सहेली की शादी में मेरी चूत चुदाई

फ्री हॉट पोर्न स्टोरी में मैं बहुत सैक्स्ट हूँ, बदन उघाड़ू ड्रेस पहनती हूँ. मुझे चुदाई का बहुत शौक है. एक बार मैं सहेली की शादी में गयी. वहां उसके भाई के दोस्त की नजर मेरे जिस्म पर और मेरी नजर उसके जिस्म पर रुक गयी.

Xxx Hindi voice में यह कहानी सुनें.

दोस्तो, मेरा नाम सरिता सिंघानिया है और मेरी उम्र 39 साल की है.

आपको अपने फिगर के बारे में बताऊं तो मेरी मोटी मोटी चूचियों का साइज 36 इंच है.
मेरी लचकती हुई कमर का साइज 32 है और मेरी मोटी गांड का साइज 40 है.

मुझे डीप नेक ब्लाउज पहनना बहुत पसंद हैं … खासकर वह ब्लाउज जो पीछे से पूरी तरह बैकलेस हो ताकि मेरी पूरी पीठ कमर नंगी दिखाई दे.

मेरा ब्लाउज ऐसा होता है कि सिर्फ मेरी चूचियां ही ढकी रहती हैं.

साड़ी की बात करें तो मैं साड़ी इस तरह पहनती हूँ कि जहां से चूत की लाइन शुरू होती है न, वहीं से साड़ी बांधती हूँ.

मेरे ब्लाउज से लेकर साड़ी तक मेरी पूरी नंगी कमर साफ दिखाई देती है.
मेरी नाभि में एक पिन लगी है, जिसमें एक मोती जड़ा हुआ है … जो मेरी नाभि को और भी आकर्षक बनाता है.

मेरी आंखें न/शीली हैं और मेरी भौहें किसी तलवार की धार की तरह तेज हैं.

मेरे मोटे मोटे होंठ ऐसे लगते हैं जैसे उनमें गुलाब का मीठा वाला रस भरा हो. होंठ भी नेचुरली गुलाबी हैं.

अब बात आती है मेरी फ्री हॉट पोर्न स्टोरी की.

मैं आपको दो साल पुरानी बात बताने जा रही हूँ.
मेरी एक सहेली है, उसका नाम रुचि शर्मा है.

उसकी शादी थी, तो मैं उसकी शादी में शामिल होने गई थी.

मेरे पति को ऑफिस का ढेर सारा काम होने की वजह से वे मेरे साथ नहीं जा पाए थे.

जब मैं रुचि के घर पहुंची तो उसके घर वालों ने मेरा बहुत प्यार और सम्मान के साथ स्वागत किया.
मुझे देखकर सबके चेहरों पर मुस्कान आ गई.
सब कहने लगे- रुचि अपने घर में रौनक तो अब आई है, जब से तेरी सहेली आई है. इसके आने से तेरे चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान छा गई है.

इस पर रुचि बोली- अरे मुस्कान क्यों न आए. यही तो मेरी सबसे अच्छी सहेली है. इसके बिना मुझे कहीं भी अच्छा नहीं लगता. शादी के बाद पता नहीं मुझे ससुराल में कैसा लगेगा.

फिर उसने मजाक में कहा- तू भी मेरे साथ चलेगी ना?
मैंने भी मजाक में जवाब दिया- हां, जब तू बिस्तर पर होगी, तब मैं तेरे साथ ही रहूँगी. फिक्र मत कर.
इतना कहकर हम दोनों खिलखिलाकर हंसने लगीं.

इतने में रुचि का छोटा भाई अमित आया और उसने मेरे पैर छुए.
मैंने कहा- अरे अरे … इसकी क्या जरूरत है? तुम तो मेरे भाई जैसे हो. खड़े हो जाओ न!

तभी मैंने देखा कि अमित के साथ एक लड़का था, जो दिखने में काफी हट्टा-कट्टा मर्द जैसा था.
उसका नाम आयुष था.

अमित ने उसका परिचय कराते हुए कहा- दीदी, ये मेरा दोस्त है, आयुष!

