दीपा का प्रदीप – एक प्रेम कहानी- 3

सेंसुअल लव एंड सेक्स कहानी में एक गरीब मगर हॉट सेक्सी लड़की एक अमीर लड़के से नजरें लड़ा बैठी. उन दोनों में सेक्स करने की चाह थी पर लड़के को चुदाई की कोई जल्दी नहीं थी.

दोस्तो, आप इस सेक्स कहानी में दीपा और प्रदीप के मध्य प्रेम के किस्से को पढ़ रहे थे.
कहानी के दूसरे भाग
कामवाली की जवान बेटी के साथ मजा
में अब तक आपने पढ़ा था कि दीपा और प्रदीप ने एक दूसरे के लिंग और योनि का मुख मैथुन का स्वाद चख लिया था और उसके बाद दीपा के माता पिता को सानंद जीवन बिताने का पाठ पढ़ा कर उन्हें उनके घर जाने को कह दिया था.

अब आगे सेंसुअल लव एंड सेक्स कहानी:

नटु ने भी देखा कि दीपा और कमला की घर में कितनी इज्जत थी.

इतना ही नहीं, उसने खुद ये देखा था कि घर के मालिक के साथ बैठ कर खाने का अहसास कैसा होता है.
उसने ऐसा तो पहले कभी सुना ही नहीं था.

अपने घर जाने के टाईम नटु रो पड़ा.
उसने प्रदीप से कहा- उम्र में आप छोटे हैं, पर समझदारी में मुझसे कितने बड़े हैं. आपका ये अहसान जीवन भर नहीं भूलूँगा.

अब नटु कमला को साथ आने की कह कर वापस जाने लगा.
कमला और दीपा एक दूसरे को गले लग कर खूब रोये.
प्रदीप ने उन्हें रोने दिया.

फिर प्रदीप कमला के पास गया, उसके सर पर हाथ रखा और उसकी पीठ को सहलाया.

कमला प्रदीप के गले से लग गई.
प्रदीप ने आश्वासन देने की कोशिश करते हुए कहा- तुम दीपा की कोई चिंता मत करना. दीपा की हर चिंता अब मेरी चिंता है. वह कभी काम वाली बाई नहीं बनेगी, ये मेरा वादा रहा.

कमला प्रदीप से अलग हुई और प्रदीप को प्यार भरी नजरों से देखने लगी.
तभी प्रदीप और दीपा साथ हो गए थे, प्रदीप दीपा की पीठ सहला रहा था.

सब घर के दरवाजे तक पहुंच गए थे.
प्रदीप और दीपा दरवाजे पर खड़े होकर उन दोनों को विदाई दे रहे थे.

कमला ने एक बार फ़िर से दरवाजे पर खडे दोनों को देखा, उसकी आंख फ़िर से भर आई.

दीपा बोली- मां, तुझे जाने देना नहीं चाहिए था. पर अपने बाप पर तरस आ रहा है, इसलिए जाने दे रही हूँ.

नटु खड़े रह कर दोनों को देखता रहा और आंसू बहाता रहा.
दीपा हाथ जोड़ कर बोली- बापू माफ़ करना, पर मेरी बात मान कर आज से ही दारू छोड़ देना. आज तुमने पी नहीं है तो कितने अच्छे लगते हो. आज से आप दोनों ही एक दूसरे का सहारा हो, एक दूसरे का ख्याल रखना.

‘चलो अब …’ कहकर कमला ने नटु का हाथ पकड़ा और आगे बढ़ गई.

दरवाजा बंद होते ही, दीपा रोते रोते दरवाजे के पास ही बैठ कर रोने लगी.
प्रदीप ने पास बैठकर कैसे भी करके उसे समझा कर अपने बेडरूम में सुलाने ले आया.

वह सो गई तो प्रदीप भी दीपा के बाजू में सो गया.
उसे लगा था कि दीपा सो गई है.

मगर दीपा जाग रही थी और वह प्रदीप की बांहों में लेट कर सुकून भरी सांसें ले रही थी.

प्रदीप दीपा के बाजू में लेटा हुआ सोच रहा था कि आज उसने दीपा का एक नया रूप देखा.
वह कितनी चतुर हो गई थी. पूरी तरह से बात को काबू में रखते हुए उसने सब कुछ संभाल लिया था.

