भाभी की चाची चुदी सरसों के खेत में- 2

खेत में चुदाई की कहानी मेरी भाभी की चाची के साथ है. मैं उन्हें चुदाई के लिए पटाकर सरसों के खेत में ले गया। हम दोनों ही सेक्स के प्यासे हो गए थे।

दोस्तो, मैं रोहित अपनी कहानी का दूसरा भाग लेकर हाजिर हूं।
मैंने कहानी के पहले भाग
भाभी की चाची की वासना जगायी
में आपको बताया था कि भाभी की चाची एक रात के लिए हमारे घर आई और अगले दिन मुझे ही उनको छोड़ने के लिए जाना पड़ा।
बेमन से मैं उनको छोड़ने गया लेकिन रास्ते में मैंने चाची को चुदाई के लिए पटा लिया।

मैं चाची को सरसों के खेत के अंदर ले गया।

अब आगे खेत में चुदाई की कहानी:

सरसों थोड़ी सूख चुकी थी। थोड़ा अंदर जाकर हमने इधर देखा कि कोई देख न रहा हो।

फिर एकदम से हम दोनों खेत के अंदर नीचे बैठ गए।
हमने एक नजर एक दूसरे को देखा और कलावती चाची की नजरों में मैंने लंड की प्यास देखी।
वो ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो- बस अब चढ़ जाओ राजा … देर मत करो।

मैंने चाची को धक्का देकर नीचे गिरा लिया और वो सरसों के ऊपर पसर गयी। उनके लेटते ही सरसों के सूखे पौधों से सरसों झड़कर नीचे बिखर गई और वहीं पर हमारा बिछौना बन गया।

चाची को लिटाकर मैं जल्दी से उनके ऊपर चढ़ गया और उनके रसीले गुलाबी होंठों को खाने लगा।
मैंने एक ही सांस में उनकी पूरी लिपस्टिक को चूस लिया।

कलावती जी भी भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठों को खाने लगी।

अब बहुत ज्यादा कामुक माहौल बन चुका था।
हमारे बीच सिर्फ होंठों को चूसने-खाने की आवाजें आ रही थीं- पुच्छ … पुच्छ … उम्म … मुच्च … मुच्च।

चाची के बड़े बड़े बोबे मेरी छाती के नीचे दबे हुए थे।

हम दोनों की लार एक दूसरे के मुंह में आने लगी। अब तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को बुरी तरह से चूस चुके थे।

अब मैंने उनके चेहरे को पकड़ा और चमकदार गोरे चिकने गालों पर चुंबनों की बारिश कर दी।
उनके चिकने गालों पर लिपस्टिक फैल गई।
उन्होंने मुझे ज़ोर से बांहों में भर लिया।

नीचे से जमीन की रगड़ और उनकी गांड में चुभती सरसों की टूट को भूलकर चाची लंड की वासना में बस बही जा रही थी।
अब मैंने तुरंत ही लेटकर मेरी पैंट, शर्ट और बनियान उतार दी।
अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में ही था।

मेरा लौड़ा तूफान मचा रहा था।
मैंने एक ही झटके में चाची के बोबों के ऊपर से साड़ी के पल्लू को हटाया और उनके बड़े बड़े बूब्स पर टूट पड़ा।
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही स्तनों को मसलने लगा।
उनके बोबे ब्लाउज में नहीं समा रहे थे।

अब मैंने दोनों हाथों से उनके रसीले स्तनों को मसलना चालू कर दिया।
वो दर्द से कराहने लगी।
मुझे कलावती जी के स्तनों को मसलने और दबाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

अब उनके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह … ओह … उफ्फ … मर गई … धीरे धीरे दबाएं रोहित जी, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- कलावती जी … अगर स्तनों को दबाने में दर्द ही नहीं हुआ तो फिर दबाने का ही क्या फायदा!
ये कहकर मैंने ज़ोर से स्तनों को मसल डाला और वो फिर से चीख पड़ी।

कलावती चीखी- साले कुत्ते … धीरे-धीरे दबा। मैं कहीं भागकर नहीं जा रही हूं!
मैं- साली कुतिया, मैं तो ऐसे ही दबाऊंगा।
ये कहकर मैंने उनके ब्लाउज के अंदर हाथ घुसा दिया।

