मैंने नंगी चाची चोद दी होटल के कमरे में! चाची मुझसे कई बार चुद कर थक गयी थी. वो नंगी ही सोने लगी. नंगी चाची को देखकर मेरा मन फिर चुदाई का हो गया.
हैलो फ्रेंड्स, मैं परिमल पटेल एक बार फिर से आपका स्वागत करता हूँ.
अब तक आपने मेरी सेक्स कहानी के पिछले भाग
मुझे चाची से मुहब्बत हो गयी
में पढ़ा था कि मैं चाची के साथ एक गुमटी पर चाय पी रहा था और हम दोनों प्यार मुहब्बत की बातें कर रहे थे.
अब आगे नंगी चाची चोद दी:
हम चाय पीकर निकलने ही वाले थे कि चाची बोलीं- एक और गोली ले लें क्या … क्या बोलते हो?
मैंने मुस्कुरा कर जेब से वो गोली निकाली और एक चाची को दी और एक मैंने ले ली.
फिर हम होटल पहुंचे तो करीब 12:00 बज चुके थे.
हम लोग रूम में आकर हाथ मुँह धोकर फ्रेश हुए.
सुबह की एनर्जी ड्रिंक अभी भी दो बॉटल बची हुई थी, तो हमने वह ड्रिंक ले ली.
मैं सोफे पर बैठा था, तो चाची बगल में आकर बैठ गईं.
मैंने चाची से कहा- चलो ना, आप मुझे जन्नत की सैर करवाने वाली थीं न!
चाची बोलीं- हां चलो, मैं तो कब से तैयार हूं.
मैंने चाची को होंठ पर किस कर दिया, तो चाची भी मेरा साथ देने लगीं और हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे.
मैं चाची के मम्मे दबाने लगा, जिससे चाची फिर से गर्म हो गईं.
मैंने चाची की टी-शर्ट और लोअर उतारकर चाची को पूरी नंगी कर दिया.
अपने भी सारे कपड़े मैंने उतार दिए.
हम दोनों पूरे नंगे होकर चूमाचाटी करने लगे.
मैंने चाची की कई सारी ऐसी नंगी फोटो भी खींची और बाद में मैंने चाची को गोद में उठाकर बेड पर पटक दिया; अपना मुँह सीधा चाची की चूत के ऊपर लगा दिया.
मैं चाची की चूत के दाने को चूसने लगा और काटने लगा.
चाची जोर से खुशी के मारे चिल्लाने लगीं और मेरा मुँह जोर से चूत के ऊपर दबाने लगीं. अपनी दोनों टांगें हवा में खड़ी करके मेरे मुँह को अपनी जांघों के बीच में जोर से दबा दिया.
फिर भी मैंने चूत को चूसना जारी रखा.
थोड़ी देर बाद चाची ने मुझे अपनी पकड़ से खोल दिया और अब चाची ने मेरे लंड को मुँह में ले लिया.
वो पूरा का पूरा लंड गले तक लेकर चूसतीं और बाहर अपनी जीभ से लंड को ऊपर से नीचे तक गीला करने लगतीं.
कुछ देर बाद मैं उठा और मैंने चाची को घोड़ी बना दिया.
चाची फट से अपने दोनों हाथ और दोनों पैरों के बल घोड़ी बन गईं.
मैं पीछे से अपने लंड को चूत के ऊपर रगड़ने लगा.
मेरा पूरा लंड गीला होने की वजह से मैं चूत के अन्दर पेलने लगा.
बिना ज्यादा मेहनत किए ही लंड का सुपारा चूत में दाखिल हो गया जिससे चाची ने ‘हम्म आंह …’ की आवाज निकाल दी.
मैंने अपनी गांड थोड़ी पीछे की … और जोरदार धक्का लगा दिया.
आधे से ज्यादा लंड चूत में घुसता चला गया.
चाची ‘आह्ह आह्ह …’ करने लगीं.
मैंने कहा- क्या हुआ मेरी छम्मक छल्लो!
वो बोलीं- साले चूतिए … थोड़े धीरे से चोद … मेरी जान निकाल देगा क्या?
