Www सेक्स कहानी हिंदी में मेरे पापा की सेकंड वाइफ बहुत सेक्सी माल है. लेकिन पापा को जॉब के लिए दुबई जाना पड़ा. मम्मी की चूत सूखी रहने लगी. मम्मी ने पड़ोसी को अपनी चूत दिखानी शुरू कर दी.
नमस्ते पाठको, मेरा नाम रवि है. मैं जलगांव से हूँ.
आज मैं आपसे अपना एक अनुभव साझा करने जा रहा हूँ जो वास्तव में एक सच्ची सेक्स कहानी है.
इस कहानी में मैं आपके साथ अपनी सौतेली जवान मम्मी की चुदाई के बारे में बताने जा रहा हूँ.
यह Www सेक्स कहानी हिंदी है कि कैसे मेरी मम्मी एक घरेलू महिला से चुदक्कड़ रंडी बन गई थीं.
आपका ज्यादा समय न लेते हुए, मैं अपने बारे में बताता हूँ.
जैसा कि मैंने कहा, मेरा नाम रवि है और मेरी सौतेली मम्मी का नाम चंदा है.
अभी मेरी उम्र 26 साल है और मेरी सौतेली मम्मी की उम्र 40 साल है.
दरअसल मेरी सगी मां की मृत्यु के बाद पापा ने मेरे लालन पालन के लिए दूसरी शादी कर ली थी.
मेरी सौतेली मम्मी एक गरीब घर से थीं और बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं तो पापा ने उनसे शादी कर ली.
शादी के कुछ समय बाद ही मेरे पापा काम के सिलसिले में दुबई रहने लगे थे.
मैं जवान हो गया था तो मेरी कॉलेज की पढ़ाई होने लगी थी.
मेरा कॉलेज जलगांव में ही है इसलिए मैं अपनी नई मम्मी के साथ रहता हूँ.
उनका फिगर 38-32-40 का है.
मेरी मम्मी रूप-रंग से बहुत सुंदर और कामुक हैं. उनका गोरा, मलाई जैसा बदन, बड़ी-बड़ी मोटी आंखें, काले लंबे घने बाल हैं.
उनके मम्मों का आकार भी काफी सेक्सी है.
बड़े साइज़ के गोरे मोटे और सख्त दूध देख कर मैं भी कभी कभी मुठ मार लेता था.
उनकी गदराई कमर और गोल मटोल गांड देख कर कोई भी अपने लंड को खड़ा करके मुठ मारने लगेगा.
मम्मी के बड़े 38 साइज़ के बूब्स देखते ही मेरा मन करने लगता था कि उन्हें मसल दूँ और चूस लूँ.
मम्मी की दूध घाटी के तो सभी दीवाने हैं.
उनकी चूचियों के ब्राउन निपल्स जोकि उनके ब्लाउज के ऊपर से ही कड़क दिखते थे, तो लौड़े की हालत खराब हो जाती थी.
मम्मी की लचकती हुई कमर और लेफ्ट राइट करते चूतड़ों को देखकर किसी का भी मन उन्हें उधर ही पटक कर पेलने का करेगा.
मैंने कई बार मम्मी को नंगी भी देखा है.
कई बार चुपके चुपके उन्हें नंगी देखकर मुठ भी मारी है.
मगर आज तक मैं उनकी चूत का नजारा नहीं देख पाया.
मेरी मम्मी की डीप क्लीवेज इतनी मस्त है कि वह किसी का भी लंड सख्त कर देगी.
हालांकि मेरी मम्मी ऐसी-वैसी औरत नहीं हैं जो किसी के भी नीचे लेट जाएं.
वे अपने पति के अलावा किसी से चुदाई नहीं करती थीं.
पिछले दो साल से मेरे पापा भारत नहीं आए थे, तब से मम्मी की चूत कोरी पड़ी थी.
उन्हीं दिनों बात कुछ ऐसी बनी कि मेरी मम्मी मेरे अंकल की रंडी बन गईं.
अब वे अंकल के लौड़े से चुदने लगी थीं तो उनकी चूत का भोसड़ा बन गया है.