आज वह आत्मविश्वास से कितनी भरपूर थी. उसने ये सब करने से पहले मां को बात समझा दी थी ताकि वह अपने घर जाने के बाद भी वह नटु के आगे ढीली ना पड़े.
उसमें ऐसा विश्वास पैदा करने की जरूरत थी कि नटु के बिना भी एक अच्छी जिंदगी जी सके.
उसने नटू के पास जाकर पहले अपना रौद्र स्वरूप बताया, फ़िर धीरे से समझाने के नजरिए से काम लिया. पर सही बात तो ये ही थी कि नटु समय पर अपनी औकात समझ गया.

प्रदीप ने सोचा कि दीपा ने ये काम भी अच्छा किया कि नटु और कमला दोनों को बता दिया कि आप दोनों के बिना में अकेली रह सकती हूं और अच्छा जीवन यापन कर सकती हूं.

पर, दीपा में ये विश्वास आया कहां से?
पगले, तुमने ही तो उसमें ये विश्वास जगाया है.

मैंने तो केवल पढ़ाई और नौकरी के बारे में ही विश्वास दिलाया है.
वह भी कब?
जब वह जी जान से अपनी पूरी ताकत पढ़ाई में लगा दे.

पर आज दोपहर से सब कुछ तो बदल गया है.
सेक्स करने के लिए कितनी बेचैन हो गई थी वो!

एक बार सेक्स में मजा आ गया तो पढ़ाई नहीं कर पाएगी वो!
प्रदीप वह तो तुझे ही करना होगा.
एक बाजू सेक्स भी करो और सेक्स से दूर रहो, ऐसा कहता रहूं उसे?
तुमको उसे समझा बुझा कर ही तो सही रास्ते पर लाना होगा. सेक्स से उसे संतुष्ट रख कर, पढ़ाई में बनाए रखना है उसे!

दीपा अभी तक सोई नहीं थी.
वह आज हुई सभी घटनाओं पर सोच रही थी.

आज मैंने ये क्या कर दिया? कैसे किया मैंने ये सब? क्या मैंने सही किया? या बहुत बड़ी गलती कर दी मैंने?
एक मवाली से पंगा ले कर क्या ठीक किया है मैंने?
अपने बाप को मवाली कहती है?
ठीक ठाक नौकरी नहीं करता है इसलिए मवाली ही है वो!
बीवी को मारता है, इसलिए मवाली.

बेटी को वेश्या बनाना चाहता है उसे क्या कहेगी, बोल?
वह ये सब सोच रही थी.

वैसे मां तो मानने वाली थी ही नहीं अपनी बात. वह तो जाने वाली ही थी. तो मैंने वही किया, जो मुझे करना चाहिए.
पहले तो नटु में खौफ बिठाया, फ़िर वह कभी मां के साथ बदसलूकी नहीं करेगा.
क्या ये खौफ टिक सकेगा, खौफ टिकता नहीं है, पर मैंने साथ में लालच का लड्डू भी तो दिखाया है. जो बेहतर जिंदगी उसने ये घर में देखी है और हम मां बेटी दोनों जी रहे थे, वह उसने अपनी आंखों से देखा है.
ऐसी जिंदगी वह भी तो जीना चाहेगा.

यह सोचते सोचते थकान से दीपा की आंख लग गई.

बाजू में दीपा की जिंदगी को कैसे सही रास्ते पर मोड़ना है, ये सोचते सोचते प्रदीप की आंख भी लग गई.

नींद में ही दोनों एक दूसरे में समा गए. नींद में एक दूसरे को चूमते रहे.
वे दोनों फ़ेवीकोल की तरह चिपके थे.

चार बजे अचानक प्रदीप की नींद खुली.
प्रदीप के हिलते ही उसके विशाल वक्ष के आधे भाग के ऊपर सोई हुई दीपा की आंख अधखुली हुई.

प्रदीप के ऊपर उलटी सोई रह कर ही दीपा ने अंगड़ाई लेते हुए पूछा- कब से मुझे बांहों में ले कर सोये हुए हो?
‘मेरे ऊपर तुम सोई हो और मुझसे ही पूछ रही हो?’

दीपा ने प्रदीप के सीने पर थोड़े उठे हुए रहकर उसके कंधों और छाती को सहलाते हुए कहा- मेरे राजा … मैं दूसरे रूम में सोई हुई थी. मुझको उठाकर ले आये और मुझको अपने ऊपर सुला कर रखा!

