मेरी प्यासी रीडर की पाकीज़ा चूत

एक हसीन लड़की जो शेहवत यानी सोहबत की प्यासी थी, उसने मेरी कहानी पढ़ कर मेरे साथ बात शुरू की. फिर सेक्सटिंग से लेकर उसके शौहर के बिस्तर में उसकी प्यास बुझाने का सफर मुकम्मल हुआ.

नमस्ते दोस्तो, मैं आप सब का अक्षय ठाकुर (ठाकुर जी) एक नई कहानी लेकर आया हूँ।

मेरी कहानियाँ पढ़कर एक प्यासी हसीन लड़की अलिया खान ने मुझे मैसेज किया और हमारी बातें होने लगीं।

शुरू में सभी औरतें घबराई होती हैं, तो वो चीज़ें खुलकर नहीं बोलतीं.
पर वक्त के साथ उसे भरोसा होने लगा और उसके अंदर की प्यासी औरत को वो दबा न सकी।

कुछ ही दिनों बाद सेक्सटिंग और रोल प्ले शुरू हुआ और वो जब वक्त मिले, मुझसे अपना पानी निकालने के लिए वह हसीन लड़की की चुदाई की बात करने लगी।

मैं किसी से भी फोटो या पर्सनल डिटेल्स नहीं माँगता, ताकि हम अपनी डार्क फैंटेसी शेयर कर सकें।

अलिया खान भी अपनी डार्क फैंटेसी शेयर करने लगी और हम उस पर रोल-प्ले और सेक्सटिंग करते थे।

उसे उसके दोस्तों ने बोला था कि कटे से ज्यादा चमड़ीदार लंड लेने में मज़ा आता है और वही उसकी फैंटेसी थी।

हसीन लड़की की चुदाई कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं अलिया खान के बारे में बता दूँ।

उसकी जानकारी मैं उसकी परमिशन से शेयर कर रहा हूँ और वो नीचे कमेंट करके इसकी गवाही देने वाली है।

नाम, अलिया खान, उम्र, 24, शादीशुदा (4 साल), 34D-28-36, रंग, गोरा, गोलाकार खूबसूरत बेदाग चेहरा, नशीली आँखें, एक-दो साल के बच्चे की माँ है और सही जगह से फूली हुई है।

हाउसवाइफ होने के कारण और हमेशा पर्दा करने के कारण उसकी खूबसूरती और जवानी बरकरार है।

तो अलिया शादी के बाद अपने शौहर के साथ अलीगढ़ शिफ्ट हुई थी।

पहले गाँव में कड़े पहरे में बी ए की पढ़ाई पूरी की, पर कभी कोई आज़ादी नहीं थी, तो अपने अरमान दबाए रखे थे।

अलीगढ़ आने के बाद एक बच्चा हुआ और जब वो एक साल का हुआ था, तभी उसके शौहर का वाराणसी ट्रांसफर हो गया।

अब शौहर बस महीने में एक बार आता था, तो उसे मनचाही आज़ादी मिल गई।

उसने एक 32 साल का मर्द पटा तो लिया, पर वो भी हफ्ते में एक बार ही उसके पास आता था।

उससे बात करते-करते मैं समझ गया कि ये अलिया एक सबमिसिव यानी दब कर रहने वाली, गुलाम बन कर रहने वाली औरत है।

फिर प्यासी मल्ली अलिया को नीछा दिखा कर, उसकी बेइज्जती करके रोल-प्ले और सेक्सटिंग करने लगा.
तो वो भी बहुत अच्छे से साथ देने लगी।
एक अच्छी पालतू छिनाल की तरह मेरा हर कहा मानती थी।

मेरे एक करीबी दोस्त की शादी आगरा में थी.
ये बात जब मैंने अलिया को बताई.
तो उसने मुझे अलीगढ़ आने को कहा अपनी छिनाल अलिया खान को चोदने का न्योता दे दिया।

