मैंने दोस्त की प्यासी मां को चोदा

सेक्स विद फ्रेंड मॉम फक स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपने दोस्त के घर जता था उसके पूरे परिवार से मैं घुला मिला था. उसके मम्मी पापा बहुत लड़ते थे. मैंने उसकी मम्मी को चोदा. कैसे?

दोस्तो, मेरा नाम जॉय है और मैं एक साधारण सा लड़का हूँ, पर मेरी आंखें नीली रंग की हैं, जिससे मैं बहुत आकर्षक दिखता हूँ. कोई भी औरत या लड़की मुझे देख कर मुझ पर एकदम से मोहित हो जाती है.

आज मैं अपनी ज़िंदगी का एक सच्चा वाकिया आपको बताने जा रहा हूँ.

सेक्स विद फ्रेंड मॉम फक स्टोरी पढ़ें.

मेरा एक दोस्त है, उसका नाम मुकुल है. उसके पापा बैंक में काम करते हैं.

उसकी फैमिली में मुझे सब काफ़ी पसंद करते हैं. मैं अक्सर उसके घर जाता रहता हूँ.
कई बार मैंने महसूस किया था कि मुकुल की मम्मी कुछ उदास रहती थीं.

मुकुल की मम्मी से आपका परिचय करवा देता हूँ. उनका नाम नीलम आंटी है और उनकी उम्र लगभग 40 साल के आस पास की रही होगी.
वे दिखने में काफ़ी सुंदर हैं या साफ़ कहूँ तो वो काफ़ी ज़्यादा सेक्सी हैं. वे दिखने में बिल्कुल एक अमेरिकन एमएलएफ की तरह लगती हैं. बड़े बड़े दूध, मोटी गांड और कामुक सी आंखें, मादक बदन … सच में वो बिल्कुल उर्वशी रौतेला जैसी दिखती हैं.

उनके और उनके पति रमेश के बीच में काफ़ी लड़ाई होती रहती थी. कई बार वो दोनों मेरे सामने भी झगड़ना चालू कर देते थे.
एक बार उनके बीच बात इस कदर बढ़ गई थी कि मुकुल के पापा ने नीलम यानि मुकुल की मम्मी के ऊपर हाथ भी उठा दिया था.

हालांकि मैं सोचता था कि मुझे क्या करना, ये उनका मामला है, वो आपस में समझ लेंगे.
नीलम आंटी काफ़ी मुश्किल दौर से गुजर रही थीं, ये बात सही थी.

फिर एक दिन मैं मुकुल को बुलाने उसके घर गया, तो वो तो मुझे नहीं मिला.
कई बार आवाज़ लगाने के बाद नीलम आंटी बाहर आईं और मुझसे बोलीं- मुकुल घर पर नहीं है.

मैंने देखा कि वो उस समय काफ़ी उदास दिख रही थीं और उनकी खूबसूरत आंखों में आंसू भरे हुए थे जो मोती की तरह लग रहे थे.

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पूछ लिया- आंटी आप रो क्यों रही हैं. आपकी तबियत तो ठीक है ना!
बस इतना सुनते ही मुकुल की मम्मी रोती हुई अन्दर चली गईं और कमरे में जाकर बेड पर बैठ कर रोने लगीं.

मैं भी पीछे पीछे अन्दर घुस गया था. वह अपने बेड पर उल्टी पड़ी हुई थीं.
मैंने आंटी को देखा, उन्होंने उस दिन काली साड़ी पहनी थी.
वो बिल्कुल सेक्सी नागिन जैसी लग रही थीं.

नीलम आंटी का सेक्सी फिगर देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा और पूछा- क्या हुआ आंटी जी?

नीलम आंटी उठ कर बैठ गईं और बोलीं- कुछ नहीं बेटा, आप मुझे अकेला छोड़ दो!
मैं- कुछ तो हुआ है, आप बताओ क्या हुआ. अगर आपकी तबियत खराब है, तो मैं आपको हॉस्पिटल ले चलता हूँ.

नीलम आंटी- नहीं बेटा, मैं ठीक हूँ. मुझे खुशी हुई कि तुमने मुझसे पूछा. बस एक तुम ही हो, जो मेरी केयर करते हो.
मैं- तो आप रो क्यों रही हो, वजह तो बताओ?

