बैड मॅाम डॉटर सेक्स कहानी में मेरी एक छात्रा मुझे प्यार करने लगी लेकिन वासना से भरा … वह मेरे साथ सेक्स का मजा लेने लगी अपनी चूत चटवा कर! बाद में मैंने उसकी मम्मी को उसके सामने चोदा.
मेरा नाम कृश है, मैं 22 साल का हूँ और कॉमर्स के स्टूडेंट्स को पढ़ाता हूँ.
जब मैंने एक इंस्टिट्यूट में ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, तो पहले छोटे बच्चे आए.
फिर कुछ दिनों के बाद एक कॉमर्स की लड़की अपने छोटे भाई के साथ आई.
मैंने उसे और उसके भाई दोनों को पढ़ाना शुरू कर दिया.
ऐसे करते करते कॉमर्स के छात्र और भी ज्यादा हो गए.
ज्यादा संख्या लड़कियों की थी लेकिन मैं कभी भी लड़कियों पर गलत नजर नहीं रखता था.
तब भी मेरी यह बैड मॅाम डॉटर सेक्स कहानी में मेरी एक छात्रा के साथ ही चुदाई की कहानी हुई.
दरअसल हुआ यह दोस्तो कि जो लड़की सबसे पहले पढ़ने आई थी, वही इस सेक्स कहानी की नायिका है.
उसका नाम त्रिशा था.
उसका रंग एकदम मक्खन सा गोरा था और मक्खन के जैसी ही चिकनी माल थी.
वह गदराई हुई थी और देखने में गजब की माल थी.
त्रिशा पढ़ते हुए बीच बीच में हमेशा कुछ ना कुछ कमेंट करके मुझे परेशान करती थी.
उसकी इस हरकत पर मैंने उसे कई बार डांटा और समझाया भी, पर वह हर बार मुस्कुरा कर कह देती कि अब नहीं करूंगी.
पर वह अपनी आदत से बाज नहीं आ रही थी.
तब मैंने अपने इंस्टिट्यूट के सर से भी उसकी शिकायत की. इंस्टिट्यूट के सर इस संस्था के मालिक भी हैं.
लेकिन वह लड़की पैसे वाली थी इसलिए सर ने मुझसे कहा- तुम उसे नजरअंदाज कर दिया करो. मैं उसे समझा दूँगा. वह अब आगे से परेशान नहीं करेगी.
लेकिन वह बाद में भी नहीं बदली.
फिर एक दिन इंस्टिट्यूट वाले सर एक टूर पर मसूरी लेकर गए.
जब बस एक जगह रुकी तो सब फोटो लेने लगे.
उस वक्त मेरी एक दूसरी स्टूडेंट ने बताया कि सर जब लड़कियां आपके साथ पिक ले रही थीं तो त्रिशा जल रही थी.
मैंने इस बात को अनदेखा कर दिया.
कुछ देर बाद जब बस फिर से चलने लगी तो त्रिशा ने अपनी सहेली को आगे मेरे पास भेजा.
उसकी सहेली ने कहा- सर आपको त्रिशा बुला रही है. उसे आपसे कुछ बात करनी है.
मैं पीछे उसके पास गया और बोला- तुमको कुछ बात करनी थी … बोलो?
वह बोलने लगी- सर मैं आपको पसंद करती हूँ. आप मेरे क्रश हो.
मैं तो उसकी इस साफगोई से हक्का-बक्का रह गया.
मैंने कहा- तुम होश में तो हो ना!
तो वह बोली- हां और …
फिर मैंने उसकी बात काटते हुए कहा- तुम पहले अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान दो. अच्छे मार्क्स लाओ ताकि मेरा भी नाम हो.
उसने हां कहा.
फिर हम दोनों बात करने लगे.
आज पहली बार उसके साथ बात करते हुए मुझे अच्छा फील हुआ.
फिर जब हम सब मसूरी आ गए तब सबने उधर बोटिंग की.
वह और मैं उसकी सहेली एक ही बोट पर थे.
त्रिशा मेरे ऊपर पानी फेंक रही थी.
मैंने भी उसके ऊपर पानी डाल दिया.
जब हम सब वापस घर जाने को हुए तो बस चली.
उस वक्त तक काफी रात हो गयी थी.
मैं उसके पास ही बैठा था.
उसने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और हाथ पकड़ लिया.
मैंने हाथ छुड़ाया लेकिन उसने छोड़ने नहीं दिया.