अलिया ने बस एक शर्त रखी थी कि वो मुझे अपने घर का पता नहीं देगी।
बल्कि घर के पास एक जगह मिलने बुलाएगी, अगर उसे यकीन हुआ कि जैसा मैंने कहा है, वैसा ही हूँ, तो फिर घर पर आने देगी।

मेरे लिए भी यही सही था।

तो दोस्त की शादी के बाद मैंने एक दिन लेट की फ्लाइट करा दी और उसे बोलकर एक सेल्फ-ड्राइव कार का भी बंदोबस्त कर लिया।

दोस्त की शादी के बाद मैं शाम को अलीगढ़ के लिए निकला और तय जगह पर पहुँचा।

हम एक होटल में मिलने वाले थे.

वहाँ जाते ही मैंने उसे मैसेज किया, तो उसने मुझे वहाँ बिरयानी और कवाब ऑर्डर करने को कहा।
वहाँ पर बहुत सारी औरतें बुर्के में थीं।

अभी मुझे पता नहीं था कि अलिया आएगी भी या नहीं क्योंकि उसने मुझे एक घंटा इंतज़ार कराया था।

मेरा खाना हो गया और मैं निकलने वाला था, तभी मुझे उसका मैसेज आया।

उसने मुझे एक गली का पता भेजा था।

मैं उस जगह गया, तो एक घर का पिछला दरवाज़ा खुला था और एक बुर्का और हिजाब बाँधे औरत मुझे अंदर आने का इशारा कर रही थी।
मैं अंदर गया और उसने दरवाज़ा लगा दिया।

दरवाज़ा बंद कर अलिया पलटी और बोली, “आइए ठाकुरजी, आप ही का घर समझिए इसे।”
उसकी आवाज़ बहुत मीठी और कोमल थी, जो मैंने फोन पर तो सुनी थी, पर सामने सुनकर और प्यारी लग रही थी।

ठाकुरजी, “और तुम?”
अलिया, “मैं तो आपकी छिनाल अलिया खान पहले से आपकी हूँ।”

ठाकुरजी, “बहुत देर इंतज़ार कराया है तूने अलिया।”
अलिया, “मेरी मुश्किल भी समझिए ठाकुरजी, एक अनजान शख्स को अपने घर में लाने से पहले मुझे भी तो तसल्ली करनी पड़ेगी न।”

ठाकुरजी, “तो हो गई तसल्ली?”
अलिया, “तभी तो आपको घर के अंदर लिया है… अब आपकी जो मनमर्जी कीजिए।”

ठाकुरजी, “मेरे कहने के अनुसार सब कुछ किया है न?”
अलिया, “जी ठाकुरजी, पार्लर जाकर पूरा बदन साफ करके आई हूँ और …”

ठाकुरजी, “बस-बस, बाकी सब तो मैं खुद देख लूँगा … अभी अपना चेहरा तो दिखाओ।”

अलिया खान ने हिजाब ऊपर किया, तो मैं देखता रह गया।

उसका चाँद जैसा गोरा चेहरा और होंठों पर लाल लिपस्टिक।
मुझसे रहा नहीं गया और मैं जाकर सीधा उससे लिपट गया और किस करने लगा।

वो मेरा पूरा साथ नहीं दे रही थी।
थोड़ी डरी हुई थी अभी भी।
और मैं जानता था कि उसे कैसे उत्तेजित करना है।

मैंने कसके उसके स्तन पकड़े और मसलने लगा।
वो आहें भरने लगी और मेरा पूरा साथ देने लगी।

उसके गुलाबी होंठों से मुझे नशा चढ़ने लगा और कसे हुए स्तनों को मसलने से मेरे अंदर का जानवर जाग गया।

मैंने कुछ न सोचते हुए उसका बुर्का फाड़ दिया।

वो अचानक हुई मेरी हरकत से डर गई, पर मैंने उसका मुँह अपने मुँह पर दबाए रखा और वो मेरी जीभ चूसने लगी।

जब उसकी साँसें शांत हुईं, तो मैंने उसे अपने से अलग कर दिया।
और मेरे सामने का नज़ारा देखकर दिल खुश हो गया।