मैं चाची की बातों को नजरअंदाज करते हुए लगा रहा.
मेरा लंड अभी भी थोड़ा बाहर था.
मैंने फिर से अपनी गांड पीछे की ओर की और फिर से एक जोरदार धक्का लगा दिया.
मेरा पूरा का पूरा लंड चूत में घुस गया.
चाची चिल्लाने लगीं- उई मां … भैन के लंड … साले राक्षस … मेरी चूत है कोई सड़क छाप रंडी की नहीं.
मैं हंसने लगा और लंड को धीरे धीरे अन्दर-बाहर करने लगा.
चाची को मजा आने लगा और वो अलग अलग तरह की आवाज निकालने लगीं.
‘आह्ह … बहुत मजा आ रहा है … और जोर से पेल मेरे राजा बेटा … आंह और जोर से पूरा डाल मादरचोद.
उनकी मादक आवाजें निकलने लगीं.
मैंने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. मेरी स्पीड ऐसी हो गई थी, जैसे कोई कंपनी में मशीन चल रही हो.
ऐसे मैं फुल स्पीड में चाची की चूत में अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था.
चाची को भी ऐसी घोड़ी बनकर पहले से ही चूत चुदाई में बहुत मजा आता था इसलिए वह एकदम जोरदार मस्ती में आ गईं.
आगे से चाची ने अपने दोनों मोटे मोटे मम्मे पलंग के गद्दे से टच कर दिए और पीछे से अपनी गांड ऊंची कर दी.
उनके दोनों हाथ मैंने पीछे से पकड़ रखे थे, जिसे मुझे घोड़ी की लगाम जैसा लग रहा था. बहुत जोर से चुदाई चालू थी.
चाची की दोनों जांघें मेरी जांघों से टकरा रही थीं और चाची की गांड के दोनों मोटे मोटे चूतड़ मेरे लंड के ऊपर वाली जगह से टकरा रहे थे. जिसकी वजह से मेरे पूरे शरीर में हलचल हो रही थी.
हम दोनों को ऐसा लगने लगा था मानो बिना शराब पिए, उसका नशा हमारे दिमाग में पहुंच गया हो.
हमारे आस पास क्या हो रहा है, हम दोनों कुछ भी पता नहीं चल रहा था.
बस हम अपनी चुदाई में मशगूल थे.
मेरे शरीर का दर्द जैसे गायब हो गया था और मैं चाची का पीछे से हाथ पकड़कर लगातार अपनी गांड को आगे पीछे करके धक्के लगाए जा रहा था.
काफी देर तक लगातार धक्के लगाने के बाद मैं थोड़ी देर रुका और चैन से सांस लेने लगा.
मैं ऐसे ही चूत में लंड डाले गद्दे पर बैठ गया और चाची को भी अपनी गोद में बिठा दिया.
चाची को पीछे से पकड़ कर उनके दोनों मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और जोर जोर से मसलने लगा.
तभी चाची की चूत ने पानी छोड़ दिया.
मुझे अपने लंड पर चूत रस महसूस हुआ.
अब चाची थोड़ी ढीली हो गई थीं. लेकिन मैं अभी भी कड़क था.
मैंने चाची को बेड पर सीधा लेटा दिया और मैं ऊपर चढ़ गया.
चाची के ऊपर से ही चूत में लंड दाखिल कर दिया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
और चाची ने दोनों पांव मेरे पांव के बीच में रखकर पीछे से जोड़ लिए था और मेरी पीठ पर दोनों हाथ पैर बांध दिए थे.
वो चूत सिकोड़ कर जन्नत की सैर करने लगी थीं.
मैंने भी धक्के लगाना चालू रखे.
अगर मुझे लगता कि मेरा निकलने वाला है, तो मैं रुक जाता और थोड़ी देर बाद फिर से धक्के लगाना चालू कर देता.
ऐसे करके कुछ देर तक चुदाई की.
फिर जब मेरा निकलने वाला था तो मैंने धक्कों की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ा दी.