नीलम आंटी- कुछ नहीं बेटा, ये तुम्हारे मतलब की बात नहीं है, तुम जाओ.
मैं- कहीं आपकी फिर से अंकल से लड़ाई तो नहीं हुई?

नीलम आंटी- हां यही बात है, वो कमीना ही है मेरे दुख की वजह!
मैं- मैं समझ सकता हूँ आंटी, पर अब आप कर भी क्या सकती हो?

नीलम आंटी- हां बेटा, जिसको करना चाहिए, वो तो कुछ करता नहीं.
मैं- आप रोइए मत, आप मुझे अपना सारा दुख बता दो, दु:ख बांटने से घटता है. आपको अच्छा भी फील होगा.

नीलम आंटी- मैं क्या बताऊं बेटा, मुकुल के पापा और मेरी शादी को 22 साल हो गए हैं. शुरुआत में तो सब ठीक था लेकिन इनकी शराब की आदत ने मुझे बेबस कर दिया है.
मैं- तो सिर्फ़ शराब ही आपका दुख है?

नीलम आंटी- नहीं, शराब से मुझे कोई दुश्मनी नहीं, बल्कि उनके व्यवहार से है. वह रोज शराब पीकर मुझे मारते हैं और मारने से ज़्यादा दुख तो उस धोखे का है …
वो आधी बात कह कर चुप हो गईं.

मैं- कैसा धोखा?
नीलम आंटी- असलियत में उनका चक्कर कहीं और चल रहा है, इसलिए वो ऐसा करते हैं.

मैं- ऐसा कैसे हो सकता है आंटी, आप तो इतनी खूबसूरत हो. आपके होते हुए भला कोई कैसे किसी दूसरी औरत को देख सकता है?
नीलम आंटी- शुक्रिया बेटा, पर मैं इतनी भी खूबसूरत नहीं हूँ. दो बच्चों को जन्म देकर मेरा फिगर बिगड़ चुका है शायद, इसी लिए वो मुझे पसंद नहीं करते हैं.

मैं- ऐसा किसने कहा, आप तो अभी भी इतनी सुंदर हैं कि कोई बता ही नहीं सकता कि आप 2 बच्चों की मां हैं.
नीलम आंटी- नहीं ऐसा नहीं है.

मैं- अगर आप बुरा ना मानो तो मैं एक बात बोलूँ?
नीलम आंटी- हां बोलो.

मैं- अगर आप मेरी वाइफ होती ना, तो मैं कभी किसी दूसरी औरत को कभी नहीं देखता … और आपके इस जिस्म से चुंबक की तरह चिपका रहता.
नीलम आंटी अचानक खड़ी हो गईं और बोलीं- ये तुम क्या कह रहे हो, मैं तुम्हारे दोस्त की मां हूँ. तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो?

मैं- नहीं, मेरा वो मतलब नहीं था आंटी, मैं तो बस आपकी तारीफ कर रहा था और ये झूठी तारीफ़ नहीं है, मैं एकदम सच बता रहा हूँ.
नीलम आंटी- नहीं सुनना मुझे सच, तुम इसी वक्त यहां से निकल जाओ.

मैं- सॉरी आंटी, अगर आपको बुरा लगा हो तो, लेकिन आप हो ही इतनी खूबसूरत. आपको देखकर कोई भी अपना आपा खो दे. इस उम्र में भी आपका फिगर इतना टाइट है और ऊपर से आपकी आंखों में जो चमक है, वो आपको सेक्सी बनाने में चार चाँद लगा देती है. अगर आप मेरी वाइफ होती ना, तो मैं आपको कभी बिस्तर से नहीं निकलने देता. आपके इस हुस्न को बर्बाद नहीं होने देता.

नीलम आंटी मेरी तरफ देखने लगीं; उनके चेहरे के भाव बदलने लगे थे.

कुछ ही पल बाद वो धीरे से बोलीं- क्या सच में मैं इतनी सुंदर हूँ?
मैं- जी हां आंटी जी, आप बहुत खूबसूरत हो. ऐसा हुस्न किस्मत वालों को ही मिलता है.

इतना बोलकर मैंने नीलम आंटी को बांहों में भर लिया और दीवार से लगा कर उनके गले पर एक किस कर दिया.