उन्होंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी तो उनके बड़े बड़े बूब्स मेरे हाथ में आ गए। मैं उन्हें ज़ोर ज़ोर से भींचने लगा। हाथ अंदर होने की वजह से ब्लाउज बहुत ज्यादा टाइट हो गया।

तभी मैंने झटका देकर उनके ब्लाउज के हुक तोड़ डाले।
ब्लाउज के हुक खुलते ही कलावती जी के बड़े बड़े बूब्स उछल कर बाहर आ गए।
ऐसा लगा जैसे पंछी पिंजरे से आज़ाद हो गए हों।

चाची बोली- बहन के लौड़े, खोल ही देता ना हरामी। ब्लाउज के हुकों को तोड़ने की क्या जरूरत थी?
मैं- साली रण्डी, वो तेरा खसम खुल नहीं रहा था इसलिए मैंने तोड़ दिया।

इस तरह की गालियों से चुदाई का माहौल और ज्यादा कामुक बनता जा रहा था।

मैं उनके मोटे-मोटे गदराए स्तनों पर टूट पड़ा।
वो सिसकारियां भरने लगी, उनकी सांसें तेज़ होने लगीं।

अब वो काम वासना के सागर में गोते लगाते हुए मस्त कामुक आवाजें निकालने लगी- आह्ह … ओह्ह … ऊऊईईई … आह्ह्ह।
तभी मैंने मेरा मुंह बड़े बड़े स्तनों में दे मारा और भूखे शेर की तरह स्तनों को मुंह में भर भरकर चूसने लगा।

अब वो प्यार से मेरे बालों में हाथ घुमाने लगीं। मैं चूसते हुए बोबों को खाने लगा।

वो सिसकारती हुई बोली- आह्ह … रोहित तू कितने अच्छे से चूसता है … बस ऐसे ही चूसता रह … बहुत मज़ा आ रहा है।

स्तनों को चूसते समय कलावती जी ने मेरे मुंह को ज़ोर से बोबों पर दबा दिया।
मैंने बोबे को मुंह में कसकर भर लिया और फिर एक बाइट दे दी।
मेरे बाइट देते ही कलावती जी तड़पने लगीं।

तभी मैंने मेरा हाथ नीचे ले जाकर साड़ी और पेटीकोट को नीचे खिसकाकर उनकी चड्डी में हाथ घुसा दिया।
चड्डी में हाथ घुसते ही कलावतीजी का गीला भोसड़ा मेरे हाथ में आ गया।

इतनी देर के जोश में भोसड़ा बहुत ही ज्यादा गीला हो चुका था।
तभी मैंने अचानक उनके गीले भोसड़े में दो उंगलियां डाल दीं जिससे वो उचक गई और मैं उसको उंगलियों से चोदने लगा।

कलावती चाची इससे तड़प उठी।
चूत पर हुए इस हमले से वो पागल सी होने लगी और दर्द से तड़पने लगी।

मैं उनके गोरे चिकने पेट को चूमने लगा।
वो और भी ज्यादा बेचैन होने लगी और तेज तेज आवाज में सिसकारियां भरने लगी।

अब मेरा लौड़ा भी उनके भोसड़े में समाने के लिए तड़प रहा था तो मैंने उनकी दोनों टांगों को ऊपर किया और उनकी चड्डी निकाल कर फेंक दी।

चाचीजी का काला भोसड़ा मेरे सामने था जिस पर काला घना जंगल छाया हुआ था।
मैंने उनके भोसड़े की दोनों फांकों को पकड़कर चौड़ा कर दिया जिससे भोसड़े की गुलाबी, नमकीन पानी से भरी हुई गहरी खाई दिख गई।

अब मैंने मेरा मुंह भोसड़े पर रखा और बतेहाशा उसको चाटने लगा।
वो एकदम से सिहर उठी- आह … ऊईई … स्स्स … हाह्ह … हाय … ओह्ह … आराम से चाट … आह्ह मर गई।

मैंने चाची की नहीं सुनी और उसकी चूत को खाने लगा।
वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।

फिर वो तड़पते हुए बोली- अब सहन नहीं हो रहा है। जल्दी से ये हथियार मेरी चूत में घुसा दो।
मैं- बस थोड़ी देर रुक जाओ। मैं आपके भोसड़े को अच्छी तरह से तो चाट लूं।