फिर मैंने भी ज्यादा फोर्स नहीं किया क्योंकि सब थके हुए थे.
उसके बाल मेरे मुँह की ओर आ रहे थे तो मैं सूंघने लगा.
उसे इस बात का पता चल गया.
वह मेरी तरफ देख कर हंसने लगी.
फिर वह धीमे से बोली- मैं पूरी की पूरी आपके पास हूँ और आप सिर्फ बाल सूंघ रहे हो?
मैं कुछ नहीं बोला.
फिर हम सब घर पहुंच गए.
दूसरे दिन जब वह ट्यूशन आई तो बोलने लगी- मैंने आज खाना नहीं खाया … लेकिन किसी को क्या फर्क पढ़ता है.
यह सब वह मुझे सुना कर बोल रही थी.
लेकिन उसके भाई के साथ होने से मैं कुछ नहीं बोला और मैंने सब अनदेखा कर दिया.
मैंने सोचा मज़ाक कर रही होगी.
फिर जब रात को दो बजे उसकी मम्मी का कॉल आया और उन्होंने बोला- त्रिशा की इंस्टिट्यूट में किसी से लड़ाई या कोई बात हुई है क्या? वह खाना नहीं खा रही है!
तब मैं समझ गया कि मसूरी की घटना से यह मुहब्बत की मारी है और इसीलिए खाना नहीं खा रही है.
मैंने उसकी मम्मी से कहा- मेरी बात कराओ, मैं उसे समझाता हूँ.
त्रिशा से मेरी बात हुई.
मैंने उससे कहा- मैं जानता हूँ कि तुम खाना क्यों नहीं खा रही हो. लेकिन अगर मुझे कुछ समझती हो तो खा लो … और कल सिर्फ़ तुम्हें आना है. तुम्हारे भाई की छुट्टी है. क्योंकि मुझे कल तुम्हें एक इंपॉर्टेंट लेसन करवाना है … समझ गई?
वह समझ गयी और उसने खाना खा लिया.
दूसरे दिन वह ट्यूशन आई तो मैंने सबके जान के बाद उससे पूछा- क्या हुआ?
वह बोली- आप मेरे क्रश हो और जब तक आप मेरे लाइफ में नहीं आते, मैं खाना नहीं खाऊंगी. कल तो आपकी वजह से खा लिया था पर अब समझ लो कि मैं भूखी ही मर जाऊँगी.
यह कह कर वह रोने लगी.
मैंने उसे चुप कराने की कोशिश की.
तो वह मेरे गले से लग गयी. मैंने भी उसे अपने आलिंगन में भर लिया.
वह मुझसे चिपक कर अपने दूध मेरे सीने से रगड़ने लगी.
मुझे भी अच्छा लगा.
फिर हम दोनों ने एक दूसरे से अपनी आशनाई का कह दिया.
अब हम दोनों रात को मोबाइल पर बात करने लगे.
हमारे बीच सेक्स चैट भी होने लगी.
फिर एक दिन वह अपना इम्तिहान देकर स्कूल से सीधे मेरे पास इंस्टिट्यूट आ गई.
मैंने उस दिन दोपहर का बैच रखा था, वह भी सिर्फ़ छोटे बच्चों का.
वह आई और उसने मुझसे कहा- मेरा इम्तिहान अच्छा हुआ.
मैंने कहा- गुड.
वह बोली- ऊपर चलो, मुझे आपसे कुछ बताना है.
हम दोनों ऊपर के रूम में आ गए.
वह रूम ऑनर सर का था.
लेकिन सर दोपहर को नहीं होते हैं.
हम दोनों वहां आकर किस करने लगे.
मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा कर चाटी और बूब्स भी चूसे.
इससे ज्यादा और कुछ नहीं हुआ क्योंकि उसे जल्दी ही वापस जाना था.
उसने जाने से पहले मेरा लौड़ा चूसने के लिए कहा.
मैंने उसे लंड चुसवा दिया.
वह बहुत खुश हुई और घर जाकर कॉल करके मुझसे बोली- मुझे आपसे और भी प्यार करना है.
मैंने कमेंट करते हुए कहा कि सेक्स!
वह शर्मा गयी.
अब रोजाना सबके जाने के बाद मैं थोड़ी देर तक उसके साथ बातें करता, उसे किस करता और उसकी चूत में उंगली डाल कर सहलाता.
वह कामुक सिसकारियां भरती.
हम दोनों इससे ज्यादा कुछ नहीं कर पाते.
