एक्स गर्लफ्रेंड की मम्मी की गांड चूत चोदी

मोटी गांड वाली आंटी की चुदाई की मैंने! वो मेरी एक्स गर्लफ्रेंड की मम्मी थी. एक बार उन्होंने मुझे किसी काम से बुलाया और हालात चुदाई के बन गये.

नमस्कार मित्रो, कैसे हो आप सब. उम्मीद है कि सब मस्त ही होंगे और तालाबन्दी यानि लॉकडाउन के दौरान मज़े लिए होंगे.

खैर … मेरा नाम दीपक है, मैं रूड़की से हूँ और मेरी उम्र 28 साल की है.

यह एक सच्ची मोटी गांड वाली आंटी की चुदाई की कहानी है, जो मेरे साथ तब हुई, जब उस विषय पर एक बार भी नहीं सोचा था.
ये बात मानसून के मौसम की है. तब मैं 21 साल का था.

मेरी एक प्रेमिका थी जिसकी मां मुझे बहुत पसंद थी.
उसका नाम रागिनी था.
उसकी उम्र उस समय करीब 40 साल की थी, रंग गोरा और फ़िगर 34-30-38 का था. उसका कद मुझसे थोड़ा लम्बा था.

मेरी प्रेमिका से मेरा ब्रेकअप हो चुका था पर उसकी मां से कभी कभी मेरी बात हो जाया करती थी.

एक दिन शाम को 7 बजे आंटी का फोन आया और वो मुझसे मदद मांगने लगीं कि मैं उनके ऑफिस से उन्हें घर छोड़ दूँ.
मैं घर में खाली बैठा था, तो उन्हें लेने ऑफिस चला गया.

जब मैं उन्हें लेकर वापस आ रहा था तो उन्होंने बताया कि उन्हें पहले अपने मायके जाना है, जो उनके ऑफ़िस से दो किमी दूर एक गांव में है.
मैंने उनसे कहा- आंटी मुझे घर जल्दी जाना है.

चूंकि बारिश आने वाली थी, इसलिए मैं उनके साथ गांव नहीं जाना चाहता था.

पर उन्होंने बताया कि उनके मायके और ससुराल वाले सभी एक साथ एक शादी में उनके पुस्तैनी गांव गए हैं और उनको सुबह जल्दी बस पकड़ कर शादी के निकलना है. उनकी भाभी के गहने घर में ही रह गए हैं, जिन्हें लेने उन्हें उनके मायके जाना है.

मैं आंटी का इतना रंडी रोना सुनकर पसीज गया और उन्हें वहीं ले जाने लगा.
अब तक थोड़ी थोड़ी बारिश शुरू हो गई थी पर हम ज्यादा भीगने से पहले उनके मायके आ चुके थे.

खैर … आंटी ने जल्दी से गहने उठाए और कुछ सामान लिया.
अब हम वहां से निकलने लगे, पर तभी बहुत तेज़ से बारिश आ गयी और तेज़ हवा चलने लगी.
आंटी ने कहा- थोड़ी बारिश कम हो जाए, तब चलते हैं.

मैं भी क्या करता, रुक गया.

उस वक्त तक 8-30 बज गए थे और बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी.

तभी मेरे घर से फोन आया तो मैंने उनसे झूठ बोल दिया कि मैं एक दोस्त के घर पर हूँ और बारिश रुकते ही आ जाऊंगा.
पापा ने कहा- ओके चिंता की कोई बात नहीं. तुम आराम से सुबह ही आ जाना, बारिश में भीगते हुए आने की कोई जरूरत नहीं है.

कॉल कटने के बाद मैंने आंटी से कहा- अब बारिश रुकने वाली नहीं दिख रही है. आज की रात मुझे आपके इसी घर में ही रुकना पड़ेगा.
मैंने उन्हें पापा की कही सारी बात बता दी.
उन्होंने ने भी हां कर दी.

अब दस बज चुके थे और बारिश और तेज़ हो रही थी.
फिर आंटी ने वहीं हम दोनों के लिए खाना बनाया.
खाना खाने के बाद हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे.

वो मुझे अपने पति के बारे में बता रही थीं कि वो उनके साथ मार पिटाई और गाली गलौच आदि करता है.
मैं उन्हें समझा रहा था कि सब ठीक हो जाएगा, आप टेंशन ना लो.

हम दोनों को यूं ही बात करते हुए अब तक 12 बज गए थे.
आंटी ने कहा- अब सो जाते हैं, यहां से सुबह जल्दी निकल लेंगे.
मैंने भी हां बोल दिया.

फिर आंटी ने मुझे पहनने के लिए अपने भाई के कपड़े दिए और खुद उन्होंने अपनी भाभी की मैक्सी पहन ली.

वो अन्दर वाले कमरे में लेट गईं और मैं भी वहीं कमरे में पड़े सोफे पर लेट गया.

मैंने देखा कि आंटी कुछ परेशान लग रही थीं. मैंने पूछा- क्या हुआ आंटी?
उन्होंने बताया- न जाने क्यों मेरे सर में अचानक से बहुत दर्द होने लगा है.