आयुष मेरे पास आया और हाथ बढ़ाते हुए बोला- हैलो … मुझे तो आपको दीदी नहीं बोलना पड़ेगा ना?
मैंने उससे हाथ मिलाया.
उसका हाथ बहुत मजबूत था.

मैंने कहा- अरे इसकी कोई जरूरत नहीं. तुम मुझे मेरे नाम से बुला सकते हो. सरिता बुलाओ या फिर सरु भी बुला सकते हो!

थोड़ी देर बाद मैंने नोटिस किया कि आयुष मुझे लगातार घूरे जा रहा था.
उसकी नजर मुझसे हट ही नहीं रही थी.

फिर रात हो गई और हम सब सो गए.

अगले दिन हल्दी का कार्यक्रम था.
सभी लोग रुचि को हल्दी लगा रहे थे और मैं भी उसे हल्दी लगाने में मशगूल थी.

तभी आयुष आया और बोला- अरे, सरिता जी को भी तो हल्दी लगा दो.
मैंने तुरंत मना किया- नहीं नहीं, कोई ज़रूरत नहीं.

लेकिन इतने में रुचि ने मेरे चेहरे पर हल्दी मल दी और वह हंसती हुई बोली- ज़रूर … क्यों नहीं? मेरी बेस्ट फ्रेंड की शादी है और तू ये सब कर रही है.

तभी आयुष ने कहा- रुचि दीदी मुझे भी इनके लिए हल्दी दीजिए न … मुझे भी लगानी है.
फिर उसने हल्दी लेकर मेरे गालों से लेकर गले तक इस तरह हाथ फेरा, जैसे कोई अपनी गर्लफ्रेंड को प्यार से सहलाता हो.

उसके स्पर्श से मुझे एक अनोखी-सी फीलिंग हुई.

जब उसने हाथ फेरा, तो मुझे लगा कि आयुष मुझे किसी खास नज़र से देख रहा है.
मैं उसकी निगाहों को समझ गई थी.

शादी का कार्यक्रम शुरू हुआ और सभी लोग व्यस्त हो गए.
मैं भी इधर-उधर भागदौड़ में इतनी परेशान हो रही थी कि थकान होने लगी.

तभी आयुष मेरे पास आया और बोला- आपने कुछ खाया है?
मैंने कहा- नहीं.

फिर मैंने देखा कि उसने मेरे लिए खाने की प्लेट में कुछ सामान ला रखा था.
मैंने पूछा- आयुष तुमने कुछ खाया?

उसने कहा- नहीं.
मैंने हंसते हुए कहा- चलो, हम दोनों इसी में खा लेते हैं.

आयुष ने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा- क्या मैं आपको अपने हाथों से खिला सकता हूँ?
मैंने हल्के से कहा- चलो ठीक है. कोई दिक्कत नहीं, खिलाओ.

जब हम खाना खा रहे थे तो मैंने नोटिस किया कि आयुष मेरे सीने को देख रहा था.
मैंने उसकी नज़रें पकड़ लीं, लेकिन कुछ बोली नहीं.

तभी आयुष बोला- आप बहुत मस्त हो, सरिता जी, जिससे आपकी शादी होगी, वह बहुत भाग्यशाली होगा. उसने पिछले जन्म में ज़रूर कुछ अच्छे काम किए होंगे, तभी उसे इतनी प्यारी और खूबसूरत पत्नी मिली है.

मैंने हंसकर कहा- अरे, क्यों मज़ाक कर रहे हो? ऐसा कुछ नहीं है.
आयुष ने गंभीरता से कहा- सच में, आप बहुत प्यारी हैं. अगर आप मेरी पत्नी होतीं, तो मैं आपको दिन-रात बिस्तर से उतरने ही नहीं देता!

थोड़ी देर बाद जयमाला का कार्यक्रम शुरू हुआ.
जैसे ही लोग दूल्हा-दुल्हन पर फूल बरसाने लगे.

उस वक्त मैंने नोटिस किया कि कोई मेरे ऊपर फूल फेंक रहा है. मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह आयुष था, जो मेरे बिल्कुल करीब सटकर खड़ा था.

तभी अचानक पटाखों की आवाज़ हुई और मैं डरकर थोड़ा पीछे हटी.
मुझे महसूस हुआ कि आयुष का खड़ा हुआ लंड उसकी पैंट में से ही फुल टाइट होकर मेरी गांड को टच कर रहा था.

