भाबी Xxx कहानी में मेरे पति एक महीने के बिजनेस टूर पर गए तो मेरी चूत लंड मांगने लगी. मैंने पति को जल्दी आने को कहा तो उन्होंने मेरी चूत के लिए क्या इंतजाम किया?
हैलो फ्रेंड्स, आप लोगों ने मेरी सेक्स कहानी
जिस्म की हवस ने लेस्बियन बना दिया
बहुत पसन्द की और आप सबके मुझे हजारों की तादाद में ईमेल मिले.
मुझे मिले ईमेल में बहुत लोगों ने पूछा कि मेरी ये सेक्स स्टोरी रियल है या यूं ही काल्पनिक है.
तो मैं आप सबको बता दूँ कि मैं जितनी भी कहानियां आपके साथ साझा करूंगी, सभी मेरी जिन्दगी में घटी सच्ची सेक्स कहानियां ही होंगी.
इस बार की भाबी Xxx कहानी मेरी नहीं बल्कि मेरी एक प्रिय पाठिका की है.
उसने मुझसे आग्रह किया कि मैं उसके सेक्स का एक्सपीरियंस अपनी तरह लिख कर आप सभी के साथ शेयर करूं.
फ्रेंड्स शीतल ने जितना मुझे बताया उतनी लम्बी कहानी तो मैं नहीं लिख सकती, इसलिए मैंने इसे थोड़ा शार्ट में लिखा है.
थोड़ा आप अपनी तरफ से इमेजन कर लीजिएगा.
मेरी प्रिय पाठिका का नाम शीतल है, जो शादीशुदा है.
शीतल की उम्र 32 साल है, उसका रंग गोरा है, फिगर 36-32-38 का है और ऊंचाई साढ़े पांच फीट की है.
अब आगे की कहानी आप शीतल की जुबानी सुनें.
मेरी ससुराल में मेरी एक ननद, एक देवर, सास-ससुर, मैं और मेरे पति रहते हैं.
मेरी शादी को पांच साल हो चुके थे. मेरे पति मुझे बेहद प्यार करते हैं.
शादी के बाद से मैंने गैर मर्दों से चुदवाना छोड़ दिया था.
मेरे पति मेरी चूत को जमकर रोज चोदा करते थे, मगर बीते समय में कोरोना के कारण उन्हें बिजनेस में नुकसान हो गया था.
तब से वे मुझे हफ्ते में एक बार या ज्यादा से ज्यादा दो बार ही चोद पाते हैं क्योंकि उन्हें अपने बिजनेस को संभालने में कुछ ज्यादा समय देना पड़ रहा था, इस वजह से उनकी व्यस्तता बढ़ गई थी.
एक बार उन्हें बिजनेस के सिलसिले में एक महीने के लिए बाहर जाना पड़ा.
मैंने जैसे-तैसे एक हफ्ता गुजार लिया, मगर उसके बाद मेरी चूत में आग लगने लगी.
मैं रोज अपने पति को फोन करके जल्दी आने को कहती.
रात की गहराइयों में तन्हा बिस्तर पर, नंगी पड़े, उन हसीन लम्हों को याद करके अपने हाथों से अपनी चूत की आग बुझाती.
दूसरा हफ्ता भी गुजर गया, अब तो मेरी चूत किसी का भी लंड लेने को तैयार हो गई थी.
मैंने अपने पति को बताया कि मुझसे अब रहा नहीं जा रहा.
उन्होंने मेरी तकलीफ समझी और कहा- तुम टेंशन मत लो, मैं जल्दी आ रहा हूँ. तब तक मैं तुम्हारे लिए कुछ करता हूँ.
उस रात भी मैंने बाकी रातों की तरह ही बिताई.
अगली सुबह मैं 8 बजे उठी.
रोजमर्रा के अपने काम खत्म किए और नहाकर वापस टीवी हॉल में बैठ गई.
मेरे ससुर और सास किसी रिश्तेदार की पूजा में चले गए और उन्होंने बताया कि देर हुई तो वे लोग कल वापस आएंगे.
मेरी ननद रेशमा भी अपने कॉलेज के लिए चली गई.
