पड़ोसन आंटी की मालिश के बाद मस्त चुदाई- 1

हॉर्नी आंटी गरम कहानी में पढ़ें कि मैं पड़ोस वाली सेक्सी आंटी को पसंद करता था और वासना की नजर से देखता था. एक बार अंकल बाहर गए तो आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया.

फ्रेंड्स, मेरा नाम सन्नी है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 23 साल की है.
मैं दिल्ली में एक किराए के फ्लैट में अकेला रहता हूँ.

यह हॉर्नी आंटी गरम कहानी कुछ दिन पहले की उस वक्त की है जब मेरे पड़ोस में रहने वाली आंटी ने मुझे घर बुलाया था.

मैं उनके बारे में बता देता हूँ.
उनका नाम सौम्या है. सौम्या आंटी की उम्र 43 साल की है और उनका फिगर 36-32-38 का है.
अब आपको उनके फिगर से पता चल गया होगा कि मेरी पड़ोसन सौम्या आंटी कैसी दिखती हैं.

सौम्या आंटी मेरे बगल के फ्लैट में रहती थीं तो उनसे मेरी अच्छी जान पहचान हो गई थी.
आंटी का एक बेटा भी था, जिसकी उम्र 15 साल की रही होगी.
उनके हज़्बेंड प्राइवेट जॉब करते थे.

उनका बेटा मुझसे काफी हिला-मिला था तो वो कभी कभी मेरे फ्लैट में खेलने आ जाता था.
कभी मैं उनके घर चला जाता था.

एक दिन अंकल ने मुझे बुलाया, कहा- सन्नी, मैं और मेरा बेटा कुछ दिनों के लिए उसके दादा के घर जा रहे हैं और लगभग दस या पंद्रह दिन बाद वापस आएंगे. तो तुम अपनी आंटी का ख्याल रखना. उन्हें कुछ भी सामान चाहिए हो, तो प्लीज़ ला देना.
मैंने ओके बोलते हुए कहा- अब बेफिक्र होकर जाओ अंकल. मैं सब देख लूँगा.

वे लोग अगली सुबह निकल गए.

अब उनके पूरे घर में सिर्फ़ आंटी थीं.
अंकल के कहे अनुसार मैंने भी आंटी के साथ ही उनके घर में रहने की हां कह दी थी मगर अभी तक उनके घर में रहने नहीं गया था.

बस अंकल के जाने के बाद मैं अपने घर में आकर सो गया था.

अंकल के जाने के बाद वो सुबह का टाइम था.
आंटी रोज़ की तरह घर की साफ सफाई करने में लग गईं और मैं अपने लिए ब्रेकफास्ट बनाने लगा.

अचानक से उसी समय मेरे सिलेंडर में गैस खत्म हो गई और मेरा नाश्ता नहीं बन पाया.
मैं खाली सिलेंडर लेकर रूम से निकला और सीढ़ी से जाने लगा.

सीढ़ी से लगा हुआ ही उनका फ्लैट था और उनके दरवाजे खुले हुए थे.
उन्होंने मुझे सिलेंडर लेकर जाते हुए देख लिया.

वे मुझसे पूछने लगीं- अरे सन्नी, सिलेंडर लेकर कहां जा रहे हो?
मैं- गैस खत्म हो गई आंटी जी, इसे रीफिल करवाने जा रहा था.

आंटी- अरे मत जाओ … तुम मेरे घर पर खा लेना.
मैं- अरे नहीं आंटी जी, मैं रीफिल करवा लेता हूँ. आप क्यों तकलीफ़ करती हैं. वैसे भी सिलेंडर तो भरवाना ही पड़ेगा ना!

आंटी- हां वो ठीक है. उसके लिए बुकिंग करवा दो. हॉकर दे जाएगा. अभी ये सब तकलीफ़ क्यों करना. वैसे भी तेरे अंकल कह कर गए हैं कि जब तक वो लोग वापस नहीं आते हैं, तुम मेरे घर खाना खाओगे. मैं पहले भी उनके लिए खाना बनाती थी तो अब अकेले के लिए खाना बनाने का मन भी नहीं करेगा. तुम रहोगे तो अच्छा लगेगा बेटा.

मैंने बहुत मना किया पर आंटी नहीं मानी.