थोड़ी देर बाद जब हम नीचे उतरे, आयुष ने कहा- अरे सरिता जी. आपकी साड़ी पर पीछे से कुछ लगा है, शायद किसी ने सब्ज़ी गिरा दी.

मैंने पीछे देखा तो सचमुच साड़ी पर दाग लग गया था. मैं उसे साफ करने वॉशरूम की ओर चली.

वॉशरूम पहुंचते ही मैंने देखा कि आयुष भी मेरे पीछे पीछे आ गया.

मैंने गौर किया कि उसकी पैंट पर भी कुछ लगा था और वह भी गंदी हो गई थी.

आयुष ने पानी चलाकर पैंट साफ करने की कोशिश की, लेकिन उसकी पैंट पूरी तरह भीग गई.

वह परेशान होकर बोला- अरे यार ये क्या हो गया!

फिर उसने कहा- सरिता जी आप मेरा एक काम करेंगी? जिस रूम में आप रुकी हैं, वहां मेरा बैग रखा है. उसमें से मेरी दूसरी पैंट निकाल दीजिए.
मैंने कहा- चलो उधर ही चलते हैं न!

उसने ऐसे रिएक्ट किया जैसे मैंने उसके मन की बात कह दी हो.

जैसे ही हम दोनों कमरे में पहुंचे, वहां कोई नहीं था; सब कार्यक्रम में व्यस्त थे.
मैंने आयुष का बैग उठाया और जैसे ही पीछे मुड़ी, मैंने देखा कि आयुष ने अपनी पैंट उतार दी थी और उसने अपना अंडरवियर भी नीचे कर दिया था.

उसका सात इंच का लंड हवा में ऐसे लहरा रहा था, जैसे कोई सांप का फन फनफना रहा हो.

आयुष ने कहा- सरिता जी देखो तो सही. आपकी याद में इसका क्या हाल हो रहा है!
मैंने कहा- अरे यह क्या कर रहे हो तुम?

मेरी निगाह उसके लंड से हट ही नहीं रही थी.

इससे पहले कि मैं कुछ और बोल पाती, आयुष ने आगे बढ़ कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठों को पूरी तरह से चूसने लगा.

उसके बाद आयुष मेरे कान के पास आया और मेरे कान पर अपनी जीभ फेरने लगा.
उसकी जीभ से मैं तो मदहोश होने लगी और मैं भी उसी तरह उसके होंठों और गालों पर किस करने लगी.

मुझे तो मानो मदहोशी चढ़ गई थी.

तभी आयुष ने मुझे गोद में उठाया और गेट की तरफ बढ़ा. उसने गेट लॉक कर दिया और मुझे उठाकर बेड पर पटक दिया.
उसके बाद आयुष ने कब मेरे कपड़े उतार दिए, मुझे पता ही नहीं चला.

मैं उसे चूसने में और वह मुझे चूसने में इतने मदहोश थे कि हम दोनों ने कब एक-दूसरे के कपड़े उतार डाले, हमें मालूम ही नहीं हुआ.

फिर आयुष बेड से नीचे आया और मुझे बेड के किनारे बैठाकर मेरी चूत पर अपनी जीभ फेरने लगा.
मैं अपने हाथों से बेड की चादर खींचने लगी.
जब उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर डाल दी और मेरी चूत को बुरी तरह से चाटने लगा, मैं तो पागल हो गई.

मैंने आयुष के सिर को अपनी चूत पर दबाना शुरू कर दिया और उससे बोलने लगी- आह मेरे राजा … बहुत दिनों से प्यासी है मेरी चूत!

आयुष इतनी जोश से मेरी चूत चाट रहा था कि मेरी सिसकारियां लगातार निकल रही थीं.
कुछ देर बाद आयुष मेरे ऊपर आ गया और अपने लंड को मेरे मुँह के पास रख दिया.

वह मेरे मुँह में अपना लंड पेलने लगा और उधर नीचे मेरी चूत चाट रहा था.
मुझे सच में ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था.

करीब 5 से 7 मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे की चूत और लंड चाटते रहे.