तभी मेरा देवर विशाल, जो कि 26 साल का मस्त मर्द है, टॉवेल लपेटे हुए बाथरूम से निकला.
वह मुझसे बोला- भाभी, जल्दी से नाश्ता लगा दो. मुझे काम से जाना है.
उसकी गठीली बॉडी देखकर मेरे मन में देवर से चुदने की इच्छा होने लगी.
मेरे मुँह से निकल गया- कोई नहीं है घर पर. तुम भी चले जाओगे तो मैं अकेली पड़ जाऊंगी. तुम्हारा जाना जरूरी है क्या?
विशाल ने मेरे गाल खींचते हुए कहा- भाभी, आपसे तो भैया और पापा भी डरते हैं. आप किससे डरने लगीं? मैं शाम तक आ जाऊंगा … ओके!
मैंने नाश्ते की प्लेट लगाई.
वह तैयार होकर आया, नाश्ता किया और चला गया.
मैं सोफे पर बैठकर टीवी देखने लगी.
उस वक्त मैंने हल्के हरे रंग की साड़ी पहन रखी थी. स्लीवलेस ब्लाउज के साथ मैंने अन्दर ब्लैक कलर की पैंटी और ब्रा पहनी थी.
कुछ देर बाद टीवी पर रोमांटिक सीन आया और मेरा हाथ मेरी साड़ी ऊपर करके मेरी चूत पर चला गया.
मैं सोफे पर सिर पीछे करके अपनी चूत मसलने लगी.
कुछ ही मिनट हुए होंगे कि डोरबेल की आवाज आई.
मैंने देखा दरवाजे पर मेरे पति का दोस्त सुनील था.
मैंने कहा- अरे भैया … उन्होंने आपको बताया नहीं क्या? वे तो बाहर गए हुए हैं.
सुनील ने कहा- क्यों … मैं आपसे मिलने नहीं आ सकता क्या?
मैंने कहा- अरे ऐसा नहीं है. आइए न … अन्दर आइए प्लीज!
सुनील के अन्दर आते वक्त उसके परफ्यूम की खुशबू बड़ी मनमोहक-सी लगी.
मैं पानी लेने गई और सुनील सोफे पर बैठ गया.
‘लीजिए पानी … क्या लेंगे, चाय या कॉफी?’
सुनील बोला- बाकी लोग कहां हैं?
मैंने कहा- सब बाहर गए हुए हैं, शाम तक आएंगे.
सुनील को ग्लास देने के लिए झुकते ही वह मेरे बूब्स देखने लगा.
उसने मेरे हाथों को भी अजीब तरह से टच किया.
मैंने झटके से हाथ हटाया और कहा- भैया … आप ये क्या कर रहे हो?
सुनील बोला- अरे पीयूष ने ही मुझे भेजा है, आपका ख्याल रखने के लिए!
मैंने गुस्से में कहा- क्या बकवास कर रहे हो … आप होश में तो हो?
तभी मेरे पति का फोन सुनील के फोन पर आया.
सुनील ने फोन उठाते हुए कहा- हां भाई, तेरे ही घर पर हूँ. मगर भाभी तो नाराज़ हो रही हैं. ये ले … तू खुद ही भाभी से बात कर ले!
मैंने चिल्लाते हुए कहा- पीयूष, ये क्या है. ये सुनील मेरे हाथ को जबरदस्ती पकड़ रहे थे!
पीयूष ने शांत स्वर में जवाब दिया- रिलैक्स डार्लिंग … तुमने कहा था ना कि तुमसे रहा नहीं जा रहा. मैं आकर सब बताऊंगा. अभी सुनील जैसा कहता है, वैसा कर लेने दो. बाकी मैं मीटिंग में जा रहा हूँ … तुम्हें सब आकर बताऊंगा!
फोन कट गया.
मेरी चूत में तो पहले से ही आग लगी थी.
लंड की जुगाड़ देखते ही मैं सुनील को फोन वापस करती हुई हल्के से मुस्कुरा दी.
सुनील ने मेरा हाथ पकड़ कर जोर से खींचा.
मैंने उसकी गोदी में लगभग गिरते हुए कहा- आह … आराम से भैया, लग जाएगी मुझे!
