मॅाम्मी सेक्स कहानी में मेरे अब्बू की मौत के बाद हमने घर में एक नौकर रखा. वह काफी जवान पट्ठा था. मेरी नजर उस पर थी. एक रात मैं अम्मी को उसके साथ नंगी देखा.
मेरा नाम आरिफा है। मैं बेंगलोर की रहने वाली हूँ।
मेरी उम्र सत्ताईस साल है और मेरा फिगर 36-28-36 है।
मैं शादीशुदा हूँ और मेरे दो बच्चे भी हैं।
मैं अपने पति वारिस के साथ मुंबई में रहती हूँ।
यह उन दिनों की मॅाम्मी सेक्स कहानी है जब मैं 19 साल की थी।
मैं एक छोटे से गाँव से हूँ।
मेरे परिवार में मेरे साथ मेरी अम्मी और पापा थे। मेरे पापा ड्राइवर थे और वो कुवैत में काम करते थे।
पापा को कुवैत गए पूरे तीन साल हो चुके थे।
घर पर मैं और मेरी अम्मी अकेले रहते थे।
हमें किसी चीज की कमी नहीं थी क्योंकि मेरे दादा ने हमारे लिए बहुत कुछ छोड़ा था।
पापा को कुवैत जाने की जरूरत नहीं थी, फिर भी वो गए।
मैंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी और घर पर रहने लगी थी।
हमारा घर बहुत खुशहाल था।
एक दिन अचानक खबर आई कि कुवैत में पापा का एक्सीडेंट हो गया।
ये खबर सुनकर हमारा हाल बहुत खराब हो गया।
पापा को मरे पूरे एक साल हो गया लेकिन जिस तरह हमारा घर चल रहा था, उसी तरह चलता रहा।
मैं बड़ी हो चुकी थी। मेरी शादी के लिए दूर-दूर से रिश्ते आ रहे थे।
अम्मी कहती थी, “मेरी लड़की अभी छोटी है! इतनी जल्दी शादी नहीं करूँगी!”
हमारे घर में एक नौकर की जरूरत थी।
मेरी अम्मी ने मेरे मामा से कहा, “हमारे घर के लिए एक नौकर चाहिए।”
मामा पड़ोस के गाँव से एक लड़का लेकर आए।
अम्मी ने उसे देखा और पसंद कर लिया।
उसे रात-दिन हमारे पास ही रहना था।
उसका नाम रियाज़ था।
उसकी उम्र अठारह साल थी।
रियाज़ घर का सारा काम अकेले ही करता था।
रियाज़ का भी पिता नहीं था।
वो अपनी अम्मी के साथ रहता था और गरीब परिवार से था।
वो थोड़ा-बहुत पढ़ा-लिखा था।
दिखने में वो किसी हीरो से कम नहीं था।
मेरी नजर हमेशा उस पर टिकी रहती थी।
वो हमारे बगल वाले कमरे में सोता था।
कई दिन बीत गए।
मेरी अम्मी अलग कमरे में सोती थी और मैं अपने कमरे में।
एक रात मुझे प्यास लगी।
मैं बिस्तर से उठकर किचन की तरफ जाने लगी।
तभी अम्मी के कमरे से सिसकियों की आवाज आई।
मैंने दरवाजा खोलने की कोशिश की लेकिन दरवाजा अंदर से बंद था।
मुझे डर सा होने लगा।
“अम्मी को क्या हो गया?” मैंने सोचा।
मैं दौड़कर पीछे वाली खिड़की की तरफ गई।
उस खिड़की में एक छोटा सा छेद था।
मैंने उसमें आँख लगाकर देखा और देखते ही दंग रह गई।
रियाज़ अम्मी की चूची चूस रहा था।
अम्मी बिस्तर पर नंगी पड़ी थी और रियाज़ भी नंगा था।
रियाज़ का आधा बदन अम्मी के ऊपर था।
वो एक चूची को हाथ से दबा रहा था और दूसरी को मुँह में चूस रहा था।
मैं ये देखकर वहाँ से हट नहीं पाई।
मेरी नजर उस छेद से हटी नहीं।
मैं देख रही थी कि मेरी अम्मी के साथ क्या हो रहा था।
रियाज़ ने अम्मी का सारा बदन चूमा।