चाची जोर जोर से चिल्लाने लगीं- आंह और जोर से और जोर से.
मैंने एक जोरदार धक्का लगाया और चाची के चूत के अन्दर ही झड़ गया, चूत के अन्दर ही लंड ने पिचकारी मार दी थी.
मैं ऐसे ही चूत में लंड डाले चाची के ऊपर पड़ा रहा.
हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे.
फिर जब मेरी नींद खुली तो देखा कि चाची अभी भी नींद में थीं.
मेरे अन्दर चुदाई का भूत सवार हो गया था तो मैंने चाची को जगाया- उठ साली रंडी … बहुत शौक था न तुझे होटल में चुदाई करने का … अब सो क्यों गई कुतिया.
चाची बोलीं- साले मां के लौड़े … अभी नहीं कर … अब सो जा कमीने. चूत की मां चुद गई. सुबह उठकर फिर से मस्त चुदाई करेंगे.
लेकिन मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था तो मैंने चाची से कहा- इस खड़े लंड का अब क्या करूं मेरी रंडी. चल एक जल्दी वाला राउंड कर लेते हैं.
लेकिन चाची नींद में थीं तो उन्होंने कहा- तुम्हारी मर्जी, तुम्हें जो करना है, वो करो. ये चूत तुम्हारे हवाले है. मैं सो रही हूं.
मुझे बिना चुदाई के कहां चैन आने वाला था.
मैंने फिर से वो थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया जिससे लंड चिकना हो गया.
फिर मैं सीधा लेट गया और चाची को अपने ऊपर ले लिया.
चाची आधी नींद में थीं, लेकिन थोड़ा थोड़ा मेरा साथ दे रही थीं.
मैंने अपने पेट के ऊपर चाची का पेट रखकर लिटाया और चाची के दोनों पैर दोनों साइड में फैला दिए, जिससे मेरी टांगों पर से वजन हट गया.
फिर मैं थोड़ा ऊंचा हुआ और अपनी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया.
अब हम दोनों की गांड ऊंची हो गई.
अब मैंने लंड को चूत के मुँह पर सैट किया और एक झटका लगाया, जिससे आधे से ज्यादा लंड चूत में चला गया.
मैंने फिर से थोड़ा लंड बाहर निकला और फिर से एक धक्का लगाया, तो पूरा लंड अन्दर चला गया.
चाची बोलीं- सो जा साले … वर्ना मैं सुबह तेरी जान निकल दूंगी.
मगर मैं कहां सुनने वाला था.
मैंने धीरे धीरे धक्के लगाना चालू कर दिया.
बहुत मजा आ रहा था.
लंड पर चिकनाई की वजह से फच फ़च करके लंड अन्दर बाहर हो रहा था.
मेरे ऊपर चाची का वजन था इसलिए मैं ज्यादा तेज धक्के नहीं लगा पा रहा था.
मैं 5 मिनट के बाद रुका और सांस ली.
मैंने अब चाची को अपने बाजू में धक्का दे दिया जिससे चाची सीधी लेट गईं.
अब तक चाची बहुत थक गई थीं इसलिए अब तो वो पूरी नींद में चली गई थीं.
उन्होंने अपनी आंखों को बंद कर दिया था और पलंग पर हाथ फैलाकर सो गई थीं.
तो मैंने भी सोचा कि मैं भी सो जाता हूं लेकिन लंड से पानी अभी भी निकला नहीं था इसलिए पानी तो निकालना ही पड़ेगा.
मैंने लंड को हिलाया और टाईट किया.
सामने मेरी नंगी चाची चूत खोले पड़ी थीं; वो गहरी नींद में थीं.
मैं चाची के ऊपर चढ़ गया और लंड को चूत में दाखिल कर दिया.
सुबह से इतनी बार चुदाई की थी कि चाची की चूत का छेद गुफा जैसा हो गया था. बिना झिझक के फच्च करके लंड अन्दर तक उतर जाता था.
इतना बड़ा लंड अन्दर आसानी से चला गया था, फिर भी चाची नहीं उठी थीं.