कलावती- साले, समधन चोद, हरामी … ज्यादा इंतजार मत करवा … अब चोद दे मुझे!
मैं- साली रण्डी, लंडखोर, कुछ देर के लिए तो भोसड़े को संभाल ले! बस अब तेरे भोसड़े में मेरा लौड़ा ठुकने ही वाला है।

मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था, मैंने तुरंत ही साड़ी को पेटीकोट में से निकाला और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया।
तभी मैंने उनकी दोनों मांसल टांगों को ऊपर करके साड़ी और पेटीकोट को एकसाथ खींचकर बाहर निकाल लिया।

फिर मैंने उनकी पीठ को उठाकर अटके हुए ब्लाउज को भी खोल लिया।
अब वो मेरे लन्ड के सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। उनका भरा पूरा गोरा, चिकना, गदराया और नशीला बदन अब मुझे पागल कर रहा था।

मेरा लन्ड अंडरवियर में तम्बू बना रहा था। तभी वो उठ बैठी और उन्होंने एक ही झटके में मेरी अंडरवियर को खोलकर मेरे हथियार को निकाल लिया।
अब उन्होंने मुझे नीचे पटका और मेरी टांगों को फैलाकर गर्मा गर्म लंड को पकड़ लिया।

वो मेरा लौड़ा चूसने के लिए तड़प रही थी।
तभी उन्होंने मेरे लौड़े को हाथ में लिया और ज़ोर से मसल दिया।
मैं एकदम से सिहर उठा।

फिर चाची ने मेरे लंड को मुंह में भर लिया, वो ज़ोर ज़ोर से लन्ड को चूसने लगी।
ऐसा लग रहा था जैसे वो बहुत दिनों से प्यासी हो।

थोड़ी ही देर में उन्होंने चूस चूसकर मेरे लौड़े को थूक से पूरा गीला कर दिया।

तभी मैंने उनकी चोटी को खोलकर बालों को बिखेर दिया।
अब नज़ारा और भी ज्यादा सेक्सी हो गया।

अब जैसे ही वो मेरे लौड़े को चूसती तो उनके बाल मेरे लौड़े को पूरा ढक लेते।
वो प्यासी शेरनी की तरह मेरे लौड़े को चूसती जा रही थी और मैं प्यार से कलावतीजी के बालों में हाथ घुमा रहा था।

मैं- साली, हरामजादी … और चूस मेरे लौड़े को! तेरी चूत ने पूरे रास्ते में बहुत तड़पाया।
कलावती चाची- हां … और तेरे लौड़े ने भी मेरी चूत को तेरा लंड लेने के लिए मजबूर कर दिया। साले बहुत मस्त लौड़ा है तेरा … बहुत मज़ा आ रहा है।

मैंने उनके मुंह में मेरा लौड़ा ठूंसकर ज़ोर से उनके सिर को पकड़कर दबा दिया।
इतने में ही मेरे लंड से वीर्य निकल पड़ा और मैंने झटके देते हुए सारा माल उनके मुंह में छोड़ दिया।

वो मेरे लन्ड के रस को पीने लगी।

अब मैंने उनको छोड़ दिया।
वो मेरे लन्ड के ऊपर नीचे लगे हुए रस को चाटने लगी।
थोड़ी ही देर में उन्होंने मेरे लौड़े को चाट कर साफ़ कर दिया।

अब मुझे रुकना पड़ा क्योंकि मेरे लंड को दोबारा से खड़ा होने के लिए कुछ वक्त चाहिए था।

हम दोनों फिर से एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे।
मैं उसकी चूचियों को पीने लगा और वो मेरे गोटे सहलाने लगी।

थोड़ी हो देर में लंड में दोबारा से तनाव आना शुरू हो गया।
कुछ पल बाद मेरा लंड पूरा तन गया।

मैंने कलावती जी से बाइक को पकड़कर झुकने के लिए कहा तो वो तुरंत ही दोनों हाथों को बाइक की टंकी पर रखकर नीचे झुक गई।