फिर एक दिन उसने कहा- आपको आज मेरी चूत चाटनी पड़ेगी.
मैंने कहा- ओके.
तो मैंने उसे और उसके छोटे भाई को अलग से ट्यूशन पर बुलाया.
फिर उसके भाई को पढ़ा कर जल्दी छुट्टी कर दी.
उसने अपने भाई को चिप्स लाने दुकान भेज दिया.
मैं उसकी लैगिंग्स को नीचे करके उसकी चूत चाटने लगा.
मन तो कर रहा था कि इसे पूरी नंगी करके चढ़ जाऊं … लेकिन उसके भाई के आने के डर से नहीं किया.
ऐसा कुछ दिनों तक चला.
फिर हम दोनों एक दिन सेक्स की बातें कर रहे थे.
तो वह कहने लगी- मम्मी पापा पहले साथ साथ सोते थे, पर अब अलग अलग कमरे में सोते हैं. मैं अपनी मम्मी के पास सोती हूँ.
मैंने कहा- अपनी मम्मी की पिक दिखाना?
उसने भेजी.
मैंने देखी तो मैं तो पागल हो गया.
उसकी मम्मी बहुत सुंदर लग रही थी.
उनके भरे हुए बूब्स और भारी गांड वाली सेक्सी आंटी लग रही थी.
मैंने कहा- यार, तुम्हारी मम्मी इतनी सुंदर हैं, तब भी पापा उनके साथ नहीं सोते हैं? फिर आपकी मम्मी सेक्स कैसे करती होंगी?
वह बोली- पता नहीं यार!
फिर बोलने लगी- एक दिन मम्मी रात को 2 बजे के आस पास अपनी पैंटी को उतार कर अपने सिर के पास रख कर चूत को मसलने लगी थीं. लाइट बंद थी इसलिए उन्हें लगा मैं सो रही हूँ. लेकिन मैंने देख लिया.
मैंने बोला- आपकी मम्मी को लंड की जरूरत है और आपके पापा देते नहीं.
उसने बोला- अब मैं क्या करूँ?
मैं मन ही मन में सोच रहा था कि तुम बहुत कुछ कर सकती हो, बस एक बार अपनी मम्मी की चूत दिलवा दो.
वह बोली- छोड़ो मम्मी को … उनकी चूत वे उसे मसलें या चाहे कुछ करें … मेरी बात करो.
मैंने कहा- हां बताओ कब दे रही हो?
वह बोली कि आप घर आ जाओ हम दोनों प्यार करेंगे.
मैंने कहा- वह कैसे?
वह बोली कि आप रात को एक बजे आना. मैं दरवाजा खोल दूँगी.
मैंने कहा- तुम्हारे पापा मम्मी और भाई?
वह बोली- मैं उन्हें नींद की गोली दे दूँगी.
मैं तो खुश हो गया.
मैंने शनिवार की रात के लिए बोल दिया.
वह खुश हो गई.
मैंने उससे कहा- तुम्हारी और तुम्हारी मम्मी की गांड तो लगभग बराबर ही है. कल इंस्टिट्यूट में तुम अपनी मम्मी की पैंटी और ब्रा पहन कर आना.
तो उसने कहा- ओके.
फिर दूसरे दिन वह इंस्टिट्यूट में आई तो मैं उसे फाइल का बहाना बना कर ऊपर ले गया.
उधर उसकी पैंटी उतार कर देखा, तो उसने ब्लू कलर की नेट वाली पैंटी पहनी हुई थी.
तब मैंने उसे सूंघी और किस किया तो वह सिसकार उठी.
मैंने उसकी चूत चाटी.
मैंने उससे कहा- ये पैंटी मैं ले जा रहा हूँ. शनिवार को ले आऊंगा.
वह मना करने लगी लेकिन बाद में मान गयी.
मैं उसकी मम्मी की पैंटी घर ले गया.
घर में मैंने उसकी मम्मी की पिक देख कर और पैंटी सूंघ कर उसमें मुठ मारी.
बाद में मैं मुठ से सनी हुई पैंटी ही ले गया.
शनिवार को जब मैं उसके घर पहुंचा तो उसके साथ नंगा होकर नहाया और चूत चाटी.
मैंने उससे पूछा कि तुम कहां सोती हो?
वह बोली- मम्मी के पास!
मैंने बोला- वह जगह दिखाओ.
वह मुझे ले गयी. जब हम दोनों उसके रूम में गए, तो उसकी मम्मी एक गाउन में सो रही थीं. गाउन के ऊपर उठ जाने से उनकी पैंटी दिख रही थी.