फिर वह अम्मी की जाँघों पर अपने मुँह से चाटने लगा।
धीरे-धीरे अम्मी ने अपने पैर फैलाए।
रियाज़ अम्मी की चूत को चाटने लगा।
अम्मी ने अपने दोनों पैर अच्छी तरह फैलाए।
रियाज़ अम्मी की चूत को अच्छी तरह चाट रहा था।
फिर रियाज़ उठकर खड़ा हो गया।
उसने अपनी चड्डी उतारी।
लाइट की रोशनी में रियाज़ का लंड मोटा और लंबा दिखाई दे रहा था।
उसने पलंग के नीचे खड़े होकर अम्मी के दोनों पैर पकड़े और अपना मोटा, लंबा लंड अम्मी की चूत में घुसा दिया।
वो अपनी कमर हिलाकर अम्मी को चोद रहा था।
कुछ देर बाद उसने “हाहा हा हा” की आवाज निकाली और अम्मी के ऊपर ही लेट गया।
ये सब देखकर मेरी चूत पानी छोड़ने लगी।
मेरी चूत का पानी मेरी जाँघों से होते हुए मेरे घुटनों तक आ गया।
रियाज़ ने अम्मी की चूत से अपना लंड निकाला और पीछे के दरवाजे से अपने कमरे में चला गया।
मैं लौटकर अपने बिस्तर पर आ गई।
सुबह मैं किचन में नाश्ता बना रही थी।
अम्मी मेरे पास आई।
“नाश्ता तैयार करके रियाज़ को दे आना!” अम्मी ने कहा।
मैं शर्म के मारे अम्मी की शक्ल तक नहीं देख पाई।
मैंने सिर हिलाया।
अम्मी किचन से बाहर निकलकर खेत देखने चली गई।
मैंने नाश्ता तैयार किया और रियाज़ के कमरे में ले गई।
रियाज़ बैठा नाश्ते का इंतजार कर रहा था।
मैं उसे नाश्ता देकर कमरे से बाहर आ गई।
मैं दिनभर अम्मी की रात वाली चुदाई के बारे में सोचती रही।
मैंने जिंदगी में पहली बार चुदाई का मंजर देखा था।
रात के खाने के बाद हम अपने-अपने कमरे में चले गए।
उस रात मैं दबे पाँव खिड़की के पास गई और उसी छेद में आँख लगाकर देखने लगी।
अम्मी अपने कपड़े उतार रही थी।
रियाज़ पीछे के दरवाजे से अम्मी के कमरे में दाखिल हुआ।
अम्मी अपने कपड़े उतारकर पलंग पर लेट गई।
रियाज़ ने भी अपने कपड़े उतारे और अम्मी के ऊपर लेटकर उनकी चूचियों को सहलाने और दबाने लगा।
अम्मी रियाज़ को अपने ऊपर खींचकर उसके होठों को चूमने लगी।
रियाज़ अम्मी के होठों का रस चूस रहा था।
मैं खड़ी उस छेद से मॅाम्मी सेक्स देख रही थी।
रियाज़ ने अम्मी के चूची के निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।
अम्मी “हाहाहा हा ऊ ऊ ऊ” की आवाज निकालते हुए अपने दोनों पैरों से रियाज़ की कमर को कसकर पकड़ लेती थी।
कुछ देर चुम्मा-चाटी के बाद रियाज़ ने अम्मी को घोड़ी बनाकर चोदा।
अम्मी चुदाई के बाद आराम से सो गई।
एक दिन मुझसे रहा नहीं गया।
मैंने अम्मी से पूछ लिया, “माँ, एक बात पूछूँ?”
“पूछ, तुझे क्या पूछना है!” अम्मी ने कहा।
“कई दिन से देख रही हूँ, रियाज़ सुबह तुम्हारे कमरे से नंगा बाहर जाता हुआ दिखा है। वैसे वो तुम्हारे कमरे में क्या करता है? उसे सुबह नंगा तुम्हारे कमरे से क्यों जाना पड़ता है?” मैंने पूछा।
इस बात को सुनकर अम्मी थोड़ी शरमा गई और बोली, “ऐसा कुछ नहीं! वो मेरे कमरे में क्यों आएगा? उसे मेरे कमरे में क्या काम है!”