अब उनकी मखमली, फूली हुई, गोरी, चिकनी, बड़ी सी गांड मेरे लौड़े के सामने थी। बड़ी गांड को देखकर मेरा लौड़ा फनफना उठा। अब मैंने उनको पीछे से दबोच लिया और उनके गद्देदार बड़े बड़े स्तनों को पकड़कर मसल दिया।

अब उनकी सांसें तेज होने लगीं।
इधर मेरा लन्ड उनकी गांड में घुसने की कोशिश करने लगा, मेरे लौड़े की रगड़ उन्हें चुभने लगी।

मैं नीचे बैठकर उनकी बड़ी सी गांड को चूमने लगा।

तभी मैंने उनकी गांड के छेद में उंगली घुसा दी।
वो एकदम से सिहर उठी। वो हाथ हटाने लगी लेकिन मैं उनके हाथ को पकड़ लिया और गांड में उंगली देता रहा।

मुझसे रुका नहीं जा रहा था।
मैंने उनको वापस नीचे लेटा दिया।

अब उनकी चूत को एकबार फिर चाटा और फिर मोटे मोटे स्तनों को पीते हुए रसीले होंठों को किस करने लगा।

कुछ देर चूसने के बाद अब मैं कलावतीजी के ऊपर उल्टा हो गया। अब मेरा लौड़ा उनके मुंह में था और मेरा मुंह उनके भोसड़े में!

अब वो मेरे लौड़े को आराम से चूस रही थी और मैं काले भोसड़े को सबड़ रहा था।

अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा था, मैं वापस नीचे आया।
अब मैंने उनकी टांगों को फैलाकर चौड़ा कर दिया।
उनके काले भोसड़े में से पानी रिस रहा था।

मैंने उनकी दोनों टांगों को अच्छी तरह से पकड़कर मेरे लौड़े को उनके गीले भोसड़े के खांचे में रख दिया।
अब मैंने एक जोरदार धक्का दिया और एक ही झटके में मेरा लौड़ा कलावती जी के भोसड़े के सारे अस्थि पंजरों को हिलाता हुआ भोसड़े की जड़ तक घुस गया।

वो एकदम से चीख पड़ी- आह … ओह … उईई … मर गई।
उनकी आंखों में से आंसू छलक पड़े।

तभी मैंने उनकी चीख को दबाते हुए मेरे प्यासे होंठों से उनके रसीले होंठों को बंद कर दिया।

ऐसा करने से वो चेहरे को इधर उधर करते हुए दर्द से बिलखने लगी।
मैं मेरे लौड़े को उनके गर्मा गर्म और गीले भोसड़े में पेलने लगा।
आज मुझे पेलने के लिए एक और शानदार भोसड़ा मिला था।

धीरे धीरे उनका दर्द कम होने लगा।
तो मैंने मेरे होंठ हटा लिए।

अब वो चुपचाप निढाल होकर धीरे धीरे सिसकारियां भर रही थी और मैं उनके भोसड़े को चोदे जा रहा था।
हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे।

शायद आज पहली बार कलावती जी इतने बड़े लंड से चुद रही थी।
उन्होंने मुझे बांहों में कस लिया।

हमारे बीच भोसड़े में लंड घुसने की फच्छ … फच्छ की आवाजें गूंज रही थीं।
मेरा लौड़ा चाची के भोसड़े के पानी से पूरा गीला हो चुका था।

अब मैंने उनके स्तनों को मुंह में दबा लिया और ज़ोर ज़ोर से मम्मों को भींचने लगा।

कुछ पल के बाद मैं और ज़ोर ज़ोर से भोसड़े में शॉट लगाने लगा।
तभी कलावती जी के भोसड़े ने कामरस का फव्वारा छोड़ दिया।
उनकी चूत मेरे धक्कों से अंदर से बिल्कुल लाल हो चुकी थी।

मैं लगातार समधनजी को चोद रहा था और अब मेरा भी वीर्य निकलने वाला था।
मैंने उनको कसकर पकड़ लिया।

कुछ ही देर में मेरे लौड़े ने गर्मा गर्म लावा कलावती जी के भोसड़े में भर दिया।

थोड़ी देर तक मैं उनके ऊपर ही पड़ा रहा। फिर मैं उठा तो मेरा लौड़ा अभी भी उनके भोसड़े के पानी में भीगा हुआ था और कलावती जी का भोसड़ा अभी भी मेरे लौड़े के रस से सराबोर था।
उनकी काली घनी झांटों पर वीर्य लगा हुआ था।

कलावती मुस्कुरा कर मुझे देख रही थी. मैं उनके नंगे जिस्म पर हाथ फिराए जा रहा था.