इतना बोल कर वह थोड़ा आगे बढ़ कर प्रदीप के चेहरे को चूमने लगी.
प्रदीप ने भी चूमा और उसको अपने सीने से भींच लिया.

दीपा के स्तन इतने कभी नहीं दबे थे. दीपा को बहुत अच्छा लग रहा था.

उसने अपने आपको और दबाया, पर इससे आगे कोई गुंजाइश नहीं थी.

वह प्रदीप की शर्ट के दो बटन खोल कर उसकी छाती को चूमने लगी.
प्रदीप भी उसके सिर में हाथ फ़िरा रहा था.

दीपा बोली- मां की याद आ रही है.
प्रदीप- मुझे भी याद आ रही है और बात भी कर रही है.

दीपा ने चौंक कर सिर उठाया और बोली- क्या कहती थी?
प्रदीप- बच्चू, तुमको मैंने अपनी बेटी सौंपी है, तो उस पर सभी काम मत थोप देना. उसके साथ हाथ भी बंटाना!

‘झूठे कहीं के …’ कह कर दीपा ने बहुत सारे मुक्के प्रदीप की छाती में जड़ दिए.
प्रदीप ने उसे प्यार से अपने सीने से दबा लिया, बोला- मुझे ये भी बताया कि घर में बहुत सारा सामान लाना है, दोनों जल्द उठ कर खरीद करके आओ.

‘ये बोलो ना कि मुझे अपने प्यार से अलग करना चाहते हो!’
इतना कह कर बेड से खडी होकर दीपा अंगड़ाई ले रही थी.

वह जब अंगड़ाई लेती थी, तो बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी.
प्रदीप को वह तब और भी प्यारी लगती थी, जब वह अपने स्तन उभार कर आगे कर देती थी.

प्रदीप ने जल्दी से खड़े होकर उसे अपनी बांहों में समा लिया और बोला- दीपा रानी, तुझे तेरा प्यार बाहर ले जा रहा है.
दीपा- तुम्हारी बाइक पर मुझे बहुत अच्छा लगता है. चिपक कर बैठने का तो मजा ही कुछ और है.

थोड़ी और चूमा चाटी करके वह दोनों शॉपिंग करने चले गए.

आज प्रदीप की कुछ ज्यादा ही शॉपिंग हो गई थी.
किचन के सामान के बाद घर के चादर, पर्दे, कुशन, तकिए वह सब भी ले लिए थे.

दीपा के कपड़े, दोनों के अन्दर के कपड़े शयन कक्ष के दोनों के अलग कपड़े.
उसको तो रात वाले कपड़े खरीदते समय इतनी शर्म आ रही थी कि वह बार बार लाल हो जा रही थी.

अब बस एक चीज बाकी थी तो वह भी हो गई.
हुआ यूं कि उसी समय क्लास टीचर को भी वहीं आना था.

नंदिनी टीचर दीपा को देखते ही खुश हो गई.
खुशी छिपी तो रहती नहीं, दोनों एक दूसरे से गले मिल गई.

‘दीपा तू तो बहुत बड़ी और सुंदर भी दिखने लगी हो. घर का सामान खरीदा लगता है.’
फिर उसने प्रदीप को देखा तो उसे सब समझ में आ गया.

प्रदीप ने नमस्ते कहा.

प्रदीप को भी पता चले, इसलिए टीचर ने कहा- वैसे तो कल स्कूल में प्रीलिम्स का रिजल्ट देना है, पर आज ही तुम्हें बता देती हूं कि तुमने क्या चमत्कार किया है. लास्ट टेस्ट में सभी विषय में फ़ेल होने वाली दीपा, तू स्कूल में अव्वल नंबर लायी है. दीपा तुमने ये चमत्कार कैसे किया है, बस वह तू मुझे बता दे!

दीपा टीचर के चरण स्पर्श करने झुकी, टीचर ने कहा- मुझे नहीं, जिसने तेरी फ़ीस भरी हो, उसके चरण छू लेना. मुझे भी तेरा सम्मान देना पहुंच जाएगा.
टीचर ने दीपा के चेहरे को सहलाया- बेटा तेरी ही नहीं, तुझे प्यार करने वाले हर परिजनों की भी हर तमन्ना पूरी हो.

फिर नंदिनी टीचर को घड़ी में देखते देख कर प्रदीप ने कहा- नंदिनी टीचर, आज इतने अच्छे मौके पर एक तमन्ना आप पूरी कर दो, हम सब साथ में एक एक डिश आइसक्रीम ले लेते हैं. अच्छी खबर को सेलिब्रेट तो करनी ही चाहिए ना!

