मेरी फर्स्ट किस स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने रिश्तेदार लड़के को अपनी अदाओं से उत्तेजित करके उसके साथ प्रथम चुम्बन का मजा लिया.
कहानी के पिछले भाग
मेरी जवानी और सेक्स की प्यास- 1
में आपने पढ़ा कि अपने रिश्तेदार लड़के का लंड देखने के बाद मैं उससे चुदाई करवाने के सपने देखने लगी.
अब आगे फर्स्ट किस स्टोरी:
अगले दिन साहिल की मम्मी का सुबह फ़ोन आया- आज त्यौहार हमारे साथ हमारे घर में मनाना! तुम सबकी दावत है.
इस पे मैंने आंटी या यों कह लो कि मेरी सास माँ से मैंने पूछा- कब तक आयें हम सब?
तो वो बोली- बस अभी कुछ देर में आ जाओ. और मेरे साथ काम में मेरा थोड़ा हाथ भी बटा लेना।
यह बात मैंने दादी से बतायी तो उन्होंने बोला- कि जल्दी तैयार हो जाओ. शाम को पूजा के समय के कपड़े रख लेना. वहीं तैयार हो जाना तुम दोनों!
मैं अपने घर का सारा काम करके जल्दी से तैयार हो गयी.
एक घंटे के बाद हम सब साहिल के घर आ गए।
उनका घर भी साहिल के लन्ड जितना बड़ा था।
उसने मुझको देखकर मेरा हाल पूछा.
फिर हम दोनों बहनें साहिल की मम्मी के साथ उनका हाथ बटाने लगी.
इसी बीच मैंने साहिल को मुझे काम करते समय मेरी गांड और मेरे झुकने पर मेरी चूचियाँ ताड़ते हुए देखा।
सब काम हो गया था. पूजा का समय सात बजे का था और अभी साढ़े पांच बजे थे.
तो साहिल की मम्मी ने मुझे एक साड़ी दी और रागिनी को एक सूट … और बोली- साड़ी तुम्हारे लिए साहिल लेकर आया था अपनी पसंद से!
फिर वे बोली- जाकर तैयार हो जाओ अब तुम दोनों! और कमरे में मेकअप का सामान भी रखा है।
हम दोनों बहनें अलग अलग कमरे में आ गयी.
मैंने जब साड़ी खोलकर देखी तो वो बहुत महंगी थी. उसका ब्लाउज एकदम सेक्सी! साड़ी भी बहुत सेक्सी थी.
नहाने के बाद मैंने पहले ब्लाउज पहना जो कि पीछे से छोटा और आगे से काफी गहरा गला था. जिसमें मेरे मम्मों के अच्छे खासे दर्शन हो रहे थे.
शायद साहिल ने भी इसी किये मुझे इतना महंगा तोहफा दिया था.
तो मुझे भी उसको पहन कर उसका मन खुश करना था.
मैंने साड़ी बहुत सेक्सी अंदाज़ में … लेकिन इस तरह पहनी कि घर वालों के सामने खराब न लगे.
और जब साहिल के सामने आऊंगी तो उसको अपना सेक्सी जिस्म दिखा दूंगी।
साड़ी पहनने के बाद मैंने बहुत अच्छे से मेकअप किया और तैयार होकर बाहर आ गयी।
मेरे बाहर आते ही सबसे पहले साहिल की मम्मी ने मेरी सासु माँ ने मेरी बहुत तारीफ की. उन्होंने मुझे काला टीका भी लगाया और बोली- किसी की नज़र ना लगे तुमको।
अब मेरी नज़र सिर्फ साहिल को ढूंढ रही थी.
मैंने उसकी मम्मी से पूछा- साहिल कहाँ है?
जिसपे वो बोली- वो पूजा में बैठा है. तुम भी पहुँचो वहीं. बस पूजा शुरू होने वाली है।
मैं जब वहां पहुँची तो साहिल वहीं पर सफेद रंग का कुर्ता पजामा पहने बैठा था.
क्या मस्त लग रहा था वो!
सच बताऊँ … अगर वो अकेला होता तो मैं तुरंत जाकर उसके होंठों को चूम लेती।
साहिल ने भी मुझे ऊपर से नीचे देखा और आंखों ही आंखों में बोला कि बहुत खूबसूरत लग रही हो.
जिसपे मैंने भी अपना हल्का सा सर झुका कर उसको शुक्रिया कहा।
मैं उसके ही बगल में जाकर बैठ गयी.
पूजा होने के बाद हम सब छत पर पटाके फोड़ने चले गए।
कुछ देर बाद सब फ़ोटो खिंचवाने लगे तो साहिल ने मुझे इशारा कर के अपने पास बुलाया.
फिर अपना हाथ पीछे करके मेरी साड़ी के नीचे से मेरी नंगी कमर पर हाथ डाल कर उसने हम दोनों की फ़ोटो निकाली.