मेरे कहने के अनुसार उसने अंदर लाल और काले रंग की नेट लॉन्जरी पहनी थी और नीचे काली हील्स।
उसके गोरे बदन पर एकदम सेक्सी लग रही थी।

वो भी फटे हुए बुर्के में अपने जिस्म की नुमाइश कर रही थी।
मुझसे अभी कंट्रोल नहीं हुआ, मैंने उसके स्तन पकड़कर खींचकर सोफे के पास ले गया और सोफे पर बैठकर उसे अपनी गोद में खींच लिया।
और उसके बदन को मसलने लगा।

उसके बदन की खुशबू से मैं और उत्तेजित हो रहा था और अपना कंट्रोल छोड़ जानवरों जैसे उसके बदन को चूम रहा था, काट रहा था, मसल रहा था, और रगड़ रहा था।

अलिया, “आह्हा हाय… ठाकुरजी, आराम से कीजिए, मैं कहाँ भागे जा रही हूँ।”
ठाकुरजी, “आराम से करवाना है, तो अपने शौहर या यार को बुला। ठाकुर जी करेंगे, तो अपनी मनमर्जी से ही करेंगे।”
अलिया, “आह्हा, मैं कहाँ मना कर रही हूँ, आह्हा, ये अलिया खान आपकी छिनाल है… उफ्फ, जो चाहे कीजिए।”

ठाकुरजी, “तेरी इस नाजुक मुलायम चमड़ी पर अभी ठाकुरजी के निशान होंगे।”
अलिया, “ये बदन आपका ही है ठाकुरजी, जो चाहे कीजिए… वैसे भी शौहर दो हफ्ते बाद आएगा और यार को मना कर दूँगी।”

मैं उसके स्तन जोर-जोर से मसल रहा था।
पूरे बदन को चूम और काट रहा था।

उसका बचा हुआ बुर्का भी फाड़ डाला और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत पकड़ ली, वो बहुत गीली थी।

ठाकुरजी, “अभी चुदा तक नहीं और इतनी गीली हो गई है।”
अलिया, “आपके चूमने से ही वो गीली होना शुरू हो गई ठाकुरजी… आह्हा, आपकी असली मर्दाना पकड़ से तो वो बहने लगी है… हाय… आगे क्या होगा, क्या पता।”
ठाकुरजी, “तो मेरा कहा मानेगी, तो तुझे चरम सुख मिलेगा छिनाल अलिया।”

अलिया, “आपका हर हुक्म मानेगी आपकी छिनाल अलिया खान… आह्हा, आपके कहने पर नई ब्रा-पैंटी और ये हील्स लाई हूँ… आह्हा हाय, ताकि ठाकुरजी को खुश कर सकूँ… उफ्फ।”

तभी अंदर से बच्चे के रोने की आवाज़ आने लगी।
अलिया, “ठाकुरजी, बच्चा जाग गया है, दो मिनट उसे सुलाकर आती हूँ।”

मैंने उसे जाने दिया।

और अलिया फटे हुए बुर्के में हील्स पर ऐसे ठुमकते हुए अंदर भागी।

उसकी 36 की गांड ऐसे झूल रही थी, जैसे मुझे न्योता दे रही हो।

मैंने अपने शर्ट और पैंट उतार दिए और अंडरवियर में अंदर चला गया।

अलिया का बच्चा बेड के पास पालने में सो रहा था और वो उसे खड़े होकर सहला रही थी।

मैं जाकर उसकी चूत में अपनी दो उंगलियाँ घुसेड़ दी और फिंगरिंग करने लगा।

उसके स्तन बहुत ज्यादा कड़क थे, मसलने में मज़ा आ रहा था।
उस पर उसकी सिसकियाँ और उत्तेजित कर रही थीं।

अलिया ने खुद अपना बुर्का निकाल फेंका।
अब उसका गोरा बदन, जो आधा लाल हो गया था, सिर्फ लॉन्जरी, हील्स और हिजाब में था।