उनकी चूत मालगोदाम जैसी हो गई है.
आज अपनी मम्मी के रंडी बनने की सेक्स कहानी को मैं आपके साथ साझा कर रहा हूँ, जो बिल्कुल सच्ची है.
बात उन दिनों की है, जब मुझे कॉलेज में छुट्टी मिल गई थी.
मुझे अब तक यानि उनकी अंकल से चुदाई से पहले तक यही मालूम था कि मेरी मम्मी बड़ी संस्कारी औरत हैं.
साड़ी ब्लाउज उनका मुख्य परिधान था.
मम्मी की नजरें बड़ी ही सादगी भरी रहती थीं. ना किसी मर्द को देखना, ना किसी गैर मर्द के बारे में सोचना.
वे भगवान की पूजा-पाठ करतीं और बड़े सलीके से घर संभालती थीं.
यह बात तब की है जब दो साल से पापा दुबई में रहने लगे थे.
काम के सिलसिले में उनका मुंबई से दुबई आना जाना लगा रहता था.
एक दिन सुबह मम्मी आंगन में कपड़े धो रही थीं.
हमारे घर का आंगन हमारे नरेश अंकल के घर से लगा हुआ है.
वे रोज सुबह आंगन में लगे पेड़ पौधों की साफ सफाई यानि गार्डनिंग करते हैं.
हमारे कपड़े धोने का स्थान उनके बगीचे के सामने ही है.
अक्सर मम्मी कपड़े धोते-धोते अंकल से इधर-उधर की बातें करती रहती थीं.
उस दिन मम्मी ने अपने सफेद पेटीकोट को अपने घुटनों तक ऊपर कर रखा था.
उन्होंने साड़ी पहनी नहीं थी इसलिए ब्लाउज में से मम्मी की चूचियां भी मस्त हिल हुई दिख रही थीं.
पेटीकोट ऊपर को चढ़ा होने के कारण उनकी गोरी-गोरी मलाईदार जांघें साफ दिख रही थीं क्योंकि पेटीकोट इतना ऊपर था.
यह सब मैं अपने कमरे से देख रहा था.
मम्मी का ध्यान नहीं था कि उनका पेटीकोट इतना ऊपर था कि पेटीकोट के हट जाने से उनकी पिंक चूत साफ-साफ नजर आ रही थी.
उन्होंने अन्दर पैंटी भी नहीं पहनी थी इसलिए उनकी चूत पूरी तरह से दिख रही थी.
सूरज की रोशनी की वजह से मम्मी की चूत हल्की हल्की घुँघराली झांटों के साथ और भी साफ नजर आ रही थी.
उनकी झांटें भी ऐसी लग रही थीं जैसे कुछ दिन पहले ही काटी गई हों.
बैंगन जैसे काले बालों वाली पिंक चूत मुझे और अंकल को साफ-साफ दिख रही थी.
अंकल बातें करने के बहाने मम्मी की चूत को निहार रहे थे.
आज पहली बार मैंने मम्मी की चूत देखी थी.
उनकी कचौड़ी सी फूली हुई चुत को देख कर मेरा मन कर रहा था कि अपनी मम्मी को चोद दूं, उनकी चूत का रस पी लूं.
कुछ ऐसा ही हाल अंकल का भी था.
बस कुछ देर तक यूं ही चूत देखने का सिलसिला चलता रहा.
मैं अपने कमरे से देख रहा था और अंकल बातें करते-करते मम्मी की चूत को निहार रहे थे.
उन्हें नहीं पता था कि मैं भी मम्मी की चूत को देख रहा हूँ.
मेरी मम्मी की गोरी-गोरी टांगों के बीच खुरदुरी झांटों के बीच पिंक चूत को देखकर मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था.
मन ही मन मैं मम्मी को आज चोदने के सपने देखने लगा था.
शायद यही हाल नरेश अंकल का भी था.
देखते-देखते मम्मी अचानक चिल्लाईं और अंकल डर के मारे पास रखे तखत पर खड़े हो गए.
वे बोले- क्या हुआ?