नीलम आंटी- ईसस्स … ये क्या किया तुमने? मैं एक सुशील पतिव्रता नारी हूँ.
मैं- आंटी, वो मैं अपने आपको रोक नहीं पाया. अभी भी मैं आपको छोड़ नहीं पा रहा हूँ.
नीलम आंटी- छोड़ दो मुझे!

मैं- आप क्यों अपनी लाइफ उस धोखेबाज़ इंसान के लिए खराब कर रही हो, जिसने यह तक नहीं सोचा कि उसके 2 बच्चे भी हैं.
नीलम आंटी कुछ ढीली पड़ती हुई धीमे से बोलीं- पर तुम मेरे बेटे के दोस्त हो!
मैं- तो क्या हुआ, मुकुल मेरा दोस्त है और मैं उसकी मम्मी के काम ना आ सकूँ, तो ऐसी दोस्ती का क्या फायदा?

अब तक नीलम आंटी की साड़ी ढीली हो चुकी थी.
मैं उन्हें दीवार से लगाए हुए था और अपने एक हाथ से उनके दोनों हाथों को मैंने पकड़ रखा था; साथ ही दूसरे हाथ को मैंने आंटी की कमर में डाला हुआ था.
वो मुझसे छूटने की बहुत कोशिश कर रही थीं.

मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया था और नीलम आंटी को भी अहसास हो चुका था कि मेरा लंड खड़ा हो चुका है.

नीलम आंटी- पर …
मैं- पर वर कुछ नहीं.

मैंने सीधे नीलम आंटी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
उनके होंठ ना जाने कब से प्यासे थे, वो भी मुझे किस करना चाहती थीं.

फिर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों से चिपका दिया.
अब हम दोनों इस जुर्म के बराबर के हिस्सेदार थे. सेक्स विद फ्रेंड मॉम शुरू हो गया.

फिर धीरे धीरे नीलम आंटी का हाथ मेरी पैंट तक जा पहुंचा और उन्होंने मेरे लंड को कसके मसलना चालू कर दिया.
मैंने भी उनके हाथों को छोड़कर उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके रसीले चूचों को दबाना चालू कर दिया था.

हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे अपनी अपनी लार एक दूसरे के मुँह में डाल रहे थे.
नीलम आंटी अभी भी रो रही थीं पर वो उनकी ख़ुशी के आंसू थे.

अब मैंने अपना मुँह उनके ब्लाउज में डाल दिया और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वो कसमसा उठीं.
नीलम आंटी बोल उठीं- नहीं बेटा, यह ग़लत है आह!

मैं- क्या हुआ आंटी जी, मजा नहीं आ रहा है क्या?
नीलम- आह मजा तो आ रहा है, पर तुम मुझे आंटी मत बोलो. मुझे मेरे नाम से पुकारो.

मैं- हां बिल्कुल, नीलम जी.
नीलम आंटी- बस नीलम.
मैं- ओके.

फिर मैंने नीलम आंटी को घुमा दिया और उनके ब्लाउज का हुक खोल कर उनकी पीठ को चूमना चालू कर दिया.
वो भी काफ़ी उत्तेजित हो रही थीं.

मैंने उनकी गांड पर अपना लंड रगड़ना चालू कर दिया और दोनों हाथों से उनकी चूचियां दबाने लगा.
अब मैंने आंटी का ब्लाउज उतार दिया था.

वो पूरी तरह से थरथरा रही थीं और अपनी गांड को पीछे को धकेल कर मेरे लंड को दबा रही थीं.

उनकी चूचियां एकदम कड़क हो गई थीं और मैं अपनी उंगलियों से उनके निप्पलों को खींच रहा था.
फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उन्हें घुमा कर उनकी काली साड़ी, ब्लाउज पेटीकोट और ब्रा पैंटी आदि सब उतार दिया.

अब वो मेरी सामने नंगी खड़ी थीं.
उन्हें इस तरह से देखकर बस मेरा लंड यही कह रहा था कि चोद दे इसे.
पर उनका मासूम चेहरा देखकर मुझे थोड़ी दया भी आ रही थी.

आंटी बेड पर बैठ गईं और मेरी पैंट को पकड़ कर मुझे अपनी और खींच लिया.
फिर धीरे धीरे आंटी मेरी शर्ट के बटन खोलती गईं.
उन्होंने ऊपर से नीचे तक मुझे चूमना चालू कर दिया.