अलिया, “कैसी लगी आपको आपकी मल्ली छिनाल ठाकुरजी?”
ठाकुरजी, “एकदम चुदक्कड़ माल है तू छिनाल।”

जैसे ही उसका बच्चा सो गया, वो पलटी और मेरा लंड मसलते हुए बोली,

अलिया, “वो रहा मेरे शौहर का बिस्तर, उसी पर इस पाकीज़ा चूत को अपने इस हथियार से नापाक कर दो।”

उसके कहते ही मैंने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उसकी पैंटी निकाल फेंकी, फिर उसके पैर फैलाकर चूत चाटने लगा।
बहुत साफ और स्वादिष्ट चूत थी।

अलिया वहाँ तिलमिला रही थी।
मैं उसके स्तन पकड़कर मसल-मसलकर उसे शांत कर रहा था और अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर डाल-डालकर चूस रहा था।

कुछ ही वक्त में उसका पानी निकला और वो शांत हो गई।
उसका खट्टा-मीठा पानी मुझे अच्छा लगा।
मैं जाकर उसके बगल में लेट गया।

अलिया, “आपकी जीभ का जवाब नहीं ठाकुरजी।”
ठाकुरजी, “चल छिनाल, अब तेरी बारी है।”
अलिया, “जो हुक्म मेरे मालिक।”

ऐसा बोलकर अलिया मुझे चूमते हुए नीचे जाने लगी।

मैंने उसकी गर्दन पकड़ ली और उसे अपने बालों से भरी छाती पर रगड़ते हुए बगल की तरफ ले गया।
वो अपनी जीभ से सब चाट रही थी।
फिर बगल चटवाने के बाद मैं नीचे ले जाकर छोड़ दिया।

उसने प्यार से मेरी अंडरवियर निकाली और मेरा झाँटों से भरा लंड उसके मुँह पर तन गया।
वो मेरी झाँटें चाटने लगी।

ठाकुरजी, “खास तेरे लिए साफ नहीं किया है झाँटें।”
अलिया, “आप जानते हैं, आपकी छिनाल को ऐसे ही पसंद है।”

फिर वो लंड चाटने लगी और गोटियाँ भी।
मैंने उसे मेरी तरफ देखने बोला।
तो वो पूरा लंड मेरी तरफ देखकर चूसने लगी।

क्या नज़ारा था।
एक खूबसूरत बदन की मालिका सिर्फ हिजाब, ब्रा और हील्स में अपने शौहर के बिस्तर में एक गैर मर्द का लंड चूस रही है।

अलिया, “आपका चमड़ीदार लंड बहुत कड़क है और इसका खट्टा स्वाद मुझे पसंद आया।”
ठाकुरजी, “आज इसी लंड से तेरी चूत मारनी है तेरे शौहर के बिस्तर पर।”

अलिया फिर लंड चूसने लगी, पर पूरा लंड अंदर नहीं ले रही थी, सिर्फ ऊपर-ऊपर से चूस रही थी।
तो मैंने उसका सिर पकड़ा और खुद लंड अंदर पेलने लगा।

वो आँखों से ना का इशारा करने लगी, पर मैंने एक न सुनी और अभी उसका मुँह चोदने लगा।
उसकी आँखों में आँसू भर आए, पर फिर भी वो मेरी तरफ देखती रही।

कुछ वक्त ऐसे हिलने के बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैं पूरा पानी उसके गले में उतार दिया।
उसकी आँखें बड़ी हो गईं, पर मैंने उसका सिर अपने लंड पर दबाए रखा।
कुछ वक्त बाद मैंने उसे छोड़ा, तो वो हाँफते हुए सब कुछ निगल गई।

अलिया, “याल्ला, आपने तो मेरी जान ही निकाल दी ठाकुरजी।”

ठाकुरजी, “कैसा लगा ठाकुरजी का लंड?”
अलिया, “बहुत स्वादिष्ट, मेरी सहेलियाँ ठीक कहती हैं, चमड़ीदार लंड का अलग ही मज़ा है, जो हमारे कटों में नहीं।”