“नहीं माँ, कमरे के अंदर क्या होता है, ये सब मैंने देखा है!” मैंने कहा।
मेरी बात सुनकर अम्मी सिर झुकाए खड़ी रही।
“माँ, मैं सब समझती हूँ। इस समय तुम्हें आदमी की जरूरत है। तुम जो भी करती हो, सही है!” मैंने कहा।
इस बात को सुनकर अम्मी को थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई।
अम्मी रात को अपने कमरे में चली गई।
मैं उसी समय खिड़की के पास गई और छेद में देखा।
रियाज़ नहीं आया।
मैं बहुत देर तक रियाज़ का इंतजार करती रही।
मैंने सोचा, शायद अम्मी ने मेरी बात पर नाराज होकर रियाज़ को कमरे में आने से मना कर दिया।
अम्मी अपने बिस्तर पर बिन जल की मछली की तरह तड़प रही थी।
ये देखकर मुझसे रहा नहीं गया।
मैं रियाज़ के कमरे में गई।
रियाज़ भी उसी तरह अपना लंड मुट्ठी में लिए तड़प रहा था।
मैंने रियाज़ को अम्मी के कमरे में ले आई और अम्मी के सामने खड़ा कर दिया।
अम्मी ने हम दोनों को देखकर हैरानी से कहा, “ये क्या!”
“मॅाम्मी सेक्स में शर्माने की कोई बात नहीं! तुम्हें चुदाई के बगैर नींद नहीं आएगी!” मैंने कहा।
मैंने बात करते-करते अम्मी के कपड़े उतार दिए और रियाज़ के कपड़े भी उतार दिए।
अब रियाज़ और अम्मी दोनों पूरी तरह नंगे थे।
रियाज़ और अम्मी दोनों होठों को चूम रहे थे।
कुछ देर बाद रियाज़ ने अम्मी को चोदना शुरू किया।
मैं वहाँ बैठी अम्मी की चुदाई देख रही थी।
रियाज़ अम्मी की गांड को उठा-उठाकर चोद रहा था।
मैं अम्मी के सिर के पास बैठी थी और उनका सिर सहला रही थी।
रियाज़ के चोदने से अम्मी का पानी निकलने लगा।
रियाज़ अम्मी की चूचियों को दबा-दबाकर चोद रहा था।
अम्मी के पानी के साथ-साथ रियाज़ का पानी भी निकल गया।
रियाज़ अम्मी के बगल में लेट गया।
चुदाई के बाद भी रियाज़ का लंड लोहे की रॉड जैसा खड़ा था।
उसके लंड से सफेद पानी मोती जैसा बूंद-बूंद निकल रहा था।
मैंने रियाज़ के लंड को पकड़ा और सफेद पानी को अपनी उंगली से पौंछ रही थी।
रियाज़ का लंड अभी भी खड़ा था।
मैंने लंड को मुँह में लिया और चूसने लगी।
अभी-अभी पानी निकला हुआ लंड चूसने से मुझे घुटघुटी होने लगी।
अम्मी मेरी तरफ देखने लगी।
रियाज़ अब चोदने की पोजीशन में आ चुका था।
उसने मेरे कपड़े उतारे और मेरी छोटी-छोटी चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
मेरे पूरे बदन को चाटा और मेरी चूत में उँगली डालकर हिलाने लगा।
मेरी चूत से पानी निकलने लगा।
रियाज़ ने मेरे पैर फैलाकर मेरी चूत को चाट-चाटकर पानी पी रहा था।
ये सब अम्मी देख रही थी।
कुछ देर चाटने के बाद रियाज़ ने अपना मोटा, लंबा लंड मेरी चूत में घुसा दिया।
मैं दर्द के मारे चिल्ला उठी।
अम्मी मेरे सिर को सहलाते हुए बोली, “बस थोड़ा सा दर्द होगा!”
रियाज़ मेरी नाजुक, छोटी चूत को चोद रहा था।
मेरी चूत से खू.न निकलने लगा।
जब लंड अंदर घुसा, तब दर्द हुआ, फिर मीठा-मीठा दर्द होने लगा।
मुझे अब मजा आने लगा।
कुछ देर चोदने के बाद रियाज़ ने अपना गर्म-गर्म पानी मेरी चूत के अंदर छोड़ दिया।
रियाज़ मेरी चूत में लंड डाले हुए सो गया।
अब मुझे पता चला कि चुदाई के बगैर अम्मी क्यों इतना तड़पती थी।
फिर हम तीनों इसी तरह करते रहे।
कुछ महीने बाद मेरी शादी वारिस से हो गई और मैं मुंबई आ गई।
कैसी रही मेरी मॅाम्मी सेक्स कहानी?
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