वो किसी प्यासी कुतिया की तरह मुझे चाट रही थीं.
फिर उन्होंने मेरी पैंट उतार दी और मेरे मोटे काले लंड के दर्शन किए.

वो मेरा लंड देख कर बोलीं- हाय ये क्या है … ये तो मुकुल के पापा से बहुत बड़ा है.
मैं- हां तो क्या हुआ, पसंद तो आया ना?
नीलम आंटी- हां, पर ये मोटा बहुत है.
मैंने कहा- इतना मोटा भी नहीं है यार कि तुम्हारी चूत में न जा सके.

ये कह कर मैंने आंटी को खड़ा कर दिया और उनके बालों में हाथ डालकर किस किया.
वो अभी भी कुछ शर्मा रही थीं.
पर मैं कहां रुकने वाला था.

मैंने उन्हें ज़ोर से धकेला, जिससे वो बेड पर गिर गईं.
मैं उनके ऊपर चढ़ गया और इस बार हम दोनों अपनी जीभ को जीभ से मिला रहे थे.

अब मेरा खुला लंड आंटी की गीली चूत पर रखा था. उनकी चूत काफ़ी टाइट हो चुकी थी.
मैं बार बार आंटी की चूत पर लंड को रगड़ रहा था, जिससे वो सिसकारियां भर रही थीं.

नीलम आंटी- उम्मह … अब बस भी करो … और कितना तड़पाओगे?
मैं- रूको थोड़ा सब्र करो.
नीलम आंटी- पिछले दो सालों से सब्र ही तो कर रही हूँ. बस अब और इंतज़ार नहीं होता.
मैं- अच्छा, तो लो.

मैंने उनकी दोनों टांगों को उठाया और उन्हें अपनी तरफ़ खींच कर उनकी चूत पर लंड रख दिया.

नीलम आंटी- थोड़ा आराम से करना, में इतना बड़ा लंड झेल नहीं सकती.
मैं- ओके, पर मैं कोशिश तो बहुत कर रहा हूँ. पर आपकी चिकनी चूत पर लंड फिसल रहा है. मैं अन्दर नहीं डाल पा रहा हूँ.

नीलम आंटी- रुक, लाओ मुझे करने दो, मैं अन्दर ले लेती हूँ.

फिर नीलम आंटी ने शर्माते हुए मेरा लंड अपने कोमल हाथों में पकड़ा और दूसरे हाथ पर थूक कर थोड़ा थूक मेरे लंड के टोपे पर लगा दिया. फिर उन्होंने अपनी चूत पर लंड को थोड़ा मसला और लंड पकड़ कर अपनी चिकनी और गीली चूत में रख लिया.

नीलम आंटी- चलो, अब थोड़ा थोड़ा ज़ोर लगाओ.
मैं- ओके.

मैंने धीरे धीरे अपना लंड उनकी चूत में घुसेड़ना चालू किया, जिससे मेरा टोपा अन्दर घुस गया.
फिर उन्होंने एक लंबी सिसकारी भरकर अपना हाथ हटा लिया.

नीलम आंटी- अब शुरू हो जाओ, इतना मत तरसाओ मुझे!
मैंने पहले तो धीरे से शुरुआत की, जिससे उनकी टाइट चूत थोड़ी खुल सके.
फिर अचानक से अपनी पूरी जान लगा कर ज़ोर से खुद को धकेला और एकदम से मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में घुस गया.

नीलम आंटी- आईईईई … ये क्या किया उफ़फ्फ़ बाहर निकालो इसे … आह!
मैं- रूको यार, अभी तो अन्दर ही गया है.

नीलम आंटी- नहीं नहीं, दर्द हो रहा है, मैं इसको अपने अन्दर फंसता सा महसूस कर रही हूँ.
मैं- मेरा लिए थोड़ा सा दर्द झेल लो ना!

नीलम आंटी- ये मैं क्या कर रही हूँ, अपने बेटे के दोस्त के साथ चुदाई आह.
मैं- ये सब बकवास छोड़ो और चुदाई में ध्यान दो.