ठाकुरजी, “चल, इसे साफ कर और अपनी चूत के लिए तैयार कर फिर।”
अलिया बहुत चाव से फिर लंड चाटने और चूसने लगी।

मैंने उसकी ब्रा उतार दी और स्तन आज़ाद कर दिए, मेरा लंड खड़ा होने लगा।
फिर मैंने उसे नीचे बिठाकर खड़ा हो गया और लंड को उसके स्तनों के बीच में रगड़ने लगा।

अलिया, “ये तो बहुत जल्दी तैयार हो रहा है ठाकुरजी।”
ठाकुरजी, “तुझ जैसे मल्ली छिनाल के लिए हमारे लंड हमेशा तैयार रहते हैं।”

अलिया अपने दोनों स्तन दबाकर मेरा लंड अपने स्तनों के बीच लेने लगी।
अलिया, “आपकी छिनाल कब से आपका इंतज़ार कर रही है ठाकुरजी… आज आपने मुझे खिदमत का मौका दिया है… चोद दीजिए आज अपने इस बड़े चमड़ीदार लंड से… मेरी चूत बेताब है इसे अंदर लेने के लिए।”

ठाकुरजी, “तो जा, अपने शौहर के बिस्तर में जाकर चुदने के लिए तैयार हो जा।”
अलिया उठी और बिस्तर पर जाकर लेट गई, अपने पैर फैलाकर।
मैं उसके पैरों के बीच में जाकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

अलिया, “बस कीजिए ठाकुरजी, अभी डाल भी दीजिए, आपका चमड़ीदार बड़ा लंड मेरी पाकीज़ा चूत में।”
मैंने थोड़ा रगड़ने के बाद उसकी गीली चूत में लंड फँसाकर एक जोरदार झटका दे दिया।

अलिया, “हायल्ला … आह्हा।”
मैंने एक और झटका दे दिया, तो वो मुझे धकेलने लगी।
उसकी गरम चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। और मैं अभी जोरदार धक्के मारने लगा।

अलिया, “हाय… मेरी पाकीज़ा चूत फट जाएगी, आराम से।”
ठाकुरजी, “चुप मल्ली छिनाल, तेरी इस कसी हुई चूत की गर्मी निकाल दूँगा आज।”
और मैं जोर-जोर से पेलने लगा और उसके गले और स्तनों को चूमने और काटने लगा।

अलिया, “या अल्लाह हाय… ठाकुरजी धीरे, आह्हा धीरे कीजिए… मैं मर जाऊँगी।”
मैंने एक न सुनी और जोर-जोर से पेलता गया।

अलिया, “हा… याल्ला, मुझे माफ कर, मैं इस काफिर के लंड से वो सुकून ले रही हूँ, जो कोई और मर्द न दे सका… आह्हा।”
अलिया ये बोलते हुए रोने लगी, उसकी आँखों से आँसू आने लगे।

कुछ ही वक्त में उसका बदन अकड़ गया और मुझे कसके लिपट गई।
मैंने दो-तीन झटके दमदार मारे और वो झड़ गई।

फिर मैं भी थोड़ा धीरे पेल रहा था और उसके कान में बोला, “एक बच्चे की माँ होकर भी इतनी कसी हुई चूत है तेरी।”
अलिया, “आह्हा, कोई ठीक से चोदे तो, आहा, ढीली होगी, आह्हा… स्स्स… आप अभी तक नहीं झड़े… आह्हा…”
ठाकुरजी, “अभी नहीं रंडी, अभी तो तेरी चूत फाड़नी है।”

ये कहकर मैंने फिर से जोरों से पेलना शुरू किया.
और वो चिल्लाने लगी, “आह्हा, या ल्ला, आज ये काफिर मार डालेगा, हाय… आह्हा आहा… लो ठाकुरजी, चोद लो अपनी मल्ली छिनाल को… आह्हा, चोद-चोद के जान ले लो इस अलिया खान की… आह्हा।”