मैं उठा और उनके पास आकर बैठकर आंटी का सर दबाने लगा.
वो मुझे मना करने लगीं.

मैंने कहा- अरे आप टेंशन मत लीजिए आंटी …. मैं भी तो आपके बेटे जैसा ही हूँ.
ये सुनकर आंटी मुस्कुरा दीं और उन्होंने मुझसे अपना सर दबाने के लिए हां कह दी.

मेरा ऐसा करना उन्हें अच्छा लगा और हम दोनों बातें करने लगे.

अभी तक मेरे मन में कोई गलत ख्याल नहीं था पर क्योंकि मैं उनके सर के पास बैठा था तो मेरी नज़र उनकी क्लीवेज पर पड़ी और सब बदल गया.

मैक्सी ढीली होने से मुझे उनके मम्मे दिखने लगे.
आंटी काली ब्रा पहनी हुई थीं जिसमें उनके मम्मे बहुत अच्छे लग रहे थे.
मेरा 6 इंच का लंड खड़ा होने लगा.

कुछ देर बाद आंटी थोड़ी नींद में आ गई थीं तो मैं उनके सर पर हाथ फेरने लगा.
धीरे धीरे गाल और फिर होंठों पर अपनी उंगलियां फेरने लगा.

आंटी ने कोई हरकत नहीं की.
इससे मेरे अन्दर सेक्स की भूख बढ़ने लगी.
मैंने अपनी एक उंगली उनके मुँह में डाल दी और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.

उनके होंठों की पकड़ थोड़ी बढ़ी तो मैंने अपना आपा खो दिया और अपनी उंगली उनके मुँह से बाहर निकाल कर एकदम से अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए.

इससे वो एकदम से उठ गईं और मुझे हैरानी से देखने लगीं.
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि मैं उठ कर आंटी के पास आ गया.
उन्हें लगा कि मैं उनसे माफ़ी मांगूगा, पर मैंने उन्हें सर के पीछे से पकड़ा और उन्हें किस करने लगा.

वो मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगीं, पर मैंने उन्हें कसकर पकड़ लिया था.
मैं अपना एक हाथ मैक्सी के ऊपर से ही उनकी चूत पर रख कर सहलाने लगा.

पता नहीं क्यों चूत पर हाथ लगते ही उनका विरोध कुछ कम हो गया और वो किस में मेरा साथ देने लगीं.
अब हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे.

मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और उन्होंने भी ऐसा ही किया.

अब मैंने अपने हाथ उनके मम्मों पर रख दिया और अच्छे से दबाने लगा.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैं उनसे अलग हुआ और उनकी मैक्सी उतार दी.
उन्होंने काली ब्रा पैंटी पहन रखी थी.
उसे देख मुझे और जोश आ गया और पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत चाटने लगा.

वो तो पागल हुई जा रही थीं.

फिर मैंने उनकी ब्रा पैंटी भी उतार फ़ेंकी और उनकी गुलाबी चूत को अन्दर तक जीभ डाल कर चाटने लगा और चूत के दाने को चूसने लगा जिससे वो एकदम से झड़ गईं और मेरे मुँह पर माल निकालने लगीं.

मैंने उनकी चूत से निकला आधा माल पी लिया और आधा उन्हें किस करते करते उनके मुँह में डाल दिया, जिसे वो पी गईं.

अब बारी मेरे लंड की थी और मैं उसे आंटी के सामने हिलाया तो वो लंड चूसने लगीं.
पूरा लंड आंटी के मुँह में अन्दर जा रहा था.

आज पहली बार कोई औरत मेरा लंड चूस रही थी और मैं किसी भी टाइम झड़ सकता था.

तभी मैंने उनके मुँह को तेजी से चोदना शुरू कर दिया.
करीब पांच मिनट बाद मैं उनके मुँह में झड़ गया और उन्होंने भी सारा माल पी लिया.

अब मैं उनके बगल में लेट गया और उनकी चूत में उंगली करने लगा और वो मेरा लंड खड़ा करने लगीं.
उस टाइम वो किसी ब्लूफिल्म की हीरोइन से भी ज्यादा मस्त माल लग रही थीं.

धीरे धीरे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने उन्हें सीधा लेटा दिया.
उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगा कर उनकी चूत पर अपना लंड सैट कर दिया.

आंटी ने मेरी तरफ वासना से देखा और अपनी मोटी गांड उठा दी.
उसी पल मैंने एक जोरदार धक्का दे मारा जिससे लंड चूत चीरता हुआ अन्दर चला गया.

एकदम लगे धक्के से उनकी आंखें बाहर आ गईं और वो तड़पने लगीं.

मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जा चुका था और वो दर्द से कराह रही थीं.

फिर मैंने आधा लंड बाहर निकाल कर धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किए, जिससे उन्हें आराम मिलने लगा और वो अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई में मेरा साथ देने लगीं.

कुछ देर यूं ही मोटी गांड वाली आंटी की चुदाई के बाद मैंने उनको डॉगी पोजीशन में आने के लिए तैयार किया, वो पीछे से लंड लेने लगीं.