फिर मैंने उनको ज़ोर ज़ोर से चोदना चालू कर दिया था. अपना पूरा लंड अन्दर बाहर कर रहा था.
उनकी चूत काफ़ी टाइट थी तो मेरा लंड बार बार फंस रहा था.

उन्होंने थूक लगाने को कहा और मैंने वही किया.
आंटी की चूत में फंसे अपने लंड पर थूक थूक कर उनकी चुदाई करने लगा.

नीलम आंटी- अइया … आह … उहह … बस … निकाल लो आंह मैं मर गई … उईई.
मैं- चुप हो जाओ यार, कोई सुन लेगा.

नीलम आंटी- आह इतना दर्द … उमां आह.
मैं- ज़्यादा दर्द हो रहा है, तो निकाल लूँ?

नीलम आंटी- नहीं … आह करते रहो आह … उफ्फ़ … यहह … बस धीरे धीरे से.
वो चिल्लाती रहीं और मैं उन्हें चोदता रहा.

अब वो बार बार अपने हाथों से मुझे धकेलने लगीं, जिससे लंड पूरी तरह अन्दर ना जाए. इससे मुझे मजा नहीं आ रहा था.

मैंने उनकी दोनों टांगें अपने कंधों से हटा कर एक ओर रख दीं, एक हाथ से टांगों को दबाया और दूसरे से उनके हाथ को पकड़ लिया.
बीच बीच में मैं आंटी के चूचों को भी दबा देता था, जिससे वो और ज़्यादा गर्म होती जा रही थीं.

ये सिलसिला करीब 15 मिनट तक चला.

नीलम आंटी- अब क्या करूं … आह नई चादर खराब हो जाएगी … अहह!
मैं- क्यों?
नीलम आंटी- मैं छूटने वाली हूँ आह!

मैं- अच्छा, तो मैं और ज़ोर से चोदता हूँ. चादर का क्या है. वो मैं दूसरी ला दूँगा.
नीलम आंटी- नहीं, और जोर से नहीं, तुमने और तेज़ी से कुछ किया तो आह … मैं मर जाऊंगी अगर उफ़.

अब नीलम आंटी चरम पर थीं और मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी.
उन्होंने अपना दूसरा हाथ अपनी टांगों के बीच से निकाल कर अपनी चूत को सहलाना चालू कर दिया.

मैंने यह देख लिया और उनकी टांग मोड़ कर उनका दूसरा हाथ भी पकड़ लिया.
दोनों हाथों को मैंने उनके चूचों पर रखा और पूरी ताकत से चोदना चालू कर दिया.

उनके दांत भिंच गए थे.
फिर उन्होंने धीरे धीरे अपनी टांगें खोल दीं.

अब मैं आंटी के ऊपर पूरी तरह से चढ़ गया और जानवरों की तरह उन्हें चोदता रहा.
वो बीच बीच में मुझे रोक रही थीं लेकिन वो ये भी चाहती थीं कि मैं उन्हें चरम सुख दूँ.

मैं भी पूरी जान लगा कर उन्हें चोदता रहा.
उनकी चूत अब कुछ खुल सी गई थी और फड़क रही थी.
वो मेरी आंखों में देखकर बस एक ही बात बोली जा रही थीं.

नीलम आंटी- आह अब रुकना मत … तुम्हें मेरी कसम है. बस चोदते जाओ … मुझे आज चरम सुख दिला दो … मैं पूरे जीवन भर से प्यासी हूँ. मेरी प्यास बुझा दो आह चोदो मुझे … आह ज़ोर से.
वो बिल्कुल चरम सुख की सीमा पर थीं. उनका जिस्म अकड़ उठा था.

फिर अचानक से उनकी आवाज़ आनी धीमी होती गयी. उनकी आंखें ऊपर को चली गईं.
एक बार को तो मैं भी डर गया, पर मैं रुका नहीं. जंगली जानवर बनकर उन्हें चोदता रहा.

फिर एक मिनट के बाद अचानक से वो जोश में आना चालू हुईं और उन्होंने अपने हाथों को छुड़ा कर चादर को कस के पकड़ लिया.
मैंने अपने हाथों को उनके चूचों पर रख दिया.

ये सब करते करते आंटी ने अचानक से ज़ोर से चीखना चालू किया और कभी इधर तो कभी उधर सर घुमाती हुई तड़फने लगीं.
उनका हाथ बार बार नीचे जा रहा था, वो अपनी चूत सहलाना चाहती थीं पर मैंने उन्हें यह करने नहीं दिया.