मैं जोरों से पेल रहा था और साथ ही साथ उसके तिलमिलाते बदन को चूम और चूस रहा था।
हमारे बदन पसीने से भरे थे और मैं हो सके उतना जोरों से पेल रहा था।
उसकी आवाज़ से उसका बच्चा भी उठ गया और रोने लगा।

अलिया खान अभी चरम सुख पर थी, उसे बच्चे की भी परवाह नहीं थी।
उसने मुझे फिर से कसके पकड़ लिया।
मैं उसके गले को चूमते हुए और काटते हुए पेल रहा था।

अलिया, “आह्ह… पेल-पेल के रंडी बना लो अपनी मुझे ठाकुरजी… आह्हा, मैं आपके चमड़ीदार लंड की रंडी हूँ… चोदो अपनी मल्ली छिनाल को उसके बेटे के सामने… आह्हा, लज़्ज़त की इंतिहा करवा दो अपने शौहर के बिस्तर पर।”

उसका पानी निकलने के बाद वो बच्चे के पालने की तरफ देखकर सिसकियाँ भरने लगी।
मैंने देखा, तो बच्चा उठ गया था और ऊपर आकर अपनी माँ की चुदाई देख रहा था।
मैं अभी और जोर से पेलने लगा और कुछ ही वक्त में अपना माल अलिया की गरम चूत में छोड़ दिया।

मैं उठकर बाथरूम में चला गया।
अलिया वैसे ही सोहबत की इन्तेहा के बाद बिस्तर में बेहाल पड़ी थी।
मैं लंड साफ करके जब वापस आया, तो अलिया बच्चे को बिस्तर में लाकर सुला रही थी।

उसका बदन पसीने से भीगा था और पूरा लाल हो गया था।
मैं उसके बगल में जाकर सो गया और उसके बदन से खेलने लगा।

कुछ ही वक्त में मेरा फिर से खड़ा हुआ और उसे बच्चे को सुलाते हुए घोड़ी बनना पड़ा।

वैसे उसका बच्चा सो तो गया था, पर वो फिर भी सहलाती रही।

कामवासना से भरी माँ एक तरफ बेटे को सहला रही थी और पीछे से एक गैर मर्द से चुद रही थी।

मैं उसके बाल पकड़कर खींच-खींचकर उसे चोद रहा था और वो बस सिसकियाँ भर रही थी।

जब उसे यकीन हो गया कि बच्चा सो गया है, तो वो बच्चे से थोड़ा दूर हट गई।
और मैंने उसे पलटकर अभी आगे से चोदना शुरू किया।

मैं उसके स्तन, उसके जिस्म को एक जानवर जैसे नोचकर, चूमकर और काटकर चोद रहा था।
अलिया खान मेरा पूरा साथ दे रही थी, जैसे वो मेरी रखेल हो।

उस रात मैंने चार बार उसे चोदा और जब चौथी बार चोद रहा था, तब सुबह की अवाज़ान सुनाई दे रही थी।
वक्त देखा, तो सुबह के 5,10 हो रहे थे।

अलिया, “ठाकुरजी… आह्हा, पूरी रात पेल दिया… आहा, अभी तो रुकिए… आह्हा, याल्ला, जान लोगे आप।”
ठाकुरजी, “ये चुदक्कड़ बदन लंड सोने नहीं देता, क्या करें… मल्ली छिनाल।”
अलिया, “ये मल्ली छिनाल अभी आपकी रखैल है… आह्हा, पूरी रात हमारे कटे नहीं कर सकते… आहा, आप में ही उतना दम है… आह्हा।”

मैंने उसकी चूत में चौथी बार माल डाल दिया और वो बिस्तर में गिर पड़ी।
मैं भी थककर सो गया।

ये हसीन लड़की की चुदाई का किस्सा अभी कुछ वक्त पहले का है और मैं वापस आते हुए इसे लिख रहा हूँ, क्योंकि एकदम ताज़ा है दिमाग में।
आगे क्या हुआ, ये जानना है, तो कमेंट कीजिए और मेल करें।

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लेखक की पिछली कहानी थी: पड़ोसी की बीवी की शर्मगाह का मजा