सुनील ने हंसते हुए कहा- अरे डार्लिंग, ऐसे कैसे लगने देंगे आपको. आप तो मेरी फेवरेट हो!
यह कहकर उसने मेरी साड़ी का पल्लू सरकाया और मेरे गले को चूमने लगा.
मेरी आंखें बंद हो गईं और मैं उसके चुम्बनों का आनंद लेने लगी.
सुनील कभी मेरे गले के दाईं ओर चूमता, तो कभी बाईं ओर … मैं अपनी गर्दन इधर-उधर करती हुई हल्की-हल्की सांसें भरने लगी.
सुनील ने अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ी और कहा- अरे वाह भाभी … आपकी कमर तो मेरी सरोज से भी ज्यादा मखमली और कोमल है.
मैं कुछ नहीं बोली. उस वक्त मुझे सिर्फ अपनी चुदास खत्म करना सूझ रहा था.
फिर वह मेरे होंठों को चूमने लगा.
मैं भी एक मर्द के स्पर्श के लिए तड़प रही थी, तो गर्म होकर मैंने भी सुनील का साथ देना शुरू कर दिया.
सुनील मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी बांहों को जकड़ कर मेरे कंधों और पीठ को रगड़ने लगा.
वह मेरे गले पर चूमते हुए मेरे उरोजों पर भी अपनी जीभ लगाकर चूमने लगा.
इसी बीच सुनील ने मेरे ब्लाउज़ के हुक खोले और मेरे ब्लाउज़ को जमीन पर गिरा दिया.
मेरी काली ब्रा के ऊपर से ही वह मेरे दूध मसलने लगा और फिर से मेरे होंठों को चूमने लगा.
‘आह भाभी … पीयूष ने आपके मम्मों को कितना बड़ा कर दिया. आज मेरी बारी है.’
सुनील ने मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को चूमना शुरू किया और मेरे निप्पलों पर दांतों से हल्का-हल्का काटने लगा.
‘भाभी आपके जिस्म की खुशबू से तो अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाएगा!’
मैं भी अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी.
मैंने सुनील का लौड़ा पैंट के ऊपर से पकड़ लिया और अलग-अलग तरीकों से उसे छूने लगी.
मैंने आंखें बंद करके सब कुछ महसूस करना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद सुनील ने मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स बाहर निकाले और मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से चूसने लगा.
मुझे बहुत मज़ा आने लगा.
वह अपने हाथों को लगातार मेरे शरीर पर रगड़ रहा था.
फिर सुनील ने अपनी शर्ट खोलने के लिए मुझे छोड़ा.
मैं दूसरे सोफे पर बैठ गई.
सुनील ने अपना लौड़ा बाहर निकाला. उसका लौड़ा करीब 7 इंच लंबा और 3 से 3.5 इंच मोटा होगा.
वह मेरे मुँह के पास आया और मुझे चूसने को कहा.
मैंने कहा- सुनील जी प्लीज़ … मैं ये नहीं करूँगी. मैं सिर्फ अपने पति का ही चूस सकती हूँ, आपका नहीं!
सुनील ने हंसते हुए कहा- अरे भाभी, कोई बात नहीं. चलो आओ, अब मैं आपकी नमकीन चूत चाटना चाहता हूँ!
सुनील नीचे बैठ गया.
मैंने अपनी साड़ी ऊपर की और टांगें खोल दीं.
‘अरे वाह भाभी … इतनी साफ चूत!’
सुनील ने कहा और मेरी चुत को सूंघने लगा.
मैंने अपनी चुत को उसके मुँह पर रगड़ते हुए जवाब दिया- हां सुनील जी, आज ही साफ की है. अब देखते ही रहोगे या चाटोगे भी!
सुनील मेरी जांघों को चूमने लगा और धीरे धीरे मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा.
मैंने सुनील के सिर पर हाथ फेरना शुरू किया और दूसरे हाथ से सोफे के पीछे का हिस्सा कसकर पकड़ लिया.
सुनील ने मेरी चूत के दाने को अपने होंठों में दबाया और जीभ से गुदगुदी करने लगा.
मैं हल्की-हल्की आहें भरती हुई अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी.
