भाभी जी, मैं आपके पैर की मालिश कर देता हूँ, इससे आपको आराम मिलेगा!
पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन दोबारा कहने पर मान गईं.
मैं तेल गर्म करके ले आया और उनके पैर की मालिश करने लगा.
उनकी सलवार का पायँचा थोड़ा तंग था, जिससे वह ऊपर नहीं हो पा रहा था.
मैंने भाभी जी से कहा- भाभी जी, आप इस सलवार को निकाल कर कुछ और पहन लो, मालिश करने में प्रॉब्लम हो रही है.
वे बोलीं- तुम्हें जो करना है, जल्दी करो.
तो मैं भाभी को वॉशरूम तक ले गया.
उन्होंने एक खुला सा पलाज़ो पहन लिया, जो काफी ढीला था.
फिर मैं उनके घुटनों तक मालिश करने लगा.
कभी-कभी मेरा हाथ उनकी जांघ तक चला जाता था.
पर भाभी कुछ नहीं बोल रही थीं, वे बस चुपचाप लेटी हुई थीं.
मैंने पूछा- भाभी, आराम हुआ?
तो वे बोलीं- हां, थोड़ा!
फिर बोलीं- कमर में भी थोड़ा दर्द है, वहां भी मालिश कर दे न!
मेरे तो मन में लड्डू फूटने लगे!
मैंने झट से हां कहा और बोला- आप लेट जाइए, मैं कर देता हूँ!
फिर वे पेट के बल लेट गईं.
मैं मालिश करने लगा.
तो मैंने कहा- भाभी, कमीज की वजह से अच्छे से नहीं हो पा रहा. आप कमीज निकाल दीजिए, तो पूरी कमर की अच्छे से मालिश हो जाएगी.
भाभी ने झट से कमीज निकाल दिया, जैसे वे यही चाहती थीं.
मैं फिर मालिश करने लगा.
लेकिन उनकी ब्रा की स्ट्रिप बीच में आ रही थी.
मैंने कहा- भाभी, ब्रा दिक्कत कर रही है!
तो उन्होंने कहा- तो हुक खोल दे न!
मैंने ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को हटा दिया.
अब भाभी की नंगी कमर मेरे सामने थी और मैं मालिश करने लगा.
मेरा लंड तो फटने वाला था.
मैं पूरी कमर की मालिश करने लगा.
कभी-कभी मेरा हाथ उनकी चूची पर लग जाता था तो भाभी कुछ नहीं बोल रही थीं.
अब भाभी की सांसें भी तेज हो गई थीं.
थोड़ी देर बाद भाभी सीधी हो गईं और बोलीं- इनकी भी मालिश कर दे!
मैं तो यही चाहता था!
मैं भाभी की चूचियों को मसलने लगा.
भाभी अब और गर्म हो गई थीं.
फिर मैंने भाभी के होंठों पर किस करना शुरू कर दिया.
भाभी भी पूरा साथ दे रही थीं.
दस मिनट तक मैं भाभी को किस करता रहा और एक हाथ से उनकी चूचियों को मसल रहा था और एक हाथ पलाज़ो के अन्दर डालकर उनकी चूत को मसलने लगा था.
फिर मैं धीरे-धीरे नीचे उनकी गर्दन, फिर दूध चूसने लगा और एक हाथ से दबाता रहा.
भाभी ‘आह … आह …’ की आवाज़ करने लगीं और मेरे सिर को अपनी चूचियों में दबाने लगीं.
मैंने बारी-बारी भाभी के दोनों दूध चूसे.
फिर मैं उनके पेट, उनकी नाभि से होता हुआ उनकी चूत पर पलाज़ो के ऊपर से ही चूमने लगा.
भाभी की बस तेज़ स्वर में आह आह की आवाज़ निकल रही थी.
अब मैंने उनकी पैंटी और पलाज़ो को एक साथ निकाल दिया.
उनकी गुलाबी, साफ चूत मुझे दिखने लगी, जिस पर एक भी बाल नहीं था.
शायद भाभी ने आज या कल में ही झांटों को साफ किया था.
फिर मैं भाभी की चूत को चूसने लगा, अन्दर तक जीभ डाल रहा था.
अब वे एकदम पागल हो गईं और बिना पानी की मछली की तरह तड़पने लगीं.
मैं भाभी की चुत चूसता रहा.
फिर मैं उठा और अपने सारे कपड़े उतारकर नंगा हो गया.
मेरा लंड एक लोहे की तरह टाइट हो चुका था, उसकी नसें फटने को थीं.
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मुँह में लेकर चूसो ना!
तो भाभी उठीं और मेरे लंड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं.
मैं उनके मुँह को चोदने लगा और मेरा लंड उनके गले तक जा रहा था.
फिर भाभी बोलीं- अब बर्दाश्त नहीं हो रहा! जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो!
मैंने उन्हें लिटा दिया, उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया और उनके पैर अपने कंधों पर रखकर लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
भाभी बोलीं- अबे चूतिया, लंड जल्दी पेल न!
तो मैंने एक झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
गाओं की भाभी चुदाई में भाभी की चीख निकल गई!
लेकिन मैं रुका नहीं और अन्दर-बाहर करने लगा.
वे आह आह करने लगीं.
मैंने कहा- रंडी, साली अभी बोल रही थी जल्दी डालने को, अब क्या हुआ?
तो वे कराहती हुई बोलीं- तुम्हारा लंड मेरे पति से लंबा और मोटा है!
थोड़ी देर बाद भाभी का दर्द कम हो गया और वे भी मज़ा लेने लगीं.
भाभी गांड उठा-उठाकर मेरा लंड ले रही थीं और बोल रही थीं- और तेज़ करो … आह बड़ा मज़ा आ रहा है!
मैं फुल स्पीड में भाभी को चोद रहा था.
करीब 15 मिनट की चुदाई में भाभी दो बार झड़ चुकी थीं.
अब मेरा भी होने वाला था.
मैंने भाभी से कहा- मेरा होने वाला है! कहां निकालूँ?
वे बोलीं- अन्दर ही छोड़ दो! बहुत दिन से प्यासी है ये!
अब मैंने तेज़-तेज़ 10-15 झटकों में अपने लौड़े के रस को उनकी चुत के अन्दर ही छोड़ दिया.
हम दोनों थक गए थे तो मैं ऐसे ही लंड अन्दर डाले हुए उनके ऊपर लेट गया.
अब उनकी फैमिली के आने का टाइम हो गया था.
मैंने कपड़े पहने, भाभी को किस किया और अपने घर आ गया.
इसके बाद मुझे जब भी मौका मिलता, मैं उनकी चुदाई कर देता था.
उसी दरमियान मैंने उनकी गांड भी मारी.
वह आपको अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा कि कैसे मैंने उनकी गांड मारी.
गाओं की भाभी चुदाई कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताएं!
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