उनकी गांड देख कर मेरा दिल उनकी गांड पर आ गया और मैंने सोचा कि आज आंटी की गांड भी मार लेता हूँ.

मैंने मन पक्का कर लिया था कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलने वाला है. आज आंटी की गांड मारे बिना तो नहीं रहूँगा.

मैं चूत चोदने लगा, तभी वो झड़ गईं और मैं उनका पानी उनकी गांड के छेद में लगाने लगा.

चूत चोदते हुए मैं आंटी की गांड में उंगली करने लगा.
तभी मुझे बेड के पास नारियल के तेल की शीशी दिखी.
मैंने अपना लंड उनकी चूत से निकाला और अपनी तीन उंगली डाल के चूत चोदने लगा ताकि उनको पता ना लगे कि मैं क्या करने वाला हूँ.

फिर मैंने हाथ बढ़ा कर तेल उठाया और उनकी गांड के छेद पर तेल टपकाने लगा.
उन्हें चूत चुदाई में इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि मैं क्या कर रहा हूँ.

फिर मैंने अपनी एक उंगली तेल में भिगोकर उनकी गांड के अन्दर डाली तो तो वो उचक गईं.
वो बोलीं- उन्ह … मत करो न … गुदगुदी होती है.

मैं समझ गया कि आंटी का मन तो है मगर उन्हें अहसास नहीं है कि मेरा मूड क्या है.

अब मैंने अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर सैट करके घिसना शुरू कर दिया.
आंटी ने कुछ नहीं कहा तो मैं अपना लंड धीरे से गांड में डालने लगा.

वो मना करने लगीं- उधर मत कर यार … मेरी चूत जितनी चोदनी है, चोद लो … पर गांड मत मारो.
उनकी इस हल्की फुल्की ना में मुझे हां नजर आ रही थी और अब मैं भी कहां कुछ सुनने वाला था.

बड़ी मुश्किल से मैंने लंड का सुपारा गांड में पेला, तो वो दर्द से कराहने लगीं.
शायद आंटी का पति उनकी गांड नहीं मारता होगा, पर मुझे क्या था.

मैंने थोड़ा जोर लगाया तो मेरा लंड चिकना होने की वजह से उनकी गांड में लगभग पूरा घुस गया और वो गिर पड़ीं.

मैं भी बिना किसी हरकत के ऐसे ही उनके ऊपर पड़ा रहा.
जब वो थोड़ा हिलीं, तो लंड निकालने को बोलने लगीं पर मैं नहीं माना और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा.

कुछ देर बाद जैसे ही आंटी का दर्द कम हुआ, वो मेरा साथ देने लगीं.

बस मैं लग गया और देर तक आंटी की गांड मारता रहा.
इस दौरान मैंने आंटी की चूत में भी उंगली करना जारी रखी जिससे उन्हें डबल मजा आने लगा था.
कुछ देर के बाद मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.

चुदाई के दौरान वो भी दो बार झड़ चुकी थीं.
अब हम दोनों बहुत थक गए थे और सुबह जल्दी निकलना भी था तो अब ऐसे ही एक दूसरे को हग करके सो गए.

सुबह मैं 5-30 उठा तो देखा आंटी नंगी ही मुझसे चिपक कर सो रही थीं.

मेरा लंड फिर से तन गया और मैंने सोते हुए उनकी चूत में लंड डाल दिया और वो एकदम से उठ गईं.

मैं पूरी जान लगाकर उन्हें चोदने लगा और वो मेरे ऊपर चढ़ कर मेरा पूरा लंड अपनी चूत में लेने लगीं.
वो सुबह से कुछ ज्यादा चुदासी लग रही थीं इसलिए उछल उछल कर लंड का मजा ले रही थीं.

कुछ ही देर में आंटी झड़ गईं, पर मैं अभी नहीं झड़ा था.

वो मेरे लंड से चूत हटा कर अलग हुईं और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं.

आंटी ने मेरे लंड के सुपारे पर अपनी जीभ फिरा फिरा कर और मेरे अंडकोषों को सहला सहला कर आखिर उन्होंने मुझे झड़वा ही दिया.
लंड ने पिचकारी छोड़ी तो उन्होंने अपना मुँह लंड के सामने कर दिया.
मेरे लंड की पिचकारियां उनके हलक में जा गिरीं और आंटी मेरा सारा माल पी गईं.

फिर कुछ देख लेटे रहने के बाद आंटी उठीं और मेरा लंड चाट कर साफ करने लगीं.
अब तक 7 बज चुके थे.

हम दोनों ने नहा कर फटाफट से कपड़े पहने और नाश्ता किया.

फिर मैं उन्हें उनके घर छोड़ने चल दिया. अपने घर पहुंच कर आंटी बाइक से उतर कर बोलीं- तुमने तो मुझे लेट करा दिया.
मैंने कहा- हां आंटी लेट कर लेने में ही तो मजा आता है.

ये कह मैं हंसा और गाड़ी घुमा कर बिना पीछे देखे वापस आ गया.

मेरी मोटी गांड वाली आंटी की चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी, मुझे मेल कर बताएं.
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