फिर वे बोलीं- तुमने मेरा ख्याल रखने का बोला है ना अंकल से … तो मैं तुम्हारा नहीं रख सकती क्या?
मैंने हथियार डालते हुए बोला- ओके, मैं सिलेंडर बुक करवा देता हूँ.

अब मैं सिलेंडर लेकर रूम में वापस चला गया.

फिर थोड़ी देर बाद आंटी आईं और पैसे व लिस्ट देकर बोलीं- बेटा, बाजार से थोड़ा ये सामान ले आओ.
मैं पैसे व लिस्ट ली और लेने चला गया.

जब मैं वापस आया तो उनका दरवाजा बंद था.
मैंने डोर-बेल बजाई.

आंटी की अन्दर से आवाज आई- मैं नहा रही हूँ. दरवाजा खुला है, अन्दर आ जाओ.
मैं अन्दर गया और सामान किचन में रख कर बोला- आंटी, सामान रख दिया है. मैं जा रहा हूँ.

आंटी बोलीं- अरे सुनो तो सन्नी … मैं तौलिया लाना भूल गई हूँ, तो प्लीज दे दोगे क्या … बेडरूम में है.
मैंने कहा- ठीक है आंटी, मैं देता हूँ.

मैं बेडरूम में गया, तो देखा कि बेड पर उनकी एक ट्रांसपेरेंट नाइटी, रेड ब्रा, पिंक पैंटी भी रखी थी.
मैंने ब्रा को टच किया, फिर तौलिया लेकर आंटी को दे दिया और बोला- मैं जा रहा हूँ.

वे बोलीं- ब्रेकफास्ट रेडी है, बैठ जाओ … खाकर जाना.
मैंने कहा- मैं नहाया नहीं हूँ अभी.

वे बोलीं- यहीं नहा लेना.
मैंने कहा- मैं कपड़े नहीं लाया हूँ.

वो हंस कर बोलीं- पागल कपड़े लेकर आ जाओ ना!
मैंने बोला- अरे तो मैं अपने ही रूम में नहा लूँगा ना!

वे बोलीं- क्या ये तेरा घर नहीं है?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.

आंटी बोलीं- जाओ कपड़े लेकर आओ और जल्दी से नहा लो. मुझे बहुत भूख लगी है.

मैं अपने कमरे में गया, कपड़े लिए और उनके दरवाजे के पास जैसे ही आया, मैंने उसी नाइटी में आंटी को देखा.

मेरे तो होश उड़ गए.
क्या माल लग रही थीं आंटी!

उनकी उस नाइटी में से सब कुछ दिख रहा था.
लाल ब्रा, उनका गोरा पेट, पिंक पैंटी, गोरी जांघें … आह मेरा तो मूड बन गया था.
उनके गीले बाल देख कर लंड फनफनाने लगा था.

वे मेरी तरफ देख कर बोलीं- ऐसे क्या देख रहा … जल्दी कर ना. नहा ले, मुझे भूख लगी है.
मैं बाथरूम में घुस गया और दरवाज़ा बंद कर दिया, झपट कर कपड़े उतारे, शॉवर ऑन किया और नहाने लगा.

मेरी नजरों में आंटी का सेक्सी रूप घुस गया था तो लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा.

उनको सोच कर लंड हिला ही रहा था कि तभी मैंने देखा कि सामने आंटी की गीली पैंटी ब्रा पड़ी थी.
फिर क्या था, मैंने पैंटी को लंड पर रखा और उनके नाम की मुठ मारने लगा.

थोड़ी देर बाद आंटी ने आवाज दी- आज ही नहा लेगा या नहीं?
मैं होश में आया और जल्दी से नहा कर बाहर निकल आया.

मैं जल्दी जल्दी में उनकी पैंटी से अपना मुठ धोना भूल गया.

फिर हम दोनों ने नाश्ता किया.
मैं नजरें झुका कर खा रहा था.

तभी आंटी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने उनकी तरफ देख कर कहा- कुछ नहीं.

उसी से नजरें उनकी चूचियों पर टिक गईं.
वो आंटी ने देख लिया और समझ गईं.

वे बोलीं- तुम मेरी नाइटी की वजह से ऊपर नहीं देख रहे ना … अरे क्या बोलूँ सन्नी, एक तो बहुत गर्मी है, ऊपर से सारे कपड़े धो चुकी हूँ. अब ये सब अपने बेटे के सामने तो पहन नहीं सकती, तो सोची कि आज पहन लेती हूँ. पर मैं समझ गई तुमको अच्छा नहीं लगा. मैं जाकर बदल लेती हूँ.