मैं चाची के ऊपर से ही धक्के लगाने लगा और बिना थके फुल स्पीड में लंड को अन्दर बाहर करने लगा.
चाची ने जब से मेरे प्यार को ठुकरा दिया, तब से मेरे अन्दर जैसे अजीब से ताकत आ गई थी.
मैं चाची से बदला ले सकूं, इसलिए फुल जोश में ठुकाई कर रहा था.
नींद में भी चाची आह्ह्हज आह्ह्ज करके आवाज कर रही थीं और बोल रही थीं- सो जा मादरचोद सो जा … और मुझे भी सोने दे.
इससे मुझे समझ आ रहा था कि चाची सोई नहीं थीं लेकिन सोने का नाटक कर रही थीं.
इसी लिए तो सिसकारियां भर रही थीं.
मैं भी चाची को सुनाने के लिए और जोर से धक्के लगाता और बोलता- साली रंडी क्या कमी थी मेरे में … जो मेरे प्यार को ठुकरा दिया. साली रांड आज मैं तेरी चूत को फाड़ डालूंगा.
ऐसा बोलता हुआ मैं धक्के लगा रहा था.
मुझे भी चुदाई करने का बहुत मजा आ रहा था.
चूत के अन्दर जैसे ही अपने लंड को दाखिल करता तो जैसे दुनिया का सारा सुख मिल गया हो ऐसा लगने लगता था.
मेरे पूरे शरीर में झनझनी दौड़ने लगती थी.
मुझे पता था कि चाची जाग रही हैं, फिर भी साली रंडी ऐसे ही नींद में हो, ऐसे पड़ी रहकर चुदाई के मजे ले ही थी.
मैं तो जैसे किसी मरी हुई चाची के साथ चुदाई कर रहा हूँ, ऐसा लग रहा था.
सब मेहनत मैं ही कर रहा था.
शायद मेरे चाचा ने भी चाची के साथ इतने सालों में मजे नहीं किए होंगे, जितना मजा मैंने एक साल में चाची के साथ कर लिया था.
अब मेरी गांड के कूल्हे में दर्द हो रहा था.
आगे पीछे कर करके मैं पस्त पड़ने लगा था.
मैं काफी थक गया था.
इसलिए मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और आगे आकर चाची के चूचे भी दबाने लगा.
चाची आह्ह आह्ह की आवाजें निकलने लगीं.
मुझे यकीन हो गया कि चाची सोने का पाखंड ही कर रही थीं.
चाची की चूत में भी पानी निकल गया था लेकिन चाची अभी भी आंखें बंद करके बस लंड के मजे ही ले रही थीं.
चूत में चिकनाई की वजह से पच पच की आवाजें आने लगी थीं, इस वजह से लंड में गुदगुदी होने लगी.
तभी मेरा लंड अकड़ने लगा. मैंने मिसाइल की गति की तरह कुछ धक्के लगाए और सारा पानी चूत में ही छोड़ दिया.
उस वक्त मानो मेरे दिमाग ने जैसे काम करना बंद कर दिया था.
मैं ऐसे ही चूत में लंड डाले ही चाची के मम्मों के ऊपर धम से गिर पड़ा.
इस तरह से मैंने नंगी चाची चोद दी. चाची ने आह्ह करके आवाज निकाल दी.
मैं भी बहुत थक गया था.
चाची के गद्दे जैसे पेट और मम्मों के ऊपर मुझे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
फ्रेंड्स सेक्स कहानी के अगले भाग में मैं आपको चाची की चुदाई का फाइनल शॉट लिखूँगा.
आप मुझे अपने प्यारे प्यारे मेल लिखना न भूलें कि आपको यह पढ़ कर कैसा लगा जब मैंने अपनी नंगी चाची चोद दी.
मेरी प्यारी पाठिकाओं के मेल पढ़ कर सच में मुझे बड़ी ख़ुशी मिलती है जब वो मुझसे अपनी चूत की आग को लेकर लिखती हैं.
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कहानी का अगला भाग: चुदासी चाची के साथ मस्ती से भरी रंगरेलियां- 6