इसके बाद आयुष ने अपने लंड को मेरी चूत पर सैट किया और मुझसे पूछा- धक्का जोर से चाहिए या आराम से?
मैंने बोला- जैसे भी तुम्हारा मन करे. यहां इतने शोर में कोई नहीं सुनने वाला!

आयुष मेरी बात को समझ गया कि मैं भी अपनी प्यास बुझाना चाहती हूँ.

उसने अपना लंड मेरी चूत पर सैट किया और एक जोरदार धक्का मारा.
‘फक्क’ की एक तेज आवाज़ हुई और उसका पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर समा गया.

मुझे ऐसा लगा जैसे आज मेरी चूत फट गई हो.
मेरी अचानक से चीख निकल गई.
लेकिन बाहर डीजे बज रहा था तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा.

फिर आयुष मेरे होंठों को चाटने लगा था और नीचे धक्के मार रहा था.

मैं भी पूरी तरह से चीखने-चिल्लाने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके होंठों की वजह से मेरी आवाज़ अन्दर ही रह जा रही थी.

कुछ ही देर बाद मैं भी किसी जंगली बिल्ली की तरह उसके धक्कों के साथ अपने धक्के लगाने लगी.

सच में उसके लंड से चुदने में बहुत मज़ा आ रहा था.
फ्री हॉट पोर्न का मजा लेते हुए करीब पांच मिनट तक ऐसी ही चुदाई करने के बाद आयुष बोला- रुको जान, तुम अब घोड़ी बन जाओ.

मैं जैसे ही घोड़ी बनी, आयुष ने मेरे बाल पकड़े और अपना लंड मेरी चूत में बुरी तरह से पेलने लगा.
मैं भी किसी कुतिया की तरह अपनी गांड पीछे धकेल कर उसे पूरी तरह से चोद रही थी.
कुछ देर बाद आयुष ने मुझसे कहा- चलो अब हम लोग बैठकर करते हैं.

हम दोनों ने एक-दूसरे की तरफ फेस किया और बैठ गए.
मैं आयुष की गोद में थी. आयुष मेरी गांड को पकड़कर उसे आगे-पीछे कर रहा था.
ऐसा लग रहा था कि उसका लंड मेरे अन्दर तक टच हो रहा है.

आयुष को लगा कि उसका माल निकलने वाला है.
वह बोला- सरु मुझे लगता है मेरा आने वाला है … माल कहां लेगी, चूत के अन्दर या मुँह में?

मैंने कहा- एक काम करो, मेरे मुंह में डालो, मुझे तुम्हारा सारा माल पीना है.

फिर आयुष ने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह में लंड पेल कर धक्के मारने लगा.

करीब 30-35 सेकंड बाद आयुष का सारा माल मेरे मुँह के अन्दर आ गया और मैंने भी किसी कुतिया की तरह उसका सारा माल अपने अन्दर गटक लिया.

माल गटकने के बाद मैंने आयुष के लंड को अच्छी तरह से चाटा.
उसके माल का एक-एक कतरा अपने अन्दर पी लिया और उसके लंड को अच्छी तरह से चूसा.

उसके लंड के नीचे लटक रहे दोनों गोटों को भी मैंने अच्छे से चाट कर साफ कर दिया.

फिर उसके लंड पर एक प्यारी सी किस करके हम दोनों ने कपड़े पहने और नीचे आ गए.

जब हम लोग नीचे आ रहे थे, तब मुझे आयुष ने बताया- तुम्हारी ड्रेस पर और अपनी ड्रेस पर जो सब्जी गिरी हुई थी, वह मैंने ही गिराई थी.
मैंने कहा- क्यों?
‘ताकि तुमको चोदने के लिए कोई उम्मीद जाग जाए!’
मैं हंस दी.

उसने आगे कहा- मेरी योजना पूरी तरह से सफल भी हो गई.
मैंने आँख दबाते हुए कहा- सफलता के लिए बधाई हो!
वह हंसने लगा.

इस तरह से उसने मेरी बेस्ट फ्रेंड की शादी में मेरी चूत की बहुत ही अच्छी तरह से चुदाई सेवा की.

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी ये फ्री हॉट पोर्न स्टोरी?
Xxx Hindi voice भी आपको अच्छी लगी होगी.
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