वे उठीं तो मैं बोला- अरे नहीं, ठीक है … सच में गर्मी तो है. पर मैंने आपको कभी ऐसे देखा नहीं था तो जरा शर्म आ रही थी मुझे!
इस पर आंटी हंसने लगीं और बोलीं- लड़के भी कहीं शर्माते हैं?
मैं बस मुस्कुरा कर रह गया.

फिर आंटी बोलीं- ओके, मैं कुछ और डाल लेती हूँ ताकि तुमको अजीब न लगे.
मैंने बोला- अरे नहीं, आप पहने रहो, कोई दिक्कत नहीं है.

फिर हम दोनों ने नाश्ता किया.
मैं अपने रूम में आ गया.

अपने बेड पर लेट कर मैं आंटी की भरी हुई चूचियों और उनकी गांड को याद करके लंड सहलाने लगा.
कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई.

दोपहर में आंटी ने मुझे फोन करके बुलाया- आ जाओ, खाना तैयार है.
मैं खाने आ गया.

मैंने फिर से उनको ऊपर से नीचे तक पूरा देखा.
वे मुझे देख कर मुस्कुराईं और हम दोनों ने खाना खाया.

उस समय मेरी आंटी से कोई बात नहीं हुई.
और आंटी ने भी मुझसे बात न करके बस मुझे अपनी जवानी की नुमाइश करके दिखाती रहीं.
वे कभी झुक कर मुझे अपने चूचे दिखातीं, तो कभी घूम कर अपनी गांड के जलवे दिखाने लगतीं.

मेरा हाल बुरा था.
फिर मैं अपने रूम में आ गया.

शाम को आंटी ने बुलाया कि उनका कुछ सामान ऊपर तादान से निकालना है और बेड को थोड़ा खिसका कर साइड में करना था.
उनकी कोई चीज़ बेड के नीचे चली गई थी.

मैं गया.
पहले तादान पर रखी अलमारी से उनका सामान उतारा, फिर बेड साइड में खिसकाने लगा.
बेड बहुत ही ज्यादा भारी था, साइड में नहीं हो रहा था.

आंटी बोली- रुक जाओ, मैं भी ताकत लगाती हूँ.
फिर आंटी भी मेरे साथ लगीं तब भी नहीं हुआ.

तो आंटी बोलीं- सुनो सन्नी … तुम बेड के कोने वाले हिस्से को साइड में कर दो तो उतने में ही मेरा काम हो जाएगा.
मैंने फिर से ट्राइ किया, मगर नहीं हुआ.

आंटी बोलीं- तू आगे से धक्का दे, मैं तुझे पीछे से पकड़ कर धक्का देती हूँ. उससे हो जाएगा.

तब आंटी ने मेरी कमर को पहले पकड़ा और धक्का लगाया मगर नहीं हुआ.

फिर उन्होंने मुझे पीछे से ज़ोर से पकड़ लिया … समझो एकदम हग करके कस लिया.
इससे उनके बूब्स मेरी पीठ पर पूरी तरह से दब गए थे और वो मुझे धक्का दे रही थीं, तो उनकी चूत वाला हिस्सा भी मेरी गांड में लग रहा था.

मैं आंटी को महसूस करता रहा.
उधर बेड को झांट असर नहीं हुआ.

अब आंटी बोलीं- तू हट, में आगे आ जाती हूँ, तू मुझे पीछे से धक्का दे.
मैंने वैसे ही किया.

मैंने उनकी कमर पकड़ा तो भी नहीं हुआ.
आंटी बोलीं- अरे जैसे मैंने तुझे पकड़ा था, वैसे पकड़ो. मेरा हाथ पकड़ कर अपने पीछे से पूरा सटा लो, जिससे बेड शायद सरक जाएगा.

मैंने आंटी को डॉगी पोजीशन में पकड़ा और लंड को उनकी गांड में अड़ा कर जोर लगाने लगा.

मेरा खड़ा लंड उनकी गांड में पूरी तरह से घुस गया और मेरे दोनों हाथ उनके मम्मों पर जम गए.
मैं आंटी को चुदाई की मुद्रा में आगे पीछे करके धक्का दे रहा था जिससे मेरा लंड उनकी गांड में घुसता जा रहा था.

