कामगार भाभी की चुदाई का मजा

फीमेल वर्कर सेक्स कहानी मेरी फैक्ट्री का काम करने वाली जवान भाभी की चुदाई की है. मैंने उसकी काफी मदद की थी. बदले में उसने खुद कहकर अपनी चूत चुदवाई.

मेरा नाम विक्की अग्रवाल है. मैं सूरत में रहता हूं और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं.

मेरी उम्र आज 40 साल है.

यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी दस साल पहले है.

मेरा काम स्टोन हैंड वर्क का है और मेरे पास बहुत सी औरतें काम करने आती हैं.

उसमें से एक हिना नाम की भाभी थी जो मुझसे काम लेकर जाती थी.
वह बहुत सुंदर थी. मुझे वह एक ही नजर में पसंद आ गई थी.

मैंने उसे पटाकर कैसे उसके चुदाई की, वो आपको इस फीमेल वर्कर सेक्स कहानी में बता रहा हूँ.
मैं पहले आपको हिना के बारे में विस्तार से बताता हूं.

उस समय उसकी उम्र करीब 25-26 साल की होगी, उसका फिगर 34-30-36 का था.
वो दिखने में बहुत ही सुंदर थी.

वह जब भी मेरे पास काम लेने आती, मैं उसे देखता रहता.
वो भी मेरी नजरों को शायद समझती थी.

मैं उससे कुछ ज्यादा बात नहीं करता था, बस काम दिया और हिसाब बना कर उसे पैसे दे देता था.
बस यूं ही दिन कट रहे थे.

फिर एक दिन उसने मुझसे कहा- भैया, मुझे आपसे कुछ काम है.
मैं बोला- हां बोलो.

वो बोली- भैया, क्या आप मेरे घर पर आ सकते हो?
मैंने एक बार उसे देखा और बोला- हां ठीक है, मैं आ जाऊंगा. कब आना है?
उसने कहा- आज शाम को.

मैंने कहा- कोई ख़ास बात है, जो आज शाम को ही आना जरूरी है?
वो हल्के से मुस्कुरा दी और बोली- आपने आने का वायदा किया है न, तो बस आप आ जाना.
मैंने कहा- हां वो तो मैं आ जाऊंगा. पर हिना ये तो बता कि आज क्या है. तेरा बर्थडे है क्या?
वो बोली- नहीं भैया, वो सब नहीं है. बस यूं ही बुला रही हूँ.

मैंने उसे एक बार फिर से देखा और मुस्कुरा कर सर हिला दिया.
वो अपनी गांड मटकाती हुई चली गई, मैं उसकी गांड देखता रहा और अपना लंड सहलाने लगा.

मैंने सोचा कि ऐसा क्या हुआ, जो ये मुझे अपने घर बुला रही है.
कुछ देर बाद मैं अपना सर झटका और काम में लग गया.

शाम को जब मैं उसके घर गया तो उसने मुझे बिठाया और मेरे लिए चाय बनाने लगी.

मैंने उसके घर को देखा, तो वो एक छोटा सा कमरा था, जिसमें उसका एक पलंग बिछा था और उस पर उसका बच्चा लेटा था. वो सो रहा था.

चाय पीते पीते मैंने उससे पूछा- बता न हिना, मुझे घर क्यों बुलाया है?
वो मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर बोली- भैया, मैं ऑफिस में आपसे अपनी बात कहने में झिझक रही थी. मुझे एक सिलाई मशीन लेनी है. उसके लिए मुझे आपसे पैसे की मदद चाहिए.

उस समय उसका नर्म हाथ, मेरे अन्दर वासना का समन्दर पैदा कर रहा था.
मैंने उसकी आंखों में झांकने लगा.

उसने फिर से मशीन दिलाने के लिए बोला.
पहले तो मैंने उससे इसके बदले में उसका हुस्न मांगना चाहा मगर मैं कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा सका.

वो मेरी आंखों को पढ़ती हुई बोली- मैं समझती हूँ कि आप मुझसे क्या चाहते हैं!
मैंने उसकी तरफ देखा और पूछा- मैं क्या चाहता हूँ?
इस पर उसने कोई जवाब नहीं दिया.

फिर वो बोली- मैं आपका सारा पैसा धीरे-धीरे चुका दूंगी.

उसको मशीन लेने के लिए मुझसे मदद की दरकार थी क्योंकि उसका पति ₹8000 की जॉब करता था. उससे सिर्फ घर ही चल सकता था. उसका एक बच्चा भी था. उसकी पढ़ाई लिखाई, घर का खर्चा, भाड़े का घर था, तो भाड़ा भी देना होता था. उसके पति की कमाई से ज्यादा पैसा नहीं निकल पाता था.
इसीलिए उसने मुझे मशीन के लिए अपने घर पर बुलाया था.