थोड़ी देर आराम करने के बाद कलावती चाची बोली- रोहित जी … अब जल्दी से कपड़े पहनो और अब यहां से निकलते हैं।
मैं- कलावती जी … अभी मेरा मन नहीं भरा है। आप बहुत गजब माल हो। पता नहीं फिर आपको चोदने का मौका कब मिलेगा? बस एक बार और शॉट लगाने दो।

वो बोलीं- अरे रोहित जी लेकिन … (बीच में रुकते हुए) अच्छा ठीक है, लगा लो। आज आपने मुझे भरपूर मज़ा दिया है। सच में आज जिंदगी में पहली बार किसी ने मुझे इस तरह चोदा है।

उनके तैयार होने के बाद अब मैंने फिर से उनकी मजबूत टांगों को फैलाकर चौड़ा कर दिया और फिर उनके काले भोसड़े की फांकों को चौड़ा करके लौड़ा अंदर तक पेल दिया।
वो एकबार फिर से तड़प उठीं।

इस बार उनकी चीख नहीं निकली। थोड़ी देर की धक्कमपेल के बाद मेरे लौड़े ने फिर से उनके गर्मा गर्म भोसड़े में लावा भर दिया। कुछ देर बाद हम दोनों उठे।

उनके बड़े बड़े बूब्स अभी भी मेरे सामने लटक रहे थे।
मैंने एक बार फिर से स्तनों को ज़ोर से मसल दिया और मुंह में भरकर चूस लिया।

कलावती जी- रोहित जी … अब तो छोड़ दो। अगर किसी दिन मौका मिला तो मैं आपको फुल मज़ा लेने का पूरा चांस दूंगी।

मैं- ठीक है कलावती जी, मुझे उस दिन का इंतजार रहेगा।
उन्होंने मेरी तरफ पीठ घुमाई और पीठ को साफ करने के लिए कहा।

तब मैंने देखा कि उनकी पीठ पर खेत में चुदाई से सूखी मिट्टी की रगड़ के बहुत सारे निशान हो रहे थे और कुछ कुछ जगह सरसों के पौधों की खरोंचें भी आ रही थीं।

मैंने उनकी गोरी पीठ को मेरी अंडरवियर से अच्छी तरह से साफ किया।
अब मैंने उन्हें घुमाकर चड्डी और ब्लाउज पहना दिया। ब्लाउज के आधे हुक ही लग पाए।

उन्होंने फिर पेटीकोट पहना और फिर साड़ी बांध ली।
मैंने भी मेरी चड्डी पहन ली।

तभी कलावती जी को न जाने क्या हुआ।

मेरी चड्डी को उन्होंने नीचे खिसकाकर मेरे लौड़े को मुंह में भर लिया और चूसने लगी।
थोड़ी देर तक उन्होंने मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूसा और थूक से पूरा गीला कर दिया।

मुझे तो अब भी बहुत मजा आ रहा था और मैंने कई मिनट तक इसका आनंद लिया।
फिर लंड को मुंह से निकाल कर वो बोली- आपने तो मेरी तबियत खुश कर दी। आपसे फिर से मिलने का मन करेगा।
मैं बोला- कोई बात नहीं चाचीजी, मेरा लौड़ा तो हमेशा आपकी चूत के लिए तैयार रहेगा।

कुछ देर बाद मैंने पूरे कपड़े पहने।

अब मैंने धीरे धीरे बाइक को घुमाकर सरसों के खेत में से बाहर निकाला।
मैंने एक बार पीछे मुड़कर देखा तो वहां सरसों के बहुत सारे पौधे चूर-मूर होकर टूटे पड़े थे।

वो इस बात का सबूत था कि यहां अभी-अभी ताबड़तोड़ चूत चुदाई का कार्यक्रम हुआ था।

अब हम पूरे रास्ते मस्ती करते हुए शाम को घर पहुंच गए। चाचीजी से मेरी अच्छी यारी हो गई।

दोस्तो, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं।
कहानी पर कमेंट्स करना भी न भूलें।
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