आंटी को भी सब समझ आ रहा था पर वो बस स्माइल दे रही थीं.

फिर मैंने और ज़ोर का झटका मारा तो अचानक से बेड आगे को हो गया.
उसी समय आंटी के मुँह से चीख निकल गई- आआहह आराम से.
मैंने कहा- लो आपका काम हो गया?

आंटी ने भी कहा- हां … पर अभी देखती हूँ काम सही से हुआ या नहीं!
फिर आंटी बेड के नीचे झुकीं और सामान ढूँढने लगीं. उनकी गुलाबी पैंटी में फंसी गांड मेरे एकदम सामने थी.
मेरा बुरा हाल था.

गरम आंटी जैसे ही उठीं … उनकी गांड मेरे लंड से टच हुई.
उन्होंने पीछे देखा और स्माइल दे दी.

आंटी बोलीं- चल अब बेड को वापस सही कर दे, मैं सामान रख कर आती हूँ.
मैंने अकेले ट्राइ किया, पर बेड सही नहीं हुआ.
मैं कोशिश कर ही रहा था कि आंटी वापस कमरे में आ गईं.
वो मुझे पीछे से पकड़ कर बोलीं- रुक, मैं हेल्प करती हूँ.

वो मुझे रगड़ कर धक्का देती रहीं, मगर बेड को असर नहीं हो रहा था.

हॉर्नी आंटी बोलीं- आगे मुझे जाने दे, तू मुझे पहले जैसे पकड़ कर धक्का लगा.

मैंने वैसे ही किया और आंटी को खींचने लगा.
मगर बेड टस से मस नहीं हो रहा था.

आंटी बोली- झटके से करो.
मैं धक्के देने लगा, तो मेरा लंड आंटी की गांड में घुस रहा था और निकल रहा था.

मेरा एक हाथ उनके एक दूध पर था और दूसरा उनका पेट दबा रहा था.

आंटी बोलीं- पेट पर नहीं, ऊपर दोनों हाथ ऊपर ही रख लो.

मैंने दोनों बूब्स पकड़ लिए और पीछे से उनकी बड़ी से गांड में लंड से धक्के दे देकर मज़े ले रहा था.

तभी अचानक से बेड सही हो गया और मैं पीछे दीवार से जाकर टकरा गया.

आंटी मेरे ऊपर गिर गईं और उनकी कमर में और पैर में चोट लग गई.

तो आंटी दर्द से कराहने लगीं.
मुझे भी कमर में चोट आई थी.

आंटी पूछने बोलीं- सन्नी, तुझे लगी तो नहीं?
मैंने कहा- ज्यादा नहीं, हल्का कमर में लगा है.

हम दोनों कैसे भी करके उठे.

आंटी बोलीं- सॉरी मेरी वजह से तुमको चोट लग गई!
मैंने बोला- कोई बात नहीं.

फिर मैंने आंटी को सहारा देकर बेड पर बैठाया और खुद भी बैठ गया.
आंटी बोलीं- मेरी कमर और पैर में दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- आप आयोडेक्स लगा लो.

वो बोलीं- वो तो है ही नहीं.
मैंने कहा- कोई दर्द की गोली हो तो वो खा लो.

वो भी नहीं थी.

मैंने कहा- मैं अपने रूम में चैक करके आता हूँ.
वे बोलीं- हां जल्दी जा, दर्द बहुत ज्यादा हो रहा है.

मैं कैसे भी करके अपने कमरे में गया, पर मेरे रूम में भी दवा नहीं थी.

मैंने वापस आकर बोला- आंटी दवा तो नहीं है.
वे बोलीं- अब क्या करें?

मैंने कहा- एक उपाय है.
आंटी बोलीं- क्या?

मैंने कहा- गर्म तेल से मालिश कर लो.
आंटी मेरी तरफ प्यार से देखने लगीं.

दोस्तो, आंटी की तेल से मालिश करते हुए किस तरह से मैंने उन्हें चोदा और वो मेरे लंड की दीवानी हो गईं.

ये सब मैं आपको अपनी देसी आंटी की चुदाई की कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.
आप मुझे मेल से बताएं कि आपको यह हॉर्नी आंटी गरम कहानी कैसी लग रही है.
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