इसी तरह उसने मेरी अकेली की भी बहुत सारी फ़ोटो निकाली.
उस दिन मैंने उसके साथ बहुत से पोज़ कपल वाले में फ़ोटो खिंचवायी।
कुछ देर बाद हम सब नीचे आ गए.
तो साहिल की मम्मी बोली- खाना लगा लिया जाए?
मैंने, रागिनी और सासु माँ ने खाना लगाया और हम सबने साथ बैठ कर खाया।
कुछ देर बाद साहिल के पापा के कुछ दोस्त आ गए. वो सब एक कमरे में जाकर पीने लगे.
साहिल की मम्मी, मेरी दादी और रागिनी ये सब एक कमरे में बैठ कर पत्ते खेलने लगे.
तभी तक आंटी की चार और सहेलियां आ गयी.
वो सब मिल कर खेलने और हल्की हल्की टिकाने लगी.
अब रागिनी पीती नहीं थी तो वो बस उनके साथ खेल रही थी. और मैं कभी कभार वाली थी तो मुझे थोड़ा मन कर रहा था.
लेकिन दादी के सामने वो संभव नहीं था.
मुझे पत्ती खेलने ना तो आता था ना ही शौक था. इसलिए मैं किनारे बैठ कर सबको देख रही थी।
अभी कुछ समय बीता ही था तभी साहिल वहां आया और अपनी मम्मी से बोला- मैं बाहर जा रहा हूँ. अभी कुछ देर में आऊंगा.
ये बोल कर वो कमरे से निकल गया।
जैसे ही वो कमरे से बाहर निकला, तभी उन्ही में से एक आंटी बोली- इतनी रात को ये कहाँ जा रहा है.
तो साहिल की मम्मी बोली- दोस्तो के साथ घूमने गया।
आंटी- कहीं ये दारू या किसी लड़की के चक्कर में तो नहीं जा रहा है ये इतनी रात को?
साहिल के मम्मी- नहीं … मेरा बेटा ऐसा नहीं है।
आंटी- चलो ठीक है! लेकिन आज दिवाली वाले दिन भले ही ये ना पीता हो लेकिन इसको दोस्त तो पीते होंगे. किसी ने इसको भी पिला दिया तो? और रात में पुलिस भी बहुत सक्रिय रहती है ऐसे लड़कों के लिए।
अब साहिल के मम्मी के दिमाग में एक शक बैठ गया.
उन्होंने रागिनी की ओर देखते हुए बोला- तुमको भी घूमना हो तो चली जाओ साहिल के साथ! मैं उसको बोल दूँ?
रागिनी ने बिना मन के हां में सर हिलाया तो यह बात मेरी दादी समझ गयी.
वो मेरी ओर देखती हुई बोली- अरे अंजलि, तुम चली जाओ. वैसे भी तुम खेल नहीं रही हो.
और फिर साहिल की मम्मी के तरफ देखती हुई बोली- साहिल की रागिनी से ज़्यादा अंजलि से अच्छी बैठती है।
साहिल की मम्मी ने साहिल को फ़ोन किया.
वो अभी गेट से अपनी बाइक निकाल रहा था.
आंटी ने बोला- अंजलि बोर हो रही है. अगर हो सके तो उसको अपने साथ लेता जा.
जिस पे साहिल बोला- ठीक है. तुरंत अंजलि को गेट पे भेजिए।
मैं भी बहुत खुश हो गयी थी और तुरन्त नीचे उतरने लगी.
रास्ते भर में मैंने अपनी साड़ी एकदम नाभि के नीचे कर लिया और फिर पल्लू इस तरह से ओढ़ा कि मेरी चूचियाँ दिखने लगी.
अब मैं साहिल के पास गई और उसकी बाइक पर बैठ गयी। मैंने एक हाथ उसके कंधे पर रखा जबकि दूसरा उसकी जांघ पर! और बिल्कुल उसके सट कर बैठी थी जिससे साहिल को मेरे मम्मे अपनी पीठ पर रगड़ खाते हुए साफ महसूस हो रहे थे।
मैंने साहिल से बोला- मुझे भी थोड़ी से पीनी है.
तो साहिल ने किसी लड़के को फ़ोन करके एक मैजिक मूमेंट का इंतज़ाम किया. क्योंकि इस दारू में महक नहीं आती पीने के बाद … जिससे घर जाने के बाद कोई दिक्कत न हो हम दोनों को।
कुछ देर बाद उसने एक पुल पर ले जाकर अपनी बाइक रोकी बीचोंबीच!
वहां बहुत तेज़ हवा चल रही थी और वो पल बहुत ही बढ़िया था।
साहिल ने दोनों गिलास मुझे पकड़ाये और दोनों में पहले थोड़ी थोड़ी दारू डाली. फिर पानी मिलाया.