मैंने हां बोल दिया- ठीक है, मैं तुमको मशीन दिला दूंगा, पर उसके बदले मुझे पैसा नहीं, कुछ और चाहिए. ये बात कहना ठीक नहीं है हिना. मैं किसी की मजबूरी का फायदा नहीं उठाता हूँ. जब तक सामने से मुझे कोई चीज खुद से नहीं मिलती है, तब तक मैं किसी तरह का दबाव नहीं डालता हूँ.

वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ.

वह नाटक करने लगी- नहीं नहीं भैया, मैं समझती हूँ, पर आप जानते हैं कि मैं ऐसा नहीं कर सकती, मैं अच्छे घर की लड़की हूं. मुझसे यह सब नहीं हो पाएगा. मैं आपका पैसा आपको दे दूंगी. प्लीज़ आप मेरी मदद कर दो.
मैंने उससे कुछ नहीं कहा और उसको पैसे देकर मशीन दिला दी.

उसके बाद मैंने उससे कभी भी उस नजर से नहीं देखा और ना ही उससे इस बात को लेकर कुछ बोला.
उसने धीरे धीरे धीरे करके मेरा पैसा वापस करना चालू कर दिया.

पहले महीने में उसने मुझे ₹800 वापस किए. फिर उसी महीने में उसके बच्चे की तबियत खराब हो गई. उसके इलाज में उसे ₹10000 चाहिए थे.

उसके हस्बैंड के सेठ ने ना बोल दिया कि वो पैसे नहीं दे सकता है.

तब उसने वापस मुझे फोन किया- भैया, मेरे बच्चे की तबियत खराब है. मुझे ₹10000 चाहिए. मैं यह पैसा भी आपको धीरे-धीरे करके दे दूंगी.

मैं देना तो नहीं चाहता था, पर उसके बच्चे की बात थी इसलिए मैंने पैसे दे दिए.
फिर जब उसका बच्चा सही होकर घर पर आ गया, तो मैं उसे देखने उसके घर गया.

हिना सामने ही बैठी थी और उसने रेड कलर की झीनी सी नाइटी पहनी थी.
उसे देख कर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया.

फिर भी मैंने कंट्रोल करके उससे पूछा- बच्चा कैसा है? अब इसकी तबियत कैसी है?
उसने मुझे धन्यवाद किया- आपने समय पर मुझे पैसा दिया, इसलिए आज इसकी तबियत एकदम सही हो गई है.

मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं हिना. तुम्हारे बच्चे की बात थी, तो मेरा ये फर्ज था.
वो मेरी तरफ एक अजीब सी नजरों से देखने लगी.

मैंने उससे कहा- तुम्हें और कुछ जरूरत हो, तो मुझे बोलना.
उसने भी हां बोला और साथ ही उसने ये भी कहा कि मैंने आपको गलत समझा था भैया.

मैंने मन में कहा- तूने गलत नहीं समझा था. बस मैं कमीना नहीं हूँ.
फिर मैं अपने ऑफिस आ गया.

वो मुझे अब बदली बदली नजरों से देखने लगी थी और जब भी मेरी नजरें उससे टकरातीं, तो वो मुस्कुरा देती.

उसकी मुस्कान मुझसे अन्दर तक हिला देती.
मगर मैं उसे जब तक टच नहीं कर सकता था, जब तक खुद उसकी तरफ से हां न हो.

एक दिन की बात है, जब मैं उसके घर से निकल रहा था तो न जाने क्यों उसके घर पर चला गया.

उसके घर पर वो अकेली थी.
उसका पति बच्चे को लेकर कहीं गया था.

मैंने उसे दरवाजे पर दस्तक दी तो उसकी आवाज आई- कौन … रुको, आती हूँ.
कुछ पल बाद उसने अपना दरवाजा जरा सा खोल कर झांका.
उसे मैं दिखा, तो वो खुश हो गई और उसने दरवाजा खोल कर मुझे अन्दर बुलाया.

उस वक्त वो एक नाइटी पहने हुई थी और शायद नहा कर निकली थी.
उसके बाल गीले थे और उसकी नाइटी से उसके गीले मम्मे चिपक कर बड़ा ही खूबसूरत नजारा पेश कर रहे थे.
मैं अन्दर आकर कुर्सी पर बैठ गया.

वो मेरे सामने पलंग पर बैठ गई और मेरी तरफ देखने लगी.
मैंने कहा- मैं बस इधर से गुजर रहा था, तो सोचा तेरे बच्चे से मिलता चलूँ. कैसा है अब वो … और कहां है?

वो हंस कर बोली- वो एकदम ठीक है और अपने पापा के साथ बाहर गांव गया है.
मैंने कहा- बाहर गांव … मतलब?

वो बोली- वो एक शादी में गए हैं, तो बच्चे को साथ ले गए.
मैं उठने लगा और बाहर जाने लगा.

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज नहीं जाने दूंगी.
मैंने उसकी तरफ देखा, तो वो बड़े प्यार से मेरी तरफ देख रही थी.

मैंने उसकी आंखों में देखा, तो वो मेरे करीब आकर मेरे सीने से लग गई.