अचानक से उनकी चूत से ढेर सारा पानी निकल पड़ा और वो एक मदहोशी में खो गईं.
फिर धीरे धीरे वो नॉर्मल होने लगीं और उन्होंने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.

मैंने खुद को ढीला छोड़ दिया और उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.
वो मुझे किस करने लगीं.

नीलम आंटी- आज तुमने मुझे जीवन में पहली बार चरम सुख दिया है. मैं तुम्हारी बहुत बहुत आभारी हूँ.
मैं- इसकी कोई ज़रूरत नहीं, वो तो ये चूत इतनी प्यारी है कि बस मैं उसे चोदता ही गया.

नीलम आंटी- अब मैं पूरी तरह से तुम्हारी हूँ, तुम जो चाहो, मेरे साथ कर सकते हो.
मैं- ज़रूर, फिलहाल तो मुझे भी अपना वीर्य निकालना है.

नीलम आंटी- तो मैं कहां भागी जा रही हूँ. तुम मुझे चोद लो.
मैं- पर अगर मैंने लंड को बाहर निकाला, तो हाथ का इस्तेमाल करना होगा.

नीलम आंटी- नहीं, तुम अपना माल अन्दर ही झाड़ दो, मैं भी यही चाहती हूँ क्योंकि पहली चुदाई में अंत तक साथ देना चाहिए.
मैं- अच्छा, तो अब मैं थोड़ा ज़ोर लगा कर अन्दर झाड़ देता हूँ. तुम प्रेग्नेंट तो नहीं होगी ना?

नीलम आंटी- नहीं, वो कुछ नहीं होगा, मेरी डेट्स आनी बंद हो चुकी हैं. अब मैं मां नहीं बन सकती. तुम बेफ़िक्र होकर अन्दर झड़ो.
मैं- ओके.

फिर मैं उन्हें चोदता रहा और वो भी अपना काम बखूबी कर रही थीं. मेरे होंठों को छोड़ ही नहीं रही थीं. कभी अपनी जीभ निकाल कर मेरा मुँह चाटतीं, तो कभी मेरा हाथ पकड़ कर अपने चूचे दबवातीं.
मैं भी फिर से उत्तेजित हो गया था और इस बार मैंने पूरी जान झोंक कर आंटी को चोदना चालू कर दिया, जिससे उनकी चूत से टकराता मेरा शरीर काफ़ी आवाज़ कर रहा था.

मैं- आह … बस होने वाला है!
नीलम आंटी- आह थोड़ा धीरे … उफ्फ़ … नहीं … बसस्स करो.

मैं- बस हो गया जान … आह थोड़ा सब्र करो.
नीलम आंटी- झाड़ दो … मैं अब और नहीं झेल पा रही हूँ उईईई … मांआ … बस सहन नहीं हो रहा, निकाल दो अब!

मैं- यहह … आह… हांअ … हो गया.
नीलम आंटी- आह … ये मेरी चूत से बाहर भी आ रहा है.

मैं- आंह मजा आया ना!
नीलम आंटी- हां, काश मैं रोज तुम्हारे पास आ पाती.

मैं- हां, पर जब भी तुम्हें मौका मिले, मुझे बुला लेना.
नीलम आंटी- बिल्कुल … तुम जब भी चाहे यहां आकर मुझे चोद सकते हो ओर कोई भी ज़रूरत हो तो पहले मुझे याद करना.
मैं- ओके.

फिर हम दोनों ने कपड़े पहने ओर एक दूसरे को क़िस किया.
मैंने उनके बूब्स फिर से दबाए और फिर वो मुझे दरवाजे तक छोड़ने भी आईं. मेरे बाहर जाते वक्त उनकी आंखों में आंसू थे.

उन्होंने मुझे एक और बार शुक्रिया बोला और मेरा लंड पकड़ कर मुझे किस किया.
फिर मैं वहां से निकल गया.

तो ये थी मेरी सेक्स विद फ्रेंड मॉम फक स्टोरी, इसके बाद भी हम दोनों ने कई बार सेक्स किया, जिसके बारे में आपको आगे बताता रहूँगा.
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