फिर हम दोनों ने देखा तो मम्मी कूदने लगी थीं और ऐसे चिल्लाने लगीं जैसे उन्हें कुछ काट रहा हो.
वे आधी खड़ी होकर अपने पेटीकोट को झाड़ने लगीं, जैसे उसमें कुछ घुस गया हो.
अंकल ने उन्हें रिलैक्स रहने को कहा, मगर वे शांत नहीं हो रही थीं.
अंकल को पता चल गया था कि मम्मी के पेटीकोट में कुछ घुस गया है.
मम्मी ने कहा- मकड़ी जैसा कीड़ा मेरी चूत के दाने को काट रहा है.
अंकल को पता था कि चाची ने पैंटी नहीं पहनी थी इसलिए कीड़ा उनकी चूत के दाने तक पहुँच गया.
अंकल ने पेटीकोट झटकने को कहा.
मगर वह निकल ही नहीं रहा था.
आखिरकार अंकल ने मम्मी को उठाया और उन्हें अपने घर में ले गए. उधर उन्होंने मम्मी को बेड पर लिटाकर शांत रहने को कहा.
मैं यह सब नीचे कमरे की खिड़की से देख रहा था.
जैसे ही अंकल ने मम्मी का पेटीकोट ऊंचा किया, मम्मी शर्म के मारे लाल हो गईं और अपना मुँह फेर लिया.
मेरी मम्मी कमर से नीचे पूरी नंगी थीं.
उनकी गोरी-गोरी टांगें, मांसल जांघें और चिकनी चूत को देखकर अंकल का लंड भी फड़फड़ाने लगा था.
मम्मी का बदन अंकल को कामुक कर रहा था.
अंकल ने मम्मी के दोनों पैर फैलाए, अब उनकी चूत दिन की रोशनी में गोरी मलाई जैसी पिंक दिख रही थी.
मम्मी की चूत के दाने को कीड़े ने ज़ोर से पकड़ रखा था.
अंकल ने हाथ से उसे पकड़ कर दूर किया, तब तक कीड़े ने दाने के ऊपरी हिस्से को ज़ख्मी कर दिया था और उस पर हल्का-सा खून भी लगा था.
अंकल ने मम्मी से कहा- ये जंगली कीड़ा लग रहा है. तुम चिंता मत करो, इसका ज़हर निकालना पड़ेगा.
यह कह कर अंकल ने मम्मी के दोनों पैरों के बीच अपना मुँह डाला और चूत के दाने को चूसने लगे.
वे बार बार ज़हर को चूसकर थूकने जैसा ड्रामा करने लगे.
अपनी चुत का दाना एक गैर मर्द से चुसवाने से मेरी मम्मी की हालत अब और भी खराब हो रही थी.
बस यह था कि अब उन्हें दर्द कम और मज़ा ज़्यादा आने लगा था.
अंकल कब दाना चूसते-चूसते चूत चाटने लगे, मम्मी को पता ही नहीं चला.
मम्मी ने अब अपनी दोनों टांगों से अंकल को कसकर दबोच लिया था.
इससे साफ पता चल रहा था कि मेरी मम्मी को बहुत मज़ा आ रहा था.
अंकल मज़े से उनकी चूत को चाट रहे थे.
आज पहली बार मैंने अपनी मम्मी को किसी मर्द के साथ इस पोजीशन में देखा था.
मेरा भी लंड अब खड़ा हो गया था, वह भी मम्मी की चूत में जाने को उतावला होने लगा था.
मैं अपने लंड को मसलते हुए कमरे से बाहर आकर थोड़ी दूर से सारा खेल देख रहा था.
अंकल मम्मी की चूत को चाटने में इतने तल्लीन थे कि कुछ दिख ही नहीं रहा था.
मम्मी का सिर उल्टा था, वे मुझे देख नहीं पा रही थीं.
अंकल ने उनकी चूत में उंगली डाली और अन्दर-बाहर करने लगे.
मम्मी ज़ोर-ज़ोर से ‘आआ हह आ आहह’ की मदभरी सिसकारियां भरने लगीं.
उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था.
अंकल उनकी चूत में अपनी दोनों उंगलियों को डालकर चाट रहे थे.