‘आपको मैं ना नहीं कह पाऊंगी. दीपा से ज्यादा खुशी तो मैंने आपके चेहरे पर देखी है.’
यह सुनकर प्रदीप मुस्कुरा उठा.

वे तीनों आइसक्रीम पार्लर की ओर चल दिए.
रास्ते में प्रदीप आगे था तो मैडम ने दीपा से पूछ लिया- तेरी मां इनके घर की हाउसमेड है ना?
दीपा ने हां कहा.

फिर साथ बैठ कर बहुत बातें हुई.

बाद में नंदिनी टीचर जाने लगीं तो दीपा ने फ़िर एक बार उनको प्रणाम कर पैर छूने का प्रयास किया पर उन्होंने उसे ऊपर उठा लिया और सीने से लगा लिया.

‘आज तो आपको भी मुझे आशीर्वाद देना होगा.’
यह कहकर दीपा ने प्रदीप के चरण स्पर्श भी कर लिए.

‘दीपा ये तुमने एकदम सही किया, घर जाकर मां को भी मत भूल जाना.’
प्रदीप ने दीपा को खड़ी करके अपने बाजू से थोड़ा आलिंगन दिया.

नंदिनी ने दोनों को बाय किया और चली गई.

बहुत उमंग और उत्साह से भरे प्रदीप और दीपा अपना सामान स्टोर्स से लेकर घर पहुंचे.
शाम हो गई थी.

प्रदीप के आग्रह पर आते समय होटल से खाना पैक करके ले लिया था, घर जाकर स्नान करके खाना खाया.

दोनों टीवी पर मनोरंजक कार्यक्रम देखने लगे.
दीपा गीतों के हर रोमांटिक लफ्ज पर ज्यादा रोमांचित होकर प्रदीप के आगोश में समा जाती थी.
वह कभी प्रदीप को अपने आगोश में खींच लेती थी, कभी सिर कंधे पर, तो कभी उसकी गोद में छुपा लेती थी.

‘क्या कहना चाहती हो, कह भी दो ना!’
दीपा ने सिर ऊपर उठा कर कहा- बहुत कुछ कहना है. पर यहां नहीं, अन्दर चलो.

प्रदीप ने छोटी सी गुड़िया जैसी दीपा को गुड़िया की तरह ही उठा लिया.

उसके चेहरे को चूमते हुए ले जाकर बेड में बड़े प्यार से रख दिया. वह खुद बाजू में बैठ गया.
दीपा ने प्रदीप को धक्का लगा कर बेड पर गिराया और उसके ऊपर चढ़ गई.

दीपा बोली- तुम पर बहुत प्यार आ रहा है.
प्रदीप- क्यों आ रहा है?
दीपा- इतने नंबर जो आये हैं.
प्रदीप- वह तो तेरी मेहनत से आये हैं.

दीपा- पर वह तो तुम्हारे प्यार और प्रेरणा से आये हैं, इसीलिए तो प्यार आ रहा है.
प्रदीप- पर मुझे तो ये सब तेरे कारण संभव हुआ है, ये समझ के कारण प्यार आ रहा है.

दीपा उसके गले लग गई- तुम बहुत खराब हो, इतना प्यार करते हो पर कभी बोलते नहीं हो.

गाना गाने की अदा से प्रदीप बोला- पगली दीवानी, इत्ती सी बात न जाना कि ओ मेनु प्यार करदा है!

उसे बहुत हंसी आ रही थी. वह बोली ये लाइन तो मुझे गानी चाहिए.
‘पगला दीवाना इत्ती सी बात न जाना …’

‘सच बताओ तुम नंदिनी टीचर को मिलने के लिए कब गए थे?’
‘जब तुम बार बार फ़ेल हो रही थी.’

‘ये कैसे पता चला कि मैं फ़ेल हो रही हूँ?’
‘स्कूल से फ़ोन आया था.’

‘स्कूल को कैसे पता कि उन्हें आपको बताना चाहिए?’

ये सब बातें करते करते दीपा ने प्रदीप को उसकी नई नाईट शर्ट निकाल कर दे दी थी.
दीपा ने भी आज खरीदा हुआ टू-पीस नाईट ड्रेस पहन लिया था जिसमें बॉटम के लिए एक खुला खुला पाजामा जैसा और एक टॉप जैसा पीस.
दोनों कॉटन के थे और पहनने में आसान. काफी कम्फ़र्टेबल भी थे.