तीन पेग में हमने दारू खत्म की।
दारू जल्दी इसलिए पी कि अगर कोई आ जाए तो हम दोनों के खड़े होने पर तो कुछ नहीं बोलेगा. लेकिन इस तरह बीच सड़क में पीने पर दिक्कत हो सकती थी।
जल्दी जल्दी पीने के वजह से मुझे बहुत तेज़ से दारू चढ़ गई.
लेकिन साहिल अभी भी संयम में था.
वो ठंडी हवा मेरी साड़ी से होकर मेरी चूत में घुस रही थी और मेरे शरीर में एक अजीब से सनसनाहट होने लगी थी।
साहिल अपनी बाइक पे हल्का सा टिक कर बैठा था. मैंने जाकर उसके तरफ पीठ करके उसकी गोद में अपनी गांड टिका लिया.
अब मैंने साहिल से बोला- सेल्फी ली जाए?
तो उसने अपने कुर्ते से मोबाइल निकाल कर सेल्फी लेनी शुरू की.
एक दो फ़ोटो के बाद मैंने उसका हाथ अपने पेट पर रख दिया.
उसने अपने एक हाथ में मोबाइल पकड़ा और दूसरा हाथ मेरी कमर के पीछे से घुमा कर मेरे नंगे पेट पे रखा.
हम दोनों किसी जोड़े के तरफ फ़ोटो लेने लगे.
अब तक पहले तो हल्का हल्का फिर ज़्यादा तेज़ से लंड मेरी गांड में चुभने लगा।
साहिल ने सिर्फ पजामा पहना था जिसमें उसका लन्ड पूरा मेरी गांड को सटा हुआ था.
कुछ देर बाद मैं उसकी तरफ घूम गयी और उसको गले लगाकर फ़ोटो खींचने को बोला।
ना जाने क्या हुआ फ़ोटो खिंचते खिंचाते हम दोनों इतने करीब आ गए कि पता ही नहीं चला।
आगे से साहिल का मोटा लौड़ा मेरी चूत के पास टकरा रहा था.
और उसने पीछे से साड़ी के अंदर हाथ डाल कर मेरी कमर पकड़ रखी थी.
बातों बातों में हमारे होंठ इतने करीब आ गए थे कि मेरी गर्म साँसें उसके मुँह पर लग रही थी, मेरी उसको!
उसने एक फोटो खींचने के बाद मुझे झटके से अपनी ओर खींचा और कमर को कस के दबा लिया.
मेरे होंठ उसके होंठों पर चिपक गए।
वो तो चुपचाप वैसे ही खड़ा था लेकिन उसने होंठों से जैसे ही मेरे होंठ छुए तो मेरे ना चाहते हुए भी मेरे होंठ चलने लगे. जिसके कुछ समय बाद साहिल भी मेरे मुंह में अपना मुँह घुसा कर मुझे चूमने लगा और उसका हाथ कभी मेरी कमर को सहलाता तो कभी मेरी पीठ को।
हम दोनों उस तेज़ ठंडी हवा में और एक दूसरे के होंठों को इस तरह चाट रहे थे मानो शहद हो.
अभी दस मिनट ही हुए थे एक दूसरे को किस करते हुए … तभी साहिल का फ़ोन बजा.
तो हम लोग अलग हुए.
साहिल ने अपना फ़ोन निकाला तो उसकी मम्मी का था. वो हम दोनों को घर बुला रही थी क्योंकि रात के साढ़े तीन बज गए थे।
फ़ोन रखने के बाद साहिल ने बोला- मम्मी घर बुला रही हैं.
इतना बोल कर वो बाइक पर बैठ गया और मुझे भी बैठने को बोला.
मैंने उसका उल्टा हाथ गाड़ी के हैंडल से हटाया और उसके आगे एक तरफ पैर करके बैठ गई मैं!
वो कुछ ना बोला और गाड़ी स्टार्ट करके चल दिया. मैं उसकी बांहों से लिपट कर घर आ गयी।
घर आने के बाद मैं रागिनी के पास चली गयी सोने और साहिल अपने कमरे में।
अगले दिन रागिनी ने मुझे सुबह सात बजे उठाया, बोली- तैयार हो जा … घर चलना है.
तो मैं उठकर तैयार हो गयी.
यह कहानी गर्म लड़की की आवाज में सुनकर मजा लें.
बाहर आंटी ने हमारे लिए नाश्ता लगा दिया था. उसके बाद हम लोग अपने घर आ गए।
अब इसी तरह एक हफ्ता बीत गया लेकिन कुछ हो नहीं पाया।
मुझे उम्मीद है कि यह मेरी फर्स्ट किस स्टोरी आपको मजा दे रही होगी. तो आप कमेंट्स करके और मेल करके मुझे अपने विचार बताएं.
धन्यवाद.
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