मैं सुनील से चिल्लाई- आह और चाटो … और जोर से चाटो!
सुनील ने मेरी चूत के दाने पर जीभ फेरते हुए मेरे छेद में उंगली भी डाल दी.
इस मादक अहसास से कुलबुलाते हुए मैंने आंखें बंद कर लीं और अपने होंठों को दबा कर इस सुख का मज़ा लेना शुरू कर दिया.
मेरी चूत का पानी सुनील पीता रहा.
सुनील ने पाँच मिनट तक मेरी चूत को जी भरकर चाटा.
मैंने कहा- बस सुनील … अब और नहीं. आओ, चोदो मुझे!
सुनील का लौड़ा मेरे पति से थोड़ा छोटा था, मगर मोटाई में उससे ज़्यादा था.
सुनील ने मेरी गोरी जांघों को पकड़ा और अपने लौड़े पर थूक लगाकर मेरी चूत में सुपाड़ा घुसा दिया.
मेरी हल्की-सी आह निकली.
सुनील ने पूछा- कैसा लगा भाभी, मेरे लंड का झटका?
मैंने कहा- सुनील चोदो मुझे. मेरी चूत मारो आह जोर जोर से पेलो … प्लीज़! सुनील ने जवाब दिया- जो हुकुम भाभी!
उसने जोर-जोर से धक्के देने शुरू कर दिए.
सुनील मेरी जांघों को पकड़कर मसलने लगा और मेरी चूत में धक्के मारने लगा.
मेरी ब्रा मेरे बूब्स के नीचे थी और मेरी साड़ी मेरी कमर पर लटक रही थी.
मेरे दोनों दूध झटकों के साथ झूलने लगे.
मैंने दोनों हाथों से सोफे को पकड़ कर अपनी चुदाई का मज़ा लिया.
सुनील ने पूछा- मज़ा आ रहा है न भाभी?
मैंने जवाब दिया- हां सुनील. तुम बस चोदते रहो. रुकना मत!
फिर सुनील ने और तेज़ धक्के मारने शुरू किए.
मैंने अपनी साड़ी को नीचे दबाया और सुनील के लंड को अपनी चूत में अन्दर-बाहर जाते देखने लगी.
सुनील को देखकर मेरे चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान आ गई.
सुनील ने मुझे पैरों से और बाहर की ओर खींचा और मेरे पैरों को जोड़ कर मुझे अपनी तरफ पकड़ने को कहा.
इससे मेरी चूत और गांड का छेद ऊपर की ओर हो गया.
अब सुनील ने सोफे के किनारे पर खड़े होकर ऊपर से मेरी चूत में दोबारा अपना लौड़ा डाला और नीचे की ओर दबाते हुए मेरी चूत मारने लगा.
सुनील अपना लौड़ा जोर-जोर से मेरी चूत में ऊपर से नीचे डाल रहा था.
मैं अपने पैरों को पकड़कर अपनी चुदाई को खिड़की के शीशे में देखने लगी.
उसे चोदते देखकर मैं और गर्म हो गई और मेरे मुँह से तरह-तरह की आवाज़ें निकलने लगीं.
मैं लगातार सुनील को चोदने के लिए उकसाती रही.
कुछ ही पलों में मेरी चूत फट पड़ी.
मैंने सुनील से कहा- सुनील जी, प्लीज़. अपना माल बाहर गिराना … अन्दर नहीं.
उसके लौड़े का इतना प्रेशर था कि उसने इतनी लंबी पिचकारी मारी कि मेरे चेहरे से लेकर सोफे का लेदर तक गीला हो गया.
उसका माल मेरे माथे से लेकर मेरे पेट और चूत तक एक लाइन बना चुका था.
आगे की चुदाई में क्या हुआ, वह मैं आपको भाबी Xxx कहानी के अगले पार्ट में लिखूँगी.
तब तक के लिए आपको यह बताना है कि शीतल की चूत की गर्मी ने आपको गर्म किया या नहीं … और आप अगर सुनील की जगह होते तो शीतल को किस तरह चोदते.
शीतल को आपके कमेंट्स का इन्तज़ार रहेगा.
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