हम दोनों मम्मी के साथ ही बेड पर सो गए और आपस में किस करने लगे.
मैंने उससे कहा कि अपनी मम्मी की पैंटी उतारो और पहन कर दिखाओ.
वह बोली- मेरे से नहीं उतरेगी, आप उतार कर देख लो.
मैं तो खुश हो गया और मम्मी की पैंटी को उतारने लगा. पैंटी उतारते समय उनकी चूत पर भी हाथ लग गया था और गांड को भी सहला लिया था.
मैंने मम्मी की चूत में थोड़ी सी उंगली डाल कर निकाली और सूँघी तो गजब की खुशबू आ रही थी.
फिर त्रिशा ने अपनी मम्मी की पैंटी पहनी और मुझे दिखाने लगी.
मैंने कहा- उनकी ब्रा को भी उतार कर पहनो प्लीज.
उसने कहा- ओके.
मैं उसकी मम्मी को नंगी करवाना चाहता था बस!
फिर मैंने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा- त्रिशा, आपकी मम्मी की चूत भी कितनी प्यासी होगी ना!
वह बोली- हां जी.
मैंने कहा- क्यों ना आज हम दोनों उनके चूत के झरने को निकाल दें!
वह बोली- जैसा आप चाहो. मुझे तो बस प्यार करना है.
हम दोनों ने मम्मी को नंगी कर दिया और मैंने मम्मी के बूब्स को दबाया और चूसने लगा.
मुझे आज एक मस्त आंटी के मिल्की बूब्स चूसने को मिल गए थे.
मैंने तो दबा दबा कर चूसे.
मैंने कहा- आपके पापा चूतिया हैं जो इतने सेक्सी बूब्स से दूध नहीं पीते.
वह बोली- हां सच में मम्मी के बूब्स बहुत सेक्सी हैं.
फिर मैंने कहा- तुम उनकी चूत को चाटो.
वह बोली- पहले तुम चाटो. मैं बूब्स दबाती हूँ.
हम दोनों यह खेल करने लगे. बैड मॅाम डॉटर सेक्स करने लगे.
तभी मैंने महसूस किया कि उसकी मम्मी की चूत से रस निकलने लगा था.
मैं समझ गया कि मम्मी जाग रही हैं और मजा ले रही हैं.
अब मैंने त्रिशा से कहा- जान, क्या मैं तुम्हारी मम्मी को चोद सकता हूँ?
वह हंस दी और कहने लगी- हां हां क्यों नहीं, बस मम्मी को भी मजा आना चाहिए.
मैंने कहा- तुम्हारी मम्मी को मजा आ रहा है.
वह बोली- यह कैसे मालूम हुआ है?
मैंने कहा- उनकी चूत से रस टपक रहा है.
वह कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराने लगी.
तभी मैं समझ गया कि ये दोनों मां बेटी चुदने के लिए मेरे जैसे मर्दों को सैट करती हैं और चूत चुदाई का मजा लेती हैं.
मैंने अगले ही पल अपने आपको नंगा किया और अपना लंड त्रिशा की मम्मी के मुँह में लगा कर कहा- अब ड्रामा मत करो आंटी … लंड चूस कर मजा लो और दो.
उसकी मम्मी हंसती हुई उठ गईं और हम तीनों ने सेक्स का मजा लेना शुरू कर दिया.
मैंने मम्मी की चूत में अपना लौड़ा पेला और त्रिशा से उनके दूध चुसवाने लगा.
लंड चूत में सटासट आने जाने लगा और मैंने मम्मी को चोदने लगा.
त्रिशा भी नंगी हो गई थी और मुझे किस कर रही थी.
फिर त्रिशा अपनी मम्मी के ऊपर लेटी और मैंने त्रिशा को और उसकी मम्मी को एक साथ चोदा.
रात में दो दो बार मम्मी के साथ त्रिशा की चुदाई की और उनके साथ ही उसी बेड पर सो गया.
मेरे एक तरफ उसकी मम्मी लेटी थीं और दूसरी तरफ़ त्रिशा थी.
हम तीनों साथ में ही नंगे सो गए.
अगली सेक्स कहानी में मैं आपको उन दोनों मां बेटी के साथ सेक्स का अगला विवरण लिखूँगा.
आप मुझे बताएं कि आपको मेरी बैड मॅाम डॉटर सेक्स कहानी कैसी लगी.
[email protected]