मैंने भी अपना काबू खो दिया और उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसके दोनों बूब्स को हाथों से जोर से दबा दिया.
उसने कुछ नहीं बोला, वो मेरे होंठों को चूमने लगी.

उसकी किस से मेरी हिम्मत बढ़ती गई.
मैंने भी उसको लिप किस करना चालू कर दिया.
हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए.

करीब दस मिनट लिप किस करने के बाद वह भी गर्म होना चालू हो गई.
उसने मुझसे अलग होकर दरवाजे की कुण्डी लगा दी और मेरे सामने खड़ी हो गई.

मैंने उसकी नाइटी के ऊपर से ही उसके एक बूब को मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया.
उसकी आह निकलने लगी.

कुछ देर बाद मैंने धीरे से उसकी नाइटी खोलकर अलग कर दी.
अब वह सिर्फ रेड कलर की ब्रा और ब्लैक कलर की पैंटी में थी.

उस समय वह एकदम परी लग रही थी.
उसे देख कर मेरा लंड एकदम फुल टाइट हो गया.

फिर मैंने उसकी ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया और उसके एक दूध को मुँह से चूसना चालू कर दिया.
साथ ही मैं दूसरे दूध को हाथ से दबा रहा था.

धीरे-धीरे वह इतनी गर्म होती गई कि वो कामुक आवाजें निकालने लगी.
वो सब कुछ भूल कर सेक्स का मजा लेने लगी थी.

मैंने उसके दोनों बूब्स को चूस चूस कर एकदम लाल कर दिया.
उसकी चूत में से पानी निकलने लगा.

वह कहने लगी- आह विक्की, मुझे जल्दी से चोद दो … आह अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.
पर मैं उसे अभी और तड़पाना चाहता था.

मैंने नाभि पर होंठ घुमाने चालू किए और नीचे होकर उसकी चूत पर अपने होंठ फेरने लगा.
वो भी मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी.

मैंने उसकी चड्डी को उतार दिया.
अब वह मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी.

मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ से घुमाना चालू किया; कभी जीभ पूरी अन्दर तक करता, कभी बाहर चूत के दाने को चूसता.

करीब दस मिनट तक मैंने उसकी चूत की चुसाई का मजा लिया.
इस क्रिया में वह दो बार झड़ चुकी थी.

मैंने दोनों बार उसका पूरा पानी अपने मुँह में लेकर चाट लिया था और चूत को चूस चूस कर चमका दिया था.

फिर उसने मेरे कपड़े खोले और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
एक बच्चा जैसे लॉलीपॉप चूसता है, वो एकदम वैसे ही प्यार से मेरे लंड को चूसने लगी थी.

मुझे बहुत मजा आ रहा था.
करीब 5 मिनट चूसने के बाद मेरे भी लंड से पानी निकल गया.
वह पानी पूरा मुँह में निगल गई.

फिर कुछ मिनट हम लोग ने आराम किया.
वो मेरे सीने से चिपक कर मुझे प्यार कर रही थी.

कुछ देर बाद मैंने उसके मम्मों को चूसना चालू किया और हम लोग 69 पोजीशन में आ गए.

वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूस रही थी और मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से चूस रहा था, साथ ही मैं उसकी गांड में उंगली कर रहा था.

इस तरीके से 10 मिनट करने से हम दोनों फिर से पूरे जोश में आ गए.
अब मैं उसको बेड पर लेटा कर उसकी चूत के पास आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख कर जैसे ही धक्का मारा, मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया.

उसे दर्द होने लगा.
वो बोली- आह नहीं … निकाल लो.

पर मैंने उसकी एक नहीं सुनी और एक और धक्का मार दिया, जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

उसकी आंखों से आंसू निकल आए.
मैं धीरे धीरे उसके बूब्स चूसने चालू कर दिए.

इससे उसे आराम मिलने लगा और वह मुझसे चुदाई करवाने लगी.

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों का पानी निकल गया.
फिर मैं उसके ऊपर से उठा और कपड़े पहन कर ऑफिस आ गया.

उसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम दोनों चुदाई का आनन्द लेते; कभी उसके घर पर, कभी मेरे ऑफिस में, कभी होटल में.

हम लोग अब लगभग रोज ही सेक्स करने लगे थे.
फीमेल वर्कर सेक्स का खेल आज भी चालू है.

पिछले दस सालों में उसने कभी मुझे अपनी गांड मारने नहीं दी थी पर कल ही मैंने उसके गांड मारी.
उसमें मुझे बहुत मजा आया.

वह सेक्स कहानी मैं आपको अगली बार लिखूंगा.

प्रिय पाठको, अगर मुझे लिखने में कोई गलती हो गई हो, तो प्लीज़ क्षमा करना.
ये मेरी एकदम सत्य घटना है. मैंने सिर्फ़ वही लिखा है, जो सच है.
आपको मेरी फीमेल वर्कर सेक्स कहानी कैसी लगी? मुझे मेल करना.
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