दीपा ने प्रदीप के शर्ट के बटन खोल दिए तो प्रदीप ने अपनी शर्ट को निकाल दिया.
प्रदीप ने दीपा के टॉप के बटन भी खोल दिए.

दीपा ने प्रदीप के सामने देखा और लाइट की ओर देखा.
प्रदीप ने बेड को सटे स्विच से लाइट बंद की, नाइट लैम्प ने रूम में हल्की सी रोशनी फ़ैला दी.

दीपा ने अपना टॉप निकाल दिया.
प्रदीप बोला- दीपा तुम बहुत सुंदर दिखती हो.
दीपा ने कहा- हां अभी अभी से … जब से यहां रहने आई हूँ.

प्रदीप ने उसके वक्ष पर चुम्बन करते हुए कहा- ऐसा क्यों कह रही हो?
दीपा ने उसके बालों में उंगालियां डाल कर कहा- मुझे मालूम है मेरा राजा बहुत समझदार है.

प्रदीप ने सिर ऊंचा करके दीपा को देखा.
दीपा ने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी ओर खींचा.
प्रदीप ने अपना चेहरा उसके चेहरे के सामने कर दिया.

दीपा ने उसके चेहरे को चूमा और कहा- मेरे राजा ने ही तो मेरे रूप-यौवन को सजाया है. सजना का सजनी को सजाना बहुत प्यारा लगता है, इसीलिए तो मैं तुम्हें बहुत बहुत प्यार करती हूँ.

‘दीपा तुम्हें पहली बार कब मुझ पर प्यार आया?’
दीपा ने दोनों हाथ गले में डाल कर प्रदीप को भींच लिया और उसके कान में बोला- पहले ही दिन से.

‘वह कब?’
‘जिस दिन आप ने मां को बोला था कि सुबह उसको मेरे घर ले आओ और मेरा घर उसके हवाले कर दो.’

प्रदीप ने उसकी कान की लौ को थोड़ा सा काटा और कहा- हर लफ्ज़ याद है तुझे!
‘याद रहेंगे ही ना. आपका हर शब्द अमृत बिंदु था मेरे लिए उस दिन.’

प्रदीप ने ब्रा पर हाथ फ़िराते हुए कहा- बहुत ही सुंदर डिजायन है इसकी!
प्रदीप ने उसके स्तन उभार को सहलाते हुए बहुत से चुंबन किए.

दीपा ने पीछे हाथ डालकर ब्रा निकाल दिया.
अभी अभी ही उभरे हों ऐसे स्तन थे. छोटे छोटे ही तो थे, पर बहुत सुंदर थे.

प्रदीप ने बड़ी मृदुता से दोनों को बहुत सहलाया. बहुत बार चूमा और पहले निप्पलों को अच्छी तरह से चाट चाट कर उन्हें कड़क करके बाहर को उभार दिया.

अब दीपा के निप्पल मुँह में लेने जैसे हो गये.
प्रदीप एक निप्पल को चूसने लगा; पहले बाएं वाले को, बाद में दाएं.
वह अपना पूरा चेहरा डिट्टी पर रगड़ने लगा.

दीपा आनन्द के सागर की लहरों पर रोमांच से तैर रही थी.
कभी ऊपर कभी नीचे.

प्रदीप की पीठ और सिर पर दीपा आनंदित होकर अपना हाथ फ़िरा कर प्रदीप के स्पर्श का पहली बार ही अनुभव कर रही थी.
वह सोच रही थी कि बहुत प्यारा है, मेरा प्रदीप मुझे.

अनायास उसके मुँह से निकला- प्रदीप!
प्रदीप ने सिर उठाकर ऊपर दीपा के चेहरे पर देखा. बंद आंख में रस मग्न दीपा का सौंदर्य और खिला हुआ था.

प्रदीप थोड़े ऊपर जाकर दीपा के होंठ पर अपने होंठ रख कर चुंबन किया.
दीपा के हाथ ने प्रदीप को आगोश में भर कर दबाया.
अपने स्तन को प्रदीप के सीने का स्पर्श अनंत सुख देने लगा.

दोस्तो. आपको इस सेंसुअल लव एंड सेक्स कहानी को सेक्स साईट में पढ़ना जरा अनोखा सा लगता है, ये आपके कमेंट्स से पता चल रहा है.
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