मैंने यह सब गेट पर खड़े होकर देख रहा था और अपना लंड हिलाना शुरू कर दिया था.
मम्मी की चूचियां अब सख्त हो गई थीं.
उनके ब्राउन कलर के निपल्स सफेद ब्लाउज में से उठे हुए साफ नजर आ रहे थे.
अंकल ने अपना मुँह चूत से निकाला और मम्मी के दोनों पैरों को उठाकर हवा में लटका दिया.
अंकल ने अपना लंड निकाला और मम्मी की चूत पर रख दिया.
अंकल अपने लंड को मम्मी की चूत पर रगड़ रहे थे.
मैं बहुत ध्यान से खड़ा होकर देख रहा था.
वे दोनों अपने खेल में इतने ज्यादा मशगूल थे कि मैं उन्हें नजर ही नहीं आ रहा था.
अंकल का लंड करीब-करीब सात इंच से ऊपर था, मोटा और मजबूत भी.
इतना लंबा और मोटा लंड देखकर मुझे हैरानी हो रही थी.
अंकल ने अपना लंड मम्मी की चूत पर रगड़ना शुरू किया और थोड़ी देर तक ऐसा ही करते रहे.
फिर अचानक उन्होंने लंड को चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा.
कई साल से चुदाई न होने की वजह से मम्मी की चूत में आग-सी लगी थी.
दो साल से ज्यादा समय हो गया था, पापा आए नहीं थे, इस वजह से चुदाई कम हुई थी.
इसलिए उनकी चूत बिल्कुल कुंवारी-सी थी, ढक्कन-सी बंद.
अंकल का लंड अभी भी पूरी तरह अन्दर नहीं गया था.
उन्हें चूत काफी तंग महसूस हो रही थी.
तब भी अंकल ने लंड को पेल दिया था और मम्मी की आह निकल गई.
लेकिन मम्मी की चुत इतनी ज्यादा रसीली हो गई थी कि जल्दी ही उन्हें लंड से चैन मिलने लगा था और वे मस्त होने लगी थीं.
अंकल जोर-जोर से चुत में धक्के मार रहे थे और मम्मी वापस कमर उठा कर अंकल के आधे लंड को प्यार करती हुई आह आह करके लंड अन्दर ले रही थीं- चोद नरेश … दो साल बाद इस चूत को लंड मिला है. पेल मुझे.
इस तरह से उन दोनों का हरेक धक्का मसालेदार होने लगा था.
कुछ देर की चुदाई के बाद अंकल बोले- चंदा … तेरा पति तुझे चोदता नहीं था क्या … जो तेरी चूत इतनी तंग है. जैसे लगता है सील अभी तक नहीं टूटी है. कोई बात नहीं, तू साली सीलपैक माल है और ऊपर से इतनी रसीली. आज तुझे चोद-चोदकर तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा. तेरा पति भी क्या, जो इतनी रसीली चूत को यूं ही कोरी छोड़ गया.
अंकल ने मम्मी की कमर को पकड़ कर फिर से एक जोरदार झटका मारा और आधा लंड से ज्यादा अन्दर चला गया.
अब मेरी मम्मी दर्द से चिल्लाने लगीं- उउउइ माँआ आआ… मैं तो मर गई… मैं मर गईईई.
मम्मी जोर-जोर से चीखने लगीं, मचलने लगीं.
वे अंकल की पीठ को अपने नाखूनों से नोंचकर खुद को उनकी पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करने लगीं- आह नरेश, अपना लंड निकालो. मेरी चूत फट जाएगी. ये दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा … मुझे जाने दो … छोड़ दो नरेश!
दोस्तो, मेरी मम्मी की प्यासी चुत अंकल के लंड से चुदने में व्यस्त है.
तब तक आप अपने लौड़े को हिलाना चाहें तो हिला लीजिए.
मैं Www सेक्स कहानी हिंदी के अगले भाग में मम्मी की डबल पेनीट्रेशन मतलब चुत गांड में एक साथ लंड से चुदने वाली सेक्स कहानी सुनाऊंगा.
आप मुझे अपने विचार मेल कर सकते हैं.
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